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28 सितंबर 2025

आज खड़ा होगा दशानन, 215 फीट का रावण बनकर हुआ तैयार

 

आज खड़ा होगा दशानन, 215 फीट का रावण बनकर हुआ तैयार
132वां राष्ट्रीय मेला दशहरा - 2025
के डी अब्बासी
कोटा, सितम्बर।
राष्ट्रीय मेला दशहरा 2025 में 2 अक्टूबर को मुहुर्तानुसार रावण दहन किया जाएगा। रावण का 215 फीट का पुतला बनकर तैयार है। जो फिलहाल आराम की मुद्रा में है। मेला समिति अध्यक्ष विवेक राजवंशी ने बताया कि रावण के विशालकाय पुतले को सोमवार को मौसम साफ रहने की स्थिति में खड़ा कर दिया जाएगा। जिसके लिए 60- 70 मजदूर काम करेंगे। वहीं 220 टन की 1 एवं 100 टन की 1 हाइड्रोलिक क्रेन काम में ली जाएगी। ये 65 मीटर और 25 मीटर लंबाई की होंगी। रावण के पुतले को खड़ा करने के लिए 26 गुणा 24 का आरसीसी का सॉलिड फाउंडेशन तैयार है। जो 6 फीट गहराई का है। इसमें आठ रोड जैक वाली लगेगी। साथ ही, आठ लोहे के रस्से से रावण को सपोर्ट दिया जाएगा। 8 नट की चूड़ियों के द्वारा रावण खड़ा होगा। तीनों पुतलों के लिए पेडस्टल बनाकर तैयार किए गए हैं। जिन पर फिश प्लेट लगी हुई है। इन फिश प्लेट को जॉइंट किया जाएगा। इस दौरान सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए डबल बैरिकेडिंग की गई है।
उन्होंने बताया कि इस बार रावण के पुतले को खड़ा करने की जिम्मेदारी भी पुतला निर्माण करने वाले ठेकेदार को ही दी गई है। ऐसे में, निगम की इंजीनियरिंग टीम अधीक्षण अभियन्ता श्री महेश गोयल के नेतृत्व में मॉनिटरिंग के लिए उपलब्ध रहेगी। अतिरिक्त मेला अधिकारी महेश गोयल ने बताया कि मशीन, मजदूर और खड़े करने की जिम्मेदारी ठेकेदार पर ही है। पुतले को खड़ा करने में मौसम का बहुत अहम रोल रहेगा। यदि दिनभर मौसम साफ रहा तो खड़ा करने में आसानी होगी।
रावण के पुतले का निर्माण करने वाले अंबाला के तेजिंदर सिंह चौहान ने बताया कि पुतले के निर्माण में 4 महीने का समय लगा है। जिसके लिए 25 आदमी लगातार जुटे हुए थे। पुतले के निर्माण में 12 टन लोहे का उपयोग किया गया है। वहीं 24 फीट के 1500 बांस उपयोग में लिए गए हैं। इन्हें बांधने के लिए दो क्विंटल सुतली का प्रयोग हुआ है। कपड़े पहनाने में 4000 मीटर वेलवेट का कपड़ा और 4000 मेट का उपयोग हुआ।
उन्होंने बताया कि रावण की का चेहरा फाइबर ग्लास से बना है। जो 25 फीट और तीन क्विंटल वजनी है। इसके मुकुट में कलर्ड एलईडी लाइट लगाई गई है। इसकी तलवार 50 फीट की है। 40 फीट की जूतियां पहनाई गई हैं। मुकुट 60 फीट का है। पुतले में रिमोट कंट्रोल के 25 पॉइंट फिट किए गए हैं।

लोगों के पास उनका हिसाब (उसका वक़्त) आ पहुँचा और वो हैं कि गफ़लत में पड़े मुँह मोड़े ही जाते हैं

 

21 सूरए अल अम्बिया
सूरए अल अम्बिया मक्का में नाजि़ल हुआ और उसकी एक सौ बारह आयतें हैं।
खु़दा के नाम से शुरू करता हूँ जो बड़ा मेहरबान रहम वाला है।
लोगों के पास उनका हिसाब (उसका वक़्त) आ पहुँचा और वो हैं कि गफ़लत में पड़े मुँह मोड़े ही जाते हैं (1)
जब उनके परवरदिगार की तरफ से उनके पास कोई नया हुक्म आता है तो उसे सिर्फ कान लगाकर सुन लेते हैं और (फिर उसका) हँसी खेल उड़ाते हैं (2)
उनके दिल (आखि़रत के ख़्याल से) बिल्कुल बेख़बर हैं और ये ज़ालिम चुपके-चुपके कानाफूसी किया करते हैं कि ये शख़्स (मोहम्मद कुछ भी नहीं) बस तुम्हारे ही सा आदमी है तो क्या तुम दीदा व दानिस्ता जादू में फँसते हो (3)
(तो उस पर) रसूल ने कहा कि मेरा परवरदिगार जितनी बातें आसमान और ज़मीन में होती हैं खू़ब जानता है (फिर क्यों कानाफूसी करते हो) और वह तो बड़ा सुनने वाला वाकि़फ़कार है (4)
(उस पर भी उन लोगों ने इकतेफ़ा न की) बल्कि कहने लगे (ये कु़रआन तो) ख्वाबहाय परीशाँ का मजमूआ है बल्कि उसने खु़द अपने जी से झूट-मूट गढ़ लिया है बल्कि ये शख़्स शायर है और अगर हक़ीकतन रसूल है) तो जिस तरह अगले पैग़म्बर मौजिज़ों के साथ भेजे गए थे (5)
उसी तरह ये भी कोई मौजिज़ा (जैसा हम कहें) हमारे पास भला लाए तो सही इनसे पहले जिन बस्तियों को तबाह कर डाला (मौजिज़े भी देखकर तो) ईमान न लाए (6)
तो क्या ये लोग ईमान लाएँगे और ऐ रसूल हमने तुमसे पहले भी आदमियों ही को (रसूल बनाकर) भेजा था कि उनके पास “वही” भेजा करते थे तो अगर तुम लोग खु़द नहीं जानते हो तो आलिमों से पूँछकर देखो (7)
और हमने उन (पैग़म्बरों) के बदन ऐसे नहीं बनाए थे कि वह खाना न खाएँ और न वह (दुनिया में) हमेशा रहने सहने वाले थे (8)
फिर हमने उन्हें (अपना अज़ाब का) वायदा सच्चा कर दिखाया (और जब अज़ाब आ पहुँचा) तो हमने उन पैग़म्बरों को और जिस जिसको चाहा छुटकारा दिया और हद से बढ़ जाने वालों को हलाक कर डाला (9)
हमने तो तुम लोगों के पास वह किताब (कु़रआआन) नाजि़ल की है जिसमें तुम्हारा (भी) जि़क्रे (ख़ैर) है तो क्या तुम लोग (इतना भी) नहीं समझते (10)

और अपने घर वालों को नमाज़ का हुक्म दो और तुम खु़द भी उसके पाबन्द रहो हम तुम से रोज़ी तो तलब करते नहीं (बल्कि) हम तो खु़द तुमको रोज़ी देते हैं और परहेज़गारी ही का तो अन्जाम बखै़र है

 और (ऐ रसूल) जो उनमें से कुछ लोगों को दुनिया की इस ज़रा सी जि़न्दगी की रौनक़ से निहाल कर दिया है ताकि हम उनको उसमें आज़माएँ तुम अपनी नज़रें उधर न बढ़ाओ और (इससे) तुम्हारे परवरदिगार की रोज़ी (सवाब) कहीं बेहतर और ज़्यादा पाएदार है (131)
और अपने घर वालों को नमाज़ का हुक्म दो और तुम खु़द भी उसके पाबन्द रहो हम तुम से रोज़ी तो तलब करते नहीं (बल्कि) हम तो खु़द तुमको रोज़ी देते हैं और परहेज़गारी ही का तो अन्जाम बखै़र है (132)
और (एहले मक्का) कहते हैं कि अपने परवरदिगार की तरफ से हमारे पास कोई मौजिज़ा हमारी मर्ज़ी के मुवाफिक़ क्यों नहीं लाते तो क्या जो (पेशीन गोइयाँ) अगली किताबों (तौरेत, इन्जील) में (इसकी) गवाह हैं वह भी उनके पास नहीं पहुँची (133)
और अगर हम उनको इस रसूल से पहले अज़ाब से हलाक कर डालते तो ज़रूर कहते कि ऐ हमारे पालने वाले तूने हमारे पास (अपना) रसूल क्यों न भेजा तो हम अपने ज़लील व रूसवा होने से पहले तेरी आयतों की पैरवी ज़रूर करते (134)
रसूल तुम कह दो कि हर शख़्स (अपने अंजाम कार का) मुन्तिज़र है तो तुम भी इन्तिज़ार करो फिर तो तुम्हें बहुत जल्द मालूम हो जाएगा कि सीधी राह वाले कौन हैं (और कज़ी पर कौन हैं) हिदायत याफ़ता कौन है और गुमराह कौन है। (135)

27 सितंबर 2025

शॉर्ट फिल्म का दृष्टि-बाधित किरदार गर्वित,करेगा नेत्रदान के लिए प्रेरित,पोस्टर विमोचन हुआ

 

शॉर्ट फिल्म का दृष्टि-बाधित किरदार गर्वित,करेगा नेत्रदान के लिए प्रेरित,पोस्टर विमोचन हुआ
2. शाइन इंडिया द्वारा बनाई गई शॉर्ट मूवी करेंगी, नेत्रदान अंगदान को प्रेरित,पोस्टर विमोचन किया
3. आईजी कोटा रेंज ने नेत्रदान अंगदान पर आधारित लघु फिल्म पोस्टर का किया विमोचन

शाइन इंडिया फाउंडेशन के मार्गदर्शन और सहयोग से निर्देशित की गई तीन लघु फिल्में मासूम चाहत,उम्मीद और असली जीत अब शहर वासियों को नेत्रदान और अंगदान के लिए प्रेरित करेंगे ।

संस्था संस्थापक सचिव डॉ संगीता ने जानकारी देते हुए बताया कि, संस्था प्रारंभ से ही बच्चों युवाओं और बुजुर्गों को सामाजिक सरोकारों से जोड़ने के लिए 14 वर्षों से कार्यरत है । लघु फिल्में हर उम्र और वर्ग के लोगों के दिल और दिमाग पर अच्छा असर छोड़ती है । संस्था ने प्रयास किया है कि, लघु फिल्म के माध्यम से शहर वासियों के बीच नेत्रदान अंगदान का जागरूकता संदेश पहुंचे ।

उम्मीद फिल्म में दृष्टिबाधित बाल कलाकार गर्वित ने, नेत्रदान के माध्यम से रोशनी मिलने की उम्मीद को बताया है, वही मासूम चाहत में काम करने वाली बाल कलाकार इंशा ने भी अपनी माँ के बीमार दिल के लिए,अंगदान के माध्यम से अपील की है । इसी तरह असली जीत फिल्म में कलाकार सौरभ ने खेल में विजय का सारा श्रेय,अंगदाता को दिया है।

तीनों लघु फिल्मों के पोस्टर का विमोचन करते हुए आईजी कोटा रेंज राजेंद्र प्रसाद गोयल ने कहा कि, इस तरह की लघु फिल्में, आम जनता को सामाजिक सरोकारों में जोड़ती है, और जागरूकता का प्रचार प्रसार करती हैं । मैं आशा करता हूं कि लोग, लघु फिल्मों के माध्यम से अंगदान को परिवार में चर्चा का विषय बनाएंगे और जब भी कहीं कोई ब्रेनडेड व्यक्ति की सूचना आएगी, तो वह स्वयं आगे बढ़कर उनके अंगदान करवाने का प्रयास करेंगे ।

लघु फिल्मों का निर्देशन वकार अहमद गौरी, कैमरामैन संजय वर्मा, प्रोड्यूसर शाइन इंडिया,पटकथा डॉ कुलवंत गौड़,वकार अहमद, अन्य कलाकार रेखा वर्मा,मेघा पाठक,सौरभ बैरागी,सुमन लता माहेश्वरी,संदीप राय थे ।

संस्थापक डॉ कुलवंत गौड़ ने बताया कि,जल्दी ही इन,फिल्मों का प्रसारण, अलग-अलग वार्ड में प्रोजेक्टर पर किया जाएगा, साथ ही, संभाग के सभी राजकीय एवं निजी विद्यालय में भी इस मूवी का प्रसारण कर बच्चों को सामाजिक सरोकार की शिक्षा दी जाएगी ।

पोस्टर विमोचन के उपरांत आईजी कोटा रेंज राजेंद्र प्रसाद गोयल ने, बाल कलाकारों को संस्था की ओर से दिया गया उपहार भेंट किया ।

चुनान्चे दोनों मियाँ बीबी ने उसी में से कुछ खाया तो उनका आगा पीछा उनपर ज़ाहिर हो गया और दोनों बेहिश्त के (दरख़्त के) पत्ते अपने आगे पीछे पर चिपकाने लगे और आदम ने अपने परवरदिगार की नाफ़रमानी की तो (राहे सवाब से) बेराह हो गए

 चुनान्चे दोनों मियाँ बीबी ने उसी में से कुछ खाया तो उनका आगा पीछा उनपर ज़ाहिर हो गया और दोनों बेहिश्त के (दरख़्त के) पत्ते अपने आगे पीछे पर चिपकाने लगे और आदम ने अपने परवरदिगार की नाफ़रमानी की तो (राहे सवाब से) बेराह हो गए (121)
इसके बाद उनके परवरदिगार ने बर गुज़ीदा किया फिर उनकी तौबा कु़बूल की और उनकी हिदायत की (122)
फरमाया कि तुम दोनों बेहिश्त से नीचे उतर जाओ तुम में से एक का एक दुशमन है फिर अगर तुम्हारे पास मेरी तरफ से हिदायत पहुँचे तो (तुम) उसकी पैरवी करना क्योंकि जो शख़्स मेरी हिदायत पर चलेगा न तो गुमराह होगा और न मुसीबत में फँसेगा (123)
और जिस शख़्स ने मेरी याद से मुँह फेरा तो उसकी जि़न्दगी बहुत तंगी में बसर होगी और हम उसको क़यामत के दिन अंधा बना के उठाएँगे (124)
वह कहेगा इलाही मैं तो (दुनिया में) आँख वाला था तूने मुझे अन्धा करके क्यों उठाया (125)
खु़दा फरमाएगा ऐसा ही (होना चाहिए) हमारी आयतें भी तो तेरे पास आई तो तू उन्हें भुला बैठा और इसी तरह आज तू भी भूला दिया जाएगा (126)
और जिसने (हद से)तजावुज़ किया और अपने परवरदिगार की आयतों पर इमान न लाया उसको ऐसी ही बदला देगें और आखि़रत का अज़ाब तो यक़ीनी बहुत सख़्त और बहुत देर पा है (127)
तो क्या उन (एहले मक्का) को उस (खु़दा) ने ये नहीं बता दिया था कि हमने उनके पहले कितने लोगों को हलाक कर डाला जिनके घरों में ये लोग चलते फिरते हैं इसमें शक नहीं कि उसमें अक़्लमंदों के लिए (कु़दरते खु़दा की) यक़ीनी बहुत सी निशानियाँ हैं (128)
और (ऐ रसूल) अगर तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से पहले ही एक वायदा और अज़ाब का) एक वक़्त मुअय्यन न होता तो (उनकी हरकतों से) फ़िरऔन पर अज़ाब का आना लाज़मी बात थी (129)
(ऐ रसूल) जो कुछ ये कुफ़्फ़ार बका करते हैं तुम उस पर सब्र करो और आफ़ताब निकलने के क़ब्ल और उसके ग़ुरूब होने के क़ब्ल अपने परवरदिगार की हम्दोसना के साथ तसबीह किया करो और कुछ रात के वक़्तों में और दिन के किनारों में तस्बीह करो ताकि तुम निहाल हो जाओ (130)

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