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07 सितंबर 2010

राजस्थान में ११ लाख बच्चे अभी भी शिक्षा से वंचित

राजस्थान में शिक्षा गारंटी योजना लागु होने मदरसा शिक्षा, राजीवगांधी शिक्षा मिशन और संकुल योजना लागू होने के बाद भी यहाँ एक सर्वेक्षण के मुताबिक ११ लाख बच्चे अभी भी निरक्षर हें और शिक्षा से दूर हें । राजस्थान में शिक्षा की बड़ी बड़ी बातें करने वाली इस सरकार के लियें यह एक कलंकित कर देने वाला आंकड़ा हे क्योंकि यह सर्वेक्षण किसी निजी संस्था का नहीं बल्कि सरकारी सर्वेक्षण हे , राजस्थान में इस तरह के शिक्षा के आंकड़े आने के बाद यहाँ इन निरक्षर बच्चों को शिक्षित करने के लियें क्या योजना बनाई जाये इस मामले में सरकार को कोई भविष्य योजना तय्यार करना चाहिए , क्यूंकि ११ लाख निरक्षर बच्चों का यह आंकड़ा राजस्थान में बहुत बढा आंकड़ा हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

अनंत चतुर्दशी की त्य्यारिया पूरी

कोटा में आगामी २२ सितम्बर को निकलने वाले ऐतिहासिक धार्मिक जुलुस और अखाड़े प्रदर्शन की तय्यरियाँ पूरी कर ली गयी हें इस काम को अंजाम देने के लियें कल यहाँ कलेक्ट्रेट में शांति समिति की बैठक भी आयोजित की गयी जिसमें पुराने मार्ग से ही जुलुस निकालने के मामले में आम सहमती बनी हे । इस सहमती के बाद कोटा में सुरक्षा के कड़े प्रबंध करते हुए बाहर से भी अतिरिक्त पुलिस बल बुलाया जा रहा हे साथ ही कोटा में निषेधाज्ञा लगा कर धारा १४४ लागू कर दी गयी हे , यहाँ झांकियों के विसर्जन के लियें विशेष योजना तय्यार कर रही हे पिछले दिनों इस जुलुस को लेकर कोटा में दंगे फसाद का माहोल हो जाने से यहाँ स्थिति तनाव पूर्ण हो गयी थी तब से ही यहाँ कोटा में इस जुलुस के दोरान सुरक्षा के कड़े प्रबंध किये जाते हें और विशेष अह्तियाती कदम उठे जाते हें इस जुलुस के निकलने के बाद प्रशासन राहत की सांस लेता हे। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

अनंत चतुर्दशी की त्य्यारिया पूरी

कोटा में अनंत चतुर्दर्शी के आगामी २२ सितम्बर को आयोजित होने वाले जुलुस में झांकियों और एनी प्रदर्शन की तय्यारियों ज़ोरों पर हें यहाँ जुलुस और प्रदर्शन की त्य्यारियों को देखते हुए कोटा जिला प्रशासन ने कल शानित समिति की बैठक आयोजित की जिसमें जुलुस पुराने मार्ग से ही निकलने पर आम सहमती बनी इस व्यवस्था को देखते हुए जुलुस मार्ग की सफाई तारों हटाने का कम शरू हो गया हे

राहुल जी की सभा में जूते चप्पलों पर पाबंदी

कोंग्रेस के युवराज राहुल गांधी के महाराष्ट्र में अकोला यात्रा के दोरान महाराष्ट्र सरकार ना जाने किन कारणों से डर गयी और राहुल गाँधी की सभा में सुरक्षा के कड़े प्रबंध करते हुए सभा में आने वाले लोगों के जूतों चप्पलों बेल्ट और जेवरों तक पर पाबंदी लगा दी । हिन्दुस्तान में यह पहला मोका हे के किसिस नेता की ऍम सबा में इस तरह की पाबंदी लगाई गयी हो यह पाबंदी किसी सूचना के चलते लगाई गयी या फिर किसी अह्तियती कदम के तहत यह पाबंदी थी यकीन इस लोकतंत्र में अगर इस तरह का डर खोफ का वातावरण आम जनता के साथ होने वाली जनसभाओं में होने लगी तो फिर तो यह सब देश के लोकतंत्र के लियें खतरा ही कहा जायगा , अब तो ना जाने किन किन सभाओं में इस तरह की पाबन्दिया लगेंगीं । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

पार्षद को जनता ने घेर कर सफाई करवाई

अपने इलाके में हाथ जोड़ कर वोट लेने और बाद में अपने कर्तव्यों को भूलकर मजे करने वाले जनप्रतिनिधि पार्षद को कल जनता ने सबक सिखा दिया और कोटा नगर निगम के वार २९ के पार्षद जिग्नेश शाह को कल जनता ने घेर कर पहले तो वोह भागने ना पायें इसलियें उनके स्कूटर की हवा निकाल दी फिर उन्हें एक एक कर उनकी गलतिया लापरवाहिया गिना कर उनकी गलतियों का एहसास कराया इस लोकतान्त्रिक विरोध के चलते जनाब पार्षद जी की भी आँखें खुल गयीं उन्होंने खुद जब यह नारकीय माहोल जनता की आँखों से देखा तो वोह खुद परेशान हो चले और अब उन्होंने अपने वार्ड में पुरानी लापरवाही की गलतिया भुला कर फिर से सभी सुख सुविधाओं के लियें संघर्ष करने की शपथ ली हे और अब वोह इस इलाके में सफाई और जनसुविधाएं उपलब्ध करने के लियें भी गम्भीर हें। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मीडिया में सरकारी लोगों के आने से चापलूसी बढ़ी

राजस्थान के मीडिया खासकर इलेक्ट्रोनिक मीडिया में रिटायर्ड अधिकारी के आने से चापलूसी चमचागिरी की खबरों में बदोतरी हुई हे हालत यह हें के रोज़ मंत्रियों और अधिकारीयों की बिना किसी बजह के तारीफे देखते देखते कम से कम इ टी वी पर तो जनता को उबकाई आने लगी हे । इ टी वी राजस्थान राजस्थान में बहतरीन प्रदर्शन कर रहा था लेकिन अचानक अप्रत्याशित तरीके से सेवानिव्रत्त आर ऐ एस जो बाद में पदोन्नति होकर आई ऐ एस से सेवानिव्रत्त हुए उनके इस इलेक्ट्रोनिक मिडिया के इंचार्ज बन जाने से मिडिया में रोज़ मर्रा अधिकारीयों और मंत्रियों मुख्यमंत्री की बिना कुछ करे तारीफें शुरू कर दी जाती हें ब्रेर्किंग न्यूज़ के नाम पर इनकी तारीफें इस हद तक बढ़ जाती हें के आखिर दर्शक को चेनल पलटना ही पढ़ता हे कहते हें के इन्सान अपना मूल स्वभाव नहीं बदलता हे और अधिकारी कर्मचारी का जीवन नेताओं और मंत्रियों को यस सर यस सर करता हुआ गुजरता हे ऐसे हालातों में उसे एक सच उजागर कर जनता को इंसाफ की ज़िम्मेदारी भी दी जाती हे तो फिर भी वोह मंत्रियों और सरकार और सरकार के नुमैन्दों के आगे यस सर यस सर ही करेगा इससे चाहे वोह अपने चेनल के लियें व्यापार ले ले लेकिन जनता को तो कोई लाभ नहीं मिल रहा हे सरकार को उसके विभागों के भ्रस्ताचार,अनियमितताओं की खबरें नहीं मिल रही हे सरकार को तो सिर्फ यह दिखया जा रहा हे के सरकार जो कर रही हे वही सही हे और जनता सरकार को भगवान मान रही हे बस यही सरकार के ताबूत में आखरी कील ठोकने के समान हे और पत्रकारिता के मूल्य सिद्धांतों की तो इन्होने ऐसी की तेसी कर के रख ही दी हे वेसे भी आज के माहोल में पत्रकारिता की बात करना एक सपना सा लगता हे जो आज के युग में इतिहास का हिस्सा बन गयी हे। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

राजस्थान में ७० मोतों का ज़िम्मेदार कोन

राजथान में सरकार की हठधर्मिता और चिकित्सकों की हडताली जिद के कारण जोधपुर जयपुर और कोटा में ७० से भी अधिक मरीजों की म़ोत हो गयी हे , इंसान के भेष में हेवान बने इन चिकित्सकों को खुदा ने तो मसीहा बनाया था लेकिन यही डोक्टर इन निर्दोषों की म़ोत का कारण बन यमराज बन गये । बात कुछ नहीं केवल जिद की थी और राज्य सरकार ने लोगों की बेहिसाब मोतों के बाद डॉक्टरों की सभी मांगें मानकर उन्हें आश्वासन देकर हडताल तुडवा दी , राजस्थान सरकार आखिर हर बार बिना किसी वजह के ऐसे हालात बनाती हे के जिद के कारण हडताल और फिर कानून व्यवथा में बिगाड़ होता हे कुछ दिनों बाद सरकार बातचीत करती हे और फिर हडताल खत्म करवाती हे आखिर राजस्थान सरकार ऐसी असंवेदनशील केसे हो रही हे के वोह किसी भी मुद्दे पर बिना हड़ताल के कोई बात सुनने को तय्यार नहीं हे , राजस्थान में चिकित्सकों का डिमांड चार्टर सरकार को पहले से ही पता था और सरकार चाहती तो बिना चिकित्सकों को हड़ताल के पहले ही बातचीत कर चिकित्सकों को खुश कर सकती थी आखिर जो मनागें ७२ घंटे की चिकित्सकों की हडताल के बाद सरकार ने मानी वही मांगे अगर सरकार बिना हडताल के मान लेती तो सरकार का क्या बिगड़ जाता कमसे कम राजस्थान में ७० बे म़ोत मरे मरीजों की जन तो बचाई जा सकती थी राजस्थान सरकार का दिमाग इन दिनों ना जाने कहां हे स्न्वेद्न्शिलता का नारा देने वाली यह सरकार हर तबके के साथ असंवेदनशीलता बता रही हे वकील हों चाहे ग्रामसेवक हों चाहे मास्टर हों चाहे सरपंच हों चाहे नगर निगम के पार्षद हों सरकार कहीं भी किसी भी तरह खुद आगे रह कर कोई कद नहीं उठा रही हे जब सभी वर्ग को लोग हडताल पर जाते हें तो उन्हें उपेक्षित कर हिंसक हडताल के लियें उकसाया जाता हे और फिर उनसे बात की जाती हे यह केसी संवेदनशीलता के जहाँ हर वर्ग की समस्याओं के कारण और निवारण का खुद सरकार को अपनी सर्वेक्षण विशेषग्य टीम से सर्वेक्षण करवाकर समस्याओं का निराकरण बिना मांगे या हडताल करे करवाना चाहिए वहां अनावश्यक माहोल बिगाड़ कर सरकार ऐसा कर रही हे , राजथान में जहाँ तक डॉक्टरों का सवाल हे डॉक्टरों के खिलाफ फोजदारी मुकदमे दर्ज होने और सरकार ने उच्चतम न्यायालय के दिशा निर्देश के अनुसार पुलिस अधीक्षकों को आवश्यक निर्देश दे रखे हें इतना ही नहीं चिकित्सकों के साथ मारपिटाई के मामले में चिकित्सक सुरक्षा कानून बनाया हे जिसके तहत मारपीट करने वाले के विरुद्ध अजमानतीय अपराध दर्ज होता हे फिर चिकित्सकों को किस मामले में परेशानी हो सकती हे सरकार जिसने बिना किसी वजह इस हडताल को तूल दिया हे और चिकित्सकों ने भी लोगों की जो हत्याएं इलाज नहीं कर की हें इसके लियें सरकार और चिकित्सक दोनों बराबर के दोषी हें लेकिन इन्हें सजा कोन देगा । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

स्वायत्त शासन मंत्री ने कोटा का हाल देख कर तीन इंजीनियरों को निलम्बित किया

कोटा के कोंग्रेस जिला अध्यक्ष , कोटा के विधायक और राजस्थान सरकार में गृह मंत्री स्वायत्त शासन शहरी विकास मंत्री ने कल लगातार भास्कर में छप रही खबरों से प्रभावित होकर शहर की सडकें और गंदगी के हालत का निरिक्षण किया, शहर की सडकों के निर्माण की ज़िम्मेदारी नगर विकास न्यास और नगर निगम की हे साथ ही साफ सफाई की ज़िम्मेदारी और आवारा मवेशियों को पकड़ने की ज़िम्मेदारी भी नगर निगम की हे , धारीवाल जी जब अपने अमले के साथ शहर की सडकों का निरिक्षण करने निकले तो वोह और उनके साथ गये अधिकारी गड्डों में सडकें तलाशते रहे लेकिन कई स्थानं पर सडकें मिली ही नहीं और गड्डों ने जनाब धारीवाल जी को भी तंग कर दिया चारों तरफ गंदगी के ढेर और बार बार उनकी कार के आगे आवारा जानवरों के आ जाने से उन्होंने शहर की नारकीय स्थिति से खुद आमना सामना क्या बस फिर क्या था आग बबूला न्त्री जी ने इसके लियें ज़िम्मेदार तीन अधिशासी अभियंता महेंद्र माथुर ,औ पी वर्मा,भूपेन्द्र माथुर को तुरंत निलम्बित कर जयपुर हाजरी देने के लियें निर्देशित क्या हे । इतना सब होने के बाद भी कोटा में सडकों का रख रखाव केसे हो , सफाई व्यवस्था केसे सुचारू हो और आवारा जानवरों की समस्या से केसे निजत पायें इस मामले में अभी भी महापोर या कोटा कलेक्टर नें कोई कारगर कदम नहीं उठाये हें देखते हें मंत्री जी के इस गुस्से से शहर की हालत सुधरती हे या नहीं वेसे तो शहर की इस दुर्दशा के लियें सीधे तोर पर नगर विकास न्यास के अध्यक्ष जो खुद कलेक्टर हें और नगर निगम की महापोर खुद रत्ना जेन हें लेकिन उनके लियें तो कहावत हे जब कोतवाल ही अपने हें तो फिर डर काहे का ? अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मेरे ब्लॉग भी हूए हजार

मेरे दोस्तों ,भाईयों,बहनों,माताओं,बुजुर्गों ,दुश्मनों आज मुझे आप लोगो के आशीर्वाद से पुरे एक हजार ब्लॉग लिख कर ह्जार्र ब्लोगर्स यूनियन में शामिल होने का अवसर मिला हे , आज का दिन मेरे लियें रमजान का महीना, शबे कद्र इबादत की रात,और जन्माष्टमी का अवसर होने से मेरी ख़ुशी का एहसास और बढा देता हे । मेरे दोस्तों बुजुर्गों मेने अप्रेल महीने में ब्लॉग लिखने की शुरुआत की थी में हिंदी टाइपिंग का थोडा भी जानकार नहीं हूँ ब्लॉग ट्रान्सलेशन की सुविधा का मेने फायदा उठाया और लिखना शुरू कर दिया मुझे ब्लॉग लिखने और पोस्ट करने के अलावा बहुत कुछ नहीं आता हे उझे यह भी पता नहीं की ब्लॉग को चिट्ठा जगत, ब्लोग्वानी और दुसरे ब्लॉग पर रजिस्ट्रेशन कराने की क्या प्रक्रिया हे इसीलियें मेरा ब्लॉग सिर्फ फोलोवर्स साथियों के भरोसे चला लेकिन मुझे गर हे के चार माह के इस सफर में मेरा ब्लोगर की दुनिया के सभी साथियों ने दिल से साथ दिया कुछ एक अहंकारी लोगों को अगर छोड़ दें तो अधिकतम लोगों भाइयों और बहनों का मुझे आशीर्वाद मिला उन्होंने मेरा कदम कदम पर उत्साहवर्द्धन और मार्गदर्शन किया कुछ लोगों ने तो मेरी गलती पर मुझे डाट भी लगाई मुझे बुरा नहीं लगा में एक अकेला खुशनसीब था जिसे इस ब्लोगर की दुनिया में जब महाभारत छिड़ा था एक दुसरे को नीचा दिखाने की बीमारी का सिंड्रोम ब्लोगर दुनिया में फेल गया था कुछ लोग ब्लोगर की दुनिया में भन्न का अपमान कर रहे तहे तो कुछ अपनी फितरत के मुताबिक इस दुनिया में साम्प्रदायिकता की गंदगी फेला रहे थे लेकिन यह ब्लोगर की डी उनिया अब दश का पांचवां स्तम्भ बन गया हे और इसे प्रित्न मिडिया ने भी अहमियत देना शुरू कर दिया हे में जानता हूँ के अपने इन हजार ब्लोगों में मेने लाखों गलतियाँ की हें लेकिन मेरा जूनून हे जो मुझे रमजान के महीने में पुरे एक हजार ब्लॉग का आंकड़ा पार करने की जिद पैदा किये हूए था दोस्तों मेने अपनी वकालत के वक्त में से काफी कुछ वक्त इस ब्लोगर की दुनिया के लियें चुराया और कच्चे पक्के ब्लॉग लिखने की शुरुआत कर कुछ बहुत बहुत अच्छे ब्लॉग भी लिखे हें में अपने मुंह मिया मिट्ठू बनना नहीं चाहता मेरे साथिग्द इस चचाई को शायद जानते हें , मेरी मेरे साथियों से अपील हे के इस ब्लोगर की दुनिया में छोटा बढा ,अपना पराया,अमीर गरीब,हिन्दू मुस्लिम, हिंदी भाषी गेर हिन्दीभाषी का विवाद छोड़ कर इस दुनिया को खुबसूरत बनाये इस परिवार को भाईचारे सदभावना की खाद से सींच कर स्वर्ग बना डालें , मेने हजार ब्लॉग जब लिखे तब एक मोलवी हजार मोतियों वाली माला लेकर खुदा का नाम लेने के लियें जब पढाई कर रहे थे तो उन्होंने कहा के में हज़ा पढ़ रहा हूँ यानी खुदा का नाम हजार बार लेने की मालाएं भी बनी हें और इसे गिन कर नाम लेने की प्रक्रिया को हजारा पढना कहते हें मेने सोचा चलो मेने भी ब्लॉग की दुनिया में सेंचुरी लगाकर हजारा पढने की नहीं तो हजार ब्लॉग लिखने की हसरत तो पूरी कर ली और में इस मोके पर खुदा का शुक्र भी अदा करूंगा क्योंकि खुदा ने मुझे ताकत दी जिंदगी दी लिखने का एहसास दिया और आप जेसे प्यारे प्यारे बहन भाई दोस्त दुश्मन माताएं बुजुर्गों का साथ दिया नहीं तो जिंदगी तो चिराग हे खड़ा कब इसे बुझा देता और हसरत दिल की दिल में रह जाती । मेरी फ़ालतू की बकवास आपने धेर्य और नीम से पढ़ी इसके लियें भी में आपका शुक्रगुज़ार हूँ । अख्तर कहां अकेला कोटा राजस्थान
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