आपका-अख्तर खान

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25 सितंबर 2010

इंसान जिन्हें कहते हें

इंसान जिन्हें कहते हें
वही लोग
बस
दुनिया में
प्यर बढाया करते हें,
इन्साफ के लियें तरसते लोगों को
यही लोग अपना
बनाया करते हें
इंसान जिन्हें कहते हें
यही वोह लोग हें
कोम और वतन के खातिर
यही लोग अपनी
हस्ती मिटाया करते हें
इंसान हें यही लोग
देश में आती हे
जब भी आफत
देश की हिफ्फाज्त के लियें
यही लोग
अपनी गर्दन कटाया करते हें ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

सब एक राय हो गये

यह देखो
जमाने की फिजा हे
चोर चोर
मोसेरे भाई हो गये ,
तोडना चाहते हें
जो धर्म ,जाती ,भाषा के नाम पर
मेरे इस देश को
वोह देखो
सभी शेतान
एक राय हो गये ,
खुशिया,सुकून मेरे देश का
केसे यह छीने
बस बुनते हें
इसी का यह ताना बाना
देखो जो कभी उत्तर थे कभी दक्षिण थे
आज बर्बादी को मेरे देश की
यह सभी शेतान
एक राय हो गये ,
इलाही तू ही बता
ऐसा सपना होगा कब पूरा मेरा
जब खुले आँख मेरी
और देखूं
मेरे इस देश को बचाने वाले
सभी बिखरे लोग
इसे बचाने के लियें
एक राय हो गये ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

यह क्या हुआ

यह क्या हुआ
अभी तो
उसके होंटों पर
हंसी और तबस्सुम थी
फिर अचानक
यह क्या हुआ
के वोह
जारो कतार रोया हे।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

विश्व ह्रदय दिवस आज

जी हाँ दोस्तों आज विश्व ह्रदय दिवस यानि दिल का दिन हे जी हाँ दिल यानी वोह दिल जो कभी महबूबा को तो कभी किसी को दिया जाता हे कहते हें यह कभी टूटता हे तो कभी जुड़ता हे इस दिल में किस्से छुपे होते हें हजार फिर भी बेचारा यह दिल धडकता हे बेज़ार, लेकिन दुसरा पहलु यह हे के चिकित्सा की द्रष्टि से दिल का इलाज हर लम्हा जरूरी हे और इसी इलाज ने कोटा में तो कमसे कम लुट्ट्स मचा दी हे किसी भी आदमी या ओरत के पेट में दर्द हो , मामूली सा गेस का दर्द हो उसे यहाँ कुछ डोक्टर दिल का मरीज़ बनाकर लाखों रूपये लुटने का कारोबार कर रहे हें यहाँ निजी चिकित्सालयों ने इस मामले में दिल का इलाज करने का भरी भरकम उद्योग खोल लिया हे चिकित्सकों ने अपनी सारी मान मर्यादाये त्याग दी हें एक मरीज़ जिसे सरकारी अस्पताल ने मरत घोषित कर म्रत्यु प्रमाण पत्र दे दिया जिसे उसके परिजन अंतिम संस्कार की जगह निजी अस्पताल ले गये वहां निजी अस्पताल में इस मुर्दा को तीन दिन तक वेंटिलेटर पर रखा और हालत यह बने के मुर्दे के दवा गोली लगाने के नाम पर और होस्पिटल खर्च के नाम पर तीन लाख रूपये का बिल म्रत्क के परिजनों को थमा दिया गया तो दोस्तों हे ना आज विश्व ह्रदय दिवस पर यह दिल का मामला हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कोटा पुलिस में आपस में ठनी

कोटा पुलिस में अप्ताधियों और गेंगेस्त्र से सांठ गाँठ के मामले में यहाँ पुलिस अधिकारीयों में मतभेद उभर कर सामने आने लगे हें । कोटा में आतंक का पर्याय बने भानु गेंगेस्टर के साथ २००६ में कोटा पुलिस ने होटल एन शराब पार्टी करते कोटा के पुलिस अधिकारी सुरेन्द्र सिंह और अन्य को पकड़ा था जिनकी जमानत अदालत से हुई लेकिन बाद में पर्याप्त सबूतों के अभाव में अदालत ने सुरेन्द्र सिंह पुलिस अधिकारी को डिस्चार्ज कर दिया और सुरेन्द्र इंह फिर से ड्यूटी पर ले लिए गये , कोटा में इस कहानी के चलते अधिकारियों में गुटबाजी हो गयी और गेंगेस्त्रों से ताल्लुक रखने वाले अधिकारीयों के खिलाफ कुछ पुलिस कर्मियों ने मोर्चा खोल दिया लेकिन गेंगेस्त्र से ताल्लुक रखने वाले पुलिस अधिकारी हमेशा कोंग्रेस हो चाहे हो भाजपा प्रभावशाली रहे हें और यही कर्ण हे के आज तक प्रशासन उनका कुछ नहीं बिगड़ सका हे एक थानाधिकारी की फोन टेप तो आज भी एक वृष्ट अधिकारी के पास हे जिसमें उसे गेंगेस्त्र से सोदेबाज़ी करता हुआ बताया हे लेकिन अब बात और बढ़ गयी हे एक उप अधीक्षक स्तर के अधिकारी राजिव दत्ता ने पुलिस निरीक्षक सुरेन्द्र सिंह के खिलाफ उनके मोबाइल की कोल डिटेल तात्कालिक थानाधिकारी राकेश्पाल के फर्जी हस्ताक्षर कर निकलवाने का आरोप लगाते हुए कोटा के एक पुलिस थाने में मुकदमा दर्ज कराया हे वेसे कोटा के एक वर्ष के कार्यकाल में यहाँ के सभी पुलिस अधिकारियों के मोबाइल की कोल डिटेल निकलवा कर जांच करवाई जाये तो चोकाने वाले तथ्य सामने आयेंगे और शायद आम जनता को पुलिस नाम से ही नफरत हो जाए ऐसा माहोल बन जाएगा । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

दो करोड़ का कोटा मेला दशहरा

राजस्थान का ही नहीं देश भर का ऐतिहासिक मेला दशहरा कोटा १५ अक्तूबर से शुरू होने जा रहा हे , इस बार कोंग्रेस बोर्ड का यह पहला मेला दशहरा हे , कोटा मेले दशहरे के लियें यहाँ पार्षदों और महापोर में गम्भीर मतभेद उभर कर आये हें फिर भी हर बार आयोजित होने वाले सांस्क्रतिक कार्यक्रमों के लियें कार्यक्रम सम्बन्धित लोगों से अनुबंध शुरू हो गये हे , एक अनुमान के मुताबिक कोटा मेले दशहरे और करीब दो करोड़ रूपये खर्च होंगे जबकि इस के प्रबन्धन के लियें जो खर्च होगा वोह अलग हे,कोटा में इसे पहले वायली फेयर के नाम से वायली नाम के एक अँगरेज़ एजेंट ने १८९२ में मेले की शुरुआत की थी लेकिन फिर धीरे धीरे इसका रूप बदलता गया और दरबार ने इसे किशोरपुरा इलाके में भरवाना शुरू क्या जहां लाखों लोग इस मेले में सेर सपाटा करने आते हें पहले इस मेले में रावण को पत्थर का बना कर गिराया जाता था लेकिन अब परम्परा बदल कर रावण को लकड़ी और कागज़ का बना कर जलाया जाता हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

महिला को डाकन बता कर मार डाला

राष्ट्रीय और राज्य मानवाधिकार आयोग के खास निर्देशों के बाद भी राजस्थान के भीलवाड़ा गुलाबपुरा के गाँव कानिया में ६५ वर्षीय प्रेम देवी को कुछ गुर्जरों ने डाकन बता कर इतना पिता के उसकी मोके पर ही म़ोत हो गयी कल दिन में प्रेम बायीं जब अपने खेत से घर जा रही थी तो कुछ गुर्जरों ने उसे घेर लिया और डाकन बता कर उसकी पिटाई शुरू कर दी हालत यह रहे के किसी भी ग्रामीण ने उसकी रक्षा नहीं की और बेचारी वृद्धा ने तडप तडप कर अपना दम तोड़ दिया , हमारे राजस्थान में चुस्त दुरुस्त प्रशासन हे लेकिन उसके बाद ही इस युग में किसी महिला को डाकन बता कर मार्दालना कहां की इंसानियत हे ताज्जुब तो इस पर हे के प्रशासन और सरकार मानवाधिकार आयोग के आवश्यक निर्देशों के बाद भी इस मामले में कोई ख़ास कार्यवाही नहीं कर रहा हे। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

जेल में म़ोत का खेल

कोटा जेल में चिकित्सा अभाव में केदियों की अकाल म़ोत का सिलसिला लगातार जारी हे, राजस्थान में जेलों के प्रति सरकार की लापरवाही बजट का अभाव कुप्रबंध और अधिकारीयों पर राजनितिक दबाव के अलावा स्टाफ की कमी और सामाजिक भ्रस्टाचार के चलते जेलों में रोजमर्रा हिंसा,जेलर की हत्या ,आतंकवादियों को विदेश में बात करने की मोबाइल सुविधा, केदियों की जेल से भागने की घटनाएँ आम हें , लेकिन कोटा एक ऐसी जगह हें जहाँ जेल कुप्रबंध के चलते हर महीने एक दो केदियों की अकाल मोतें होती हें कोटा जेल का प्रबन्धन अच्छा हो इसके लियें राष्ट्रिय मानवाधिकार आयोग और राज्य मानवाधिकार आयोग ने कई बार हुमन रिलीफ सोसाइटी की शिकायत पर मुख्यसचिव और जेल अधिकारियों को पाबन्द किया हे लेकिन यहाँ केदियों की म़ोत थमने का नाम नहीं ले रही हे कल कोटा जेल में स्वस्थ हालत में भर्ती एक केडी इस्माइल की डोक्टर द्वारा वक्त पर नहीं देखने से म़ोत हो गयी और जेल प्रशासन तथा डोक्टर एक दुसरे को दोषी बता रहे हें म्रतक केदी के पुत्र का आरोप हे के उसके पिता को इलाज की कहने पर जेल में पिता गया और इसीलिए उसकी म़ोत हो गयी हे ।
कोटा सहित राजस्थान की जेलों में व्याप्त व्यवस्थाओं और सुधार के मामले में आज राजथान पत्रिका में पूर्व वरिष्ट पुलिस अधिकारी जो जेल के आई जी भी रहे हें उन्होंने एक रचनात्मक और सुझावात्मक लेख लिखा हे जो हर मामले में बिन्दुवार सभी समस्याओं के कारण और निवारण के पहलुओं को देख कर लिखा हे इसके लियें वोह बधाई के पात्र हें । इस लेख को लिखने वाले लेखक एस पी खडगावत कोटा में पुलिस अधीक्षक और आई जी कोटा रेंज रह चुके हें यह राजस्थान पुलिस में एक मात्र निर्भीक निष्पक्ष और हमेशा बिना राजनितिक प्रभाव के सच को उजागर करने वाले अधिकारी रहे हें इस लेख के लियें जनाब खडगावत साहब बधाई के पात्र हें ऐसे लेख वोह और लिख कर अगर जनता,पुलिस,जेल प्रशासन और केंद्र व् राजस्थान सरकार की आँखें खोलेंगे तब कहीं जाकर शायद इस राजस्थान कें जेल की व्यवस्थाएं सुधर पाएंगी । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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