आपका-अख्तर खान

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03 अगस्त 2010

कमी क्यूँ हे

कोटा के जनाब अहमद सिराज फारुकी की गजल पेश हे
बढ़ी हे मुल्क में दोलत तो मुफलिसी क्यूँ हे
हमारे घर में हर इक चीज़ की कमी क्यूँ हे
मिला कहीं जो समुन्द्र तो उससे पूछुंगा
मेरे नसीब में आखिर यह तश्नगी क्यूँ हे
इसीलियें तो खफा हे यह चाँद जुगनू से
की इसके हिस्से में आखिर यह रौशनी क्यूँ हे
यह एक रात में क्या हो गया हे बस्ती को
कोई बताये यहाँ इतनी खामुशी क्यूँ हे
किसी को इतनी भी फुर्सत नहीं के देख तो ले
यह लाश किसकी हे कल से यहीं पढ़ी क्यूँ हे
जला के खुद को जो देता हे रौशनी सब को
उसी चिराग की किस्मत मन तीरगी क्यूँ हे
हर एक राह यही पूंछती हे हम से सिराज
सफर की धुल मुकद्दर में आज भी क्यूँ हे ।
तो जनाब यह गजल जनाब अहमद सिराज फारुकी द्द्वादा कोटा जंक्शन में रहने वालों की हें इनके मोबाइल नम्बर ०९९२८५८५०५१ हे ।
अख्तर खाना अकेला कोटा राजस्थान

जस्टिस शिवकुमार केन्द्रीय विधि आयोग में सदस्य

कोटा के निवासित और राजस्थान हाईकोर्ट के पूर्व न्यायधीश विख्यात साहित्यकार लेखक शिवकुमार शर्मा को केंद्र सरकार ने कल एक आदेश जारी कर केन्द्रीय विधि आयोग का सदस्य नियुक्त किया हे जस्टिस शिवकुमार ने अपना कार्यभार भी ग्रहण कर लिया हे , कोटा में वकालत के बाद राजस्थान हाईकोर्ट में न्यायधीश के पद पर रहे जस्टिस शिवकुमार प्रख्यात साहित्यकार हें और उन्होंने उनके जज कार्यकाल में कई ऐतिहासिक फेसले दियें हें उनकी कानून पर पकड़ इसे व्यवहारिक रूप से लागू करने की क्षमता ने उन्हें कोटा से जयपुर और फिर दिल्ली पहुचा दिया हे कोटा के लोगों में उनकी नियुक्ति से खुशी की लहर दोड़ गयी हें , साहित्यकारों को भी इस मामले में जो ख़ुशी हुई हे उसे वोह साहित्यिक शब्दों में बयान नहीं कर पा रहे हें शिवकुमार दलित , गरीब शोषित उत्पीड़ितों को सस्ता सुलभ न्याय दिलवाने और मुफ्त विधिक सहायता गरीबों तथा आम आदमी तक पहुँचाने के अलावा नाबालिक बच्चों को उनका हक दिलाने के लियें स्न्घर्श्र्त रहे हें और निश्चित तोर पर इस वर्ग के लोगों के हक में बनने वाले कानूनों के मामले में जस्टिस शिवकुमार जी की विशेष रचनात्मक सिफारिशें होंगी। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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