आपका-अख्तर खान "अकेला"
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
05 अगस्त 2025
राष्ट्रीय कहानी प्रतियोगिता के परिणाम
देश के सम्मान में, अडिग कर्तव्यों की,
(बल्कि) वह ख़ुद दूसरों के बनाए हुए मुर्दे बेजान हैं और इतनी भी ख़बर नहीं कि कब (क़यामत) होगी और कब मुर्दे उठाए जाएगें
(बल्कि) वह ख़ुद दूसरों के बनाए हुए मुर्दे बेजान हैं और इतनी भी ख़बर नहीं कि कब (क़यामत) होगी और कब मुर्दे उठाए जाएगें (21)
(फिर क्या काम आएगी) तुम्हारा परवरदिगार (यकता खुदा है तो जो लोग आखि़रत
पर इमान नहीं रखते उनके दिल ही (इस वजह के हैं कि हर बात का) इन्कार करते
हैं और वह बड़े मग़रुर हैं (22)
ये लोग जो कुछ छिपा कर करते हैं और जो कुछ ज़ाहिर बज़ाहिर करते हैं
(ग़रज़ सब कुछ) ख़ुदा ज़रुर जानता है वह हरगिज़ तकब्बुर करने वालों को
पसन्द नहीं करता (23)
और जब उनसे कहा जाता है कि तुम्हारे परवरदिगार ने क्या नाजि़ल किया है तो
वह कहते हैं कि (अजी कुछ भी नहीं बस) अगलो के किस्से हैं (24)
(उनको बकने दो ताकि क़यामत के दिन) अपने (गुनाहों) के पूरे बोझ और जिन
लोगों को उन्होंने बे समझे बूझे गुमराह किया है उनके (गुनाहों के) बोझ भी
उन्हीं को उठाने पड़ेगें ज़रा देखो तो कि ये लोग कैसा बुरा बोझ अपने ऊपर
लादे चले जा रहें हैं (25)
बेशक जो लोग उनसे पहले थे उन्होंने भी मक्कारियाँ की थीं तो (ख़ुदा का
हुक्म) उनके ख़्यालात की इमारत की जड़ की तरफ से आ पड़ा (पस फिर क्या था)
इस ख़्याली इमारत की छत उन पर उनके ऊपर से धम से गिर पड़ी (और सब ख़्याल
हवा हो गए) और जिधर से उन पर अज़ाब आ पहुँचा उसकी उनको ख़बर तक न थी (26)
(फिर उसी पर इकतिफा नहीं) उसके बाद क़यामत के दिन ख़ुदा उनको रुसवा करेगा
और फरमाएगा कि (अब बताओ) जिसको तुमने मेरा शरीक बना रखा था और जिनके बारे
में तुम (इमानदारों से) झगड़ते थे कहाँ हैं (वह तो कुछ जवाब देगें नहीं
मगर) जिन लोगों को (ख़ुदा की तरफ से) इल्म दिया गया है कहेगें कि आज के दिन
रुसवाई और ख़राबी (सब कुछ) काफिरों पर ही है (27)
वह लोग हैं कि जब फरिश्ते उनकी रुह क़ब्ज़ करने लगते हैं (और) ये लोग
(कुफ्र करके) आप अपने ऊपर सितम ढ़ाते रहे तो इताअत पर आमादा नज़र आते हैं
और (कहते हैं कि) हम तो (अपने ख़्याल में) कोई बुराई नहीं करते थे (तो
फरिष्ते कहते हैं) हाँ जो कुछ तुम्हारी करतूते थी ख़ुदा उससे खूब अच्छी तरह
वाकि़फ हैं (28)
(अच्छा तो लो) जहन्नुम के दरवाज़ों में दाखि़ल हो और इसमें हमेषा रहोगे ग़रज़ तकब्बुर करने वालो का भी क्या बुरा ठिकाना है (29)
और जब परहेज़गारों से पूछा जाता है कि तुम्हारे परवरदिगार ने क्या नाजि़ल
किया है तो बोल उठते हैं सब अच्छे से अच्छा जिन लोगों ने नेकी की उनके लिए
इस दुनिया में (भी) भलाई (ही भलाई) है और आखि़रत का घर क्या उम्दा है (30)
नेत्रदान को समर्थन के लिए, प्रवासी भारतीय अनु,यूके की सबसे बड़ी पर्वत चोटी पर करेंगी चढ़ाई
नेत्रदान को समर्थन के लिए, प्रवासी भारतीय अनु,यूके की सबसे बड़ी पर्वत चोटी पर करेंगी चढ़ाई
राजस्थान,के
अजमेर मूल की प्रवासी भारतीय अनु व्यास वर्तमान में स्कॉटलैंड में समर्पित
मनोविज्ञान विशेषज्ञ के रूप में, कार्य कर रही हैं । वे सामुदायिक सेवा
और सांस्कृतिक संरक्षण के प्रति अपने लगाव को काफी महत्व देती हैं ।
शाइन
इंडिया फाउंडेशन के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष जितेंद्र सिंह ने बताया कि,अनु
स्कॉटलैंड में राजस्थानी समुदाय की एक सक्रिय सदस्य के रूप में,विदेशों में
राजस्थानी विरासत की समृद्ध परंपराओं को बढ़ावा देने और संरक्षित करने में
महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
अपने कार्यों के माध्यम से,अनु
सहानुभूति, दृढ़ता और सांस्कृतिक गर्व जैसे मूल्यों का उदाहरण प्रस्तुत
करती हैं, और प्रवासी समुदाय के भीतर ही नहीं बल्कि व्यापक सामाजिक
क्षेत्रों में भी सार्थक प्रभाव छोड़ रही हैं।
काफी समय से अनु शाइन
इंडिया फाउंडेशन के नेत्रदान,अंगदान अभियान को वैश्विक स्तर पर प्रसारित
करने में लगी हुई है । दृष्टिहीनों को नेत्रदान के माध्यम से रोशनी मिले इस
उद्देश्य से, 2 अगस्त शनिवार को, यूके की सबसे ऊंचे पर्वत*बेन नेविस*,पर
चढ़ाई करने वाली हैं । अनु, राजस्थान की पारंपरिक वेशभूषा पहन कर कई,मैराथन
दौड़ में भाग ले चुकी हैं ।
बेन नेविस समुद्र तल से 1345 मीटर की
ऊंचाई पर स्थित है, इसकी श्रेष्ठतम ऊंचाई पर चढ़ना, हर किसी के लिए बस की
बात नहीं है। अनु अपने इस अभियान के माध्यम से कॉर्निया कि अंधता को दुख
भोग रहे लोगों की आंखों से अंधेरा दूर करने के लिए लोगों से आर्थिक सहयोग
भी इकट्ठा कर रही हैं
. नेत्रदान कर,अपना नाम सार्थक कर गई प्रकाश रानी
रिको चंबल इंडस्ट्रियल एरिया निवासी माता जी प्रकाश रानी गुप्ता का शुक्रवार सुबह आकस्मिक निधन हो गया। ईश्वर में आस्था रखने वाली, विनम्र स्वभाव और सेवाभावी प्रकाश रानी प्रारंभ से ही धर्म-कर्म में विश्वास रखती थी । उनके यही संस्कार, उनके तीनों बेटे सुधीर,सुनील,अनिल और बेटी रानी में भी दिखते हैं ।
माताजी की देहांत होते ही तीनों बेटों ने, परिवार के सभी सदस्यों से सहमति कर माताजी के नेत्रदान करने का निश्चय किया । बेटे सुनील मित्तल और दामाद डॉ जगदीश अग्रवाल, ने तुरंत ही शाइन इंडिया फाउंडेशन को संपर्क कर नेत्रदान का पुनीत कार्य निवास स्थान पर संपन्न कराया।
प्रकाश रानी जी का नेत्रदान अन्य लोगों को भी प्रेरणा देगा, परिवार के सदस्यों ने उनके नाम के अनुरूप, अंत समय में भी नेत्रदान का कार्य कर उनका मनुष्य जन्म सार्थक किया ।