जी हां कोटा के लेट लतीफ सरकारी कर्मचारी रोज़ रोज़ सख्ती के बाद भी अपनी लेटलतीफी से बाज़ नहीं आ रहे हें और कर्मचारी तो कर्मचारी अधिकारी भी देरी से आ रहे हें । अभी कोटा कलेक्टर टी रविकांत नें कर्मचारियों पर लगाम कसने के लियें कार्यालयों में उपस्थिति अभियान छेड़ा हे लेकिन अधिकतम कर्मचारी रोज़ मर्रा अनुपस्थित मिल रहे हें यहाँ तक के कई दफ्तरों में तो अधिकारी भी घायब मिले हें अभी तक किसी लेटलतीफ के खिलाफ बड़ी कार्यवाही नहीं होने से उनके होसले बुलंद हें और वोह कलेक्टर की सुन नहीं रहे हें , अभी हाल ही में कोटा कलेक्टर नें अच्छे कर्मचारियों को इस्तार की उपाधि देकर सम्मानित भी करना शुरू किया हे लेकिन लेटलतीफ कर्मचारियों के सिफारिशी होने से उन्हें अपमानित नहीं किया गया हे और इसलियें
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
20 अप्रैल 2010
राजस्थान में पोलीथिन पाबंदी का एलान
राजस्थान सरकार नें कल जयपुर में एलान कर दिया हे के अब राजस्थान में अगस्त से पोलीथिन का उपयोग नहीं होगा और यहाँ पोलीथिन पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगी यह सब पर्यावरण प्रदुषण से बचने के लियें किया गया हे हे ना मजेदार बात यहा राजस्थान में पर्यावरण प्रदुषण विभाग के क्या हाल हें सभी जानते हें पर्यावरण प्रदुषण कानून के बाद समितियां नहीं बनाई गयी हें नया निगरानी कानून लागू नही क्या गया हे नगर निगम कानून में पोलीथिन पर पाबंदी का पहले से ही प्रावधान हे प्रदुषण कानून में भी प्रथक से इसका आदेश हे लेकिन एनी उद्योगों को पनपाने के लियें यह अआदेश इन स्थितियों में गले नहीं उतर रहा हे राजस्थान में पोलीथिन पाबंदी भी हुई तो बसों ट्रेनों से आने जाने वाले यात्रियों से यह लोग केसे निपट पायेंगे इधर अधिकतम उत्पादन पोलीथिन के पेक में आते हें जो राजस्थान के बाहर का उत्पादन हे आखिर आप बताओ के यह नियम केसे लागू हो पायेगा प्रदुषण नियन्त्रण के लियें जरूरी हे के र्ताज्य सरकार निगरानी समितियां बनाये राज्य और जिला स्तर पर अधिकारियों पर शिकंजा कसे खुद बा खुद राजस्थान प्रदुषण मुक्त होने लगेगा। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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