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23 जून 2010

मुकदमों के त्वरित निस्तारण की केन्द्रीय निति

देश में भोपाल गेस त्रासदी मामले में मुकदमे की सुनवाई के तोर तरीकों के बाद सरकार की लगातार फजीहत के चलते देश में मुकदमों की सुनवाई के मामले में केंद्र सरकार ने एक बचकानी निति की घोषणा की हे नई निति के तहत सरकारी वकील को अनावश्यक तारीखों से बचने और विशेष अधिकारी नियुक्त कर मुकदमे पर ध्यान देने का निर्णय लिया हे दोस्तों में वकील हूँ रोज़ सरकार की नीतियों के कारण मुकदमे हारते हुए देखता हूँ सरकार का कोई भी मुकदमा सरकार की लापरवाही के चलते ही फेल होता हे और सरकार में बेठे लोग इसमें मद करते हे प्रक्रिया के तहत कोई भी दढ़रज मुकदमा सरकारी वकील से लगातार ब्रीफ बनवाकर यानी कानूनी राय लेकर पेश किया जाता हे उस वक्त सरकारी वकील ब्रीफ शुल्क लेकर केसे मुकदमे पेश करवाता हे यह हर पुलिस अधिकारी और प्रशासनिक अधिकारी जानता हे दुसरे कोटा में तो खतरनाक मुकदमों पर केस ऑफिसर की स्कीम हे लेकिन वोह भी धुल मूल हे और अन्य स्थानों पर तो यह स्कीम भी लागू नहीं की गयी हे सरकारी वकील किसी भी केस डायरी पर सर सब मिटेद से अधिक कुछ नहीं करता हे ताज्जुब की बात यह हे के सरकार ने मुकदमों की सुनवाई के लियें दंड प्रक्रिया संहिता की थारा २४ , २५ के तहत सरकारी और गेर सरकारी वकीलों की नियुक्ति कर रखी हे एक तो नियुक्ति तो वोह हे जिसमे सरकार के मुलाजिम यानी गवर्मेंट सर्वेंट होते हें जिनका वेतन २५ से ५० हजार रूपये तक प्रितमाह हे जिले और राज्य में पूरा अभियोजन विभाग हे इस पर करोड़ों रूपये खर्च होते हें ऐसे सरकारी नियुक्त कर्मचारी अभियोजक केवल फोदारी यानी आपराधिक मुकदमों की सरकार की तरफ से पेरवी करते हें यह सिविल मामलों की सुनवाई नहीं करती दूसरी तरफ सरकार द्वारा राजनितिक आधार पर सरकार आने जाने के साथ साथ वकीलों की नियुक्ति होती हे सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट से लेकर निचली अदालतों में सब राजनितिक पार्टियां अपने वफादार वकीलों को नियुक्त करते हें और सरकार के साथ साथ इनकी अदला बदली होती रहती हे यह लोग मुकदमों की सुनवाई से ज्यादानियुक्त करने वाले मंत्री के निर्देशों प्रधिक ध्यान देते हें ऐसे में पहले वाले अभियोज्कोंको तो ट्रांसफर का डर और दुरे राजनितिक नियुक्त लोगो को अपने आका मंत्री का डर रहता हे दुसरे जहां सरकारी नियुक्त कर्मचारी वकील को ५० हजार रूपये प्रति माह तक का वेतन और अन्य सुविधाएं दी जाती हे वहीं राजनितिक आधार पर नियुक्त वकील को सिविल और फोजदारी दोनों तरह के सभी काम लेने के बाद भी केवल आठ हजार रूपये प्रति माह ही दिया जाता हे अब एक तरफ तो काम किअधिकता और फिर वेतन के नाम र केवल ठेंगा जब सरकार इन वकीलों को देगी तो फिर यह जनाब सही पेरवी सरकार की केसे कर सकते हें वेसे भी सभी लोग कार्य की अधिकता के बोझ तले दबे रहते हे इतना ही नहीं लोक अभियोजकों को कार्यालय और अन्य सुविधाएं भी नहीं दी गयी हे ताकि वोह गवाहों को एक दो दिन पहले कार्यालय में बुला कर ब्यान केसे दें और अभियुक्त वकील जिरह करे तो उसका किया जवाब दे इस बारे में समझा सके तो दोस्तों विधि मंत्री वीरप्पा मोईली जब तक इन कमजोरियों को दूर करने और अदालतों केविकेंद्रिकरण की व्यवस्था नहीं करेंगे तब तक मुकदमों के निस्तारण में इमानदारी की बात करना बेमानी हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कोटा में वकीलों की हडताल

कोटा के वकील आज यहाँ तेनात राजस्व अपील अधिकारी दी ऍन मीना के खिलाफ हडताल पर हें वकीलों का आरोप हे के राजस्व अधिकारी खुले आम भ्रष्टाचार फेला रहे हें और वोह दोनों तरफ से रिश्वत लेकर फेसले कर रहे हें इस मामले में वकीलों ने पहले वृष्ट अधिकारियों से शिकायत की थी लेकिन अधिकारी आचरण में सुधार नहीं होने के कारण वकीलों ने इन अधिकारी के पुराने फ़सलों की प्रमाणिकता को संदिग्ध ठहराते हुए जांच कर इनके निलम्बन की मांग उठाई हे अपनी इसी मांग को लेकर आज कोटा के वकील पूर्ण रूप से हडताल पर रहे अब देखते हें वकीलों की इस हडताल के बाद उठायी गयी मांग के बाद सरकार अधिकारी महोदय के खिलाफ किया कदम उठती हे। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कोटा महापोर पर वाहन दुरूपयोग का आरोप

कोटा नगर निगम महापोर श्रीमती रत्ना जेन इन दिनों निगम के वाहन का निजी उपयोग कर सरकारी रूपये बर्बाद करने के आरोपों को लेकर चर्चा में हें कोटा निगम की महापोर ने चुनाव जीतने के बाद घोषणा की थी के वोह निगम से वेतन नहीं लेंगी लेकिन पिछले दिनों सुरत की यात्रा के लाखों के बिलों को लेकर वोह चर्चा में रहीं अब नगर निगम वाहन उपयोग नियमों के विपरित महापोर द्वारा निगम के vaahn का दुरूपयोग कर उदयपुर और अजमेर जाने के कारण un पर भाजपा द्वारा लगाये गये आरोपों के बाद दुखी हें वेसे निगम वाहन उपयोग नियम के तहत महापोर ही सभी वाहनों के प्रभारी अधिकारी होते हें और खुद महापोर को ही इस मामले में ड्राइवर बुक भरना होती हे कोई भी अधिकारी या पदाधिकारी वाहन का उपयोग्केव्ल दफ्तर में जाने के बाद सरकारी काम के लियें ही कर सकता हे निजी काम या खुद के घर आने और जाने के लियें भी अगर कोई वाहन का उपयोग करता हे तो उसे खुद की जेब से निर्धारित खर्च कार्यालय में जमा कराना होता हे।बाहर निजी तोर पर जाने के बाद यदि महापोर कहे के पेट्रोल मेने भरवाया था तो फिर ड्राइवर तो निगम का था उसकी तनख्वाह और वेतन भत्ते कोन देगा हेना मजेदार बात। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मुकदमों के त्वरित निस्तारण की अब नई निति

देश में भोपाल त्रासदी मुकदमे की सुनवाई के बाद आये नतीजों से सरकार की हुई फजीहत के बाद केंद्र सरकार ने सबक लेने की घोषणा की हे और खा हे को

कोटा में मुलजिम फरार होने का रिकोर्ड कायम

कोटा में इन दिनों लगातार मुलजिमों के भागने से पुलिस अधिकारी दुखी हें हालात यह हें के अभी कुन्हाड़ी के मुकेश गोद की फरारी का मामला ठंडा भी नही ह़ा था के कल मकबरा थाना इलाके से लोकप में बंद तिन मुलजिम पुलिस को धक्का देकर फरार हो गये जी हाँ पुलिस की यही खानी हे लेकिन इसमामले में पुलिस ने उन मुलजिमों को देशीकट्टे सहित गिरफ्तार करना बताया था तो फिर वक्त पर उनकी गिरफ्तारी बता कर विधि अनुसार इसकी सुचना उसके रिश्तेदारों को क्यूँ नहीं दी गयी क्या यह मुलजिम पुलिस की नाजायज़ हिरासत में थे और मुलजिमों के फरार होने के बाद गिरफ्तारी रिकोर्ड तय्यार किया गया हे अगर ऐसा हे तो गंभीर बात हे इसमामले में तीनों फरार मुलजिमों की थाणे पर लाने की रोजनामचा रिपोर्ट से गिरफ्तारी इसकी परिजनों को सुचना और फिर फरारी की कहानी की तहकीकात वृष्ट पुलिस अधिकारियोंको ठीक से करना चाहिए वेसे इस मामले में कल पुलिस कर्मी को निलम्बित किया गया हे जबकि इसके लियें ज़िम्मेदार थाना आधिकारी खुद्भी हें उनके खिलाफ भी कड़ी कार्यवाही किया जाना जरूरी हे ताकि भविष्य में ऐसी लापरवाही ना हो जिससे पुलिस के मुंह पर कालिख पुते। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कोटा में मुलजिम फरार होने का रिकार्ड बनाया

नर्सिम्भा राव ने मस्जिद तुडवा कर भाजपा के बढ़ते कदम रोके

पूर्व प्रधान मंत्री नर्सिम्भा राव ने भाजपा के निरंतर बढ़ रहे राजनितिक कदमों को रोकने के लियें भाजपा के खिलाफ एक भुत बढ़ी साज़िश रची थी जिससे बे खबर भाजपा आज तक सत्ता में आने के लियें बढ़ी राजनितिक पार्टी नहीं बन सकी हे , बदले राजनितिक हालात में जब मुसलमानों को रुख भाजपा की तरफ बढने लगा तो भाजपा को मुसलमानों से हमेशा के लिए दूर करने के लियें नर्सिम्भा राव ने उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह के शासन में जब मस्जिद तोड़ने के लियें भाजपा लाम बंध थी और उसे केंद्र सरकार वारा आसानी से रोका जा सकता था लेकिन नर्सिम्भा राव की सोच थी के भाजपा अगर मस्जिद गिरा देती हे तो एक तीर से दो शिकार हो जायेंगे एक तो भाजपा से हमेशां के लियें मुसलमान मतदाता हमेशा के लियें दूर हो जाएगा दुसरे मस्जिद समस्या खुद बा खुद खत्म हो जाएगी मस्जिद समस्या तो इस देश की कानून व्यवस्था के चलते अभी जस की तस हे लेकिन नर्सिम्भा राव की इस चाल ने भाजपा को अलबत्ता हमेशा के लियें सत्ता से दूर कर दिया हे क्योंकि उसी के बाद भाजपा दूसरों के कन्धो पर चाहे सरकार बना चुकी हो लेकिन अकेले तो आज भी भाजपा का वजूद देश की बड़ी राजनितिक पार्टी के रूप में जीरो ही हे आप सोचिये आज जो कोंग्रेस की स्थिति आम मुसलमानों के साथ हे देश के मुसलमानों के साथ कोंग्रेस का उपेक्षात्मक जो रुख हे उससे देश के मुसलमानों को कोंग्रेस से उब जाने के बाद नये विकल्प की तलाश हे जो भाजपा अगर मस्जिद नहीं तोडती तो मुसलमान भाजपा को भी अपना राजनितिक विकल्प बना सकते थे लेकिन अब इस कलंक के बाद वोह भाजपा से किसी भी सुरत में अलग रहना चाहते हें और यही वजह भाजपा के बढ़ते हुए कदमो को रोकने की कोशिश में राव कामयाब हो गये हें अगर भाजपा पर यह कलंक नहीं होता तो शायद आज वोफ देश की सबे बढ़ी पार्टी होती यह विचार यह चिन्तन यूँ ही नहीं हे इस पर भाजपा को भी अब राजनेतिक मंथन करना होगा और देश में राजनितिक रूप से पिछड़ने के उनके क्या मुख्य कारण हें उस पर उन्हें विचार करना होगा वेसे आज भी कई ऐसे भाजपा नेता हें जिनके निजी रवय्ये के चलते आम मुलमानों में से कई मुसलमान भाजपा के प्र्त्याक्शियों को भी वोट देते हें । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

पत्नी पीड़ित लोग अब सडकों पर आये

देह में सब जानते हें चाहे मंत्री हो चाहे प्रधानमन्त्री चाहे पुलिस हो चाहे पत्रकार के महिला उत्पीडन खासकर दहेज़ उत्पीडन के आधे से अधिक मामले झुंटे होते हें फिर भी देश में महिलावादी कानून होने से पुरुष का पहले घर में फिर पुलिस और अदालतों के समक्ष उत्पीडन होता हे इस मामले में देश के पत्नी पीड़ित पुरुस काफी लम्बे वक्त से लामबंद हो रहे हें दिल्ली ,मुंबई,जोधपुर,कोटा,इन्दोर ,कानपुर सभी स्थानों पर पत्नी पीड़ित संघ बनाये गये हें लेकिन आज एहमदाबाद में पत्नी पीड़ित पुरुष वर्ग की निकाली गयी ज़ोरदार रेली ने एक नई जाग्रति पैदा करने की कोशिश की हे वेसे पुरुष वर्ग शुरू से ही अंग कर रहा हे के आई पी सी की धारा ३७६ , ४९८ ऐ में पार्ट ऐ और बी बनाया जाय जिसमें पुरुष उत्पीडन मामले में दोषी महिलाओं को भी दंडित करने का भी प्रावधान हो लेकिन इस महिला वादी संस्क्रती के स्नर्क्ष्क आज़ाद देश में यह नियम कभी लागू होगा भी या नहीं इस बारे में स्थिति असमंजस की हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

तलाक नामे का स्टिंग ओपरेशन

किसी नामचीन इ नाम से उनकी निजी जिंदगी को मजाक बनाने के मकसद से जीवन में अपशकुनी करने के लियें टी वी चेनल ऍन डी टी वी ने कल एक मोलाना के समक्ष फर्जी निकाह नामा और तलाकनामा पेश कर उस्ससे तलाक का सर्टिफिकेट बनवाने की खबर प्रकाशित की हे लेकिन खबर से ही लगता हे के यह सब केवल खबर बनाने के लियें ही किया गया हे क्योंकि जिस तरीके से खबर दिखाई गयी हे वेसे तलाक की प्रक्रिया नहीं होती हे खबर भी किसी नोसिखिये ने ही तय्यार की हे इसियें उसमें सच्चाई भी बयान नहीं की जा सकी हे ऍन डी टी वी पर पहली बात तो यह के तलाक का प्रमाण पत्र देने वाले का चेहरा साफ़ नहीं दिखाया गया हे फोटो साफ़ था लेकिन उसे खराब सेंसर कर दिखाया गया हे आखिर जब खबर सच थी तो फिर काज का चेहरा छुपाने की क्या जरूरत थी और फिर तलाक की विशिष्ट प्रक्रिया हे जिसके लियें लडका जो भी बना उसके नाम से स्टाम्प कहां से किसने खरीदा ताक नामे पर सानिया और शोएब के फर्जी हस्ताक्षर किसने किये निकाहनामा के बाद तलाक के वक्त मैहर की राशि ७८६ रूपये को गुज़रा खर्च राशि खा गया हे जबकि इद्दत और मैहर तथा गुज़रा खर्च तीनो राशियाँ अलग अलग होती हें इन सब फर्जी वाडे से स्पष्ट हे के सिर्फ खबर बेचने के लियें ही यह फर्जी खबर बनाकर दर्शकों को बेवकूफ बनाया जा रहा हे वेसे इस खबर को बनाने के मामले में जिसने भी स्टाम्प खरीद से लेकर सानिया और शोएब के फर्जी हस्ताक्षर करने का जो गम्भीर अपराध किया हे और उनके नाम का उपयोग कर उनका जो अपमान किया हे इसके लियें ऍन डी टी वी के मालिक ,पत्रकार,खबर पढने वाली एंकर ने देश के कानून के तहत खतरनाक जुर्म किया हे और देश में ऐसे झुंटे मामले तय्यार कर खबर बनाने के मामले में गम्भीर कार्यवाही होना चाहिए अन्यथा देश में अराजकता की स्तिति पैदा हो जायेगी । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कोटा में टेक्सी ओटो किराए में लूट खसोट

दिल्ली और मुंबई सरकार ने तो ओटो टेक्सी की किराया दरें तय कर अदिक किराया वसूली पर दंड का प्रावधान बना दिया हे लेकिन कोटा में आर टी ओ विभाग की लापरवाही के चलते यहाँ ओटो और टेक्सी चालकों की किराया व्सुय्ली के नाम पर खुली लुट जारी हे पिछले दिनों कोटा में ओटो और सभी निजी वाहनों के चालकों के लिये खाकी युनिफोर्म निर्धारित की थी और उस पर ड्राइवर का नाम लिखा होना अनिवार्य था लेकिन अब कोटा में ड्राइवरों ने इस नियम को धता बता दी हे कोटा में रोज़ हजारों हजार स्टुडेंट और उनके रिश्तेदार बाहर से आते हें और दूर दराज़ ओटो टेक्सी में जाने पर ओटो चालक उनसे मनमानी वसूली करते हें यहा इस लुट खसोट को नेता प्रशासनिक अधिकारी सभी जानते हें अधिकारियों को पता हे के राजस्थान में आर टी ओ विभाग ने ओटो टेक्सी के लियें मित्र प्रणाली लागू कर रखी हे लेकिन यहाँ अनियंत्रित व्यवस्था के चलते जनता के लुट खसोट जारी हे कोटा में भी इस लुट खसोट को रोकने के लियें ओटो ,बस और टेक्सी की किराया दरें निर्धारित करना चाहिये। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

राजस्थान में कोटा के मुस्लिमों को प्रतिनिधित्व देने की मांग

कोटा में आल इंडिया मुस्लिम वेल्फैर फोरम के बेनर तले सभी आम मुसलमान आपसी गुटबाजी और दलगत राजनीति भुला कर एक मंच पर आये हें और उन्होंने राजस्थान सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश अध्यक्ष सी पी जोशी से सीधी मांग की हे के वर्षो से राजनितिक उपेक्षा के शिकार मुस्लिम समुदाय के किसी भी प्रतिनिधि को नगर विकास न्यास कोटा का चेयरमे बनाया जाए कोटा के मुसलमानों की इस मुहीम से कई कोंग्रेसी परेशान नजर आ रहे हें क्योंकि दिल से तो वोह मानते हें के अब बदली राजनितिक परिस्थितियों में इस पद पर मुस्लिमों का हक हे लेकिन वोह इस को व्यवहारिक तोर पर मानने को तय्यार नहीं हें । २० जून को कोटा में आयोजित आम मुसलमानों की बैठक में सभी मुसलमानों ने एक राय हो कर जो राजनितिक प्रस्ताव पारित किये हें उनमे कोटा के किसी मुस्लिम को नगर विकास न्यास का अध्यक्ष बनाना, राजस्थान में अल्प संख्यक आयोग, हज कमेटी, अल्पसंख्यक वित्त्विकास निगम , मेवात बोर्ड, मदरसा बोर्ड , वक्फ बोर्ड , अल्पसंख्यक विभाग में शीघ्र ही नियुक्तिया करना, प्रदेश और जिला स्तर पर पन्द्रह सूत्रीय कार्यक्रम की कमेटियों का गठन करना , वक्फ बोर्ड में सम्पद्दा अधिकारी,वक्फ ट्रिब्यूनल जज के रिक्त पद तुरंत भरना, अल्पसंख्यक छात्रों की छात्र व्रत्ति सीमा में व्रद्धी करना, अल्प संख्यक बस्तियों में मूल भुत सुविधाए उपलब्ध कराने जेसी सम्बन्धित मांगे तूर्ण पूरी करने की मानाग को लेकर सर्वसम्मती से प्रस्ताव पारित किया हे अब उक्त प्रस्ताव कोटा के मुसलमानों द्वारा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश कोंग्रेस अद्ध्यक्ष सी पी जोशी , सोनिया जी राहुल जी को भेजा गया हे देहना हे वर्षों से उपेक्षित मुसलमानों को उनका हक कोंग्रेस में मिल पाता हे या नहीं। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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