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06 अगस्त 2010

देश के फतवे बाजों को जेल भेजने का कानून बने

दोस्तों आज देश में मुसलमान और देश फ्त्वेबाज़ मोलानाओं के फतवों से परेशान हे देश में हर कभी फतवे देकर अपना वुजूद साबित करने का प्रयास करने वाले फ्तेबाज़ कभी भी किसी भी मुद्दे पर अपनी धार्मिक राय प्रकट करते हें और वोह हास्यास्पद होती हे, सब जानते हें और पुरे देश नें इन फ्त्वेबाज़ों में से कुछ को टी वी पर खुलेआम रिश्वत लेकर मन मर्जी के धार्मिक फतवे देते देखा हे जब मोलाना मजहब को खेल बना लें पेट कमाने और एश इशरत के साधन खरीदने का जरिया बना लें तो फिर देश की स्थिति क्या होगी इस्लाम का पहला हुक्म हे काम करना लेकिन बिना काम करे धर्म के नाम पर जो पेट पाले क्या वोह हराम की कमाई नहीं हे और जो सिर्फ और सिर्फ धर्म को ही रोज़गा बना कर बेठे हें उन अधर्मियों को धर्म की बात करने का क्या हक हे फ्त्वेबाज़ पहले खुद गिरेबान एन झांके वोह देखें के क्या वोह तकवे पर हल रहे हें खुद सोचें या फिर किसी तीसरे से खुद के आचरण के बारे में राय लें तब पता चलेगा के धर्म की आड़ में पेट पालने वाले इन लोगों के बारे में कुरान की रौशनी में आम मुसलमान किया समझता हे ।
फतवा देने से बहना चाहिए फतवा शर पैदा करता हे सब जानते हें और फिर फतवा कोण देगा क्या फतवा देने वालों की डिग्री की किसी ने जांच की हे उनकी देनिक जिंदगी इस्लाम के कानून के तहत तकवे पर चल रही हे अगर नहीं तो फिर उन्हें पहले खुद और खुद के लोगों को संभालना चाहिए तब कहीं उन्हें फतवों की राजनीति में पढना चाहिए , धर्म का खिलवाड़ और धर्म के नाम पर ब्लेकमेल करने वाले इन फतवे बाजों की नाक में नकेल डलना जरूरी हे अव्वल तो सभी फ्त्वेबाज़ों का स्र्त्कारी पंजीयन ज्रुरुई हो और फिर वहां फतवा को दे रहा हे उसका पहले पुलिस वेरिफिकेशन हो और उनकी जो डिग्री हो उसकी जांच एक समिति गठित कर करवाई जाये ऐसा कानून बने के जो इस्लाम कुरान का शुद्ध जानकार हो और इस्लाम के कानून पर शत प्रतिशत चलता हो बस फतवे देना का लाइसेंस उन्हें ही दिया जाए एनी लगों को ऐसे फतवे देने पर जेल भेजने का प्रावधान हो , आज देश में राजनितिक मोलानाओं की कमी नहीं हे कोई भाजपा तो कोई कोंग्रेस तो कोई किसी दुरी पार्टी के तलवे सिर्फ इसलियें चाट रहे हें के उन्हें या तो राज्यसभा में ले लिया जाये या फिर मुफ्त का चन्दन घिस मेरे नन्दन की तरह कोई सरारी पद दे दिया जाए बस इसी तर्ज़ पर यह फतवेबा राजनीके नाम पर गंदगी फेला रहे हें जिससे रोकना जरूरी हे।
अभी राजस्थान के उदयपुर के सराडा में मुसलमानों को आदिवासियों के साथ झगड़े के बाद गिन गिन कर मारा गया उनके मकान जला दिए गये प्रशासन ने उनकी मदद नही की उदयपुर के मुसलमान सरकार और मुख्यमंत्री से नाराज़ हो गये तो मुख्यमंत्रीजी ने इस वक उनके कोटा के एक चमचे और जोधपुर के चमचे मोलाना को याद किया यह जनाब उदयपुर सराडा गये मुसलमानों को वहां इन्साफ तो नहीं मिला लेकिन उन्हें उलटी सुलटी पट्टी पढाकर मामला जो सच था उसे बिना जांच के अखबारबाजी के दाब दिया गया अब यह फ्त्वेबाज़ सरकारी मोलाना सरकार से सोदेबाज़ी के तहत कही ना कहीं कोई सरकारी पद प्राप्त करने के इन्तिज़ार में बेठे हें । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

संसद के खाने में मिलावट

दोस्तों देश में मिलावट चरम सीमा पर हे लोग इस मिलावट से तरह तरह की बीमारियों के शिकार हे कई लोगों की इसी मिलावट के कर्ण मोतें हो रही हें लेकिन सरकार चुप्पी साधे बेठी हे कहने को सरकार कागजों में इस मामले में अरबों रूपये का अतिरिक्त खर्च बताकर कुछ भी आंकडा बता रही हो लेकिन नतीजा जनता के सामने हे।
आदरणीय प्रधानमन्त्री मनमोहन जी के कानपुर खाने की प्लेट में जब मिलावट का खाना आया तो देश में एक सवाल पैदा हुआ के प्रधानमन्त्री जी तो बच जायेंगे लेकिन आम जनता का क्या होगा ,जांच हुई दोषी लोगों को दंडित किया गया लेकिन प्रधानमन्त्री जी इस देश के हजारों लोग आज मिलावट से प्रतिदिन बीमार हो रहे हे बे मोत मर रहे हें , अब लोकसभा की केंटिन में मिलावट का खाना खाकर सांसद बीमार हे केंटिन में खाने में मिलावट की जांच के आदेश हुए लेकिन सांसदों और प्र्धान्मन्त्रीजी की सेल्फिश्नेस यानी मतलब परस्ती देखो के उन्होंने खुद को मिलावट का खाना मिलने पर सिर्फ और सिर्फ खुद के मामले में ही मिलावट की जांच करवाई हे आज तक उन्होंने जन हित में इस मामले में देश भर में मिलावट के खिलाफ अभियान छेड़ने निति बनाने और सरकारी महकमे की कार्यवाही पर निगरानी रख कर तुरंत कार्यवाही करवाने के लियें कोई आवाज़ नहीं उठायी हे बात साफ़ हे प्रधानमन्त्री जी हों चाहे सांसद जी उन्हें जनता से किया उन्हें तो बस खुद की जान बहाने की पढ़ी हे जनता जाए भाद में । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

पंचायत मंत्री के इलाके के सरपंच सडकों पर

राजस्थान के पंचायत मंत्री भरत सिंह के इलाके के सरपंच उनके अधिकार छिनने के मामले में सरकार से खफा हें उन्होंने कल उनके नरेगा सहित अन्य योजनाओं में अधिकार बहाल करने की मांग को लेकर कोटा सम्भागीय आयुक्त के यहा बढा जंगी प्रदर्शन किया , सरपंचों का कहना हे के नरेगा योजना गाँव की हे फिर उन्हें इस्ससे दूर क्यूँ रखा गया हे सरकार ने तो एक तरफ इसीकी निगरानी के लियें अब तक कोई विधिक सदस्यों की नियुक्ति नहीं की हे दूसरी तरफ सरपंचों को बदनाम और बे इज्जत करने के लियें उनके अधिकार छीने जा रहे हें , ध्यान रहे के सरपंचों को राजिव गांधी ने विशेष अधिकार पंचायत राज अधिनियम के तहत दिए थे और संविधान में भी संशोधन किया था लेकिन सरकार ने विधि विरुद्ध तरीके से सरपंचों के अधिकार चीन लिए हें और आरोप हे के सरपंच बेईमान होते हें कोटा के सरपंचों का कहना हे के पुराने सरपंचों ने क्या लिया इससे हमें मतलब नहीं और अगर उन्होंने घोटाले किये हें तो उनके खिलाफ विधि सम्मत कार्यवाही की जाए इस मामले में नये स्स्रप्न्कों के अधिकारों में कटोती संविधान के संशोधन का उल्न्न्घन हे और आदरणीय राजिव गाँधी के निर्देशों का उलंग्घन भी हे , इसमें तुरंत सुधार होना चाहिए। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

इ टी वी मुसलमानों की गलत अधूरी तस्वीर पेश कर रहा हे इसे रोको

इ टी वी इन दिनों अधूरे ख़्वाब के नाम से देश भर में यहाँ के मुसलमानों की गलत एकतरफा तस्वीर पेश कर देश और देश के लोगों को गुमराह कर रहा हे प्रति रविवार योनाबद्ध तरीके से देश के मुसलमानों की गरीबी भुख्मी और अशिक्षा पर इ टी वी अधूरे ख़्वाब के नाम से एक रिपोर्ट प्रसारित करता हे इसके पीछे उसकी क्या राजनीति क्या षड्यंत्र हे यह तो में नहीं कह सकता लेकिन एक सच हे के यह रिपोर्टिंग ना तो पत्रकारिता के सिद्धांतों के अनुरूप हे ना ही देश के संविधान कानून में ऐसी एकतरफा भ्रामक भडकाऊ रिपोर्टें प्रकाशित करने की इजाजत हे , इस इ टी वी में अब तक की सब रिपोर्टों में आज़ादी के बाद से आज तक मुसलमानों को दीन हीन गरीब कुपोषण का शिकार भुखमरे अशिक्षित बताया गया हे , अजीब बात हे के देश में आज मुसलमान शिक्षा,विज्ञान,तकनीक,उह्योग सभी मामलों में देश की मुख्य धारा से जुड़े हें और यही वजह हे के देश में मुसलमानों ने ऐ पी जे अबू कलाम दिया ऐसे कई लोग हें जी पर देश को गर्व हे लेकिन इ टी वी हे के एक मुहीम के तहत इस अधूरे ख़्वाब कार्यक्रम में देश भर के प्त्र्येक जिले में मुसलमानों को दरिद्र,अन्पड,गंवार गंदगी में रहने वाले साबित करने पर तुला हे जबकि आज साक्षरता में मुस्लिमों का प्रतिशत अन्य जातियों की अपेक्षाक्रत बढा हे मुस्लिम उद्योगपति हें , महंगे आलिशान मकान उनके पासे हें फिर भी मुस्लिमों की यह तस्वीर वोह भी एक तरफा आपत्तिजनक हे इसे रोकना चाहिए ।
आज देश में मुसलमान डोक्टर,इंजीनियर,बनने की लाइन में हें वोह बिना किसी आरक्षण के सेलेक्ट हो रहे हें लेकिन उनी फ़ीस जमा नहीं होने से कई लोग पिछड़ रहे हें उन्हें १९५० से संविधान की भावनाओं के विपरीत जातिह्ग्त आधार पर आरक्षण से अलग रखा गया हे इस मामले में इ टी वी की रिपोर्ट खामोश हे इससे स्पष्ट हे के इ टी वी अपने प्रसारण का दुरूपयोग किसी को राजनितिक फायदा पहुँचाने और देश में मुस्लिमों को जिल्लत मिल रही हे ऐसा प्रदर्शित कर देश की धर्मनिरपेक्षता की तस्वीर बिगाड़ने का प्रयास कर रहा हे इससे मुसलमानों को सरकार के खिलाफ भडकाया भी जा रहा हे अगर इस प्रसारण को नहीं रोका गया तो यह वातावरण में जहर घोल देगा इसलियें इस कार्यक्रम को या तो रुकवाना या फिर बहुपक्षीय रिपोर्टिंग की तरह निष्पक्ष तय्यार करवा कर प्रसारित करने की हिदायत देना जरूरी हो गया हे आप भी इस मामले में कार्यक्रम रविवार को देखे और इ टी वी को सही काम करने की सलाह दें। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मेरे दिल को यह क्या हुआ


वोह जिसके मिलन को
कल दिल मेरा
तडपता था ,
आज उसका नाम आते ही
मुझे जहर
क्यूँ लगता हे ,
मेरे दिल को
यह क्या हुआ
जिसकी यादें थी साँसों में मेरी
जिससे मिलन की आस थी मेरी
खुशबु से जिसकी महकता था में
आज देखो
नफरत की गर्मी से उसी की
दहकता हूँ में ,
सोचता हूँ मेरे दिल को
अचानक यह क्या हुआ
फिर सोचता हूँ
प्यार,वादे,मिलन की आस
कहने को तो अच्छी बात हे
लेकिन इसे पाने के लियें
जमीर अपना बिक जाए अगर
तो कितनी बुरी बात हे,
सोचता हम मरता था जिन पर कल में
आज मिलने भर के उनके ख्याल से
डरा सहमा क्यूँ बेठा हूँ में ।
इलाही तू ही बता में क्या करूं
जो नहं थी मेरी
क्यूँकर में उसे याद करूं
सोचता हूँ मी दिल को यह क्या हुआ
आज फिर जागा हे जमीर
सारी शर्तें उनसे मिलने पर
सबको छोड़ने की जो थीं
आज उन्हें में तोड़ता हूँ
यह मेरे दिल को या हुआ
जिसके लियें छोड़ी थी दुनिया कल
आज उसे ही दुनिया के लियें
छोड़ा क्यूँ हे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

यूँ आसमान पर पेबन्द ना लगा


ऐ ज़मीं
के टुकड़े तोड़ने वालों
यूँ आसमां पर
ज़मीं के पेबन्द ना लगाओ ,
फटे हुए आसमां को
बचाना चाहते हो अगर
तो बस
हर घर के बाहर
एक पेड़ जरुर लगाओ ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

अमन का कारवा के लोग मुझ से हुए नाराज़

दोस्तों आज मेने घर आये मेहमान का अनादर नहीं करने की परम्परा तोड़ कर अपराध किया हे मेने पाकिस्तान से भारत में अमन का पैगाम लेकर आये पाक अमन कारवाँ के लोगों को नाराज़ कर खरी खोटी सूना दी हे वोह लोग आज मुझ से नाराज़ हो गये लेकिन न जाने क्यूँ इतना बढा अपराध करने के बाद भी आज पहली बार मेरा मन अपराध बोध से ग्रस्त नहीं हे और में पहली बार ऐसा अपराध कर शर्मिंदा नहीं हुआ हूँ , आज पाकिस्तान के यात्रियों की एक बस जिसमें करीब ५० यात्री महिला पुरुष बच्चे शामिल थे कोटा आई उनका मकसद भारत और पाकिस्तान के बीच में दोस्ती के सम्बन्ध बनाना और अमन का पैगाम देना था इसीलियें उन्होंने इस बस का नाम अमन का कारवाँ रखा यह सभी लोग मेरे वकालत के दफ्तर वाली होटल में ठहरे जहां उनका स्वागत हुआ, मुझे भी उनसे मिलाया गया कारवां में आये एक जनाब सिख सरदार भाई ने मुझ से पूंछ लिया के वकील साहब आप हमारे इस मिशन के बारे में किया टिप्पणी करते हें उन्होंने अपना मूवी कमरा निकाला और खड़े हो गये मेने उनसे मना किया मेरी प्रार्थना थी की में कव्वा कहलाता हूँ जब बोलूंगा कांव कांव बोलूंगा मेहरबानी करके किसी और से यह सवाल पूंछ लो लेकिन थोड़ी देर में हिन्दू,मुस्लिम,सिख भाई और बहने आ गये और वोह इस सवाल का जवाब मुझ से लेने को उत्सुक हो गये मेने उनसे कहा के हमारे देश में आपका दिल से स्वागत हे यहाँ आप की महमान नवाजी में कोई कसर नहीं रहेगी फिर सरदार भाई ने कहा के वकील साहब यहा प्लीज़ वकालत ना करो हमारी बात का सीधा सीधा जवाब दो तो ठीक रहेगा, बस फिर किया था मेरी भी जुबां सच की तरफ फ़ीस गयी मेने ख ही दिया के भाई आप जिस काम के इयें निकले हें वोह आपके देश पाक की नापाक हरकतों के चलते ना मुमकिन हे लेकिन खुदा से दुआ करेंगे के खुदा इसे मुमकिन बना दे बस फिर क्या था कारवा वाले भडक गये कहने लगे भाई हम दोस्ती का हाथ बढाने आये हें और आप हें के जहर फेला रहे हें , मेने फिर जवाब दिया केसी दोस्ती केसा हाथ जब जब भी आपके देश ने दोस्ती का हाथ बढाया हमारे डी देह में मुसीबत खड़ी हुई हे आपके देश ने हमेशा हमारे देश की पीठ पर छुरा घोंपा हे इस पर अमन कारवा खामोश हो गया और बस नाराजगी की नजर से मुझे देखने लगा में थोड़ी देर रुका उन्हें जय सियाराम,सत्सिरी अकाल , आदाब अर्ज़ किया और वापस अपने दफ्तर आ गया में सोचता रहा के मेने घर आये मेहमान को नाराज़ कर कहीं पाप तो नहीं कर दिया लेकिन मुझे अब तक इस बात पर अफ़सोस नहीं हुआ हे इसलियें समझता हूँ के मेने अपनी बात कहकर कोई पाप नहीं किया। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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