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02 सितंबर 2010

आज शबे कद्र और जुम्मा हे

आज शबे कद्र यानी इबादत की ख़ास रात हे रमजान के महीने में यह रात जुमे के दिन आना और अहमियत रखती हे वेसे तो यह जुमा अलविदा का जुम्मा हो सकता हे या नहीं यह तो कुदरत पर निर्भर हे क्योंकि ईद का चाँद अगर वक्त पर दिखता हे तो आज का जुमा अलविदा का जुम्मा हे नही तो फिर अगला जुम्मा ही अलविदा का जुम्मा खा जा सकेगा लेकिन शबे कद्र की यह कीमती इबादति रात आज मुसलमानों के जीवन को जन्नत का मजा देगी , दोस्तों इस्लाम के लिहाज़ से रमजानुल मुबारक के महीने में इस रात को करान मजीद का अवतरण और इसका पुन स्मरण होने से इस रात की अहमियत और बढ़ गयी हें इस्लाम में कहा गया हे के कई हजार रातों की इबादत और इस एक रात की इबादत बराबर हे यानि इस रात की इबादत जिसने की मानों वोह मालामाल हो गया हे , आज के दिन मुसलमान हर हल में मस्जिद में जाकर पूरी रात इबादत करने की कोशिश करते हें इस इबादत से मुसलमानों का ईमान मजबूत होता हे जबकि उनके रहन सहन में भी मुस्ल्मानिय्त का जज्बा आने से नेकी और इंसानियत की राह में उनका आचरण बनता हे और इससे देश समाज को फायदा मिलता हे , अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

बारूद घोटाला किंग दम्पत्ति गिरफ्तार

राजस्थान के भीलवाडा में १६४ बारूद के ट्रकों का घोटाला कर गायब करने के आरोपी हेडा दम्पत्ति को कल अहमदाबाद से गिरफ्तार कर लिया गया देश भर में तबाही मचाने की ताकत रखने वाला यह बारूद यह विस्फोटक कहां गया किसी को पता नहीं चल पा रहा हे इस मामले में कलेक्टर,एस पी ,एनी प्रशासनिक अधिकारी अपनी अपनी जिम्मेदारियों से हाथ ऊँचे कर रहे हें लेकिन यह एक सामान्य बात नहीं हे देश की आंतरिक सुरक्षा का कठोर मामला हे , ताज्जुब इस बात पर हे के केंद्र सरकार इस मामले की गम्भीरता भांपने बाद भी चुप्पी साढ़े बेठी हे और उसने कोई निगरानी कार्यक्रम नहीं बनाया हे , लेकिन केंद्र सरकार इस मामले में अगर सी बी आई से जाँच कराती हे तो इसें राजस्थान के कई बढ़े व्यापारी,कई बढ़े नेता और कई बढ़े अधिकारी जेल जा सकते हें शायद इसी लियें राजस्थान सरकार इस जाँच में धीमी गति बताकर केवल जाँच की रस्म अदायगी कर रही हे। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मुख्य मंत्री गहलोत का रोजा अफ्तार या फिर मजाक

राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तरफ से कल ४ सितम्बर को रोजा अफ्तार जयपुर मुख्य मंत्री भवन में रखा गया हे जिसमें जयपुर सहित विभिन्न जिलों से सम्बन्धित ओगों को भी बुलाया गया हे लेकिन मुख्यमंत्री कार्यालय में बेठे प्रबंधकों ने रोज़े अफ्त्तार के कार्ड जिला प्रशासनिक अधिकारियों के माध्यम से जो भेजे हें उसमें उन्होंने जिनको आमंत्रित किया गया हे उनकी सूचि और खाली कार्ड तो जिला प्रशासन को भेज दिए हें लेकिन जिला प्रशासन ने उन कार्डों पर जिनको आमंत्रित किया गया हे खुद नाम भी लिखवाना मुनासिब नहीं समझा और खाली कार्ड अधिसूचित सूचि के लोगों को पहुंचाए गये हें जबकि अगर लोगों को इज्जत से आमंत्रित करना था तो मुख्य मंत्री भवन से ही ऐसे कार्ड लिख कर भेजे जाते या फिर जिला कलेक्टरों को ऐसे लोगों के नाम लिखकर भेजना चाहिए थे आखिर खाली कार्डों पर कोन इज्जतदार आदमी रोजा इफ्तार कार्यक्रम में जाना पसंद करेगा यह देखने की बात हे मुख्यमंत्री जी को अपने जिला कलेक्टरों और अधिनस्थों को इस मामले में आवश्यक निर्देश देना जरूरी हो गया हे वरना फिर इस तरह की रस्म अदायगी को बंद कर देना चाहिए । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

जाती प्रमाण पत्र का फर्जीवाड़ा

देश में और खासकर राजस्थान में इन दिनों जाति प्रमाणपत्रों का फर्जीवाड़ा तेज़ी से चल रहा हे अपात्र लोग खुद को पात्र बनाने के लियें नकली जाति प्रमाण पत्र बना रहे हें , राजस्थान में अनुसूचित जाति जन जाति आयोग ने भी इ मामले में राजस्थान सरकार से एतराज़ जता कर ऐसे मामलों की जांच करने की सिफारिश की हे पिछली दिनों एक एम एल ऐ के खिलाफ फर्जी जाति प्रमाणपत्र बनवाकर चुनाव लड़ने का आरोप हे जबकि कई अधिकारी,कई कर्मचारी आज भी फर्जी जाति प्रमाण पत्रों पर नोकरी कर रहे हें कई परिवार ऐसे हें के बाप के पास दूसरी जाति का प्रमाण पत्र हे तो बेटे के पास दूसरी जाति का प्रमाण पत्र हे , राजस्थान सरकार ने अभी तक इस मामले को गम्भीरता से नहीं लिया हे और शायद इसीलियें इन म्ममलों की जांच करवाकर सभी जिला कलेक्टरों को इस फर्जीवाड़े को रोकने के लियें आवश्यक निर्देश भी जारी नहीं किये गये हें। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

बेरहम नक्सली और संवेदन हीन सरकार

दश में बेरहम नक्सली और संवेदन हीन सरकार के होने से रोज़ पुलिस जनों की हत्याएं हो रही हें सरकार में बेठे मंत्री रोज़ नक्सलियों की पीठ थपथपा रहे हें इधर मुठभेड़ में पुलिस जवान बे म़ोत मारे जा रहे हें लेकिन इन सब के बावजूद भी पटना बिहार में अपह्रत चार पुलिस कर्मियों को जिंदा छुड़ाने के मामले में केंद्र और बिहार सरकार गम्भीर नहीं रही हे, आखिर कहां गया हमारा सुचना तन्त्र, कहाँ गये हमारे कमांडो, कहाँ गये प्रशिक्षित जासूस, कहा हें जांबाज़ सिपाही फोज जो कुछ गिनती के सिरफिरे नक्सलियों को काबू नहीं कर पा रहे हें काबू करना तो दूर की बात आज तक वोह अपह्रत जवानों को पता नहीं लगा पाए हें एक की हत्या कर दी गयी हे तीन जवानों की जिंदगी आज सुबह दस बजे पर टिकी हे , बिहार के मुख्य मंत्री बयान देते हें के बातचीत का रास्ता खुला हे नक्सलियों ने मुठभेड़ में जवान मारे थे इन्हें भी मार देते अपहरण क्यूँ किया यानी बिहार के मुख्य मंत्री को जवानों की चिंता नहीं अफ़सोस इस बात का हे के नक्सलियों ने जवानों का जिंदा अपहरण क्यूँ किया मुठभेड़ में मारा क्यूँ नहीं ।
केंद्र हो चाहे मध्य प्रदेश,आंध्र,बिहार,पश्चिमी बंगाल की सरकारे हों किसी ने भी ना तो नक्सली लोगों की समस्याओं ,उनकी मांगों,उनके आतंकवादी होने के पीछे उपजी परिस्थितियों का अध्ययन नहीं किया हे आखिर किया वजह हे के गाँव के गाँव नक्सली बन गये आतंकवादी बन गये उनका सरकार और कानून से विश्वास उठ गया उन्होंने हिंसा का रास्ता अपना लिया मरते वोह भी हे म़ोत का डॉ उन्हें भी सता रहा हे तो फिर आखिर बार बार वार्ता का नाटक करने वाली यह सरकारें खुद नक्सली समस्या कारण और निवारण पर समीक्षा आयोग गठित कर उनकी वाजिब मांगों को मान कर उनके कल्याण,सुरक्षा और भविष्य के लियें एक पैकेज जारी नहीं करती लेकिन बात साफ़ हे राज्य सरकारें और केंद्र सरकार उनकी समस्याओं और समाधान मामले में गम्भीर नहीं हे नेताओं को तो उम्स्ययें किया हें , क्यूँ उन्होंने ब्न्दुकं उठायी वोह सरकार से क्या चाहते हें उनकी नाराज़गी की वजह किया हे इस बारे में भी जानकारी नहीं हे क्योंकि सरकार खुद ऐसा नहीं चाहती सिर्फ हिंसा और बातचीत के नाम पर राजनीति करना चाहती हे अगर नहीं संभाल पा रही हे सरकार तो छोड़े गद्दी और सम्भला दे हम ब्लोगर्स को फिर हम खुद समस्याओं का समाधान मिल बेठ कर कर लेंगे सरकारों को तो खुद के मंत्रियों की सुरक्षा की फ़िक्र हे उन्हें जनता की समस्या और सुरक्षा से कोई लेना देना नहीं हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

भरे पढ़े हें बेशर्मी के किस्से

किस्से क्या सुनाऊं
में तुम्हें
भरे पढ़े हें यहाँ
नेताओं और जनता के
बेशर्मी के करोड़ों किस्से ,
काण्ड हादसों घोटालों से,
फिक्सिंग और हवालों से
भरे पढ़े हें करोड़ों किस्से
क्या सुनाऊं में तुम्हें
यहाँ के नेताओं की
बेशर्मी के किस्से ,
जब से खेल खेले हें
गेहूं सडाने के मंत्री पंवार ने
क्या उम्मीद करें
न्याय की न्यायमूर्ति से
वोह भी अब तो
मंत्रियों के आगे आंसू बहाने लगे हें
भूल जा पुराने देश और देशभक्ति का जज्बा रखने वाले लोगों को
य्हाना कभी मानव अंग
कभी मानव बम
कभी मानव तस्करी
के नाम पर कबूतरबाजी होती हे
लुटती हें बालाएं घर में
जलती हें बहें ससुरालों में
सडकों पर जाने गिरती हें
यहाँ हर तरफ दरिंदगी दिखती हे
अब उठेंगी माताएं
लेंगी अंगडाइयां
बच्चे फिरजनेंगी
इस देश को बचाने को
किस्से क्या सुनाऊं में अभी
छोड़ों बच्चे जो जने हें अभी माताओं ने
बढ़े उनको होने दो
शायद वोह कुछ ऐसा कर जाएँ
के किस्से बन जाएँ
मेरे पास तुम्हें
गोरव से सुनाने को ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

तुम भुला ना पाओगे


सोच लो
तुम मुझे हरगिज़
भुला ना पाओगे ,
रात को ख़्वाबों में
और हर सुबह
सूरज की तरह
रोशन पाओग,
क्या करूं ना भुला पाना मुझको
किसी के बस की बात नहीं
जब भी मुस्कुराओगे
मुझे हर पल हर क्षण
अपने साथ पाओगे,
देह्ता हूँ
मुझे तुम
केसे भुला पाओगे,
लाख दिल से भुलाने
की कर लो कोशिश
आँखे जब भी बंद करोगे तो ख़्वाबों में
खोलोगे तो सामने
सिर्फ और सिर्फ हमें ही पाओगे,
जा रहा हूँ तुझ से दूर
भूली हुई यादों की तरह
ज़िंदा अगर लोटा
तो बस सामने अपने पाओगे,
आप जरा अपना रहबर तो बनाएं हमें
हर कदम हर पल हर एहसास में
बस हमें और बस हमें ही पाओगे
ना करो बेकार कोशिश
हम कहते हें
तुम हमे भुला न पाओगे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

इस देश में कोई सरकार नहीं हे

वोह कोन हे आज इस देश में
जो ज़ुल्म व् सितम का शिकार नहीं हे
देख लो ज़ालिम तो फिर भी
गिरफ्तार नहीं हे ,
खून,लुट,दंगे फसादात ,भ्रष्टाचार
यही सब सुर्खियाँ हें
आज के टी वी और अखबार में ,
अब तो लगता हे शायद
इस देश में कोई सरकार नहीं हे।
मजहब,जात और भाषा के नाम पर
बिगड़े हें चारों तरफ के हालात
हर तरफ लुट हत्या और हे बलात्कार
देखों फिर भी
यहाँ सजा में कोई गुनाहगार नहीं हे
लगता हे मेरे देश में '
कोई सरकार नहीं हे ,
जरा महंगाई को तो देखो
हर चीज़ की कीमतें हें
काबू से बाहर
रिश्वत को बिना कोई अफसर
काम करने को तय्यार नहीं हे,
अब असल कोई चीज़ नहीं हे
सभी चीजों में हे मिलावट
कानून को तो देखो
किताबों में तो लिखा हे
लेकिन इसे आजमाने को
कोई तय्यार नहीं हे
इस देश में लगता हे
अब कोई सरकार नहीं हे,
अब आओ हिन्दू हो चाहे मुस्लिम
सीख हो चाहे इसाई
सम्प्रदाय,जाती या भाषा का हो झगड़ा
सब भुला कर करें एहसास ,
क्या हमारा इस मुल्क के लियें
इतना सा फर्ज़ भी यार नहीं हे
आओ जगाए सोते हुए लोगों को
जिन्हें तबाही बर्बादी के इस देश का
एहसास अब तक यार नहीं हे
लगता हे देखो
इस देश में कोई
सरकार नहीं हे।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

शेतान और इंसानियत

एक राय बन गयी हे
आज के हेवानों में
कुछ हें ऐसे लोग
इंसानियत बची हे
जिन इंसानों में
चारों तरफ बढ़ गयी हे
इस हद की दहशत गर्दी
जिससे बचा नहीं कोई महफूज़
शरीफ इंसानों में
किसी भी अजनबी चीज़ को
छूना हे गुनाह
ना जाने कहा रखा हो
बम सामानों में
घूमते फिरते हें आज़ाद मुलजिम यहाँ
मजलूम बंद नजर
आते हें थानों में
खोल दो आज सब मिलकर
मोहब्बत ,प्यार ,अमन के रास्ते
यार खड़े हें
सीना तान अपने अपने
आशियाने में।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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