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05 अगस्त 2025

राष्ट्रीय कहानी प्रतियोगिता के परिणाम

 

राष्ट्रीय कहानी प्रतियोगिता के परिणाम
महिलाएं आगे रही
के डी अब्बासी
कोटा 5 अगस्त / राष्ट्रीय कहानी प्रतियोगी में महिलाओं का वर्चस्व छाया रहा। घोषित 23 परिणामों में प्रथम तीन स्थान सहित 14 पुरस्कार महिलाओं के नाम हुए। प्रतियोगिता में 7 राज्यों के 123 प्रतियोगियों ने भाग लिया। साहित्य मंडल श्रीनाथद्वारा, राजस्थान द्वारा आयोजित राष्ट्रीय कहानी प्रतियोगिता के परिणामों की घोषणा साहित्य मंडल के प्रधानमंत्री श्री श्याम प्रकाश देवपुरा ने सोमवार को की है। यह प्रतियोगिता आगामी हिंदी दिवस - 25 के उपलक्ष्य में आयोजित की गई।
प्रतियोगिता में अहमदाबाद की नमिता सिंह आराधना प्रथम, जयपुर की अंजू सक्सेना द्वितीय और शोभा गोयल तृतीय स्थान पर रही। सांत्वना स्थान पर बैंगलोर, ऋतु भटनागर, छत्तीसगढ़ के अरणी रॉबर्ट ,मथुरा के अजीव अंजुम , ग्वालियर के डॉ. नितिन उपाध्याय ,भोपाल की सुनीता मिश्रा ,जोधपुर की सीमा जोशी मुथा , अजमेर डॉक्टर वर्षा नाल्मे ,खेरवाड़ा, उदयपुर की डॉक्टर सीमा बोलिया, भीलवाड़ा की रेखा लोढ़ा स्मित ,अजमेर के अखिलेश पालरिया , बूंदी के दिनेश विजयवर्गीय एवं डॉ. सुलोचना शर्मा ,
झालावाड़ के राजेंद्र शान्तेय एवं रेखा सक्सेना,
कोटा की रेखा पंचोली , संजू शृंगी , हेमराज सिंह , प्रज्ञा गौतम ,छबड़ा , बारां के टीकम ढोढरिया एवं अंता,बारां की राधा तिवारी रहे।
देवपुरा ने बताया कि प्रतियोगिता आयोजन के लिए कोटा के पूर्व संयुक्त निदेशक ( जनसंपर्क) डॉ. प्रभात कुमार सिंघल को संयोजक नियुक्त किया गया था। निर्णय के लिए संयोजक सहित पांच सदस्यीय निर्णायक मंडल में ओडिशा के साहित्यकार दिनेश कुमार माली, अजमेर के साहित्यकार गोविंद भारद्वाज, कोटा के कथाकार विजय जोशी एवं साहित्यकार इंदु बाला शर्मा को शामिल किया गया। परिणाम निम्नांकित रहे।
उन्होंने बताया कि प्रथम, द्वितीय और तृतीय विजेता प्रतियोगियों को नाथद्वारा में साहित्य मंडल द्वारा आयोजित 13-14 सितंबर को हिंदी दिवस के दो दिवसीय समारोह में सम्मानित कर प्रत्येक को 2100/ - रुपए के पुरस्कार से पुरस्कृत किया जाएगा। नाथद्वारा में ठहरने और भोजन आदि व्यवस्थाएं साहित्य मंडल द्वारा की जाएंगी। विजेता प्रतियोगी को स्वयं उपस्थित होने पर सम्मानित और पुरस्कृत किया जाएगा। विस्तृत कार्यक्रम की सूचना पृथक से दी जाएगी। सांत्वना स्थान पर रहने वाले और सभी प्रतिभागियों को संयोजक के माध्यम से डिजिटल प्रमाण पत्र भिजवाएं जाएंगे।

देश के सम्मान में, अडिग कर्तव्यों की,

 

*मैं खाकी हूँ।**
दिन हूँ, रात हूँ, सांझ वाली बाती हूं, मैं खाकी हूँ। आंधी में, तूफ़ान में, होली में, रमजान में,
देश के सम्मान में, अडिग कर्तव्यों की,
अविचल परिपाटी हूँ, मैं खाकी हूँ।
तैयार हूँ मैं हमेशा ही,तेज धूप और बारिश,
हँस के सह जाने को, सारे त्योहार सड़कों पे,
‘भीड़’ के साथ ‘मनाने’ को, पत्थर और गोली भी खाने को, मैं बनी एक दूजी माटी हूँ,
मैं खाकी हूँ।
विघ्न विकट सब सह कर भी, सुशोभित सज्जित भाती हूँ,
मुस्काती हूँ, इठलाती हूँ, वर्दी का गौरव पाती हूँ,
मैं खाकी हूँ।
तम में प्रकाश हूँ, कठिन वक़्त की आस हूँ,
हर वक़्त तुम्हारे पास हूँ, बुलाओ, मैं दौड़ी आती हूँ,
मैं खाकी हूँ।
भूख और थकान की बात ही क्या, कभी आहत हूँ,
कभी चोटिल हूँ, और कभी तिरंगे में लिपटी,
रोती सिसकती छाती हूँ,
मैं खाकी हूँ।
शब्द कह पाया कुछ ही, आत्मकथा मैं बाकी हूँ,
मैं खाकी हूँ।#copied #police

(बल्कि) वह ख़ुद दूसरों के बनाए हुए मुर्दे बेजान हैं और इतनी भी ख़बर नहीं कि कब (क़यामत) होगी और कब मुर्दे उठाए जाएगें

 

(बल्कि) वह ख़ुद दूसरों के बनाए हुए मुर्दे बेजान हैं और इतनी भी ख़बर नहीं कि कब (क़यामत) होगी और कब मुर्दे उठाए जाएगें (21)

(फिर क्या काम आएगी) तुम्हारा परवरदिगार (यकता खुदा है तो जो लोग आखि़रत पर इमान नहीं रखते उनके दिल ही (इस वजह के हैं कि हर बात का) इन्कार करते हैं और वह बड़े मग़रुर हैं (22)
ये लोग जो कुछ छिपा कर करते हैं और जो कुछ ज़ाहिर बज़ाहिर करते हैं (ग़रज़ सब कुछ) ख़ुदा ज़रुर जानता है वह हरगिज़ तकब्बुर करने वालों को पसन्द नहीं करता (23)
और जब उनसे कहा जाता है कि तुम्हारे परवरदिगार ने क्या नाजि़ल किया है तो वह कहते हैं कि (अजी कुछ भी नहीं बस) अगलो के किस्से हैं (24)
(उनको बकने दो ताकि क़यामत के दिन) अपने (गुनाहों) के पूरे बोझ और जिन लोगों को उन्होंने बे समझे बूझे गुमराह किया है उनके (गुनाहों के) बोझ भी उन्हीं को उठाने पड़ेगें ज़रा देखो तो कि ये लोग कैसा बुरा बोझ अपने ऊपर लादे चले जा रहें हैं (25)
बेशक जो लोग उनसे पहले थे उन्होंने भी मक्कारियाँ की थीं तो (ख़ुदा का हुक्म) उनके ख़्यालात की इमारत की जड़ की तरफ से आ पड़ा (पस फिर क्या था) इस ख़्याली इमारत की छत उन पर उनके ऊपर से धम से गिर पड़ी (और सब ख़्याल हवा हो गए) और जिधर से उन पर अज़ाब आ पहुँचा उसकी उनको ख़बर तक न थी (26)
(फिर उसी पर इकतिफा नहीं) उसके बाद क़यामत के दिन ख़ुदा उनको रुसवा करेगा और फरमाएगा कि (अब बताओ) जिसको तुमने मेरा शरीक बना रखा था और जिनके बारे में तुम (इमानदारों से) झगड़ते थे कहाँ हैं (वह तो कुछ जवाब देगें नहीं मगर) जिन लोगों को (ख़ुदा की तरफ से) इल्म दिया गया है कहेगें कि आज के दिन रुसवाई और ख़राबी (सब कुछ) काफिरों पर ही है (27)
वह लोग हैं कि जब फरिश्ते उनकी रुह क़ब्ज़ करने लगते हैं (और) ये लोग (कुफ्र करके) आप अपने ऊपर सितम ढ़ाते रहे तो इताअत पर आमादा नज़र आते हैं और (कहते हैं कि) हम तो (अपने ख़्याल में) कोई बुराई नहीं करते थे (तो फरिष्ते कहते हैं) हाँ जो कुछ तुम्हारी करतूते थी ख़ुदा उससे खूब अच्छी तरह वाकि़फ हैं (28)
(अच्छा तो लो) जहन्नुम के दरवाज़ों में दाखि़ल हो और इसमें हमेषा रहोगे ग़रज़ तकब्बुर करने वालो का भी क्या बुरा ठिकाना है (29)
और जब परहेज़गारों से पूछा जाता है कि तुम्हारे परवरदिगार ने क्या नाजि़ल किया है तो बोल उठते हैं सब अच्छे से अच्छा जिन लोगों ने नेकी की उनके लिए इस दुनिया में (भी) भलाई (ही भलाई) है और आखि़रत का घर क्या उम्दा है (30)

नेत्रदान को समर्थन के लिए, प्रवासी भारतीय अनु,यूके की सबसे बड़ी पर्वत चोटी पर करेंगी चढ़ाई

 नेत्रदान को समर्थन के लिए, प्रवासी भारतीय अनु,यूके की सबसे बड़ी पर्वत चोटी पर करेंगी चढ़ाई

राजस्थान,के अजमेर मूल की प्रवासी भारतीय अनु व्यास वर्तमान में स्कॉटलैंड में समर्पित मनोविज्ञान विशेषज्ञ के रूप में, कार्य कर रही हैं । वे  सामुदायिक सेवा और सांस्कृतिक संरक्षण के प्रति अपने लगाव को काफी महत्व देती हैं ।

शाइन इंडिया फाउंडेशन के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष जितेंद्र सिंह ने बताया कि,अनु स्कॉटलैंड में राजस्थानी समुदाय की एक सक्रिय सदस्य के रूप में,विदेशों में राजस्थानी विरासत की समृद्ध परंपराओं को बढ़ावा देने और संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

अपने कार्यों के माध्यम से,अनु सहानुभूति, दृढ़ता और सांस्कृतिक गर्व जैसे मूल्यों का उदाहरण प्रस्तुत करती हैं, और प्रवासी समुदाय के भीतर ही नहीं बल्कि व्यापक सामाजिक क्षेत्रों में भी सार्थक प्रभाव छोड़ रही हैं।

काफी समय से अनु शाइन इंडिया फाउंडेशन के नेत्रदान,अंगदान अभियान को वैश्विक स्तर पर प्रसारित करने में लगी हुई है । दृष्टिहीनों को नेत्रदान के माध्यम से रोशनी मिले इस उद्देश्य से, 2 अगस्त शनिवार को, यूके की सबसे ऊंचे पर्वत*बेन नेविस*,पर चढ़ाई करने वाली हैं । अनु, राजस्थान की पारंपरिक वेशभूषा पहन कर कई,मैराथन दौड़ में भाग ले चुकी हैं ।

बेन नेविस समुद्र तल से 1345 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, इसकी श्रेष्ठतम ऊंचाई पर चढ़ना, हर किसी के लिए बस की बात नहीं है। अनु अपने इस अभियान के माध्यम से कॉर्निया कि अंधता को दुख भोग रहे लोगों की आंखों से अंधेरा दूर करने के लिए लोगों से आर्थिक सहयोग भी इकट्ठा कर रही हैं

. नेत्रदान कर,अपना नाम सार्थक कर गई प्रकाश रानी

 

. नेत्रदान कर,अपना नाम सार्थक कर गई प्रकाश रानी

रिको चंबल इंडस्ट्रियल एरिया निवासी माता जी प्रकाश रानी गुप्ता का शुक्रवार सुबह आकस्मिक निधन हो गया।  ईश्वर में आस्था रखने वाली, विनम्र स्वभाव और सेवाभावी प्रकाश रानी प्रारंभ से ही धर्म-कर्म में विश्वास रखती थी । उनके यही संस्कार, उनके तीनों बेटे सुधीर,सुनील,अनिल और बेटी रानी में भी दिखते हैं ।

माताजी की देहांत होते ही तीनों बेटों ने, परिवार के सभी सदस्यों से सहमति कर माताजी के नेत्रदान करने का निश्चय किया । बेटे सुनील मित्तल और दामाद डॉ जगदीश अग्रवाल, ने तुरंत ही शाइन इंडिया फाउंडेशन को संपर्क कर नेत्रदान का पुनीत कार्य निवास स्थान पर संपन्न कराया।

प्रकाश रानी जी का नेत्रदान अन्य लोगों को भी प्रेरणा देगा, परिवार के सदस्यों ने उनके नाम के अनुरूप, अंत समय में भी नेत्रदान का कार्य कर उनका मनुष्य जन्म सार्थक किया ।

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