आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

26 अप्रैल 2010

कोटा में अब परिचय पत्र दिखाने पर ही स्टाम्प मिलेंगे

राजस्थान के दी आई जी स्टाम्प नें अभी ताज़े आदेशों में पाबंदी लगाई हे के अब कोई भी स्टाम्प विक्रेता बिना आई डी प्रूफ के किसी अनाधिक्रत व्यक्ति को स्टाम्प नहीं बेचेगा सरकार स्टाम्प अधिनियम प्रावधानों की तो पालना नहीं करवा पा रही हे उलटे अधिनियम के प्रावधानों के विरुद्ध शर्तें लगा कर लोगों की मुसीबतें बढ़ा रही हे सरकार का कहना हे के इससे स्टाम्प के जरिये फर्जीवाड़े पर रोक लगेगी लेकिन यह सरकार की ग़लत सोच हे फर्जीवाड़ा स्टाम्प की खरीद से नहीं बलके नोटेरी की मनमानी से होता हे कोटा सहित सभी जगहों पर नोटेरियों नें दो दो रजिस्टर खोल रखे हें और एक रजिस्टर खाली होता हे प्रोपर्टी खरीद पर एक तरफा नोटेरी होती हे फिर प्रोपर्टी के घपले लूट खसोट होती हे इससे बचने के लियें सभी सरकारों और राजस्थान सरकार को खासतोर पर सभी जिला कलेक्टरों को निर्देशित कर कलेक्ट्रेट में एक नोटेरी पंजीयन बाबू बिठाना चाहिए जो सभी नोटेरी किये गये दस्तावेजों को जांच कर उसे अपने अलग रजिस्टर एन दर्ज कर उस पर नम्बर डा कर मोहर अंकित करे ताकि पिछली तारीखों में मनमानी नोटेरी होने पर रोक लग सके और जनता फर्जीवाड़े की शिकार होने से बच सके इससे सरकार को यह भी फायदा होगा के स्टाम्प खरीद फरोख्त के मूल्यांकन राशि पर आलेखित किये जायेंगे जिससे सरकार को राजस्व का फायेदा भी होगा। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

राजस्थान की राज्यपाल की मोत ने कई सवाल छोड़े

राजस्थान की राज्यपाल प्रभा राव का कल बाथरूम में जिन परिस्थितियों में निधन हुआ हे के वोह दस बजे बाथरूम गयीं और बारह बजे उनके बारे में जानकारी लेने पर उन्हें बाहर निकाला गया सभी जानते हें की राज्यपाल महामहिम होते हें इनके सुरक्षा महत्वपूर्ण होती हे और अगर राज्यपाल महिला हो तो उसके महिला कर्मचारी महिला सुरक्षा कर्मी पूरा ध्यान रखते हें वेसे भी प्रभा राव पहले से ही बीमार थीं और उनके ताज़े टेस्ट मुंबई में हुए थे इन सब परिस्थितियों में भी उनका बाथरूम में जाना और किसी सुरक्षा कर्मी या अन्य कर्मी निजी सचिव किसी ने भी दो घंटे तक कोई खेर खबर नहीं ली ऐसे हालात में अगर राज्यपाल जी का स्टाफ सजग सतर्क रहता तो शायद उन्हें वक्त रहते चिकित्सा सुविधा मिल जाती और सम्भवतउनकी जान बच जाती इस मामे को राज्य और केंद्र सरकार को गम्भीरता से लेना चाहिए और भविष्य में ऐसी ग़लतियाँ ना हों नेता बेमोत नहीं मेरे इसके लियें विशेष दिशा निर्देश बनाना जरूरी हे देखते हें के अब इस मामले में राजस्थान और केंद्र सरकार क्या करती हे। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

जनहित में कार्य करने वाले अनुकरणीय विधायक ओम जी बिडला

जी हाँ में परम्परागत कांग्रेसी वोटर हूँ आगे भी कोंग्रेसी वोटर ही रहूंगा लेकिन फिर भी कोटा में भा ज पा के विधायक पूर्व संसदीय सचिव राजस्थान सरकार द्वारा जनहित में चलाए जा रहे कार्यक्रमों की प्रशंसा करने से में खुद को रोक नही पा रहा हूँ ओम बिडला कता दक्षिण विधानसभा क्षेत्र से विधायक हें यह दूसरी बार विधायक बने हें लोग इन्हें पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा सिंधिया का नजदीकी भी मानते हें ओम जी बिडला ने अपने कार्यका में विधायक कोष और नगर निगम नगर विकास न्यास और जन सहयोग से कोटा किशोरपुरा मुक्तिधाम का उद्धार किया जर्जर हुए मुक्तिधाम को आज ओम जी बिडला और उनके परिवार समर्थकों ने मेहनत से सुंदर रमणीक मुक्तिधाम बना दिया हे वहां की सुन्दरता लोगों को शान्ति देती हे इस मुक्तिधाम को देख कर लोग खुद्बा खुद ओम जी को धन्यवाद देने को मजबूर होते हे दूसरा उनहोंने भूकों को खाना खिलाने की योजना बनाई जिसमें ना जाने कितनो के पेट भर रहे हें तीसरा दवाओं का बेंक , ब्लड बेंक,और अभी नंगे पेरों को ढूंढ़ ढूंढ़ कर चप्पल पहनाने का जो कार्यक्रम हे उसने तो लोगों का दिल जीत ही लिया हे सर्दियों में ठंड से सिकुड़ते लोगों को रात में कम्बल देना उनका शोक हे अब आप ही बताइये भूकों को खाना, नगों को कपड़ा ,बीमार को दवा, खून ,थिठुर्तों को कम्बल, तपती धुप में जलते पांव को बचाने के लियें चप्पल अगर कोई दे दे तो दलगत राजनीति से अलग हट कर उसकी प्रशंसा कर उसका होसला क्यों नहीं बढाया जाए । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कोटा महापोर की सडक पर अफसरों से झडप

कोटा में सफाई की नई तकनीक का रोड शो करने के दोरान कोटा महापोर रतना जी जेन की नगर निगम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और अन्य अधिकारियों से झडप हो गयी अधिकारियों को शिकायत थी की आदरणीय मंत्री जी शांति धारीवाल की उपस्थिति में होने वाले इस कार्यक्रम की पूर्व जानकारी उन्हें नही दी गयी थी इसलियें इन्तिज़ाम ठीक नहीं हो सका हे बस इसी बात को लेकर महापोर और अधिकारियों में खुली झडप हो गयी जिसे जनता ने देखा हे कोन ग़लत हे कोन सही लेकिन कार्यक्रम की अव्यवस्था से तो नगर निगम का मजाक ही बना हे। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
कोटा में हाल ही में माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय ने कोटा जिला जज रहे धर्म सिंह मीना को हटा कर उनकी जगह बनवारी लाल जी को लगाया हे बनवारी लाल जी ने कार्यभार सम्भालने से ही वक्त की पाबंदी के साथ जो काम शुरू किये हें उससे कोटा के प्ख्कारों को मजे आ गये हें यहा वर्षों से लोगों के फेसले रुके पड़े हें छोटे छोटे अपराधिक मामलों में यहाँ जेलें भरी हें कर्मचारियों के काम रुके पड़े हें वकीलों की वक्त पर आने और काम करने की आदत खत्म होने लगी थी लेकी अब रोज़ सुभ सात बजे से काम शुरू होता हे जज साहब बहस सुनकर उसी समय बिना देरी करे अपना फेसला सुनाते हेंऔरहर काम न्यायिकबुध्धि के साथ कर रहे हें उससे न्यायालयों का अनावश्यक बोझ कम होने लगा हे पक्षकार अब इस उम्मीद में हें के उन्हें फेसला जल्दी मिलेगा यहाँ पक्षकार फेसला कुछ भी हो बस न्यायिक विवेक से जल्दी दिया जाने वालाफेसला चाहता हे जो शायद अब मिलने लगेगा । यहाँ बिना वजह के भरी गयी जेलें भी अब खाली होने लगेंगी साथ ही पुलिसकर्मियों की ब्लेकमेलिंग भी अब खत्म सी हो जायेगी क्योंकि जमानत नहीं होने से पुलिस लोगों को किसी भी मुकदमें में पकड़ने की धमकी देकर पुराने मुकदमों की लिस्ट लगा कर जमानत खारिज करवाने का कह कर भारी रकम वसूल रही थी अब शायद इस पर रक लगेगी। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मोदी से छेद खानी महंगी पढ़ेगी

क्रिकेट घोटालों के बाद ललित मोदी को घेर कानूनी तरह से बे आबरू कर निकालना लोगों को महंगा पढ़ेगा सब जानते हें के किसी भी संस्था अ एक विधान होता हे और उसके तहत ही किसी को निकाला जा सकता हे ललित मोदी को निकालने की घेर कानूनी निति से देश एन अच्चा संदेश नहीं गया हे और ललित मोदी देश और क्रिकेट घोटालेबाजों जिन्हें सरकार बचा रही हे उनके लियें मुसीबत खड़ी कर सकते हें ललित मोदी को इन दिनों कानून के सहारे और सच बोलने की जरूरत हे अगर वोह सच बोले तो देश की राजनीति की स्थिति ही बदल जायेगी देखना हे क्रिकेट घ्तालेबाज़ों का सच जनता के सामने कब आता हे इसके लियें सुप्रीम कोर्ट को जनहित याचिक मानकर जनहित में जांच करवाने की पहल करना चाहिए देखते हें इस देश में कानू का राज कब स्थापित होता हे। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

राजस्थान की राज्यपाल का दुखद निधन

राजस्थान की राज्यपाल माननीय प्रभा राव का आज अचानक संदिग्ध हालत एन निधन हो गया उनके निधन से राजस्थान खामोश हो गया और शोक मेंडूब गया हे इसके पहले शंकर सिंह राज्यपाल का निधन हुआ था अब कुछ दिनों बाद ही प्रभा राव का आकस्मिक निधन राजस्थान के लियें शुभ नहीं हे यहाँ एक तरफ तो राजनितिक नियुक्तिया,जजों की बर्खास्तगी,नये जजों की नियुक्तियां,गुर्जर आन्दोलन का निर्णय अटके पड़े हें ऐसे में राजस्थान को अच्छे प्रशासक की जरूरत थी जो खूबी प्रभा जी में थी शायद वेसी खूबी किसी और में ना हो यही सोच क्र अब राजस्थान की जनता शोक मना रही हे। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...