आपका-अख्तर खान

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23 अगस्त 2010

तडपती जिंदगी


जिंदगी मेरी
याद में उनकी
सिसकती रही
जिंदगी मेरी
याद में उनकी
तडपती रही
इसे देख कर
जब वोह
मुस्कुराते रहे
तो बस
मेने भी
बुलाया कातिल को
और बड़े गुरुर से
यह कहा
के जिंदगी आ
इन्तिज़ार से
बेहतर तो यह हे
के में तुझे
कातिल के हवाले
कर दूँ
बस इतना कहने से
हंसी उनकी ख़ुशी उनकी
चेहरे से
काफूर हो गयी। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मेने सोचा था


मेने सोचा था
वोह आये तो
मेरा दर्द बताउंगा
मेने सोचा था
वोह आये तो
जो गुजरी हे मुझ पे
वोह सब उन्हें सुनाऊंगा
मेने सोचा था
वोह आये अगर
तो मचलकर
सीने से उन के
लिपट जाऊँगा
लेकिन उफ़ यह देखो '
वोह नहीं आये
और म़ोत आगयी
उनके इन्तिज़ार में ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

एक नदी की समुन्द्र को ललकार

तेज़ ज्वार भाटे में लहरों के उमड़ते
समुन्द्र से
नदी ने रुकने को कहा
अपनी ताकत के नशे में चूर
समुन्द्र नहीं रुका
और सुनामी का श्मशान बना दिया
तबाही की इस कहानी को देख
नदी ने दूसरी नदियों से कहा
के समुन्द्र की ताकत हम हे
इसे हम कमजोर कर दें
बस फिर किया था
नदियों ने अपनी धाराए बदल दी
जिन छोटी नदियों की ताकत से
समुन्द्र में पानी भरने से
समुन्द्र समुन्द्र कहलाता था और पानी भर जाने के बाद
सुनामी जेसे आतंक और ज्वार भाटे जेसे तूफानों से
जनता को डराता था
नदियों के इस बदलाव से समुन्द्र समुन्द्र नहीं रहा
और बस मुर्दा ठहरे पानी की तरह खामोश एक गड्डे की तरह पानी हिलोरे लेता रहा
और समुन्द्र जो कभी समुन्द्र था नदियों के इस अश्योंग से समुन्द्र न रहा ।
नदियों के बदलाव से समुन्द्र को रुआंसा देख
एक नदी ने दूसरी नदी से कहा
काश भारतीय भी हमसे सीख लें
हमने जसे समुन्द्र को सबक सिखाया हे ऐसे ही भारतीय भी अकडू सरकार को अकडू नेताओं से मदद का हाथ खेंच कर उन्हें सबक सिखाएं और जिस तरह नदियों ने समुन्द्र की मदद से हाथ खींच कर उसके समुन्द्र होने का अस्तित्व खत्म कर दिया हे इसी तरह से जनता राज्यों और केंद्र में जन विरोधी कार गुजारियों का सेलाब , सुनामी लाने वाली इस सरकार को अपना समर्थन खेंच कर सरकार को धुल चटाए क्या हम और हमारी जनता इस लोकतंत्र में समुन्द्र के समुन्द्र होने का अस्तित्व छीनने वाली नदियों की एकता से सबक लेंगे या फिर यूँ ही हिन्दू मुस्लिम,हिंदी भाषी, उर्दू भाषी मराठी,कन्नड़ में बंट कर बेईमानों की जय बोल कर उन्हें मजबूत करते रहेंगे। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

जयपुर की सडके म़ोत बाँट रही हें

राजस्थान की गुलाबी नगरी और राजधानी जयपुर में इन दिनों प्रशासनिक कुप्रबंध के चलते थोड़ी सी बारिश ने सडक निर्माण व्यवस्था और नालों की सफाई की पोल खोल कर रख दी हे। राजस्थान की राजधानी का यह हाल देख कर बाहर से आने वाले पर्यटक दाँतों तले ऊँगली दबा रहे हें हालत यह हे के प्रदेश से आने जाने वाले लोगों के सामने भी राजधानी की छवि को धक्का लगा हे । पिछले दिनों जयपुर में आई वर्षा से जयपुर की सडकों में कई फुट गहरे खड्डे हो जाने और नालों की सफाई नहीं होने से सडकों पर काफी पानी भर जाने से अनेक दुर्घटनाएं हुई हे , आज चाकसू के एक नोजवान की मोटर साईकल गद्दे में गिर जाने से उसकी मान की अकाल म़ोत हो गयी , नोजवान ने इस मामले में जयपुर विकास प्राधिकरण के अधिकारियों के खिलाफ मानसरोवर जयपुर थाने में मुकदमा दर्ज कराया हे , यह सही हे के जिस शहर में मुख्यमंत्री,मंत्री,मुख्य सचिव ,हाईकोर्ट को जज और प्रदेश के सभी बड़े शीर्ष लोग रहते हों वहां नालों की सफाई में लापरवाही, सडकों की मरम्मत में भ्रष्टाचार ऐसा लगता हे जेसे यह सब इन शीर्ष लोगों की मिली भगत से हो रहा हे और आज की घटना और मुकदमा इसी लापरवाही का नतीजा हे लेकिन लगता हे सरकार को जनता के दुःख दर्द और समस्या निवारण से कुछ लना देना नहीं हे इसी लियें राजधानी का हाल बेहाल हे जब राजधानी का ऐसा हाल हे तो फिर अंदाजा लगाओ बाक़ी छोटे जिलों में प्रशासन का क्या हाल होगा ऐसा लगता हे मानों जनता को जीते जी नर्क में झोंक दिया हो । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

राजीव द्वारा दिए गये सरपंचों के अधिकार कोंग्रेस ने छीने

स्वर्गीय राजीव गांधी ने उनके प्रधानमन्त्री काल में ग्राम पंचायतों को मजबूत करने के लियें पंचायत संशोधन किया और इस संशोधन में ग्राम पंचायतों की कमान अफसरशाहों के हाथों से निकाल कर निराचित पंच सरपंचों को दिया था , भाजपा शासन ने ही राजीव जी के इस फेसले को बदला नहीं और इसे पंचायतों पर पूरी तरह से लागू कर सरपंचों को मजबूत बनाये रखा , लेकिन पंचायत मंत्री सी पी जोशी जो खुद को राहुल भक्त खत हें उन्होंने राहुल गांधी के स्वर्गीय पिता के सपनों को चकनाचूर कर दिया हे राजस्थान में अशोक गहलोत और सी पी जोशी ने मिलकर पचायत में सरपंचों द्वारा भ्रष्टाचार का हव्वा बता कर दोषी सरपंचों को सजा देने के बदले सभी सरपंचों के अधिकारों में कटोती कर दे हे राजीव के अनुयायियों की इस सरकार में ऐसा फेसला नोक्र्शाहों को मजबूत करने वाला और राजीव जी के अपमान करने वाला हे क्योंकि राजीव गाँधी का एक ही सपना था के गावों में निचली सरकार मजबूत बने और ग्रास रूट पर ही ग्रामीणों के काम होने लगें लेकिन ताज्जुब इस बात पर हे के आज देश में जब नरेगा और महा नरेगा में अफसरशाही का भ्रस्ताचार हे कानून में निगरानी समितिया बनाने का प्रावधान होने पर भी आज तक समितिया गठित नहीं की गयी हे और गावों में नरेगा में महा भ्रष्टाचार की शिकायतें आम हो गयी हे सरकार ने इस भ्रष्टाचार को रोकने के लियें तो कोई कारगर कदम नहीं उठाए हें उलटे पंचायतों के सरपंचों के अधिकारों में कटोती कर दी हे , राजस्थान के सरपच इससे नाराज़ हे और और वोह इस मामले में राजस्थान विधानसभा पर प्रदर्शन करने की भी तय्यारी में हे । आखिर कोंग्रेस सरकार राजीव जी के इरादों का उल्न्न्घन कर निर्वाचित सरपंचों के अधिकारों को अलोकतांत्रिक तरीके से कटोती क्यूँ कर रही हे यह एक राज़ की बात हे इससे भी बढा राज़ तो यह हे के यह सब सच कोंग्रेस के युवराज राहुल गाँधी से क्यूँ छुपा रखा हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

यह हिचकियाँ

उन्हें देखो
हिचकी आते ही
वोह पानी ले आये हें
उन्हें क्या पता
मुझे कोन याद कर रहा हे ,
वोह मेरी
हर हिचकी को समझते हें बीमारी
उन्हें क्या बताऊं
पास बेठ कर भी
वोह मुझे इसी तरह
या करते हें
उनकी यही तो अदाए हें
जो हमें हिचकियों से
बेहाल करती हें। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

चांद की चमक

हे चाँद
कहां हे
तेरी चमक,
चमक नहीं
फिर तू क्यूँ
इतराता हे ,
सोचता हु
बुझा दूँ
इस चांदनी में
उसे ढूंढने की आस
क्यूँ की
तू तो धुंधला हे
उसकी चमक
तेरी चांदनी को
फीका कर देगी
और तब होंगी
उसके चेहरे की चमक से
मेरी आँखें चकाचोंध
बस इसी डर से
सोचता हूँ
तेरी चांदनी में
उसे ढूंढने की
जिद खत्म कर दूँ ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

बहन के लियें भाई के प्यार का रक्षा बंधन

बहन के लियें भाई के प्यार का यह त्यौहार रक्षाबन्धन कहने को तो कच्चे धागे बाँधने का त्यौहार हे लेकिन इसके पीछे बहन भाई का अटूट प्यार रक्षा के बंधन में बंध जाने का अटूट विश्वास शामिल हे और इसी प्यार के खातिर कोसों दूर बेठी बहने अपने भाई की कलाही पर प्यार और रक्षा की यह हथकड़ी बांधने को आतुर रहती हें , इस त्यौहार में हमारे देश में रक्षा का जो फार्मूला रक्षा का जो गणित हे वोह चाहे कोई समझे ना समझे लेकिन इस देश के नोजवानों को समझना होगा आज देश में हमारी बहन बेतिया सुरक्षित होंगी वोह निर्भीक और विशवास के साथ पढ़ लिख सकेंगी तो हमारा देश अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आत्मनिर्भर हो सकेगा । दोस्तों अब हम देश को सुरक्षा की बात करें तो हमें भी देश में प्रत्येक नागरिक को रक्षा के बंधन सूत्र में बंधना हे हमें शपथ लेना होगी के हम हमारे देश में भ्रष्टाचार, गरीबी, भुखमरी, आतंकवाद, भाई भतीजावाद , निरक्षरता ,बेरोज़गारी,काहिली,मिलावटखोरी जमा खोरी से इस देश की रक्षा करें हम खुद को एक ऐसी रक्षा की शपथ में बांधे के खुद के घर , खुद से , परिवार से समाज से , जाती से और पडोस से इस मुहीम को शुरू करें इस मामले में देश के सफेद पोश गद्दारों से देश को सुरक्षित रखने का यही बस एक तरीका हे वरना यह गद्दार काले धंधों से रूपये कमा कर अखबार निकलते हें , टी वी चेनल चलाते हें और नोजवानों को जाती,धर्म,भाषा,क्षेत्रीयता के मुद्दों को भडका कर देश को तोड़ने की साज़िश रचते हें और समाज में डर का वातावरण पैदा कर खुद को भाई साहब , नेता जी कहलवाकर देश को बर्बाद और गुमराह करते हें तो दोस्तों चलो आओ देश के इस रक्षा बंधन के अवसर पर हम शपथ लें जय रक्षाबन्धन और देह की राष्ट्रीय एकता ,अस्मिता,आंतरिक और बाह्य सुरक्षा के साथ साथ स्वास्थ्य रक्षा,आर्थिक अव्यवस्था से रक्षा मामल में कालाबाजारियों से देश को आज़ाद करा के इसकी सुरक्षा की शपथ लें। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

भाई सुनील दत्त जी हम को माफ़ी दे दो

भाई सुनील दत्त जी आदाब में दो दिन से ब्लोगर्स की दुनिया में अनुपस्थित था आज आया तो मेरे ब्लॉग पर आपकी गुस्से वाली टिप्पणी पढ़ कर हेरान रह गया भाई हम और आप ठहरे हिन्दुस्तानी हम ओपर आप तहरे मानवता वादी हमारा और आपका सिद्धांत जियो और जीने दो का हे हम किसी धर्म के पचड़े में नहीं पढ़ते क्यूंकि बहुत बहुत धर्म की बात करने वालों को नजदीक से देख कर जो चेहरे सामने आये हें उससे खुद से डॉ लगने लगा हे इस लियें राष्ट्र सेवा और राष्ट्रीयता मानवता ही अपना धर्म हे पढ़े सभी धर्म हे आदर सभी धर्मों का हे सम्मान सभी जातियों का हे लेकिन करना अपनी मर्जी का हे राष्ट्र के मामले में जो भी गद्दार सामने आये उसे थोक दो वाला सिद्धांत रहा हे क्योंकि गद्दार अपना प्राय नहीं होता अपराधी अपना पराया नहीं होता वोह तो बस अपराधी और गद्दार होता हे , खेर कोई बात नहीं लेकिन भाई मुझे पहले तो बिना शर्त माफ़ी दो फिर , एक वचन दो के भविष्य में आप हमसे इस तरह नाराज़ नहीं होंगे और अब मेहरबानी करके मुझे कम से कम यह जान्ने का तो हक हे के मेरी गुस्ताखी किया हे मुझ से गलती किया हुई हे जो आप मुझ से नाराज़ हें और जनाब सुनील दत्त जी में आप से यह इसलियें पूंछ रहा हूँ के भविष्य में मुझ से ऐसी कोई गुस्ताखी ना हो जो आपकी नाराजगी का सबब बने , में आपके साथ दुसरे सभी ब्लोगर्स को निवेदन करूंगा के मुझ से कोई गुस्ताखियाँ होती हों तो प्लीज़ मुझे सावचेत जरुर करा करें ताकि भविष्य में में उसमे सुधार कर लूँ और मेरी वजह से किसी को अनावश्यक तकलीफ ना हो इसका ध्यान रखूं तो गुस्से वाले मेरे भाई सुनील दत्त जी एक बार फिर कान पकड़ कर माफ़ी माफ़ी ही क्या में तो कान पकड़ कर उठक बैठक लगाता हूँ ।, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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