आपका-अख्तर खान

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22 अक्तूबर 2010

मां जो तेरे लियें रो देती हे

माँ वोह हे
जो अपने सुख भुलाकर
सिर्फ और सिर्फ
तेरे लियें रो देती हे।
में जरा भी दुखी होता हूँ
तो मन मेरी रो देती हे
मां ही तो हे
जो भाईयों के
बिखरे रिश्तों को
प्यार के धागों में
पिरो देती हे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

तुम क्यों दुखी हो

तुम्हारे पास मकान हे
फिर भी तुम दुखी हो
दुखी सिर्फ इसलियें
के तुम देखते हो
और सोचते हो
पड़ोसी का मकान
इतना बढा क्यूँ हे
तुम दुखी हो
दुसरे के सुख के कारण
तुम तुम्हारे दुःख से
ज्यादा दुखी हो ।
इसलियें सोचो
जिसके पास जो हे
वोह तुम्हारा नहीं
तुम्हारे पास जो हे
वोह तुम्हारा हे
उसी में सुख भोगो
यानी जियो और जीने दो
के सिद्धांत पर थोडा चलो तो सही ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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