आपका-अख्तर खान

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13 अगस्त 2010

भारत एक हे


३१ राज्यों का
मेरा भारत देश ,
१६१८ भाषाओं ,६४०० जातियों वाला
मेरा अपना देश ,
६ धार्मिक विचारधाराओं वाला मेरा देश
२९ राष्ट्रीय पर्व हो जहां
वोह हे मेरा आज़ाद भारत देश
सभी गले मिलें एक दुसरे से
विश्व स्तर पर देश की गरिमा स्थापित करे
गली मोहल्लों में आतंकवाद,भ्रस्ताचार से लड़ें
यही दुआ हे मेरी खुदा से
क्योंकि यही हे मेरा
आज़ाद भारत देश......
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

आज़ादी मुबारक हो

आपके साल के पुरे बारह महीने
ख़ुशी से भरे रहें।
साल के बावन सप्ताह
आप के लियें प्यारे रहें।
साल के ३६५ दिन कामयाबी के रहें
८७६० घंटे आप स्वस्थ रहें।
५२५६०० मिनट आप गुड लक रहें ।
३१५३६००० सेकंड आप मजे में रहे ।
और आज़ादी का जश्न रोज़ हो आपके साथ
दुनिया की हर ख़ुशी हो आपके पास
यही हे खुदा से हमें आपके लियें आस .....
स्वत्रन्त्रता दिवस मुबारक हो
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

बताओ हरामी कोन

अभी कुछ दिन पहले
किस ब्लॉग पर हरामी शब्द पढ़ा था
फिर इस शब्द के इस्तेमाल के लियें
ब्लोगर भाई का माफ़ी नाम था
लेकिन हरामी शब्द और उसका इस्तेमाल
आज भी अपनी जगह स्थिर बना हे
हाल ही में आपने सूना हे
कोंग्रेस के बढ़े नेता नारायण दत्त तिवारी
को अपना नाजायज़ बाप बता कर एक लडके ने
इसकी घोषणा अदालत से करवाने का साहसिक कदम उठा कर एक मुकदमा किया हे
कल अदालत ने नारायण दत्त तिवारी की टालम टोल निति से नाराज़ होकर
उन पर ७५ हजार रूपये का जुर्माना ठोका हे
अगर यह सच हे के नारायण दत्त तिवारी
अर्जी लगाने वाले के बाप हे
तो फिर में नहीं समझ पाता हूँ के हरामी बेटा हे या बाप हे
एक मासूम बच्चा जिसे जन्म के पहले यह पता नहीं के उसे नाजायज़ तरीके से या फिर जायज़ तरीके से पैदा किया जा रहा हे इसके लियें वोह बच्चा दोषी हे या फिर वोह बाप जो अपने होशो हवास में अय्याशी के लियें सामाजिक मर्यादाये तोड़ कर हवस मिटाने के लियें नाजायज़ बाप बन रहा हे ऐसे में दोस्तों मुझे बताओ हरामी पैदा होने वाला मासूम निरपराधी बच्चा कहलायेगा या फिर वोह बाप जो सब कुछ जानकर बछा पैदा करता हे और उसे समाज के बीच ठोकरें खाने के लियें छोड़ देता हे तो बताओ दोस्तों हरामी कोन ?
............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

गडकरी ने मनमोहन को गांधी जी का बन्दर कहा

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी हमेशां अपनी जुबां फिसला कर असंसदीय गरिमा के विरुद्ध शब्दों का स्तेमाल करते रहे हें और इसीलियें अख़बार,मीडिया उनकी आलोचना करता रहा हे , कल फिर गडकरी ने अप्रत्यक्ष रूप से मनमोहन को आँखों का अंधा,कानों का बेहरा,मुंह वाला गुंगा कहा हे उनके कहने का अंदाज़ इस बार व्यंगात्मक था भाषा में अश्लीलता नहीं थी , गांधी जी के बन्दर की तुलना जो बन्दर तीन थे उन तीनों बंदरों से गडकरीं ने एक अकेले मनमोहन प्रधानमन्त्री जी की कर दी हे , गडकरी की हमेशा उनके कथनों पर आलोचना होती हे लेकिन गडकरी के इन कथनों पर जनता सोचने पर मजबूर हुई हे मनमोहन जी की कार्यशेली को देख कर जनता सोचती हे के गडकरी जी के कहने का अंदाज़ कुछ भी रहा हो लेकिन वोह बोले सही हें और सच कडवा तो होता ही हे , लेकिन फिर भी गडकरी जी इन कडवे सच्चे शब्दों को मिठास में लपेट कर भी कह सकते थे लेकिन वोह ऐसा क्यूँ करेंगे उनका ट्रेनिंग सेंटर ऐसा हे जहां इस तरह की तो शिक्षा मिलती ही नहीं। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

विस्फोटक के साथ ट्रक ढूंढे से भी नहीं मिल रहे

राजस्थान में धोलपुर की सरकारी विस्फोटक एजेंसी से मध्य प्रदेश के इलाके में विस्फोटक के ६१ ट्रक भर के भेजे गये थे लेकिन ताज्जुब हे के वोह ट्रक मुकाम पर नहीं पहुंचे उन ट्रकों में पुरे देश को तबाह करने का सामान रखा हे , ताज्जुब तो इस बात पर हे के इतने दिनों से गायब इन ट्रकों के मामले में केंद्र या राजस्थान सरकार ने कोई पुख्ता जांच शुरू नहीं की हे हालात यह हें के लोगों का कयास हे के यह ट्रक कहीं नक्सलियों ने देश की तबाही के लियें तो नहीं हथिया लिए हें , अब जब बात लीक हुई और मीडिया ने शोर शराबा किया तो केंद्र और राजस्थान सरकार के कान खड़े हुए हें ,सरकार खुद नहीं जानती के इन ट्रकों को ज़मीं खा गयी या आसमां निगल गया अब देखते हें के सरकार की केंद्र और राजस्थान की जांच एजेंसियां इस मामले में कितनी जल्दी देश द्रोहियों का पता लगाती हे और वोह देश द्रोही किस पार्टी से ताल्लुक रखत हें । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

यह क्या अजीब बात हे


लोग कहते हें
वोह मेरे जाने के बाद
रोते हें ,
कोई बताये मुझे
वोह पहले मुझ से
क्यूँ थे नाराज़
और आज यूँ इस तरह
क्यूँ मेहरबान होते हें
धक्के देकर घर से
निकाला था जिन्हें
आज उसके लियें ही क्यूँ वोह रोते हें ....
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

तेरी जुदाई ..


तेरी जुदाई
और जिंदगी दोनों साथ हों
तो जिंदगी
सजा हो गयी हो जेसे ,
दिल तडपता हे ऐसे
खुद का आशिया
अपने हाथों जला हो जेसा
तू दूर चाहे
जितनी रहे
धडकनें लेकिन
यह बता देत हें
के कब मेरा ज़िक्र
किया तुने
तेरी महफ़िल में
जिंदगी मुश्किल हे
तेरे बगेर
सोचता हूँ फिर क्यूँ जी रहा हूँ तेरे बगेर ।
... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

वोह पत्थर घर आने लगे हें


कल राह के
जिनके पत्थर
मेने हटाए थे ,
आज देखो
वही दोस्तों के
हटाए
पत्थर मेरे घर
फेंके जाने लगे हें ,
कहते हें
जिन्हें जानता नहीं में
उन्हें मोहब्बत हे मुझ से
बस इसीलियें
मेरे दोस्त मुझे
इस तरह से
सताने लगे हें ।
........ अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

तेरा मिलन


तेरा मिलन मुझसे
हो या ना हो
हम तेरा इन्तिज़ार
कर लेंगे
जिंदगी गुजर भी गयी
तेरे मिलन के इन्तिज़ार में
तो गम नहीं
गम रहेगा तो बस एक बात का
तेरे इन्तिज़ार के लियें
मिली जिंदगी बहुत कम
वरना हम
तुझ से मिलन को
और इन्तिज़ार करते
मगर यह कमबख्त जिंदगी
भी तो
तेरी तरह ही बेवफा निकली
जो मन्झ धार में साथ छोड़ गयी ।
.....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

ना हो उदास यारों


जिंदगी में
उदास होने वालों
हर लम्हे आंसू बहाने वालों
पोंछ लो आंसू
थोड़ा मुस्कुरा भी लो
यारों जिंदगी को
थोड़ा हंसकर भी गुजारो,
थोड़ा घर से
बाहर तो निकलो
देखो
कहां मातम नहीं हे
देख लो फिर भी दुनिया की
रोनक कम नहीं हे
मुझे देखो
कई ऐसे जख्म मिले हें
जिन का मरहम भी कहीं नहीं हे
आंसू पोंछो थोड़ा हंस लो यारों।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मेरे बच्चे ने किताब में पढ़ा था , शेर जंगल का राजा होता हे

मेरे बच्चे ने
स्कुल की किताब में
पढ़ा था ,
शेर जंगल का राजा होता हे
एक दिन उसने
जंगल में शेर देखने की जिद की
में चला और उसे वन अभ्यारण्य में ले गया
जंगल में जाने का किराया दिया
और जंगल के बीचो बीच
एक मरियल सा शेर दिखा
शेर देख बच्चे ने
पास से देखने की जिद कर डाली
शेर के पास जब हम गये तो शेर जी पर
मक्खी भिनक रही थी और वोह बार बार मक्खी से घबरा कर इधर उधर नाच रहे थे
शेर जी का यह हाल देख बच्चे ने कहा
पापा किताब में शेर को जंगल का राजा होना किया गलत लिखा हे
यह तो एक मक्खी से ही परेशान हें
में चुप रहा
वापसी में हमने सर्कस देखा
वापसी में हमने सर्कस देखा
सर्कस में एक हंटर बाज़ ओरत
शेर जी पर हुक्म चला रही थी
कभी आग से खिला रही थी तो कभी शेर जी को फ़ुटबाल खिला रही थी
फिर एक शेर चिड़िया घर में भी मेरे बच्चे ने देखा
सर्कस के शेर को देख कर
रोज़ टी वी देखने वाले मेरे बच्चे ने
मुझ से कहा पापा
यह जंगल का शेर हे
या फिर भारत के प्रधानमन्त्री
मनमोहन जी हें
मेने डरकर सहम कर इधर उधर देखा
और यह सच कोई सुन ना ले
इस डर से बच्चे को मुंह बंद कर घर ले आया ।
घर पर आया तो टी वी चल रहा था
प्रधानमन्त्री मनमोहन जी
और सोनिया जी की वार्ता चल रही थी
बच्चे ने फिर वही सवाल किया
आप ही बताओ में उसे किया जवाब दूँ
उसने किताब में जो पढ़ा वोह सच बताऊं
या जो उसने हकीकत में देखा
वोह उसे सच होना हूँ ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

बेचारा कबूतर


एक कबूतर
जो निकला था
किसी के प्यार
का संदेश लेकर ,
आसमान में ऊँची
बेफिक्री की उड़ान थी उसकी ,
खूब ऊँचाई से जब वोह
जिंदगी की रंगिनिया देखता था
तब ही
एक बाज़ उस कबूतर पर झपटा
और बस
फिर कबूतर थोड़ा तडपा
और फिर हमेशां के लियें
खामोश हो गया
में सोचता रहा
कुदरत तेरा यह किया खेल हे
जो बुलंदियों पर हे
जिससे कभी किसी को नुकसान नहीं
आखिर उसे भी
केसे बेरहमी से खत्म किये जाने का
तेरा निजाम हे
और बस फिर तब से आज तक में
ऊँची उड़ान से डरता हूँ
हर वक्त हर लम्हा
किसी बाज़ के
झपटने की आहट से
सहम कर सिहर जाता हूँ
कहने को तो जी रहा हूँ
लेकिन हर पल
हर लम्हा मोत की आहट से
डर रहा हूँ ..........
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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