आपका-अख्तर खान

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04 अप्रैल 2010

akhtar khan akela

i m indian i resident in kota rajasthan

नेताओं अधिकारियों की सुरक्षा का खर्च

हमारे देश में बने संविधान में आम जनता की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी सरकार की बताई गयी हे लेकिन हमारे देश की पुलिस,कमांडो,सेनिक जनता की कम और नेताओं की सुरक्षा में ज्यादा लगे हें नेतागिरी के नाम पर एक दुसरे समाज,जातियों के लियें कोरी बकवास कर देश में ग्र्ह्युध की स्थिति पैदा करने वाले नेता जिन्हें जेल में होना चाहिए उन्हें जेल में भेजने के स्थान पर सरकार उनकी सरकारी खर्च पर सुरक्षा करने लगती हे । आप सोचिये की अगर कोई जननेता हे तो जनता उसकी सुरक्षा खुद करेगी और अगर कोरी बकवास कर जनता को लडाने वाले ब्यान देने वाला नेता हे तो फिर उसे सबक सिखाने के लियें जनता के हवाले कर देना चाहिए इसे लोगों की सुरक्षा देश के साथ अन्याय हे । इसी तरह आज मंत्री,कलेक्टर , ऐ,डी,एम् ,आई जी, एसपी ,दीप्ती,थानेदार जो भी हो सभी अपनी सुरक्षा में पुलिसकर्मियों को लगा कर रखते हें इसे में आप ही बताओ जनता की सुरक्षा का क्या होगा । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

महाराष्ट्र के ठाकरों की अजीब देशभक्ति

जी हाँ अपने आप को हिंदूवादी कहने वाले ठाकरे परिवार चाहे वोह राज हों चाहे बाल या उद्धव हों सभी की हिन्दुवादिता और देशभक्ति की स्वन्म्भु यानी सो कोल्ड परिभाषा हे , कहते हें कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत एक हे हम सभी भारतीय भाई बहन हे देह के सविंधान के मुताबिक कोई भी व्यक्ति देश से खिन भी जाकर अपना रोज़गार कम सकता हे राष्ट्र भाषा हिंदी में बात कर सकता हे और देश में ९० प्रतिशत लोग हिन्दू हें एनी जो लोग हें वोह भी हिन्दुस्तानी हे अब हमारे ठाकरों को देखो उनहोंने सविंधान को ठुकरा दिया , हिंदी रास्त्र भाषा को ठुकरा दिया , कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत एक हे हम सब भारतीय भाई भाई के नारे को भुला दिया देश के कानून ,संविधान को अंगूठा दिखा दिया और महाराष्ट्र मराठी का नारा देकर देश कानून संविधान तोड़ने की शुरुआत कर दी इसके लियें हिंसा भडकाना भाइयों को मरवाना उन्हें डराना धमकाना शुरू कर दिया अब आप ही बताओ क्या यह देश भक्ति हे या देश्द्रोहिता लेकिन दोस्तों यह हिन्दुस्तान हे यहाँ कानून तोड़ने वालों की ही सुनवाई होती हे जो लोग कानून तोड़ने के मामले में जेल में होना चाहियें आज वोह देश में हीरो बनकर मजे कर रहे हें क्योंकि मेरा भारत महान हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

गिरीश पंकज: कहने को आज़ाद हो गए किन्तु..

गिरीश पंकज: कहने को आज़ाद हो गए किन्तु..girish ji aadaab mntri ji ko pehli baar to us smahroh men gown pehnane ki kya tuk thi or jo mntri khud kisi naari ke hukm ka gulaam ho uska kya kher fir bhih aap ki baat gulaami ki snkirn vichardhaara kaa he hmaara desh men sehmt hun

गिरीश पंकज: कहने को आज़ाद हो गए किन्तु..

गिरीश पंकज: कहने को आज़ाद हो गए किन्तु..
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