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31 अगस्त 2010

खाध्य पदार्थों की कीमतें बढाने वाले पंवार की बोलती बंद

देश में व्यापारियों के हित में और खाध्य पदार्थों का क्रत्रिम अभाव पैदा कर योजनाबद्ध तरीके से खाध्य पदार्थों अनाज,दाल,शक्कर,वगेरा के भाव आसमां की चरम सीमा पर पहुँचा कर मजे करने वाले केन्द्रीय मंत्री शरद पंवार की बोलती सुप्रीम कोर्ट ने बंद कर दी हे । सुप्रीम कोर्ट ने पिछले इनों पंवर को उल्प्टांग बयाँ बाज़ी से बाज़ आने और गोदामों में भरे अनाज को ग़रीबों में मुफ्त बांटने को खा था , इस पर शरद पंवार ने बढ़ी बेशर्मी से कहा था के हम ऐसा पहले से ही कर रहे हें और सुप्रीम कोर्ट की सलाह हम नहीं मानेंगे , शरद पंवार का यह बयान सार्वजनिक रूप से प्रकाशित और प्रसारित भी हुआ था बस सुप्रीम कोर्ट इसी से पंवार से खफा हो गयी और उसने एडिशनल सोलिसिटर को बुलाकर पंवार तक संदेश पहुंचवाया के इस तरह की बयानबाजी ना करें गरीबों को अनाज मुफ्त देने और गोदामों में अनाज को सड़ने से बचन के मामले में जो दिशा निर्देश दिए गये हें उन्हें सुप्रीम कोर्ट के निर्देश नहीं आदेश माने और इसकी पालना करें कल जब यह मामला लोकसभा में उठाया गया तो पंवार की बोलती बंद हो गयी और उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पढ़ कर ही कोई बयान देने के बात कहकर अपना पीछा छुडाया लेकिन यह सच हे के सुप्रीम कोर्ट ने पंवार की इस बेशर्मी को गम्भीरता से लेकर जो लताड़ पिलाई हे उससे पंवर की बोलती बंद हो गयी हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कोटा में धरा १४४ लागू

कोटा में त्योहारों की भीड़ और आयोजनों के चलते अहतियात के तोर पर प्रशासन ने यहाँ धरा १४४ लागू कर दी हे अब यहा बिना प्रशासन की इजाजत के जुलुस निकलना या अख्त्ते होना मना हे , कोटा में राष्ट्रिय स्तर पर मनाया जाने वाला हिन्दू उत्सव अनंत चतुर्दशी २२ मई को मनाया जाना हे यहाँ इसकी त्य्यारिया भी जोरो पर हे , अनंत क ह्तुर्द्शी के जुलुस के अवसर पर कोटा में प्रशासन किसी भी अप्रिय घटना के तनाव से ग्रस्त रहता हे और आवश्यक त्य्यारिया करता हे जिसमें पूर्व पाबन्दिया भी शामिल हें , कोटा में वेसे तो इस जुलुस का स्वागत सभी जाती समुदाय के लोग करते हें लेकिन कुछ समाज कंटक लोग अनावश्यक रूप से माहोल बिगाड़ने का प्रयास करते हें , कोटा में इस बार फिर इस आयोइजं की तय्यरियाँ जोरो पर हें और मेरे ख़ास दोस्त एडवोकेट मनोज्पुरी इस आयोजन के संयोजक होते हें , खेर कोटा में इस बार फिर यह ऐतिहासिक जुलुस निकलना हे इसकी तय्यरियाँ ज़ोरों पर हे खुदा से दुआ हे के सोहार्द और शांतिपूर्ण तरीके से यह जुलुस खेर से निकले कारण कोटा में कुछ अपरिपक्व पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी इस व्यवस्था के लियें उपयुक्त नहीं लग रहे हें । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कोटा का रावण महंगा हुआ

कोटा राष्ट्रिय मेले दशहरे में हर साल ७५ फुट ऊँचे बनाये जाने वाले रावण के दाम भी महंगे हो गये हें कोटा में पिछले साल फतेहपुर सिकरी के नईम कारीगर ने रावण और उसके रिश्तेदारों के पुतले एक लाख बावन हजार में बनाये थे लेकिन अब यही पुतले एक लाख पच्यासी हजार की कीमत का बेठ रहा हे वेसे खुद नगर निगम कोटा ने इस रावण की कीमत एक लाख बहत्तर हजार रूपये आंकी हे , विदित रहे के कोटा के इस आक्र्रश्क ऐतिहासिक राष्ट्रिय मेले दशहरे में हर साल लाखो लोग रावण दहन के समय इसका लुत्फ़ लेते हें , मजेदार बात यह हे के हिन्दू पर्व की इस बुराई के प्रतीक पुतलों को बनाने का काम पिछले कई दशक से मुस्लिम परिवार कर रहा हे जिसके पचास से भी ज्यादा कारीगर इस रावण के पुतले को करीब एक माह में बना देते हें और कोटा में पुतले का मुस्लिम कारीगरों के हाथों का निर्माण यहाँ के साम्प्रदायिक सोहार्द के माहोल को खुशनुमा बना देता हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मन्दिर के काम में भी रिश्वत की हिम्मत

कोटा में रिश्वत का बोलबाला बुरी नजर वाले तेरा मुंह काला की कहावत आम होने लगी हे यहाँ रिश्वतखोर कर्मचारी अब धार्मिक मामलों यानी मन्दिर निरमंड का नक्षा पास करने में भी रिश्वत लेने लगे हें । ऐसा ही एक मामला कोटा में सामने आया हे नगर विकास न्यास में ड्राफ्ट्स मेन के पद पर कार्यरत गोपाल कृष्ण जेन जिनका तबादला नगर नियोजन विभाग मेन हो गया हे उन्होंने त्रिकुट माता मन्दिर के निर्माण के पूर्व नक्षा पास करने के लियें ३००० रूपये की रिश्वत मांगी दो हजार रूपये पहले लिए जिसमे से ११०० रूपये मन्दिर निर्माण के लियें दान दिए बाकी खुद रख लिए फिर अंतिम राशी एक हजार रूपये की और मांग की लेकिन मन्दिर समिति ने भ्रस्ताचार निरोधक पुलिस को शिकायत की और इन रिश्वत खोर जनाब को रंगे हाथों पकड़ा दिया हे ना मजेदार बात के अब धार्मिक कामों में निराकरण मेन भी लोग रिश्वत लेने से बाज़ नहीं आ रहे हें । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कोंग्रेस विधायक ने भरत सिंह को मानसिक बीमार बताया

राजस्थान विधानसभा के हंगामेदार सत्र में कल उस वक्त हडबडी मच गयी जब कोंग्रेस के प्रवक्ता रहे विधायक रघु शर्मा ने पंचायत मंत्री भरत सिंह को अवसाद का शिकार बताते हुए मानसिक रोगी करार दिया और उनके इलाज की सलह दे डाली । सत्तापक्ष के विधायक के इस बयान से राजस्थान विधानसभा में सनसनी फेल गयी लेकिन दुरी बात राजनतिक गलियारों में इसे कोंग्रेस मंत्रियों की गुटबाजी और शीतयुद्ध का नतीजा बताया जा रहा हे , पंचायत मंत्री भरत सिंह कोटा प्रवास के दोरान कोटा नगर निगम व्यवस्था को लेकर लगातार ग्रह मंत्री शान्ति कुमार धारीवाल पर सीधे हमले कर रहे हें और अखबार में भी बयान बाज़ी कर रहे हे इससे कोटा के कोंग्रेसी आहत हे , इधर विधानसभा में जब ग्रामसेवकों के आन्दोलन का विवाद उठा तो रघु शर्मन ने ओंग्रेस विधायक होने के बावजूद भी कह डाला केभरत सिंह अवसाद के शिकार हें उन्होंने आंदोलनकारी सरपंचों और ग्राम सेवकों से अभी तक ज्ञापन लेना भी मुनासिब समझा हे कोंग्रेस विधायक रघु शर्मा के इस बयान पर भाजपा के विधायक भी हाँ में न हाँ मिलाते हुए शोर शराबा करने लगे कुल मिलाकर कोंग्रेसी अखाड़ेबाजी के चलते विधानसभा मन भी कोंग्रेस और उसके मंत्रियों की संवेदन हीन कार्यशेली पर खुद कोंगेसियों के उठाने से गुटबाजी खुल कर सामने आ गयी हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

फिर कत्ल करना हे ...

चुनाव आगये हें
आस्तीनें चढाओ
फिर
दंगे भडकाना हे
फिर से देश में आग लगाना हे
चुनाव आ गये हें
आस्तीने चढाओ यारों
वोह देखो
फिर से तय्यारी में हें
लीडर कुर्सी हथियाने को
सोच लो
तुम हिन्दू हो
या हो मुसलमान
कत्ल दंगे फसाद
तुम करते हो जिन नेताओं के लियें
भडकाते हो दंगे
जिन मोलाना,मोलवी साधू संतों के लियें
यही सब
मुसीबत जब तुम पर पढ़ेगी
तुम से नाता तोड़ लेंगे
मोलाना हो चाहे हो मोलवी
हो चाहे पंडित साधू संत
सभी का होगा
समझोता सरकार से
कोई होगा विधायक
कोई होगा सांसद
तो कोई होगा मंत्री
कोई बनेगा किसी आयोग का चेयरमेन
तो कोई बनेगा राज्यसभा का सदस्य
बस तुम ही रह जाओगे
टन टन गोपाल
तुम पर होंगे कत्ल,लुट,आगजनी के मुकदमे
यही लोग जिन्होंने
करवाए हें कत्ल
भाइयों को तुमसे
जलवाई हे करोड़ों रूपये की राष्ट्र की सम्पत्ति
कल कातिलों के गल में हाथ
डाल कर बेठे मिलेंगे
तुम्हें बतायेंगे गद्दार
तुम्हें बतायेंगे आतंकवादी
बस तुम इस हकीकत को जानलो
जब भी भड़काए तुम्हें
यह दंगे फसाद के लियें
तुम्हारे जरियें हिंसा फेलाकर
वोट बटोरना हे इन्हें
बस इतना तुम जान लो
छोड़ों अब तुम भी इन्हें
चेहरे इनके बेनकाब करो
आस्तीने चडाते हो जो तुम
भाई के कत्ल को
उठो चदाओ आस्तीने
अब तुम
धुल चटाने के लियें
इन सफेदपोश नेताओं को
वोट जो हिन्दुओं को गाली बककर
मुसलमानों को गालियाँ बककर
कोंग्रेस , भाजपा,सपा,बसपा से लेते हें
मोका पढने पर कुर्सी हथियाने के लियें
यही लोग बाद में
एक ही थेली के चट्टे बन
मंत्री बनजाते हें
बहुमत के नाम पर समर्थन की राजनीति
फेलाते हें और बाहर से
या फिर अंदर से
समर्थन के नाम पर रूपये बनाते हें ।
उठो चढाओ आस्तीनें
कर डालो खत्म ऐसे नेताओं का
जो खुद तो जीते हें
लेकिन देश को ज़िंदा लाश बना देते हें ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

रोजा अफ्तार और राजनीति

देश में ही नहीं विश्व भर में रोजा आफ्टर कार्यक्रम के आयोजन को राजनितिक रूप दिया जाने लगा हे अभी कल अमेरिका में राष्ट्रपति बराक ओबामा ने वहां के मुसलमानों को बुलाकर रोजा आफ्टर कार्यक्रम कराया , हमारे देश में भी पिछले कुछ वर्षों से यह परम्परा अब राजनीति बन गयी हे प्रधानमन्त्री,राष्ट्र पति ,मुख्यमंत्री,राज्यपाल मंत्री अधिकारी संस्थाए सभी रोज़े आफ्टर की राजनीति पर उतर आई हे यह सब दिल से नहीं केवल राजनितिक रस्म निभाने के लियें किया जाता हे वोटों की राजनीती के तहत यह सब अब भाजपा में भी खुले आम होने लगा हे । रोजा अफ्तार यानी रोज़ेदार लोगों के सम्मान में ईमान की कमाई से उन्हें बिना किसी लोभ लालच के बुलाकर रोजा आफ्टर कराना कहलाता हे लेकिन मेरे इस देश में इस पवित्र कार्य का खर्च कहां से आता हे और इस खर्च की वसूली के लियें कितने काले गोरखधंधे होते हें यहे भी किसी से छुपा नहीं हे , कई लोग जो सही मायनों में रोजा रखते हें अगर वोह जाते भी हें तो बस खुद की जेब में पिंड खजूर लेजाकर उससे रोजा अफ्तार करते हें , तो दोस्तों रोज़े अफ्तार की यह रस्म जहां कोई एकता का माहोल बनाने के लियें शुरू की गयी थी वही आज इससे देश में और तुस्तिक्र्ण को बढ़ावा मिला हे साथ ही बेरोज्दारों की भीड़ ने इसमें राजनीति और खतरनाक कर दी हे ,
देश में अगर कोमी एकता का रोजा अफ्तार कराना हे तो फिर विश्व हिन्दू परिषद,बजरंग दल ,शिवसेना तो मुसलमानों को रोजा इफ्तियार कराएँ उनकी नमाज़ वजू का इन्तिज़ाम करें और मुसलमान भाई की तंजीम जमाते इस्लामी, मुस्लिम लीग सब मिलकर हिन्दू भाइयों के नोरते के व्रतों में उनके व्रत खुलवाने का कार्यक्रम करें जब कही देश में कोमी एकता सम्भव हे। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

राजस्थानी भाषा आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं

केंद्र सरकार राजस्थान की संस्क्रती की पहचान राजस्थानी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने में चक्कर बाज़ी कर रही हे । राजस्थान के पत्रकार और नेताओं ने इस मामले में अथक प्रयास कियें हें केंद्र पर अपना दबाव बनाया हे लेकिन संविधान की १९३ के प्रावधानों के तहत इसे सूचि में शामिल करने में चकमे बाज़ी और भने बाज़ी की जा रही हे । देश को आज़ाद कराने में प्रमुख भूमिका निभाने वाला राजस्थान आज़ादी के बाद से ही उपेक्षित हे राजस्थान का नाम राष्ट्रगान से गायब हे खेर कोई बात नहीं राजस्थानी इसे बर्दाश्त करते रहे हें लेकिन राजस्थान के निर्माण और फिर राजस्थान में प्रशासनिक द्रष्टि से केंद्र सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं में कमी के बाद राजस्थान अब प्रमुख राज्यों में सबसे बढ़ा राज्य शामिल हे राजस्थानी भाहा का अपना सम्मान अपना इतिहास हे इसे राजा रजवाड़ों की एक मात्र भाषा कहा गया हे लेकिन राजस्थानी हे के केंद्र में पिछड़ी हुई हे इसे साज़िश के तहत केंद्र की अनुसूची में शामिल नही किया गया हे जिसकी वजह से उसे मान्यता प्राप्त दर्जा नहीं मिल सका हे अब लोहा गर्म हे अगर अभी भी राजस्थानियों ने जिनका सिक्का पुरे विश्व के व्यापार में चलता हे केंद्र पर एक जुट होकर इस भाषा का सम्मान कर मान्यता प्राप्त सूचि में शामिल करने का दबाव नहीं बनाया तो फिर राजस्थानी का अपमान होना निश्चित हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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