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23 सितंबर 2010

पोते के जन्म के साथ बेटे की म़ोत

कोटा में अनंत चतुर्थी के जुलुस के दोरान कल गणपति की प्रतिमाएं विसर्जित करते समय दो बच्चों की म़ोत हो गयी एक सुनील म्र्त्क के साथ अजब घटना हुई इधर तो उसका शव मिला और उधर उसकी पत्नी प्रसव पीड़ा से पीड़ित होकर अस्पताल में भर्ती करवाई गयी इधर म्रतक सुनील की चिता को मुखाग्नि दी गयी उधर सुनील की पत्नी ने एक बच्चे को जन्म दिया इस हालत में सुनील के माता पिता से कुछ कहते नहीं बन पढ़ रहा था लेकिन आज तक भी सुनील की पत्नी को पता नहीं हे के उसके पीटीआई कहां हें वोह तो सोचती हे के कहीं बहर गये हें हे न अजीब इत्तिफाक इधर तो पिता की अर्थी विलीन हुई और उधर पुत्र का जन्म हुआ कुदरत के खेल भी अजीब निराले हें। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

सुप्रीम कोर्ट की भूल

दोस्तों कहते हें के न्ययालय मन्दिर और उसमें बेठ कर न्याय करने वाले भगवान होते हें हमारे देश में न्यायालयों को अपमानित करने वालों के खिलाफ इसीलियें कड़ा कानून बनाया गया हे । लेकिन पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट में एक अजब दास्ताँ हुई हे जिससे सुप्रीम कोर्ट की भूल के बारे में हमें सोचने पर मजबूर होना पढ़ा हे , कल जब सुप्रीम कोर्ट ने रमेश त्रिपाठी की सुलह की अर्जी ख़ारिज करी तो देश में भ्रांतियां फेल गयीं लेकिन आज सुप्रीम कोर्ट ने अपने भूल सुधर ली हे आप जानते हें के सुप्रीम कोर्ट में रमेश त्रिपाठी की अर्जी जब लगाई गयी तो रजिस्ट्रार महोदय ने इस अर्जी को सुनवाई के लियें ग़लत कोर्ट में भेज दी नतीजन प्रकरण सिविल नेचर का होने और कोर्ट क्रिमनल मामलों की होने के कारण न्यायधीशों ने इस अर्जी को तकनीकी कारणों से सुनने से इनकार कर दिया बाद में रजिस्ट्रार ने अपनी भूल सुधारी और इस अर्जी को सिविल न्यायधीशों के समक्ष रखा गया नतीजन एक सुखद फेसला जनता के सामने हें ।

दोस्तों मेरे भारत वासियों कहने को तो यह सामान्य सी बात हे लेकिन रजिस्ट्रार सुप्रीमकोर्ट की इस छोटी सी भूल ने यह साबित कर दिया हे के गलतियां भगवान से भी हो सकती हें ताज्जुब तो इस पर हे के आम आदमी से अगर यह गलती होती तो वोह या तो जेल में होता या फिर तारीखों के लियें चक्कर काट रहा होता लेकिन सुप्रीम कोर्ट में की गयी इस भयंककर गलती के लियें किसी की ज़िम्मेदारी तय कर उसके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गयी हे आप लोगों की इस मामले में क्या राय हे जनाब । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

शुक्र हे खुदा का मुसीबत टली

दोस्तों खुदा का शुक्र हे के बाबरी मस्जिद और राम लला के मामले में आने वाले जिस फेसले से देश में एक घबराहट का माहोल था वोह सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद कम से कम २८ तक तो टल गया । इस फेसले के बाद सम्भावनाओं को तलाशने और बाद में उपजी स्थिति से निपटने के लियें देश के सुरक्षा व्यवस्था पर करोड़ों करोड़ रूपये खर्च हुए हें और देश थम कर रह गया हे , कहने को तो लोगों का आरोप हे के यह सब मीडिया का उठाया हुआ खेल हे , सरकार के बयानों का नतीजा हे लेकिन दोस्तों ऐसा नहीं हें चाहे हमारे नेता हों चाहे धर्माचार्य हों वोह मुंह मेर राम और बगल में छुरी रखते हें यही वजह हे के जो लोग अमन की बात करते हें वही बाद में पीछे से देश में अराकता फेलाने के प्रयासों में अव्वल रहते हें , हमारे कोटा में कल शहर के ज़िम्मेदार बुद्धिजीवियों की बैठक आयोजित की गयी थी बैठक में सभी धर्माचार्य और जनप्रतिनिधि मोजूद थे वहां सब एक मत थे के झगड़ा ना हो फेसला कुछ भी आये सब्र करें और फिर जो भी पक्ष हरे वोह अपील करे कानूनी तरीके अपनाए जो पक्ष जीते वोह खुशियाँ नहीं मनाये। बैठक में थोड़ी देर बाद ही विश्व हिन्दुपरिश्द के एक प्रतिनिधि ने जब साफ़ शब्दों में कहा के धर्म और इतिहास के मामले में अदालत का जो भी निर्णय धार्मिक और ऐतिहासिक तथ्यों को निर्धारित करने वाला आएगा उसे हम हरगिज़ और हरगिज़ नहीं मानेंगे बस इन जनाब के इतना कहते ही शांति पूर्ण तरीके से चल रही एक एथ्क में हंगामा मच गया लोग हिन्दू मुस्लिम और हिन्दू मुलिम समर्थकों में बंट गये तो दोस्तों अराजकता फेलाने का यह बुद्धिजीवियों की बैठक का एक नजारा हे तो फिर देश में तो आज भी ६० फीसदी लोग निरक्षर बेठे हें उनके जज्बात से नेता और कथित धर्माचार्य खेलते रहे हें उन्हें दंगे फसादों में इस्तेमाल करते रहे हें इस लियें देश में केंद्र सरकार, प्रशासन और अदालत , मीडिया पर अराजकता का माहोल बनाने के आरोप लगाने की जगह अगर हम खुद हमारे गिरेबान में झांकेंगे तो जवाब साफ मिल जायेगा के हम कहते क्या हे करते क्या हें और चाहते क्या हें लेकिन दोसोतों आओं एक ऐसा माहोल बनाएं के मन्दिरों गूंजे अज़ान की आवाजें और मस्जिदों बजें आरती की घंटियां हिन्दू के दिलों में हो गीता के साथ साथ कुरान और मुसलमानों के दिलों में हों कुरान के साथ साथ गीता हमारे देश में ना कोई हिन्दू हो ना कोई हो मुसलमान बस जिधर देखें उधर नजर आयें इंसान ही इंसान । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

यहाँ गीता और कुरान पढ़े जाते हें


दोस्तों

यह मेरा

भारत महान हे

यहाँ

चेहरे नहीं

इंसान पढ़े जायेगे

मजहब नहीं

ईमान पढ़े जायेंगे

भारत हे

मेरा महान

यही ऐसा

देश हे

जहां

हर वक्त

हर लम्हा

एक साथ

गीता और कुरान

पढ़े जायेंगे

जो हें शरारती लोग

चाहे जो हो

वोह कुछ भी कर लें

एकता

हमारे देश की

वोह हरगिज़

नहीं तोड़ पायेंगे

दोस्तों एक विश्व

एक खुदा

एक भारत

फिर यह धर्म के नाम पर

नफरत का अधर्म

लोग केसे फेलायेंगे

कसम खाएं आज हम

देश की एकता अखंडता

सुख शान्ति सम्रद्धि के खिलाफ

जो भी राजनीति आएगी

उसे हम एक जुट होकर

मुंह काला कर

भगायेंगे

अधर्मियों को

धर्म में लाने के लियें

पाखंडियों को मुक्ति दिलाने के लियें

इस देश को बचाने के लियें

हम सभी शरारतियों को

मिलकर एकसाथ

गीता और कुरान का

पाठ पढायेंगे

आओ हम फिर से कसम लें

हम अपना हिन्दुस्तान

एक जुट होकर

फिर से

महान बनायेंगे ।

अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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