आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

08 मई 2010

किन्नरों की भी जनगणना कर उन्हें सुधारें

देश में आज अनेक स्थानों पार्टियों में किन्नरों का आतंकआम बात हे जोर जबरदस्ती जिद कर किन्नर अवेध दबाव बनाकर रोजमर्रा अलग अलग स्थानों पर अवेध चोथवसुली करते हें हालात यह हे के खुले आम डरा धमका कर रूपी एंठने के बाद भी आज कोई इनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता अपने अपने इलाकों में इन किन्नरों ने अपना आतंक बरपा कर लोगों से चोट वसूली जारी रखी हुई हे। पहले राजा महा राजाओं के वक्त तो राजाओं की रानी के महल में किन्नरों की बड़ी विश्वसनीयता और आव भगत हुआ करती थी क्योंकि उनसे राजाओं को जनान खाने में कोई खतरा नहीं रहता था लेकिन आज वक्त बदल गया हे किन्नरों की संख्या भी कम हो रही हे लेकिन किन्नर हें के आपराधिक तरीके से लोगों को बहका कर या फिर अपहरण कर किन्नरों की संख्या बढा रहे हें यह सब सरकार की जानकारी में हे लेकिन सरकार ने उनके कल्याण और रोकथाम के लियें कोई योजना बनाकर कदम नहीं उठाये हें पहले तो किन्नरों की हालत अलग थी लेकिन अब हालात बदल गये हें किन्नर महापोर पार्षद भी हें विधायक भी हें और अनेक पूंजीपति भी हें ऐसे में सरकार को उनकी अवेध चोथवसुली और आतंक से आम जनता को बचाने के लियें सरकार को अब कोई निति तो बनाना ही होगी वर्तमान में जनगणना हो रही हे अगर उसमें किन्नरों का लिंग प्रथक से लिख कर उनकी स्थिति देख कर उनकी पहचान कर ली जाए तो सरकार और प्रशासन को उन पर नजर रखने में भी आसानी होगी देखते हें सरकार किन्नरों केआतंक से जनता को बचाने और उनके पुनर्वास के लियें क्या करती हे सरकार को ऐसी निति बनाना होगी की किन्नरों की संख्या पर रोक लगे और उन्हें मेहनत रोज़गार से जोड़ा जाए। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

जाती गत आधार पर जनता की गिनती

देश में आज़ादी के बाद पहली बारसेन्सस एक्ट का उलंघन कर जाती के आधार पर जनता की गिनती की जाने वाली हे कोंग्रेस की इस मामले में पहले नाना और फिर हाँ हाँ ताज्जुब की बात हे वेसे देश में किस जाती के कितने लोग हें और उनके उत्थान विकास के लियें सरकार किया कुछ कर रही हे यह जनता के सामने आना चाहिए वेसे भी आधुनिक युग में देश में जब सुचना का अधिकार अधिनियम लागू हे तब जनता की गिनती में यह भी जरूरी हे के देश में किस जाती समाज के कितने लोग हें इससे देश की सुरक्षा को कोई खतरा नहीं हे क्योंकि राजनितिक पार्टियां तो वोटर लिस्ट के आधार पर अपनी जातिगत मत दाताओं की गिनती करवा लते हें और उसी आधार पर प्रत्याक्षी का चयन और हार जित की रणनीति बनती हे जब यह सब लोकसभा विधानसभा में बेठे लोगों द्वारा कुले आम किया जाता रहा हे तो इस जनता की गिनती में जातिगत आधार की गिनती कोई ग़लत बात नहीं हे लेकिन यह सच हे की इस गिनती से सरकार के पुराने अंदाज़े के आधार पर बनाये गये सरकारी फर्जी आंकड़े अवश्य झुनते साबित हो जायेंगे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...