आपका-अख्तर खान

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17 अगस्त 2010

स्वाइन फ्लू का जिन्न कोटा में पसरा

स्वाइन फ्लू का जिन्न कोटा में पसर गया हे यहाँ लगातार जांचों कें स्वाइन फ्लू पोजेटिव की पुष्टि हो रही हे कई मरीज़ इस बिमारी से पीड़ित हें , इसी मामले में राजस्थान सरकार ने स्कूलों में प्रार्थना पर रोक लगा दी हे लेकिन प्रार्थना पर रोक के आदेशों की सख्ती से पालना जिला कलेक्टरों द्वारा नहीं करवाई गयी हे कोटा में कई निजी व् सरकारी स्कूलों में आज भी प्रर्थाएं और भीड़ एकत्रित करने का काम हो रहा हे बी इसीलियें सरकार इस नियन्त्रण कार्य में ना काम हे , चिकित्सा और प्रशासनिक स्तर पर हात ठीक नहीं हें डिस्पेंसरियों और अस्पतालों के हालत ठीक नहीं हें चिकित्सालयों में लापरवाही से रोज़ मोतें हो रही हें ऐसे में स्वाइन फ्ल्यू पर नियन्त्रण प्रशासन के बस की बात नजर नहीं आ रही हे बच्चों और बुजुर्गों को भगवान भरोसे छोडा गया हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

राजस्थान में बुजुर्गों के लियें मिड डे मील

राजस्थान सरकार स्कूली बच्चों की तर्ज़ पर अब बी पी एल धारक गरीब निराश्रित ६५ वर्ष से अधिक बुजुर्गों को मिडडे मील खाना देने की योजना बना रही हे , सरकार ने इस सम्बन्ध में अपने सभी कलेक्टरों से सर्वे कराने के लियें कहा हे और इस सर्वे में कलेक्टरों ने काफी कुछ काम कर भी लिया हे , सरकार की योजना हे के जो बुज़ुर्ग निराश्रित ,उपेक्षित या गरीब हें उन्हें स्कूली बच्चों के साथ ही प्रति दिन मी इ मील खिलाया जाये , कहने को तो यह योजना बहुत ठीक हे लेकिन छुट्टियों के अवसर और रविवार के दिन स्कुल बन होने पर इन बुजुर्गों के लियें खाने की क्या वैकल्पिक व्यवस्था रहेगी इस बारे में सरकार ने कोई विचार नहीं किया हे ना ही कलेक्टर्स ने अपने सर्वे में इस तरह का कोई सुझाव दिया हे। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

राजस्थान निकाय चुनाव में जोशी और वसुंधरा का समझोता

राजस्थान में दुसरे चरण के शहरी निकायों यानी नगर पालिकाओं के चुनाव आज हो रहे हें लेकिन इन चुनाव में पिछले चुनाव से बदले हुए हालात नजर आ रहे हें , पिछले चुनाव में कोंगरे न भाजपा को जबर्दस्त शिकस्त दी थी क्यूंकि पूर्व मुख्य मंत्री वसुंधरा सिंधिया इन चुनाव से बाहर थीं अब इस इस दोर के चुनाव में वसुंधरा अपने दल बल को साथ चुनाव मैदान में हें । सुनते हें के राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को नीचा दिखाने के लियें केन्द्रीय मंत्री और अशोक गहलोत के आस्तीन के सांप माने जाने वाले सी पी जोशी ने वसुंधरा से हाथ मिला लिया हे और सभी जगहों पर अपने अपने प्रत्याक्षी निर्दलीय बागी के रूप में खड़े कर दिए हें ताकि वसुंधरा के नेत्रत्व में भाजपा जीते कोंग्रेस हारे एक तो कोंग्रेस की हार से गहलोत की फजीहत होगी और भाजपा की जीत से वसुंधरा की बल्ले बल्ले होना हे लेकिन इस गठ्बन्धन को भांप कर गहलोत ने भी अपनी ताकत झोंक दी और अब उन्होंने भी घनश्याम तिवाड़ी वसुंधरा विरोधी की मदद ली हे देखते हें इन चुनाव में गहलोत तिवाड़ी गठ्बन्धन जीतता हे या फिर वसुंधरा जोशी गठ बंधन अपनी जीत के झंडे गाड़ता हे ... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

गुलज़ार ने फिल्म गुलशन को किया गुलज़ार

मशहूर फिल्मकार,गीतकार,लेखक,निदेशक,गुलज़ार ने फिल्म उद्योग यानी फिल्म गुलशन को गुलज़ार कर दिया हे , आज गुलज़ार का जन्म दिन हे इस अवसर पर उन्हें उनके परिजनों और प्रशंसकों को बधाई , वेसे तो गुलज़ार के बारे में कुछ भी कहना सूरज को दिया दिखने के बराबर हे , लेकिन में बता दूँ के गुलज़ार ई वर्षों पूर्व जब कोटा आये थे तो फिल्म माचिस की शूटिंग के दोरान उनकी कार्यशेली को एक पत्रकार के रूप में देखने को मिला था , सभी छोटे बढ़े कलाकोरों का उत्साहवर्द्धन कर अपने साथ लेकर चलना ,उन्हें हिम्मत दिला कर अपनी मर्जी का काम उनसे लेना, टीम में निर्देशन , गीत ,गजल,संगीत और शूटिंग के वक्त मंजर कशी का ध्यान रखना , सभी कलाकारों को परिवार की तरह रख कर उनके खाने पीने और जरूरत का ध्यान रखना उनकी आदत में शुमार था।
कोटा में माचिस फिल्म की शूटिंग जेल से शुरू होकर वर्धा बाँध के पास के गावों में होना थी इसके लियें उन्होंने इलाके के किसानों और प्रशासन को भरोसे में लिया कोटा बूंदी रोड के गुरद्वारे की शूटिंग करने के पहले सिख भाइयों से सलाह ली और यही वजह रही की बिना किसी रोकटोक हील हुज्जत के फिल्म की शूटिंग हुई और फिर फिल्म सुपर हिट भी हुई तो जनाब गुलज़ार के जन्म दिन पर गुलज़ार की जिंदगी का एक लम्हा एक शख्सियत का रूप जो मेने देखा हे मने आप लोगों तक पहुंचाया हे , एक बार फिर गुलज़ार को जन्म दिन पर हार्दिक बधाई। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

क्या यही हे स्वतन्त्रता


इधर थूका
उधर थूका
क्या यही हे स्वतन्त्रता
इसको मारा
उसको लुटा
क्या यही हे स्तंत्रता ।
दफ्तरों में
पूरा वेतन लिया
काम धेला भर भी नहीं किया
क्या यही हे स्वतन्त्रता
जिधर देखी
सरकारी जमीन
उधर किया अतिक्रमण
क्या यही हे स्वतन्त्रता ।
इसका हक छीना
उसका हक छीना
क्या यही हे स्वतन्त्रता
यह कानून तोड़ा
वोह कानून तोडा
क्या यही हे स्वतन्त्रता
अगर नहीं
तो फिर इसे क्यूँ नहीं समझते
तोहफा अनमोल
कितने खुश किस्मत हो तुम
के तुम्हारे पास हे स्वतन्त्रता ...........
मोल तुम इक जान लो
कहना तुम मान लो
बचा लो इसे जो मिली हे तुम्हे
विरासत में
वरना जानलो
छिन जायेगी तुम्हारी फिर यह स्वतन्त्रता ।
...............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

अंधेरों में

तुम अंधेरों में
कहां ढूंड रहे हो सूरज को
अन्धेरा तो बहुत कमजोर हे
एक जुगनू की चमक से हार जाता हे ,
..... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

यादों को तेरी मिटने नहीं देंगे

वोह भी क्या वक्त था
जब मिले अजनबी बनके
जिंदगी के सफर में ,
यादों के उन लम्हों को
हम हरगिज़ मिटने ना देंगे
याद रखना अगर फितरत हे तुम्हारी
तो वादा हे तुमसे
हम भी तुमसे खुद को
कभी भूलने ना देंगे ,
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

सोनिया जी को १७ को फिर कोंग्रेस का ताज मिलेगा

हमारे देश की संवेधानिक व्यवस्था के तहत देश में सरकार के निर्वाचन के लियें निर्वाचन विभाग का अलग से गठन किया गया हे जिसका काम देश में लोकतांत्रिक तरीके से गठित राजनितिक पार्टियों के आचरण को विहिक प्रावधानों के तहत होना पाकर ही चुनाव में इजाजत देने का नियम हे निर्वाचन विभाग ही ऐसी राजनितिक पार्टियों को पार्टियों का आतंरिक लोकतंत्र जीवित होने पर ही मान्यता देता हे अन्यथा मान्यता रद्द करने का प्रावधान हे ।
कहने को तो कानून बना हे लेकिन दोस्तों आप सभी जानते हें चाहे भाजपा हो चाहे कोंग्रेस चाहे बसपा हो चाहे कम्युनिस्ट या फिर जनता दल ऐ बी सी डी वगेरा हो सभी के आंतरिक लोकतंत्र यानी पार्टी की चुनाव प्रक्रिया पर पार्टी का बना संविधान हे जिसके तहत ब्लोक,जिला,प्रदेश और फिर राष्ट्रीय स्तर की कार्यकारिणी बनाने का प्रावधान हे और इसके लियें निर्वाचन अधिकारी नियुक्त कर सदस्यों से आवेदन मांग कर गुप्त मतदान से चुना कराने का प्रावधान हे लेकिन सभी राजनितिक दलों में केवल कागज़ी लोकतंत्र हे और हालत यह हे के सभी पार्टियां अपना अध्यक्ष निर्वाचन कानून पार्टी का संविधानो और लोकतंत्र ताक में रख कर राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा करती हें चाहे भाजपा के गडकरी जी हों,चाहे जनता दल के लालू या फिर ममता.मायावती हो या फिर कोंग्रेस की सोनिया हों सभी गेर कानूनी तरीके से जनता और देश के संविधान की आँखों में धुल झोंक कर अध्यक्ष बने हें यानी किसी भी पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र नहीं कुछ लोगों का कोक्स हे जिसका कब्जा हे और वही कुलियों में गुड फोड़ कर मनचाहे लोगों को पदों पर बिठा देते हें राजनितिक दल तो अपना वर्चस्व स्थापित करने के लियें चाहे जो करें लेकिन लोक प्रतिनिधित्व कानून के प्रावधानों के तहत इस का परिक्षण करने की ज़िम्मेदारी चुनाव आयोग की हे और चनाव आयोग तो सरकार की नोकरी में होने जेसा काम कर रहा हे क्यूंकि अब चुनाव आयोग तो हे लेकिन चुनाव आयोग के अध्यक्ष टी ऍन शेषन नहीं हें , दोस्तों पार्टियों में तानाशाही हे इसीलियें देश के लोकतंत्र में भी तानाशाही और अफसर शाही हावी हो गयी हे जो घुन की तरह से इ दश को खोखला कर रहे हें खुदा मेरे इस देश को ऐसे दोहरे किरदार वालों से बचा ले जो दिखावटी तोर पर तो कानून के रक्षक बनने की बात करते हें लेकिन यही लग इस देश के हर कानून का मजाक उड़ाते हें । अगर आज चुनाव आयोग अपना काम करे तो कोंग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी,भाजपा के अध्यक्ष गडकरी,सपा के मुलायम,जद के लालू,बसपा की मायावती अध्यक्ष नहीं होते और देश की तस्वीर ही कुछ और होती लेकिन निर्वाचन आयोग की ढिलाई के चलते देश में लोकतंत्र की हत्या हो रही हे वरना निर्वाचन नियमों के चलते इन हालातों में सभी पार्टियों की राजनितिक मान्यता समाप्त होने का नियम हे जो नहीं किया जा रहा हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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