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15 सितंबर 2010

अस्पतालों में लूट मुख्यमंत्री को पता हे लेकिन बेचारे क्या करें

राजस्थान के निजी अस्पतालों में डॉक्टरों द्वारा जनता को विधि विरुद्ध तरीके से लूटा जा रहा हे यहाँ मरीजों को मरने के बाद भी अस्पतालों में कई दिनों तक वेंटिलेशन पर रखा जाता हे और फिर रूपये नहीं मिलने पर लाशें नहीं दी जाती हें ,अस्पतालों में जांचों के नाम पर लूटा जाता हे यह किसी और के अल्फाज़ नहीं खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कथन हें वोह कहते हें के डॉक्टरों को भगवान कहा जाता हे और अगर भगवान ही रूठ जाए तो फिर बेचारे लोगों का क्या होगा, दोस्तों राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जो कहा हे वोह शत प्रतिशत सही हे लेकिन गहलोत ने अपनी जुबान निजी चिकिताल्यों के लियें खोली हे उन्होंने सरकारी अपताल के हल पर को तबसरा नहीं किया हे जबकि बीमारी की जड सारे सरकारी अस्पताल और वहां की लूट खसोट हे वहां जानबुझकर जांचों की मशीने खराब की जाती हे मरीज़ को बेहतर सुविधा नहीं दी जाती ताकि सरकारी अस्पताल के ही चिकित्सक निजी अस्पतालों में जाकर मरीजों को लूट सकें अब जब मुख्यंत्री सब जानते हें तो फिर निजी चिकित्सालयों और सरकारी चिकित्सकों पर कानून बनाकर शिकंजा क्यूँ नहीं कते और लापरवाह डॉक्टरों के खिलाफ मेडिकल कोंसिल में शिकायत कर उनका लाइसेंस खत्म क्यूँ नहीं करवाते लेकिन शायद ऐसा नहीं हो पाए क्यूनी जब वोह ऐसा करने का सोचंगे तो उनके निजी चिकित्सक उन्हें ऐसा करने से मना कर देंगे और वोह मान जायेंगे इसलियें कहते हें के हाथी के दांत खाने के और दिखाने के और होते हें फिर अशोक जी का इस तरह से घ्दिआली आंसू बहाने से क्या फायदा।? अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कोटा नगर न्यास को पुलिस जवान मिले

कोटा नगर विकास न्यास को अतिक्रमण हटाने के मामले में एक दर्जन से भी अधिक पुलिस जवान अस्थायी तोर पर दिए गये हें यहाँ स्वायत शासन मंत्री और ग्रहमंत्री कोटा के होने की वजह से नगर विकास न्यास को बेशकीमती न्यास की भूमि से अतिक्रमण हटाने के लियें यह अतिरिक्त सुविधा का तोहफा दिया गया हे , वेसे तो न्यास में अधिकारीयों और तहसीलदार पटरियों में इस नाम पर बेहिसाब भ्रस्ताचार हे और जनता को कानून के नाम पर नाजायज़ परेशान क्या जा रहा हे अब पुलिस के मिल जाने से तो जनता की यहाँ कोटा में खेर ही नहीं हे , जो अतिक्रमण कारी हें अगर वोह प्रभावशाली हें तो जमे हें और जो शरीफ हें अगर उन्होंने खुद की भूमि जो क्रषि की थी खरीद कर मकान बनाया हे तो वोह अपराधी हें बस यही अपने पराये का फर्क यहाँ फिल गुड फेक्टर को बढ़ावा दे रहा हे और जहां नगर विकास न्यास का अध्यक्ष जनता का प्रतिनिधि नियुक्त होना चाहिए वहन कलेक्टर को हथियार बना कर काम लिया जा रहा हे और जनता को सुविधाओं और व्यवस्थाओं से दूर रखा जा रहा हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

इजीनियर दिवस पर बेरोजगार इंजीनियर क्या करें

दोस्तों कहने को इंजीनियर दिवस हे लेकिन गिनती के इंजीनियरों को छोड़ कर सभी इंजीनियर आम नाम की लुट हे लुट सके तो लुट के फार्मूले के तहत खुद को मजबूत बनाने की इंजीनियरिंग में जुटे हें हमारे कोटा शहर में इंजीनियर और डॉक्टरों की खेती होती हे यहाँ बढ़े से बढ़ा और छोटे से छोटा डोक्टर इंजीनियर बनकर निकलता हे , यहाँ हजारों इंजीनियर हर साल निकलते हें अधिकतम विदेश इ जाकर अपना जॉब धुन्ध्ते हें तो कई लाखों करोड़ों के पैकेज की भूल भुलय्या में निजी कम्पनियों में गुलामी करते हें इंजीनियर दिवस के लियें कोई कुछ नहीं करना चाहता कोई आविष्कार कोई देश के इंजीनियरिंग मेनेजमेंट को सुधरने की कार्यवाही नहीं करता हालात यह होते हें के देश एन इंजीनियर हें इंजीनियरिंग का दिमाग हे लेकिन राष्ट्रीयता की भावना खत्म होने की वजह से यह दिमाग जिसे हमारे देश की खाद मिटटी ने सींचा हे वोह आज थोड़े से मूल्य के बदले विदेशों में गिरवी हें सरकार से जुए इंजीनियर जो हें उन के बारे में तो आप जानते ही हें , सडकें बनाते हें दो दिन बाद तू जाती हें पुल बनाते हें एक महीने बाद टूट जाता हे पानी रोकने के लियें बांध बनाते हें एक साल में टूट जाता हे यानी इस सिस्टम में इंजीनियर और ठेकेदारों मंत्रियों के घर भरे हें बस फिर बताओ इंजीनियर दिवस पर क्या करें भाई .........? अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कोटा में रीकों के करोडपति अधिकारी

कोटा में रीको के दो अधिकारियों की आय से अधिक सम्पत्ति का भ्रस्ताचार निरोधक विभाग की पुलिस ने निरिक्षण किया इन दोनों अधिकारीयों की तनख्वाह और खर्च के हिसाब के बाद इनके पास करोड़ों रूपये की नामी और बेनामी सम्पत्ति मिली हे मिले भी क्यूँ नहीं कोटा और कोटा का रिको विबाग तो अरबों रूपये कमाने और खाने के बाद डकार भी न लो ऐसी जगह हें , कोटा रिकों में कोडियों के दाम पर लोगों को अरबों रुए के प्लाट दिए गये हें मात्र हजारों में दिए गये प्लाट करोड़ों रूपये के हें , और इन प्लोटों पर किसी ने भी शर्तों का पालन कर जिस कार्य के लियें प्लाट आवंटित करवाए तहे वोह कम नहीं किया हे और यूज़ लेंड बदल कर बड़े बड़े होस्टल बना कर आलिशान इमारतें विधिविरुद्ध तरीके से खड़ी कर ली हें , इस कार्यवाही की जब शिकायत की गयी तो इन लोगों के खिलाफ कार्यवाही करने की जगह इन्हें प्रोत्साहित करने के लियें रिको कानून और नियम बदलने की तय्यरियाँ शुरू हो गयी हें नतीजन ओता के रिको अधिकारीयों से लेकर रिको के मंत्री और जयप्र के अधिकारी देखते ही देखते अरबपति बन गये हें अब अगर इन अधिकारीयों के पास करोड़ों की सम्पत्ति निकली हे तो फिर मंत्री और जयपुर के लोगों के पास तो अरबों रूपये होंगे लें वोह बड़े मगर मच्छ हें उन पर कोन हाथ डालेगा। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

राजस्थान में सत्ता का विकेंद्रिक्र्ण नहीं

जी हाँ राजस्थान रो रहा हे यहाँ कानून और व्यवस्था नाम की चीज़ नहीं हे कर्ण यहाँ कानून जो पहले से बने हुए हें उनकी पालना करने की दिशा में समितियां बनाकर जनता को निरिक्षण में भागीदार नहीं बनाया गया हे या यूँ कहिये के राजस्थान में लोकतंत्र नाम की कोई चीज़ नहीं बची हे , यहाँ घरेलू हिंसा कानून हे लेकिन इसकी पालना करवाने के लियें सेवा प्रदाता नहीं हें , यहाँ रजस्थान पुलिस अधिनियम में जनता की समितियां गठित कर पुलिस की कारगुजारियों पर अंकुश के आवश्यक प्रावधान हें लेकिन समितियां गठित नहीं की गये हें , यहा अल्प संख्यक कल्याण के लियें समितियों का प्रावधान हे लेकिन गठित नहीं की गयी हें इसी तरह से नरेगा के आमों की समीक्षा के लियें तुरंत सीटियों के गठन कर कार्यों की समीक्षा का प्रावधान हे लेकिन केन्द्रीय मंत्री सी पी जोशी और भरत इंह ने कुलियों में जो गुड फोड़ा हे वोह जनता को पता ना लगे इस लियें उन्होंने कोई समिति नहीं बनाई हे ।
आब हम बात करते हें ७३वे संवेधानिक संशोधन की पालना की इसमें स्वर्गीय राजीवगांधी के कार्यकाल में पंचायतों और पालिकाओं को विकेंद्रिक्र्ण कार्यवाही के तहत अधिकार दिए गये तहे कानून बनाया गया हे लेकिन सरपंचों के अधिकार विधि विरुद्ध तरीके से छीन लिए गये हें जबकि नगर पालिकाओं में समितियों का गठन नहीं क्या गया हे जहाँ किया गया हे वोह गेर कानूनी क्या गया हे और महापोर आयुक्त और मुख्यकार्याधिकारी समिति सदस्यों की सुनवाई नहीं कर रहे हें , जयपुर नगर निगम की समितिया गठित करने के मामले में भाजपा के पार्षद हाईकोर्ट से आदेश ले आये लेकिन आदेश की पालना में आज तक समिति गठित नहीं की गयी हें, कोटा में जो समिति गठित की गयी हें वोह महापोर रत्ना जेन ने खुद के हाथ में ही रखी हें जो समिति गठित कर पहले नाम रखे थे उन्हें अब हटा दिया गया हे और कोटा में बार बार नियमों का हवला देकर स्वत्र रूप से कम करने वालों को डराया जा रहा हे महापोर रत्ना जेन का कहना हे के मेरे बगेर कोटा में समिति का कोई भी सदस्य पत्ता भी नहीं हिलाएगा बस राजस्थान का यही हाल हे अशोक गहलोत कहने को मुख्यमंत्री तो हें लेकिन बेचारे वोह बेबस हो चले हें अब वोह पहले आले सख्त मुख्यमंत्री नहीं हे वोह चोट छोटे मंत्रियों विधायकों और कार्यकर्ताओं से ब्लेकमेल हो रहे हें और इसीलियें तो राजस्थान अराजकता,भ्रस्ताचार,अनाचार की तरफ बढ़ रहा हे खुदा ही खेर करे। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

देश की समस्याओं के निराकरणकर्ता राजा का ग़लत चयन

देश में आज भुखमरी,गरीबी,आतंकवाद,आन्तरिक असुरक्षा और हिंसा, घोटालों , मिलावट सहित हजारों ऐसी समस्याएं हे जिनके लियें कागजों पर तो विचार हो रहा हे लेकिन कोई सार्थक परिणाम सामने नहीं आये हे आज कश्मीर हो चाहे नक्सली समस्या हो महंगाई हो चाहे भ्रस्टाचार हो उससे निपटने का सरकार और सरकार के उपर बेठी सरकार का जो बेढंगा ढंग हे उसे देख कर मुझे एक किस्सा याद आता हे इस किस्से को मेहरबानी करके पढ़े और खुद अपना अर्थ निकाल कर सच्चाई की तह तक पहुंचे क्योंकि में आगे इस किस्से के अलावा कुछ नहीं लिखूंगा ।
दोस्तों एक बार जंगल में एक शेर को जंगल के राजा के पद से हटाने के लियें जंगल के सभी जानवरों ने यूनियन बना ली और शेर से कहा के भाई लोकतान्त्रिक तरीका अपनाओ जंगल के जानवर आपको नहीं चाहते इसलिए इस पद के लियें चुनाव कराओ। शेर ने कहा ठीक हे चुनाव करालो जंगल के जानवर बहुत खुश हुए और उन्होंने मदारी के इशारे पर नाचने वाले बन्दर को चुनाव में खड़ा कर दिया शेर ने भी इस पद के लियें फ़ार्म भरा लेकिन उसका फ़ार्म ख़ारिज हो गया जंगल के जानवरों ने मदारी के इशारे पर शेर के स्थान पर बन्दर जी को जंगल का राजा निर्विरोध निर्वाचित कर दिया बस फिर किया था बन्दर जी नये राजा के रूप में मदारी जी के इशारे पर नाचने लगे उछल कूद करने लगे ,लेकिन इधर शेर के राजा पद से हटते ही जंगल में सुरे इलाके के शेर घुस गये और रोज़ जानवरों को मरने लगे असुरक्षित परेशान जानवर नये राजा बन्दर जी के पास गये पहले तो वोह कहते रहे हाँ हम कुछ कर रहे हें लेकिन जब रोज़ जानवर मरने लगे तो बस फिर जंगल के जानवरों ने नये राजा बन्दर जी का घेराव कर डाला राजा बन्दर जी डर गये और शेर के पस लड़ने जा पहुंचे शेर जी ने बन्दर जी राजा को देखा और मुस्कुराया उसने एक दो फिर तीन जंगल के जानवरों को मार कर खाया तब जानवर और नाराज़ हुए नाराज़गी देख बेचारे राजा बन्दर जी कभी इस डाली पर तो कभी उस डाली पर कूदने लगे कभी खी खी कर शेर पर चीखने भी लगे लेकिन शेर मुस्कुराये और एक जानवर मार दे ,इस पर जगल के जानवर राजा बन्दर को नचाने वाले मदारी जी के पास पहुंचे मदारी जी ने जानवरों की बात सुनकर कहा भाई क्या करें अब बेचारे राजा बन्दर से जो भी बन पढ़ रहा हे वोह कर तो रहा हे उसकी कोशिशों में कोन सी कमी हे बस द्सोतों राजा बन्दर जी कोशिशें करते रहे और रोज़ शेर जी जानवर खाते रहे , बस में इतना ही कहूँगा बाक़ी तो आप लोगों को ही समझना होगा और देश को बचाने के लियें कुछ करना होगा । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

संत आसाराम का सच बाप रे बाप

देश के ही नहीं विश्व के सुप्रसिद्ध संत आशाराम जो आज खरबपति हें इनके पास खुद के हवाई जहाज़ हर शहर में अरबों खरबों की जमीन आश्रम हें लाखों भक्त इन के एक इशारे पर जान देने को तय्यार हें लेकिन आज तक के सहायक चेनल तेज़ चेनल ने जो अंदर की गंदगी अंदर का सच बयान क्या हे उससे देश को साधू संतों और भक्तों के बारे में एक नया निरिक्षण कानून बनाने के बारे में सोचना होगा ।
चेनल ने अपने स्टिंग ओपरेशन में संत बाबू आसाराम जी को कथित रूप से अपराधी महिला को पनाह देने उसे पुलिस से किस तरह से बच कर रहा जाये इसकी सलाह देते हुए बताया हे यह नंगा सच जिसमे बाबू आसाराम खुद अपराधी महिला को बचाने की जुगत में आश्रम में भक्त बना कर रखने की बात करते हें और इस महिला के डरने पर उसे मुख्यमंत्री तक के आश्रम में माथा टेकने की बात कहकर उसे हिम्मत दिलाते हें तो फिर इस देश में कानून नाम की चीज़ , चरित्र नाम की चीज़ क्या बच जाती हे , ऐसी बात नहीं हे के देश में अपराधियों को पनाह देने वाले संत आसाराम पहले अकेले संत हें सर्वाधिक प्रभावशाली संत चन्द्र स्वामी उर्फ़ नेमीचंद और कई संत जेल काट चुके हें लेकिन कुछ दम हे आसाराम में जो लाख आरोपों के बाद भी सरकार इनका कुछ नहीं बिगड़ सकी हे यह अकेले संत हें जो कानून और देश की सरकार अपनी मुट्ठी में रखते हें जो चाहते हें सो करते हें और पुलिस कानून हे के इनका मुंह तकता रहता हे ।
हाल ही में स्टिंग ओपरेशन में अपराधियों को संरक्ष्ण देने के सच के बाद केंद्र सरकार को विशेष टीम बना कर आश्रम में रह रहे सभी भक्तों के नाम पते ले कर उनकी सकुनत की तस्दीक उनके स्थायी पते से करना जरूरी हे क्योंकि इन हालातों में संत आसाराम जी के सभी आश्रमों में कहीं ना कहीं सेकड़ों ऐसे अपराधी होंगे जो छुपे बेठे होंगे क्या पता बढ़े अपराधी भी इस तलाशी में हाथ लग जाएँ , इन हालातों में अकेले संत आसाराम के आश्रमों की तलाशी और भोत्की सत्यापन ही क्यूँ बलके अब तो सरकार इस मामले में कानून बनाये और देश के सभी मदरसों दारुल उलूम ,मन्दिर,मठ,मस्जिद,आश्रमों में रह रहे सभी भक्तों की स्थायी रिहायशी की तलाश कर उनका भोतिक सत्यापन करें चाहे मोलवी हो चाहे मोलाना चाहे संत हो चाहे साधू हो चाहे पंडित हो चाहे पादरी हो चाहे हो ग्रन्थि सभी धर्मों के धार्मिक स्थलों और आश्रमों की अब तलाशी कर भोतिक सत्यापन करने उनका लेखा जोखा चेक करने का वक्त आ गया हे , इस आमले में सभी धर्म के लोगों को चाहे वोह साधू हो चाहे संत हो चाहे पादरी हो चाहे ग्रन्थि हो सभी को इस जाँच का और इस सम्बन्ध में कानून का स्वागत करना चाहिए क्योंकि जब आशाराम जेसे लोग देश में गद्दारों को पनाह देने की बात करते हें तो फिर क्या पता दाउद,ओसामा जेसे ख्त्रंक अपराधी और दुसरे आतंकवादी छोटे मोटे देश के अपराधी इन आश्रमों ,मदरसों वगेराह में ही पनाह लिए बेठे हों इस मामले में राष्ट्र हित में और राष्ट्रिय सुरक्षा के लियें इस कार्याही को तो लागू आज से ही कर देना चाहिए क्या इस नियम को बनवाने और लागु करवाने के लियें केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लियें आप मेरी मदद करेंगे अगर हाँ तो प्लीज़ मेरी मदद मिरी आवाज़ में आवाज़ मिलाकर किसी भी माध्यम से पत्र या लेखन के माध्यम से सरकार तक पहुंचाएं और आजतक के स्टिंग ओपरेशन के इस पहलु की भी जाँच करवाएं के जब स्टिंग ओपरेशन जून में किया गया था तो इसके प्रसारण को अब तक क्यूँ रोक रखा था कहीं कोई खिचड़ी तो नहीं पकाई जा रही थी वरना तो इतनी गम्भीरत बात जनता और सरकार तक जून में ही पहुंच जाना चाहिए थी इससे भी दल में कुछ काला लगता हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

सब जानते हें जो पैदा हुआ हे उसे मरना हे

जो पैदा हुआ हे
उसे एक दिन
मरना हे
यह सब
जानते हें ,
फिर भी
कुछ
अनजान हें ऐसे
जो कायरों की तरह
जीते हें
हाँ जीते हें
लेकिन ऐसे
लोग
रोज़ और रोज़
मरते हें
उन्हें मरना हे
वोह यह जानते हें
देखों ना
उन समझों को
वोह
जिंदगी के
इस सच को
कहां मानते हें
रोज़ तडपते हें
रोज़ मरते हें
यही हें
जिनके जीने से
समाज और देश
मर रहा हें
यही
सच हे
जो आप भी
जानते हें
हम भी
जानते हें।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

वसुंधरा के सम्मान में कानून का उल्न्न्घन कर हवाई फायरिंग

राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा जी सिंधिया के राष्ट्रीय महासचिव बनने के बाद झालावाड पहुंचने पर उनका जबर्दस्त सम्मान हो रहा हे झालावाड की भाजपा इकाई क्रत्रिम भीड़ बता कर यह साबित करना चाहती हे के वसुंधरा के इयें झालावाड वासी आज भी पलक पांवड़े बिछा कर इन्तिज़ार कर रहे हें लेकिन इस उहा पोह में वोह और खुद वसुंधरा जनता और कानून की निगाह में एक जबर्दस्त अपराध कर बेठे हे । वसुंधरा के झालावाड पहुंचने पर झालावाड के मामू भांजे चोराहे पर उनके स्वागत में एक तरफ तो भीड़ उमड़ रही थी और दूसरी तरफ बन्दूकों से धडा धड फायरिंग कर ब्न्दुक्ची उनका स्वागत कर रहे थे , बन्दूकों का लाइसेंस था या नहीं यह तो नहीं पता लेकिन यह कानून हे के आर्म्स एक्ट कर तहत अगर लाइसेंस आत्मरक्षा के लियें प्राप्त क्या हे तो उसका इस तरह से सार्वजनिक प्रदर्शन नहीं क्या जा सकता यह आर्म्स एक्ट का उल्न्न्घन हे और आर्म्स एक्ट में ऐसे उल्न्न्घन पर लाइसेस खारिज कर हथियार जब्त करने और दोषी लोगों के खिलाफ कार्यवाही का प्रावधान हे जबकि भारतीय दंड संहिता की धरा ३३६ करे तहत इसे दूसरों की जान को जोखिम में डालने वाला उपेक्षित कार्य का अपराध भी मन गया हे पुलिस अधिनियम और दंड प्रक्रिया संहिता की धारा १४४ के उल्न्न्घन का भी यह अपराध हे इस मामले में खुद वसुंधरा सिंधिया और समर्थक मूकदर्शक बने रहे और सब कार्यवाही उनकी उपस्थिति और जानकारी में हुआ और वोह भी बराबर के अपराधी हें लेकिन इस उपेक्षित कार्यवाही मामले में झालावाड का कानून कोई कार्यवाही नहीं करेगा क्योंकि राजनतिक पक्षपात का आरोप लगने का खतरा हे ऐसे में खुद वसुंधरा को अपनी भूल सुधारना चाहिए और जनता से इस गलती की माफ़ी माँगना चाहिए क्यूंकि उनका यह सम्मान सामंत वादिता काल की यद् दिलाता हे जो उनको राजनितिक नुकसान पहुंचाएगा , हेर कानून भी इस मामले में अपराध होने पर चुप हे कलेक्टर खामोश हे एस पी खामोश हे क्यूंकि कानून तो शायद गरीबों के लियें हें इन लोगों के लियें कानून नहीं बनाया गया हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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