आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

28 जुलाई 2010

कोटा अस्पताल में मरीज़ दुखी

कोटा के मेडिकल कोलेज से जुड़े सबे बढ़े संभागीय अस्पताल में इलाज के लियें विशेषग्य चिकित्सक हें , यहाँ जनता से रूपये लेकर उनकी जांच रिपोर्टें तय्यार होती हें यहाँ प्रति माह करोड़ो रूपये का वेतन कर्मचारी चिकित्सक उठा रहे हें इतना ही नहीं जांच की मशीनों के नाम पर सभी सुविधायुक्त महंगी मशीनें इस अस्पताल में सरकार ने दे रखी हें लेकिन कुछ चिकित्सक हें जो निजी जांच वालों और निजी चिकित्सालयों से सांठ गाँठ कर किसी ना किसी बहाने जांच मशीनों को जान बुझ कर खराब कर देते हें और नतीजा मरीजों को जांच के लियें बाहर जाना पढ़ता हे यह सरकारी चिकित्सालय के करता धर्ता जान बुझ कर ऐसा माहोल बना रहे हें के मरीज़ डरकर अपने जेवर गिरवी रख कर जान बचाने के लियें निजी चिकित्सालों में जा कर इलाज कराते हें कोटा में आज महाराव भीमसिंह चिकित्सालय में एक न्यायिक अधिकारी को अगर नियुक्त कर सारे मामले की जांच करवाएं तो कुछ दिनों एन ही ऐसी पोल पट्टी सामने आ सकती हे जिससे देश भर में तहलका मच सकता हे लेकिन गरीबों को हक दिलाने के लियें यहाँ कोन हे भाई । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

रिश्तों की कुछ परिभाषा नहीं होती

दोस्तों
रिश्तों की
आज
कोई परिभाषा नहीं होती ,
ना दोस्ती ना दुश्मनी
किसी की किसी से
स्थायी होती ।
कभी दोस्त दुश्मन
तो कभी दुश्मन दोस्त होता हे
कभी अपना पराया
तो कभी पराया अपना होता हे
दोस्तों
ना दुश्मनी ना दोस्ती
स्थायी होती हे ।
रिश्ते तो बनते हें
रिश्ते तो बिगड़ते हें
ना खून का रिश्ता स्थायी
ना जन्म का रिश्ता स्थायी
ना पडोस का रिश्ता स्थायी
ना दोस्ती का रिश्ता स्थायी
मिलना बिछुड़ना , रूठना मनाना
रिश्तों की हे खासियत
रिश्ते तो रिश्ते होते हें
ना यह कच्चे होते हें ना यह पक्के होते हें ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

तेरा ही नाम लिया हे

बोलना सिखा हे मेने बचपन से
सिर्फ और सिर्फ
आज जवानी तक
तेरा ही नाम लिया हे
इलाही यह क्या तमाशा हे
वोह आज देखो
किसी और का
नाम लेने लगे हे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

अब इसको मारा तो ठीक नहीं होगा

घर के बाहर
तीन दोस्त बेठे
बतिया रहे थे
इसी बीच
एक पहलवान आया
उसने एक का गला पकड़ा
उसे उठाया और गाल पर जोर दार तमाचा लगाया
यह जनाब हक्का बक्का देख रहे थे
लेकिन पहलवान को देख कर गुर्राए
पहेलवान जी
मुझे तो मार लिया
अब अगर मेरे इस दोस्त पर हाथ उठाया तो ठीक नहीं होगा
पहेलवान जी फिर पलटे
उन्होंने दुसरे को गरेबान पकडकर उठाया
उनके भी एक तमाचा लगाया
लेकिन फिर जनाब चिल्लाये
बोले पहेलवान जी बहुत हो गया
अब यह तीसरे दोस्त मेरे ख़ास हे
अगर इन पर हाथ उठाया
तो बस फिर खेर नहीं हे
पहलवान जी फिर
भन्नाए
उन्होंने तीसरे दोस्त को उठाया
गाल पर फिर खेंच के तमाचा लगाया
बस इतना होते ही
इन जनाब ने
पहलवान से माफ़ी मांगी और कहा ठीक हे ग़लती हो गयी
अब आप जाइए
जनाब का यह जवाब सुनकर पहलवान जी चकराए
बोले जब तुने ग़लती मान ली
इन दोनों को क्यूँ पिटवाए
जनाब बोले
पहलवान जी आप नहीं जानते
आपके जाते ही यह मुझे छेड़ते और कहते
क्यूँ पहलवान से पिट गया ना
अब हम तीनों एक से हें
कोई किसी को नहीं छेड़ेगा
तू मेरी मत कह , में तेरी नहीं कहूँ
की कहावत की तरह हम तीनों अब इस घटना को भूल गये हें ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

एक ही झंपट में ३६ दांत तोड़ देंगें .

एक चोराहे पर
दो लोग आपस में लड़ रहे थे
एक ने दुसरे से कहा
ज़्यादा मत बोल
एक झान्प्त में
३६ दांत तोड़ दूंगा
यह बात सुन कर
पडोस में खड़ा एक व्यक्ति बोला
भाई साहब दांत तो ३२ होते हें
फिर ३६ दांत कहां से तोड़ोगे
यह सुन कर
लड़ने वाला और गुस्साया
बोला मुझे पता था तुम बीच में बोलोगे
इसीलियें चार दांत
तुम्हारे भी गिन लिए थे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...