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29 मार्च 2010

रंगनाथ मिश्र रिपोर्ट कोंग्रेस सरकार के गले की हड्डी बनी

कोंग्रेस सरकार नें सच्चर को खामोश करने के लियें रंगनाथ मिश्र आयोग बनाया था लेकिन भारत का यह पहला आयोग निकला जिसने कुछ गिनती के महीनों में ही अपनी रिपोर्ट दे दी। रंगनाथ मिश्र नें दिल पर हाथ रख कर इश्वर को साक्षी मान कर जो रिपोर्ट दी हे उसमें १९५० के कोंग्रेसी अध्यादेश जिसमें केवल हिन्दू को आरक्षण की बात कही हे उस सच ने कोंग्रेस के मुस्लिम परस्त होने की नोटंकी की पोल खोल दी हे बात साफ़ हे के कोंग्रेस ६० सालों से संविधान के अनुछेद १४ की भावना के विपरीत केवल हिन्दुओं के लियें इस अध्यादेश के माध्यम से मुसलमानों के साथ अन्याय करती रही और रंगनाथ मिश्र ने इस चोरी को पकड़ कर जनता के सामने ला खड़ा क्या हे यह तो सब जानते हें की कोंग्रेस काल में कभी भी यह रिपोर्ट लागू नहीं हो सकती अगर रिपोर्ट लागू हुई तो घेर कोंग्रेस्सी सरकार में यह लागू होगी । लेकिन १९५० विधि विरुद्ध अध्यादेश के माध्यम से मुसलमानों के साथ जो पक्षपात हुआ हे उस सच के उजागर हो जाने के बाद कोंग्रेस नें अपने सरकारी मुसलमानों को इससे निपटने के लिए देशभर में दुष्प्रचार करने का ज़िम्मा दे दिया हे और मुसलमानों के दुश्मन कोंग्रेस के जर खरीद गुलाम अब रंगनाथ मिश्र की रिपोर्ट को लागू नही करने के मामले में दुच प्रचार के लियें निकल पढ़े हें वोह कहते हें इससे मुसलमानों में जात पात उंच नीच को बढ़ावा मिलेगा नफरत बढ़ेगी लेकिन उन्हें ध्यान होना चाहिए की रंगनाथ मिश्र की रिपोर्ट में मांस का धंधा करने वाले अगर हिन्दू खटिक को आरक्षण दिया गया हे तो मुस्लिम मांस का धंधा करने वाले कुरैशी को यह सुविधा क्यों नहीं कपड़ा बुनने वाले हिन्दू कोली को इसका लाभ मिल रहा हे तो फिर मुस्लिम अन्सरियों ने क्या बिगाड़ा हे आरक्षण देश में जातिगत आधार पर नही बलके धंधों में पिछड़े लोगों के उत्थान के लिए दिया गया था लेकिन १९५० के अध्यादेश में केवल हिन्दुओं के लियें शब्द जोड़ देने से एक ही तरह का धंधा करने पर भी मुस्लिम जाती के लोगों को उसका लाभ नही मिल सका हे और मुस्लिम पिछड़ते ही चले गये कोंग्रेस कथित मुस्लिम नेताओं को इसके लियें तनख्या सरकारी मुसलमान बन इसका विरोध करने पर उन्हें पुरस्कृत करने का भी वादा किया हे यही वजह हे के सभी सरकारी त्नख्य्ये मुस,मान इस मुद्दे पर खामोश बेठे हें और मोका मिलने पर इसका विरोध कर कोंग्रेस सरकार की ६० साल की ना इंसाफी को जायज़ ठहरा रहे हें । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मध्य प्रदेश में ईद बकरीद की छुट्टी की छुट्टी

ज हाँ यह सच हे मध्यप्रदेश में खतरनाक एजेंडा लागू किया जाने लगा हे वहां हाल ही मार्च २०१० में मुसलमानों की नेशनल छुट्टी ईद ,बकरीद की छुट्टी मध्यप्रदेश सरकार ने खत्म क्र दी हे वहां अब ईद बकरीद के दिन राष्ट्रीय अवकाश की जगह एच्छिक अवकाश होगा जो साल में केवल तीन मिलते हें अब हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई ईद बकरीद का त्यौहार भाईचारे सदभावना के साथ नहीं मना सकेंगे इस दिन देशवासी एक दुसरे को बधाई देने के लियें छुट्टी पर नहीं रहेंगे यानी अब त्योहारों में फर्क भाई चारा सदभावना का माहोल बिगाड़ने के नये तरीके ढूंढे गये हें केंद्र सरकार को मध्यप्रदेश सरकार के इस कदम का केंद्र की शक्तियों का इस्तेमाल कर मुंह तोड़ जवाब देकर इस क्क्देश को विधिविरुद्ध घोषित कर उल्त्देना चाहिए और इसके लियें आपको मुझे और मध्यप्रदेश की जनता के साथ देश के सभी इन्साफपसन्द लोगों को कोशिशें तेज़ कर देना चाहिए अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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