तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
28 मार्च 2010
शिक्षा गारंटी कानून लागू करने की धुल मूल निति
हमारे देश में केंद्र और राज्य सरकारों की पांच वर्ष से पन्द्रह वर्ष तक के बच्चों को पढाने की संवेधानिक ज़िम्मेदारी को देखते हुए शिक्षा गारंटी कानून पुरे देश और राजस्थान में लागू किया गया हे वेसे भी बच्चों को जन्म से पूर्व आंगनबाड़ी योजना के तहत पेट में ही पोषाहार देने की ज़िम्मेदारी आंगन बाड़ी योजना के जरिये हे फिर बच्चों को कुपोषण से बचाने और बाल शिक्षा देने के लियें भी आंगनबाड़ी ज़िम्मेदार हे । पांच वर्ष बाद बच्चों को सरकारी स्कूल में और प्राइवेट स्कूलों में अधिकार के रूप में पढाने की ज़िम्मेदारी सरकार की हे इतना ही नहीं उन्हें किताबें ,बसते और अन्य सहूलियतों के साथ स्कूल में पोषाहार देने की भी ज़िम्मेदारी सरकार की हे लेकिन पोषाहार तो उठाया जा रहा हे और स्कूलों में कितना खिलाया जा रहा हे खुद कितना खाया जा रहा हे जांच का विषय हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
सडक दुर्घटनाएं रोकने में सरकारें नाकाम
देश में भारतीय सडक सुरक्षा निति बनी हे मोटर विहिक्ल कानून बना हे । राष्ट्रीय राजमार्ग,राज्य राजमार्ग कानून बना हे द्रिविंग लाइसेंस केसे बनेगा , कार,मोटर ,जीप, नाव, ट्रोला ,और सभी छोटे बढ़े वाहन सडकों पर केसे चलेंगे, कितनी स्पीड होगी साइड क्या होगी सब कानून में लिखा हे लेकिन एक तो निजी बसों के परमिट उल्लंघन से जनता परेशान हे कोंटेक्ट केरिज परमिट वाले स्टेज केरिज परमिट की तरह बसें चलाते हें कई बसें ओवरलोड होती हें स्पीड मनमानी होती हे सडकों के हाल इसे हें के चारों तरफ से खुदी पड़ी हें जहां सडकें हें वहां विधिविरुद्ध स्पीडब्रेकर लगे हें मुख्य मार्गों पर दृष्टि भ्रम करने वाले विज्ञापन लगे हें जिन्हें देखने के चक्कर में ड्राईवर का ध्यान बंटता हे और दुर्घटना होती हे। सडकों पर ओवरलोड तर्क ट्रोले बेहिसाब चलते हें जो ड्राइवर के काबू में नहीं रहते हें ,विधिविरुद्ध हेलोजन लाइटें लगी हें कुल मिलाकर मोटर व्हीकल कानून का कबाड़ा हो रहा हे हालत यह हें के सडक दुर्घटना में मरने वालों के परिजनों और घायलों के कल्याण के लियें बने कानून लागू नहीं किये जा रहे हें । आप और हम अगर रोज़ इसकी शिकायत सरकार ,प्रशासन से करते रहेंगे तो हो सकता हे इन्हें श्रम आये और यह थोड़ी कानूनी सख्ती करके दुर्घटनाओं में मरने,घायल होने वालों की गिनती कम कर दें ।
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