आपका-अख्तर खान

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08 जुलाई 2010

सर बच्चा कितनी उम्र में पैदा होता हे

में आज विवेक जी की कल्पतरु पोस्ट ९ साल का बच्चा और ७ साल की बच्ची की बदली सेक्स परिस्थितियों पर पढ़ रहा था बदले हालातों में बेहतरीन पोस्ट थी इसी को पढ़ कर मुझे एक किस्सा याद आता हे प्रायमरी क्लास में एक अध्यापक जब बच्चों को पढ़ा रहे थे तो स्कूल के निरिक्षण के दोरान निरीक्षक की उपस्थिति में एक बच्चे ने अध्यापक जी से विज्ञान सेक्स का एक सवाल पूंछ डाला बच्चे का सवाल था के सर लडका और लडकी कितने साल के हों जिनके बीच में संभोग होने पर उनके बच्चा हो सकता हे इस पर मास्टर जी नाराज़ हो गये और बच्चे पर नाराज़ होते हुए उन्होंने उसे बदतमीज़ बेशर्म जेसे अल्फाजों से नवाज़ा वोह और कुछ एक्शन लेते इसी बीच निरीक्षक जी न टोका और कहा को भाई यह आधुनिक युग हे यहाँ अगर बच्चे विज्ञान का सवाल पुंचते हें तो उनका जवाब देना चाहिए जो बच्चे ने जो जाना चाहा हे उसका जवाब दो निरीक्षक जी का हुक्म था अध्यापक जी की मजाल नहीं जो टाल दें सो उन्होंने बच्चे को खड़ा कर कहा के जब लडका कमसे कम १८ और लडकी १५ की हो जब संभोग होने पर बच्चा पैदा हो सकेगा बच्चे ने फिर सवाल किया सर इससे कम उम्र के लडका लडकी के तो बच्चा नहीं होगा अध्यापक जी ने झल्लाते हुए कहाके बेठजा बेठजा नहीं होगा बस फिर क्या था बच्चा अपने पास बेठी लडकी के कान में कहने लगा के देख में कह रहा था ना कुछ नहीं होगा तू यूँ ही घबरा रही थी तो दोस्तों यह बेहूदगी भरी कहानी मुझे आपको सुनाने के लियें इसलियें बेशर्मी से मजबूर होना पढ़ा हे के आज समाज में बालपन से सेक्स के प्रति आकर्षण बढने लगा हे नेट,इंटरनेट,फिल्म,किताबें,विज्ञापन और अपनों से बढों की बे शर्मी बेहयाई से यह सब हो रहा हे कहने को तो समाज को सुधारने के लियें सेक्स शिक्षा की जरूरत हे लेकिन इस तरह की बाल पीडी की बेशर्मी क्या अच्छी बात हे इसके लियें स्कूलों मदरसों पाठशालाओं में कोड ऑफ़ कंडक्ट बनाना होगा तब कहीं जाकर समाज की नई पीडी को इस बर्बादी वाले किस्से से बचा सकेंगे वरना तो इस देश का भगवान ही मालिक हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

राजस्थान में तुगलकी शिक्षा केलेंडर

राजस्थान में शिक्षा विभाग ने नया शिक्षा केलेंडर जारी किया हे अब हालत यह हे के केन्द्रीय शिक्षा बोर्ड और राजस्थान सरकार के स्कूलों में अवकाश और पढाई के दिनों के मामले में विरोधाभास की स्थिति पैदा हो गयी हे राजस्थान में पहले के शिक्षा केलेंडर को अव्यवहारिक तरीके से बदला गया हे यहाँ दिवाली और सर्दियों की छुट्टियों में अदला बदली की गयी हे जबकि गर्मियों की छुट्टियों में भी बलाव हुआ हे ठीक इसके विपरीत केन्द्रीय शिक्षा के स्कूलों में पुराना शिक्षा केलेंडर यथावत हे अब राजस्थान सरकार और केन्द्रीय शिक्षा के स्कूलों में छुट्टियों को लेकर पैदा हुए विरोधाभास से परिवार चिंतित हें क्योंकि जिनके बच्चे केन्द्रीय और राजस्थान के स्कूलों में पढ़ते हें वोह बच्चे अलग अलग समय पर अवकाश में रहेंगे और फिर विरोधाभासी अवकाश होने से इनके घर परिवार के कार्यक्रमों शादी बियाह घुमने फिरने में दिक्कते खड़ी हो जायेंगी। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

धरा रह गया ओनर किलिंग कानून

देश में संरक्ष्ण में रह रहे लोगों की निरंतर बढ़ रही बेहिसाब हत्याओं से तंग आकर कोंग्रेस सरकार के विहिम्न्त्री ने पिछले दिनों इस मामले से निपटने के लियें एक कानून बनाने की घोषणा की थी इस मामले में कोंग्रेस ने प्रयास भी किये लेकिन मंत्री कमलनाथ के चलते यह संभव नहीं हो सका बात सही भी हे ऐसे कानून बनाकर केव कानून की संख्या ही बढाने के बराबर होते हें वसे वर्तमान में जो भी कानून हें अगर पुलिस और सरकारें उस कानून को तत्परता से लागू रखे तो देश में ओनर किलिंग की घटनाए रुकेंगी भी और दोषियों को दंड भी मिलेगा महिलाओं के मामले में घरेलू हिंसा कानून सरकार ने लागू तो किया हे लेकिन इसके नियम सेवा प्रदाता पुलिस जवानों की ज़िम्मेदारी नहीं टी की हे यहाँ तक के महिला कानून के तहत एक भी परिवाद खुद सरकार की तरफ से पेश नहीं किया गया हे तो जनाब इस्ससे अंदाज़ा लगायें के सरकार कानून को लागू करने में कितनी गंभीर हे हत्या के मामले में भारतीय दंड संहिता की धाराएं पर्याप्त हें पुलिस और सरकार के पास इससे निपटने के लियें पर्याप्त कानून हें नहीं हे तो बने कानूनों को लागू करने की क्षमता और इसी लियें घरों में हिंसा बढ़ रही हे बाल हिंसा,महिला हिंसा सभी तरह की संरक्षण में हो रही हिन्सा रोकने के पर्याप्त प्रावधान हें लेकिन जनाब एक कानून ड्राफ्टिंग के नाम पर करोड़ों रूपये का सीधा घपला होता हे और पुराने कानूनों का मिक्सचर बना कर दो पेज का कानून बना दिया जाता हे जिसे बाद में लागू भी नहीं किया जाता पर्याप्त आधिकारी नहीं दिए जाते आप जानते हें देश में दहेज़ लेना और देना अपराध हे फिर देश में खुलेआम सरकार की निष्क्रियता की वजह से दहेज़ का खुला लेनदेन होता हे दहेज़ को लेकर प्रताड़ित की घटनाए होती हें महिला आयोग हे लेकिन चुप हे बाल आयोग हे लेकिन चुप हे भीक मांगना अपराध हे लेकिन बच्चे भिक मांगते हें , सार्वजनिक स्थानों पर धुम्रपान अपराध हे लेकिन फिर भी होता हे , स्कूलों में कमिशन खोरी मनमानी फ़ीस और बच्चों को प्रताड़ना अपराध हे लेकिन यह सब खुलेआम होता हे तो जनाब कोई भी हिंसा ओंर किलिंग के अपराध रोकने के लियें हमारा कानून सक्षम हे जरूरत हे इसे क्रियान्वित करने की अब कानून के नाम पर करोड़ों के घोटाले और जनता को बेवकूफ बनाने के लियें राजनीतिक तरीके अपनाए जाएँ तो इससे देश का बुरा ही होगा। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

हाडोती में वसुंधरा ने लोकप्रियता में सभी को को पीछे छोड़ा

हाडोती में भाजपा की राष्ट्रिय महा सचिव और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा सिंधिया का दोरा ऐतिहासिक बन गया यहाँ कल उनके आगमन पर कोटा से फूलों की मालाएं घायब हो गयीं करीब दो लाख रूपये से भी अधिक फुल मालाओं का व्यापार हुआ इतना ही नहीं भीड़ इतनी की रेलवे प्लेटफोर्म पर पाँव रखने की जगह नहीं मी इसके पहले कोटा में कोंग्रेस के शान्ति कुमार धारीवाल जब विधायक का टिकिट लाये थे तब इतनी भीड़ प्लेटफोर्म पर देखने को मिली थी भीड़ का आलम यह था के जेबकतरों की भी चढ़ बनी विधायक भवानी सिंह का मोबाइल चोरी हो गया तो इंस्पेक्टर नेत्रपाल सिंह का पर्स चोरी हो गया जेबें कटने की बेहिसाब घटनाएँ हुईं वहीं वसुंधरा के ज़ोरदार स्वागत को दोरान विधायक भवानी इंह और ओम बिरला के कार्यकर्ताओं ने अपनी अपनी शक्ति का परिक्षण भी किया वसुंधरा के साथ साथ अपने अपने नेताओं की ज़िनाबाद भी लगाई वसुंधरा ने इस दोरान पत्रकारों से रूबरू होते हुए तार्किक और आंकड़ों की गणित समझा कर सरकार की पोल खोली जो जनता के सीधे गले उतर रही हे इससे कोंग्रेस का सुपदा साफ़ नजर आ रहा हे इधर वसुंधरा ने संवेदन शीलता दिखा कर जब पूर्व भाजपा सांसद रघुवीर सिंह कोशल के निवास पर जाकर उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली तो सभी कार्यकर्ता गद गद हो गये , कुल मिला कर वसुंधरा की कोटा संभाग की इस यात्रा ने कोंग्रेस के पतन की यहाँ शुरुआत कर दी हे देखते हें आगे कोंग्रेस इससे निपटने के लियें हाडोती और राजस्थान में क्या राजनितिक खेल खेलती हे। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

राजस्थान में सरकारी शिक्षा का ढांचा ठप्प

राजस्थान में ट्रांसफर , समानीकरण और परिवेदनाओं से शिक्षक पहले से ही तंग चल रहे थे लेकिन अब गेर शेक्षणिक कार्यों में शिक्षकों को लगाने से स्कूली हिक्षा चरमरा गयी हे हालात यह हें के इस सरकारी तन्त्र की कमजोरी का फायदा निजी स्कूल उठाने में लगे हें सरकारी स्कूलों में प्रवेश की संख्या कम हो रही हे जबकि निजी स्कूलों में यह संख्या ज़ोरों पर हे। राजथान में कुल ३-५० लाख शिक्षक हें जिनमें से १-२६ हजार शिक्षक तो पहले से ही ज्नग्न्ना कार्यों में लगे हें इसे बाद ४५ हजार शिक्षकों को अभी चाइल्ड ट्रेफिकिंग कार्यों में लगाया गया हे इतना ही नहीं १० हजार शिक्ष प्रतिनियुक्ति पर हें तो ९ हजार शिक्षक इ ग्राम योजना में और इतने ही ब्लोकों में लगे हें ऐसे में कुछ गिनती के शिक्षक शिक्षा विभाग का यह चरमराया हुआ ढांचा इसे संभाल पायेंगे सोचने की बात हे अभी सूल खुले हें और बच्चों को शिक्षकों की जरूरत हे पहले तो शिक्षकों को तबादलों का तनाव हे फिर गेर शिक्षा कार्यों की द्युति नं उन्हें निचोड़ कर रख दिया हे अब आप ही बताएं राजस्थान में सरकारी स्कूली शिक्षा को सुधारने वाले कहां से आयें। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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