आपका-अख्तर खान

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20 अगस्त 2010

तेरी समन्दर आँखों में

यह धुप ढलने के बाद
शाम ढलते
दोनों वक्त
सूरज डूब रहा हे ,
सच लगता हे
के सूरज
जिसमे
ताकत हे
दुनिया को
झुलसाने की
वोह भी आज
बादलों का
मोहताज हे
डूबता सूरज को देख
मुझे ऐसा लगता हे
जेसे
समुन्द्र सी तेरी आँखों में
इस शाम का
सूरज डूबेगा।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

राजस्थान में कर्मचारियों पर टाइम की पाबंदी

राजस्थान सरकार ने लेट लतीफ दफ्तरों में आने वाले सरकारी कर्मचारियों को रंगे हाथों पकड़ कर अब सुधारने का नया फार्मूला निकाला हे , राजस्थान सरकार ने घोषणा की हे के सभी जिलों के कलेक्टर अपने अपने इलाके में अचानक अलग अलग सरकारी दफ्तरों का निरिक्षण करेंगे और लेट लतीफ कर्मचारियों के पकड़े जाने पर उन्हें जिले से बाहर ट्रांसफर करने का प्रस्ताव सरकार को बना कर देंगे ऐसे कर्मचारियों को फिर सरकार जिल से बाहर का रास्ता दिखायेगी । इस मामले में कोटा में तो रोज़ किसी ना किसी दफ्तर की जांच होती हे और अब तक सेकड़ों कर्मचारी लेट लतीफ पकड़े जा चुके हें लेकिन जिला बद्र का फार्मूला नहीं होने से अभी तक उनके खिलाफ कोई ठोस कार्यवाही नहीं हो पा रही थी अब देखते हें के इस फार्मूले से कर्मचारियों में सुधार आता हे या फिर वोह पकड़े जाने पर जब कार्यवाही होगी तब वही चोरी और सीना जोरी की तर्ज़ पर हर जोर ज़ुल्म की टक्कर में हडताल हमारा नारा हे देकर कमजोर सरकार को डराया जाता हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

तुम्हारी याद

जिंदगी के
आखरी
मोड़ पर
लगा रहा था
में जिंदगी के लम्हों का
हिसाब
हर पन्ने पर
लिखे थे
किस्से गम के
तुम्हारे
इसलियें
आखरी लम्हे में
बस तुम ही
बहुत याद आये।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

जिंदगी .....

जिंदगी के
इस
तूफ़ान को
हम
हाथों में
लिए चले
जरा करवट
जो बदली
म़ोत आ गयी।
अब समझा
में
यह फलसफा
जिंदगी जीता
म़ोत से भी
ज्यादा मुश्किल हे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

इतिजार और मिलन

बहुत खुश था में
हर पल
हर क्षण
तेरे
इन्तिज़ार में
वोह लज्जत
खत्म हुई
इन्तिज़ार की
आज
तुझ से
मिलने के बाद।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

आंसू निकल पड़े

बहुत सोचा था
राज़
जरा भी
अयाँ ना होने दूंगा
तेरी
बेवफाई का
में क्या करता
तुम
आये सामने
तो बस
आंसू मेरे
निकल पड़े।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

नफरत के काबिल बना दिया

तुझ से
तेरे प्यार की
चाहत क्या कर ली हमने ,
कुछ ऐसा
किया
जहां में
नफरत के काबिल
बना दिया
तुमने।
..अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कब तक इन्तिज़ार करते

कब तक
इन्तिज़ार करते
हम तेरा
ना तू आई
ना तेरी खबर आई
इधर
इन्तिज़ार में तेरे
देख
म़ोत आ गयी।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

जलती क्यूँ हे शमा

शमा तू
जलती क्यूँ हे
बस इतना राज़
तो बता,
तुने अन गिनत
परवाने क्यूँ जलाए
इस मामले में
कोण हे तेरा
हमराज़ यह तो बता,
यह तेरा
गुरुर नहीं
तो क्या हे
हंसता खेलता इठलाता
जिंदगी की कशिश में
जब भी आता हे
परवाना तेरे पास
तू उसे
सिर्फ और सिर्फ
देती हे म़ोत की सजा ,
तू जल कर भी
न बता सकी
इस राज़ को
इसके पीछे क्या राज़ हे
यह तो बता .................................
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

महंगाई बढाने के विशेषग्य सुप्रीम कोर्ट का आदेश नहीं मानते

दोस्तों आप तो सब जानते हें के केन्द्रीय क्रषि मंत्री और रा का पा सुप्रीमो जनाब शरद पंवार जिन्होंने पहले सोनिया को विदेशी चिड़िया कहकर कोंग्रेस से बगावत की थी आज वोह कमो बेश सत्ता के लालच में सोनिया के रहमो करम पर ही सरकार में बेठे हें , आप यह भी जानते हें के जनाब पंवार साहब जो दीखते हें वोह हें नहीं और जो कहते हें वोह करते नहीं इन जनाब को विश्व स्तर पर अब तुरंत महंगाई बढाने का विशेषग्य माना जाने लगा हे । देश में महंगाई की जो चरम सीमा हे पहले शक्कर खोरों से सांठ गाँठ कर इन जनाब ने शक्कर में वारे न्यार किये और जनता का खूब खून चुसवाया इधर गेंहू के भाव साते आस्मां पर चड़ा दिए , बात साफ़ हे के १६ रूपये किलो का गेहूं इन जनाब खरीदा और व्यापारियों को मालामाल कर दिया फिर जब भोतिक सत्यापन का नम्बर आया या फिर गोदामों में गेहूं को बाहर निकालने पर गेहूं का बाज़ार मूल्य गिरने लगा तो इन जनाब के सरकारी गोदामों में कमसे कम दस अर्ब रूपये का गेहूं सडा दिया गया राष्ट्र की सम्पत्ति का यह नुकसान किसने किया खुद पंवार ने इसके पीछे निश्चित तोर पर पंवार की व्यापाइयों से सांठ गाँठ होगी क्यूंकि यह गेंहू अगर सडाया नहीं जाता तो देश में इस फसल पर गेहूं का बाज़ार मूल्य अधिकतम दस रूपये किलो तक ही होता लेकिन अब गेहूं को सरकारी गोदामों में सड़ा देने से निजी व्व्यापारियों की बल्ले बल्ले हे और अब गेहूं यह लोग पंवार की मेहरबानी से १५ से २५ रूपये किलो बेचने का सपना सजो रहे हें , खेर कोई बात नहीं सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गोदामों में सड रहे गेहूं को गरीबों में बांटने की सलाह दी तो जनाब सकपका गये क्यूंकि ऐसा होने पर भी गेंहू बाज़ार में आता और फिर बाज़ार में गेंहू का क्रत्रिम अभाव बता कर मूल्यवर्द्धि जो की जाना हे वोह प्लान चोपट हो जाता इसलिए पंवार साहब सुप्रीम कोर्ट के आदेश को माने से इंकार कर रहे हें ताकि उनके व्यापारी गेहूं के भाव गिरने पर उहे सताए नहीं हेना मजेदार बात महंगाई बढाने के किसिम किसिम के तरीके जनाब पंवार साहब के हें महंगाई बढाने के मामले में पंवार और मनमोहन सिंह को अगर नोबल पुरस्कार दिया जाए तो आप भाइयों की क्या राय हे जरा बताओ तो सही यारों । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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