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28 मार्च 2024

(ऐ रसूल) अगर तुम उनसे पूछो कि (भला) किसने सारे आसमान व ज़मीन को पैदा किया और चाँद और सूरज को काम में लगाया तो वह ज़रुर यही कहेंगे कि अल्लाह ने फिर वह कहाँ बहके चले जाते हैं

 (ऐ रसूल) अगर तुम उनसे पूछो कि (भला) किसने सारे आसमान व ज़मीन को पैदा किया और चाँद और सूरज को काम में लगाया तो वह ज़रुर यही कहेंगे कि अल्लाह ने फिर वह कहाँ बहके चले जाते हैं (61)
ख़ुदा ही अपने बन्दों में से जिसकी रोज़ी चाहता है कुशादा कर देता है और जिसके लिए चाहता है तंग कर देता है इसमें शक नहीं कि ख़़ुदा ही हर चीज़ से वाकि़फ़ है (62)
और (ऐ रसूल) अगर तुम उससे पूछो कि किसने आसमान से पानी बरसाया फिर उसके ज़रिये से ज़मीन को इसके मरने (परती होने) के बाद जि़न्दा (आबाद) किया तो वह ज़रुर यही कहेंगे कि अल्लाह ने (ऐ रसूल) तुम कह दो अल्हम दो लिल्लाह-मगर उनमे से बहुतेरे (इतना भी) नहीं समझते (63)
और ये दुनिया की जि़न्दगी तो खेल तमाशे के सिवा कुछ नहीं और मगर ये लोग समझें बूझें तो इसमे षक नहीं कि अबदी जि़न्दगी (की जगह) तो बस आख़ेरत का घर है (बाक़ी लग़ो) (64)
फिर जब ये लोग कश्ती में सवार होते हैं तो निहायत ख़ुलूस से उसकी इबादत करने वाले बन कर ख़़ुदा से दुआ करते हैं फिर जब उन्हें खुश्कीमें (पहुँचा कर) नजात देता है तो फौरन शिर्क करने लगते हैं (65)
ताकि जो (नेअमतें) हमने उन्हें अता की हैं उनका इन्कार कर बैठें और ताकि (दुनिया में) ख़ूब चैन कर लें तो अनक़रीब ही (इसका नतीजा) उन्हें मालूम हो जाएगा (66)
क्या उन लोगों ने इस पर ग़ौर नहीं किया कि हमने हरम (मक्का) को अमन व इत्मेनान की जगह बनाया हालाँ कि उनके गिर्द व नवाह से लोग उचक ले जाते हैं तो क्या ये लोग झूठे माबूदों पर ईमान लाते हैं और ख़़ुदा की नेअमत की नाशुक्री करते हैं (67)
और जो शख़्स ख़़ुदा पर झूठ बोहतान बॅाधे या जब उसके पास कोई सच्ची बात आए तो झुठला दे इससे बढ़कर ज़ालिम कौन होगा क्या (इन) काफ़िरों का ठिकाना जहन्नुम में नहीं है (ज़रुर है) (68)
और जिन लोगों ने हमारी राह में जिहाद किया उन्हें हम ज़रुर अपनी राह की हिदायत करेंगे और इसमें शक नही कि ख़़ुदा नेकोकारों का साथी है (69)

27 मार्च 2024

और (कुफ़्फ़ार अरब) कहते हैं कि इस (रसूल) पर उसके परवरदिगार की तरफ़ से मौजिज़े क्यों नही नाजि़ल होते (ऐ रसूल उनसे) कह दो कि मौजिज़े तो बस ख़ुदा ही के पास हैं और मै तो सिर्फ़ साफ़ साफ़ (अज़ाबे ख़ुदा से) डराने वाला हूँ

 और (कुफ़्फ़ार अरब) कहते हैं कि इस (रसूल) पर उसके परवरदिगार की तरफ़ से मौजिज़े क्यों नही नाजि़ल होते (ऐ रसूल उनसे) कह दो कि मौजिज़े तो बस ख़ुदा ही के पास हैं और मै तो सिर्फ़ साफ़ साफ़ (अज़ाबे ख़ुदा से) डराने वाला हूँ (50)
क्या उनके लिए ये काफ़ी नहीं कि हमने तुम पर क़ुरआन नाजि़ल किया जो उनके सामने पढ़ा जाता है इसमें शक नहीं कि इमानदार लोगों के लिए इसमें (ख़ुदा की बड़ी) मेहरबानी और (अच्छी ख़ासी) नसीहत है (51)
तुम कह दो कि मेरे और तुम्हारे दरम्यिान गवाही के वास्ते ख़ुदा ही काफी है जो सारे आसमान व ज़मीन की चीज़ों को जानता है-और जिन लोगों ने बातिल को माना और ख़ुदा से इन्कार किया वही लोग बड़े घाटे में रहेंगे (52)
और (ऐ रसूल) तुमसे लोग अज़ाब के नाजि़ल होने की जल्दी करते हैं और अगर (अज़ाब का) वक़्त मुअय्यन न होता तो यक़ीनन उन काफ़िरों तक अज़ाब आ जाता और (आखि़र एक दिन) उन पर अचानक ज़रुर आ पड़ेगा और उनको ख़बर भी न होगी (53)
ये लोग तुमसे अज़ाब की जल्दी करते हैं और ये यक़ीनी बात है कि दोज़ख़ काफ़िरों को (इस तरह) घेर कर रहेगी (कि रुक न सकेंगे) (54)
जिस दिन अज़ाब उनके सर के ऊपर से और उनके पाँव के नीचे से उनको ढांके होगा और ख़़ुदा (उनसे) फ़रमाएगा कि जो जो कारस्तानियाँ तुम (दुनिया में) करते थे अब उनका मज़ा चखो (55)
ऐ मेरे ईमानदार बन्दों मेरी ज़मीन तो यक़ीनन कुषादा है तो तुम मेरी ही इबादत करो (56)
हर शख़्स (एक न एक दिन) मौत का मज़ा चखने वाला है फिर तुम सब आखि़र हमारी ही तरफ़ लौटाए जाओगे (57)
और जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और अच्छे अच्छे काम किए उनको हम बेहेश्त के झरोखों में जगह देगें जिनके नीचे नहरें जारी हैं जिनमें वह हमेशा रहेंगे (अच्छे चलन वालो की भी क्या ख़ूब ख़री मज़दूरी है) (58)
जिन्होंने (दुनिया में मुसिबतों पर) सब्र किया और अपने परवरदिगार पर भरोसा रखते हैं (59)
और ज़मीन पर चलने वालों में बहुतेरे ऐसे हैं जो अपनी रोज़ी अपने ऊपर लादे नहीं फिरते ख़़ुदा ही उनको भी रोज़ी देता है और तुम को भी और वह बड़ा सुनने वाला वाकि़फकार है (60)

26 मार्च 2024

मल्टीनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के सेकंड एडीशन का पोस्टर विमोचन लंदन में हुआ।

 

मल्टीनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के सेकंड एडीशन का पोस्टर विमोचन लंदन में हुआ।

इस अवसर पर लंदन के अलावा अन्य कई शहरों से भी लोग शामिल हुए थे। कार्यक्रम के दौरान पर्यावरण संरक्षण, स्वच्छता और स्वस्थ भोजन के महत्व पर बातें की गईं।
कार्यक्रम में शामिल हुए लोगों ने इन संदेशों के साथ कई अन्य आयोजन भी किये।

मल्टीनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड्स पुरस्कार प्रतिष्ठित हस्तियों द्वारा कार्य-कुशल लोगों को प्रदान किया जाता रहा है।
कार्यक्रम में शामिल हुए लोगों ने कार्यक्रम की सराहना की और उत्साहित दिखे।

इस समारोह का मुख्य उद्देश्य लोगों को पर्यावरण संरक्षण, स्वच्छता और स्वस्थ भोजन के महत्व के बारे में जागरूक करना था।

यू.के. लंदन स्थित संस्था दिशा केयर द्वारा संचालित मल्टीनेशनल बुक ऑफ़ रिकार्ड्स पुरुष्कार हर वर्ष अपने-2 कार्य क्षेत्र में विशिष्ट योगदान देने पर प्रदान किया जाता है।
इसके इंडिया एडिशन का द्वितीय पोस्टर विमोचन लंदन में किया गया।
भारत में अवध इंटरप्राइजेज और युथ हेल्प आर्गेनाइजेशन
के संयुक्त सहयोग से ये पुरुस्कार प्रदान किया जाता है।

दिशा केयर मूल रूप से लंदन स्थित एक ऐसी संस्था है जो वर्ल्डवाइड अपने-2 कार्य क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले महानुभावों को पुरस्कृत कर प्रोत्साहित करती है।

लंदन में हुए मल्टीनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के पोस्टर विमोचन के इस अवसर पर कोटा निवासी डॉ. वंदना शर्मा, सपना शर्मा और गोविंद इस के साक्ष्य बने।


आपका
उपाध्याय कृष्ण
सी.ई.ओ. मल्टीनेशनल बुक ऑफ़ रिकार्ड्स (इंडिया)
सम्पर्क सूत्र :- 8432404123

उस वक़्त अज़ाब की तैयारी हुयी) और जब हमारे भेजे हुए फ़रिश्ते इबराहीम के पास (बुढ़ापे में बेटे की) खुशखबरी लेकर आए तो (इबराहीम से) बोले हम लोग अनक़रीब इस गाँव के रहने वालों को हलाक करने वाले हैं (क्योंकि) इस बस्ती के रहने वाले यक़ीनी (बड़े) सरकश हैं

 उस वक़्त अज़ाब की तैयारी हुयी) और जब हमारे भेजे हुए फ़रिश्ते इबराहीम के पास (बुढ़ापे में बेटे की) खुशखबरी लेकर आए तो (इबराहीम से) बोले हम लोग अनक़रीब इस गाँव के रहने वालों को हलाक करने वाले हैं (क्योंकि) इस बस्ती के रहने वाले यक़ीनी (बड़े) सरकश हैं (31)
(ये सुन कर) इबराहीम ने कहा कि इस बस्ती में तो लूत भी है वह फ़रिश्ते बोले जो लोग इस बस्ती में हैं हम लोग उनसे खूब वाकि़फ़ हैं हम तो उनको और उनके लड़के बालों को यक़ीनी बचा लेंगे मगर उनकी बीबी को वह (अलबता) पीछे रह जाने वालों में होगीं (32)
और जब हमारे भेजे हुए फ़रिश्ते लूत के पास आए लूत उनके आने से ग़मग़ीन हुए और उन (की मेहमानी) से दिल तंग हुए (क्योंकि वह नौजवान खू़बसूरत मर्दों की सरूत में आए थे) फ़रिश्ते ने कहा आप ख़ौफ न करें और कुढ़े नही हम आपको और आपके लड़के बालों को बचा लेगें मगर आपकी बीबी (क्योंकि वह पीछे रह जाने वालो से होगी) (33)
हम यक़ीनन इसी बस्ती के रहने वालों पर चूँकि ये लोग बदकारियाँ करते रहे एक आसमानी अज़ाब नाजि़ल करने वाले हैं (34)
और हमने यक़ीनी उस (उलटी हुयी बस्ती) में से समझदार लोगों के वास्ते (इबरत की) एक वाज़ेए व रौशन निशानी बाक़ी रखी है (35)
और (हमने) मदियन के रहने वालों के पास उनके भाई शुएब को पैग़म्बर बनाकर भेजा उन्होंने (अपनी क़ौम से) कहा ऐ मेरी क़ौम ख़ुदा की इबादत करो और रोज़े आखे़रत की उम्मीद रखो और रुए ज़मीन में फ़साद न फैलाते फिरो (36)
तो उन लोगों ने शुऐब को झुठलाया पस ज़लज़ले (भूचाल) ने उन्हें ले डाला- तो वह लोग अपने घरों में औंधे ज़ानू के बल पड़े रह गए (37)
और क़ौम आद और समूद को (भी हलाक कर डाला) और (ऐ एहले मक्का) तुम को तो उनके (उजड़े हुए) घर भी (रास्ता आते जाते) मालूम हो चुके और शैतान ने उनकी नज़र में उनके कामों को अच्छा कर दिखाया था और उन्हें (सीधी) राह (चलने) से रोक दिया था हालांकि वह बड़े होशियार थे (38)
और (हम ही ने) क़ारुन व फ़िरऔन व हामान को भी (हलाक कर डाला)हलांकि उन लोगों के पास मूसा वाजे़ए व रौशन मौजिज़े लेकर आए फिर भी ये लोग रुए ज़मीन में सरकशी करते फिरे और हमसे (निकल कर) कहीं आगे न बढ़ सके (39)
तो हमने सबको उनके गुनाह की सज़ा में ले डाला चुनांन्चे उनमे से बाज़ तो वह थे जिन पर हमने पत्थर वाली आँधी भेजी और बाज़ उनमें से वह थे जिन को एक सख़्त चिंघाड़ ने ले डाला और बाज़ उनमें से वह थे जिनको हमने ज़मीन मे धॅसा दिया और बाज़ उनमें से वह थे जिन्हें हमने डुबो मारा और ये बात नहीं कि ख़ुदा ने उन पर ज़ुल्म किया हो बल्कि (सच यूँ है कि) ये लोग ख़ुद (ख़़ुदा की नाफ़रमानी करके) आप अपने ऊपर ज़ुल्म करते रहे (40

25 मार्च 2024

देश भर में मुकदमों की पेंडेंसी केंद्र सरकार की न्यायिक प्रतिबद्धता मामले में फेल्योर होने का सुबूत, बार कोंसिल्स को गम्भीर चिंतन के साथ, वकीलों के विरुद्ध इल्ज़ामखोरी पर आवाज़ उठाना ज़रूरी

 

देश भर में मुकदमों की पेंडेंसी केंद्र सरकार की न्यायिक प्रतिबद्धता मामले में फेल्योर होने का सुबूत, बार कोंसिल्स को गम्भीर चिंतन के साथ, वकीलों के विरुद्ध इल्ज़ामखोरी पर आवाज़ उठाना ज़रूरी
कोटा 23 मार्च, देशभर में लंबित मुकदमों के कारणों की जड़ों तक पहुंचकर, देधभर में न्यायालयों की संख्या में व्रद्धि, जजों की नियुक्ति, तलबी समम्क़ीन पर सख्ती, अदालतों का इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करना ज़रूरी है, इसके लियें बार कौंसिल ऑफ इंडिया, राज्य बार कोंसिल्स , ज़िला बार एसोसिएशन्स को आवाज़ उठाना ज़रूरी हो गया है, यक़ीनन भारत की अदालतों में करोड़ों करोड़ मुक़दमे पेंडिंग है , और केंद्र सरकार ने इसके कारणों को जानने के लिए रिसर्च कमेटी रिपोर्ट में खुद ही , सो कोल्ड तरीके से इसके लिए काफी हद तक वकीलों की अनुपस्थिति को ज़िम्मेदार मान लिया है , बार कौंसिल ऑफ़ इंडिया , राज्यों की बार कौंसिल ओर ज़िला बार एसोसिएशन्स के लिए यह एक गंभीर चुनौती पूर्ण रिपोर्ट है , देश के वकीलों ने अगर केंद्र सरकार की इस रिपोर्ट का प्रतिकार कर , मुक़दमे पेंडिंग होने में केंद्र सरकार की सुविधाओं का अभाव , अदालतों में जजों की कमी , रिक्त पदों पर भर्ती नहीं होना , जजों, अदालतों के स्टाफ ,,, और वकीलों के बैठने की व्यवस्था नहीं होना,, जजों के अवकाश के कारण पर गौर नहीं किया , तो यह ढर्रा यूँ ही बिगड़ा रहेगा , ,इन पर भी गौर कर एक निष्पक्ष रिपोर्ट होना ही चाहिए , ताकि देश भर की अदालतों में मुक़दमों की संख्या के अनुरूप अदालतों की स्वीकृति , सभी पदों पर भर्तियां और अदालतों के भवन , वकीलों के लिए व्यवस्थाएं , सरकारी वकीलों को सुविधाएं , निचली अदालतों के नियुक्त सरकारी कर्मचारी अभियोजकों को , उस अदालत में फौजदारी मुक़दमों के साथ , सरकार के विरुद्ध सिविल मामलों की सुनवाई की ज़िम्मेदारी भी दिए जाने के फ़ैसले होना ही चाहियें, ,, हर अदालत में अभियोजक की शत प्रतिशत नियुक्ति की सुनिश्चितता वगेरा होना ही चाहिए ,, , केंद्र सरकार की रिपोर्ट के अनुसार देश की अदालतों में लगभग साढ़े चार करोड़ मुक़दमे लंबित हैं इनमे से पचहत्तर लाख मुक़दमों में वकीलों का पेश नहीं होना कारण बताया गया है ,, केंद्र ने मुक़दमों की सुनवाई लटकने के पीछे 14 कारण बताये हैं , जबकि इन कारणों में केंद्र सरकार द्वारा , राज्य सरकारों द्वारा जजों की नियुक्ति नहीं करना , सरकारी वकीलों की नियुक्तियां नहीं करना , जिन क़ानूनों में , समय बद्ध मुक़दमों की समय सीमा निर्धारित है , जैसे घरेलू हिंसा , चेक अनादरण मामलात , मोटर यान दुर्घटना क्षतिपूर्ति मामलात , पारिवारिक न्यायालय के मामलात , उपभोक्ता मामलात ,, मुस्लिम महिला तलाक़ अधिनियम उनका निर्धारित समय सीमा में प्रकरण का निस्तारण तो दूर , इस समय सीमा तक , प्रतिपक्ष की तलबी तक नहीं हो पाती है , देश जानता है , के देश में अदालतों की संख्याओं में कमी है , चेक अनादरण मामलात हों , घरेलू हिंसा ,, पारिवारिक न्यायालय या फिर सिविल मामलात हों , परिवाद मामलात हों , उनमे तलबी की प्रक्रिया जटिल है , अदालतों से जारी सम्मन वारंट अदालतों में तलबी के साथ वापस नहीं आते है , और इन कारणों के खिलाफ संबंधित पुलिस अधिकारी के खिलाफ अदालतों में संज्ञान की कार्यवाही भी नहीं होती है , , गवाह जो सरकारी होते है , खुद को राजकार्य में , व्यस्त बताते हैं , मुख्यमंत्री , प्रधानमंत्री , वी आई पी ड्यूटी में बताकर, कई तारीखों पर नहीं आते हैं , इतना ही नहीं , गवाह पत्रावली पढ़ कर नहीं आते है , माल सहित नहीं आते हैं , एफ एस एल और डी ऍन ऐ रिपोर्टें नहीं आती है , ,अदालतों का जो , मुक़दमों के निस्तारण का कोटा , जांच प्रणाली है , उनमे भी आँकड़ों का खेल है , ,गवाह कितने हुए , जिरह कितनी हुई , ज़मानत की दरख्वास्तें , अपील , निगरानी , अदम हाज़री , लोकअदालत , वगेरा वगेरा इन मापदंडों में परिवर्तन ज़रूरी है , लोकअदालत की तो हद है , जब अदालत खुल रही है , दोनों पक्ष उसी दिन लोक अदालत की भावना से मुक़दमे का निस्तारण चाहते हैं , तो उस मुक़दमे का निस्तारण उसी दिन नहीं होता ,बल्कि , राष्ट्रिय लोक अदालत की तारीख़ उन्हें दी जाती है , और फिर राष्ट्रीय लोक अदालत के आंकड़ों में उस मुक़दमे को जिसका निस्तारण मूल अदालत में हो सकता था , शामिल किया जाता है ,, केंद्र सरकार ने आनुपातिक आधार पर , राज्यों को न्याय व्यवस्था के लिए बजट नहीं दिया , सरकारी वकील नियुक्त नहीं है , सम्मन , वारंट तामील की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है , ,जजों , मजिस्ट्रेटों की बेहिसाब कमी है , एक अदालत के पास दो दो , तीन तीन अदालतों के कार्यभार है , सरकारी गवाहों की समय पर उपस्थिति का कोई क़ानूनी पालना के प्रावधान नहीं है , जबकि अदालत में गवाहान की उपस्थिति के बाद , सी आर पी सी , सी पी सी के विधिक प्रावधान के तहत , जज एक वक़्त पर कंनसन्ट्रेट होकर एक ही काम करेंगे , गवाही पर ध्यान देंगे , भाव भंगिमा पर टिप्पणी करेंगे इसके लिए अदालत में पर्याप्त स्टाफ , पर्याप्त जजों की व्यवस्था नहीं है , जब चेक अनादरण मामलात का प्रकरण तीन माह में निस्तारित करने की अनिवार्यता है , तो फिर तलबी में तारीख तीन माह से भी अधिक समय की दी जाती है , ऐसे में , जब तलबी ही नहीं होगी , पुलिस थाने से सम्मन राजकार्य में व्यस्त है , अभियुक्त मिला नहीं वगेरा वगेरा की बहानेबाज़ी से सम्मन, वारंट लौटेंगे तो फिर मुक़दमे तो पेंडिंग रहेंगे ही , ,कंजूमर मामलों की समय सीमा भी यही है , घरेलू हिंसा मामलात में ,तुरंत अंतरिम आदेश के निर्देश है , समय सीमा है , लेकिन तलबी फिर जवाब , फिर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के आधार पर , शपथ पत्र वगेरा वगेरा , सभी कुछ तो है , और ज़िम्मेदार सिर्फ वकीलों की अनुपस्थिति को , , अदालतों पर केंद्र सरकार का फोकस नहीं है , नए पद भर्ती नहीं , अदालतों का इंफ़्रा स्ट्रक्चर नहीं , किराये की बिल्डिंग में , दो पांच किलोमीटर की दूरी पर अदालतें है , जिला स्तर पर मिनी सेक्रेट्रिएट जहाँ वकीलों से संबंधित सभी राजस्व , पारिवारिक , सिविल , फौजदारी , क्लेम , लेबर, कलेक्ट्रेट वगेरा एक ही छत के नीचे हो , ऐसी व्यवस्थाएं नहीं है ,ज़ाहिर है एक वकील इधर अदालत में फिर एक किलोमीटर दूर , फिर दूसरी दिशा में दो किलोमीटर दूर , फिर अदालत में गवाह तलबी के बाद राजकार्य में वी आई पी ड्यूटी में होने से नहीं आने का कहकर गायब है , कभी न्यायिक अधिकारीगण अचानक अवकाश पर है , पति पत्नी अगर न्यायिक अधिकारी है तो मेटरनिटी लिव दोनों के लिए क़ानूनी प्रावधान के तहत है ,, जो उनका अधिकार है , लेकिन वैकल्पिक व्यवस्थाएं नहीं है , न्यायिक अधिकारीयों पर मुक़दमों की संख्या और समय पर निस्तारण का अनावश्यक बेहिसाब बोझ है , ,आनुपातिक आधार पर नियुक्तियां नहीं है , इधर वकीलों में प्रशिक्षण का अभाव है , जूनियर्स में सीखने की क्षमता का जज़्बा खत्म है , तुरंत आते ही , वोह सीनियर वकील का दर्जा पाने की होड़ में , खुद मुक़दमे करने की कोशिशें करते हैं , गलत सलत होता है , फिर संशोधन की दरख्वास्तें , वगेरा वगेरा होती है , वकीलों में से अधिकतम वकील साथी , न्यायालय की आदेशिका में क्या लिखा गया है , पढ़ते ही नहीं, उस पर निगरानी भी नहीं रखते , अधिकतम पत्रावलियों में अनावश्यक रूप से वकील ने बहस के लिए समय चाहा , पूरी बहस होने के बाद भी जब पत्रावली निर्णय में आना चाहिए तो अगली तारीख पर पता चलता है , पत्रावली मजीद बहस में लिखी गई है , ऐसे कई कारण है , जो मुक़दमों की संख्या को बढ़ा रहे हैं , इन पर अंकुश लगना चाहिए , केंद्र सरकार को जिन लोगों ने यह रिपोर्ट दी है , उनसे जवाब तलब करना ही चाहिए ,क्योंकि जिन बिंदुओं पर विचार होना चाहियें और उन कमियों को दूर करना चाहियें वोह तो इस रिपोर्ट में है ही नहीं , आखिर घरेलू हिंसा , चेक अनादरण मामलात , सेशन ट्रायल दिन प्रतिदिन सुनवाई ,, जैसे समय सीमा क़ानून है , तो फिर चेक अनादरण मामलात के मामले तीन माह में पूरी ट्रायल के साथ निस्तारित क्यों नहीं हो रहे , बात साफ़ है , सिस्टम कमज़ोर है , विधायिका ने क़ानून बनाया , लोकहित में समय सीमा निर्धारित की और कार्यपालिका , उस क़ानून के तहत , मुक़दमों की संख्या के आधार पर , अदालतें ही नहीं खोल पाई , हर शहर में , हज़ारों हज़ार मुक़दमे न्यायिक अधिकारीयों की कमी तलबी नहीं हो पाना , वगेरा वगेरा की वजह से , पेंडिंग है , और एक अदालत में , जहां अधिकतम पचास मुकंदमे प्रतिदिन सुनवाई के लिए होना चाहिए , वहां दो सो , तीन सो , से भी अधिक मुक़दमे सुनवाई के लिए है , तो फिर एक तारीख छह महीने की जाती है ,और केंद्र सरकार कहती है के वकीलों की अनुपस्थिति से कई मामले लंबित है , ,इस मामले में बार कौंसिल ऑफ़ इण्डिया , राज्य की बार कॉंसिलें और ज़िलों की बार एसोसिएशन को सामूहिक जनहित में आवाज़ उठाना ही चाहिए ,,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339

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