आपका-अख्तर खान

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29 अक्तूबर 2010

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विदेशों से मानद उपाधि लेने वाले संविधान उल्न्न्घन के दोषी

दोस्तों आज सुबह सवेरे मेने फिल्म स्टार प्रीटी जिंटा द्वारा आज प्राप्त की जाने वाली उपाधि जो उन्हें यूनिवर्सिटी और ईस्ट लन्दन से प्राप्त हुई हे उस पर आपत्ति जताई थी और इसे संविधान का उल्न्न्घन होना कथन क्या था इससे मेरे कई भाई और बहने विचलित से लगे उनमे से भाई आशिस श्रीवास्तव नीरज रोहिला और बहन पूजा ने तो सवाल भी किये हें जबकि सुरेन्द्र भाई ने मनमोहन सिंह ,सोनिया गाँधी और शाहरुख खान द्वारा विदेशी उपाधियाँ प्राप्त करने के हवाले दिए हें मेरे भाई और मेरी बहने मेरी इस पोस्ट से विदेश में पढ़ कर उपाधि प्राप्त करने के मामले को लेकर विचलित हें इस कारण में यह दूसरी पोस्ट सभी लोगों की खिदमत में पेश कर रहा हूँ ...............................
हमारे देश के संविधान के अनुच्छेद १८ में राज्य का कोई भी व्यक्ति चाहे वोह देश का नागरिक हो या विदेशी उसे उपाधि प्रदान करने से मना करता हे और ऐसा संविधान निर्माताओं ने ब्रिटिश शासन काल की saamntvaditaa परम्परा को खत्म करने के लियें क्या था। लेकिन इस अनुच्छेद १८ में सेनिक प्रोत्साहन और वैज्ञानिक विशेषज्ञता प्रोत्साहन को मुक्त रखा गया हे ,इस अनुच्छेद का खंड दो भारत के किसी भी नागरिक को किसी भी विदेशी सरकार से कोई भी उपाधि स्वीक्रत करने से मना करता हे , खंड तीन के अनुसार कोई विदेशी व्यक्ति जो राज्य के अधीन किसी विश्वसनीय पद पर हे बिना राष्ट्रपति की सम्मति के किसी विदेशी राज्य से उपाधि प्राप्त नहीं कर सकता ऐसा प्रतिबंद लगाया गया हे खंड चार में कहा गया हे की कोई ही उपहार व्रत्ति उपाधि बिना राष्ट्रपति की अनुमति के प्राप्त नहीं की जाएगी ।
मेरे भाई आशीष श्रीवास्तव , नीरज रोहिला और बहन पूजा का सवाल हे के विदेश से पढ़ कर डिग्री प्राप्त करने वालों का क्या होगा दुसरे उन्होंने संविधान की धारा के बारे में सवाल क्या था तो संविधान के अनुच्छेद १८ में उपाधियों का अंत घोषित हे जो उपाधियाँ विधिअनुसार कहीं एडमिशन लेकर परीक्षा देकर के की जाती हे वेह शेक्षणिक उपही हे और विद्यार्थी की महनत का नतीजा हे जिसे देश में काम में लेने के लियें विधि नियम बने हें लेकिन बिना किसी महनत के किसी विदेशी संस्थान या सरकार द्वारा भारत की किसी भी ताकतवर शक्ति को प्रभावित करने के लियें कोई मानद उपाधि दी जाती हे जिसके लियें सम्बन्धित व्यक्ति ने कोई अध्ययन कर परीक्षा पास नहीं की हे या कोई उपहार हे तो ऐसा करना संविधान का उलंग्घन हे भाई सुरेन्द्र जी ने शाहरुख खान, सोनिया गाँधी और मनमोहन सिंह द्वारा उपाधियाँ लेने का जो उदाहरण दिया हे वोह सब देश के संविधान के खिलाफ हे , भारत देश के प्रधानमन्त्री कार्यालय में इसका रिकोर्ड मिल जायेगा जब पूर्व प्रधानमन्त्री स्वर्गीय नर्सिंग्घारव साहव खुद के प्रधानमन्त्री पद पर होते हुए विदेश के दोरे पर गये थे और उन्हें क्र्जिस्तान से डॉक्टरेट की मानद उपाधि दी जाना प्रस्तावित थी तब मेने इसी संविधान के अनुच्छेद का उदाहरन देकर एक टेलीग्राम आदरणीय सुप्रीमकोर्ट और दुसरा टेलीग्राम आदरणीय प्रधानमन्त्री नर्सिंग्घा राव साहब को क्या था मेरा टेलीग्राम उन्हें मिला और उन्होंने संविधान विशेषज्ञों से इसकी जांच कराई तब इस snvidhan ke anuchched 18 kaa unhoone smman kiya or fir videsh se mand upadhi prapt nhin ki . akhtar khan akela kota rajsthan .

कोटा के वकीलों ने चेतावनी दिवस मनाया

कोटा के वकीलों ने आज फिर से हडताल और आन्दोलन का बिगुल बजा कर सरकार के खिलाफ जंग का एलान कर दिया हे , कोटा के वकीलों ने २००९ में देश की सबसे बड़ी हडताल कर यह साबित कर दिया था के वोह अपनी मांगों के समर्थन में एक जुट हें और इसलियें कोटा के वकीलों की मांगों के मामले में मुख्यमंत्री राजस्थान सरकार अशोक जी गहलोत ने कोटा के वकीलों को वकील कोलोनी के लियें भूखंड देने , कोटा में राजस्व मंडल की डबल बेंच खुलवाने और राज्य उपभोक्ता फ़ोरम की सर्किट बेंच खोलने की मांगे मांग ली थी जिसे बाद में खुद विधि और न्याय मंत्री जनाब शांति कुमार धारीवाल ने अख़बार में बयान देकर मांगे मने जाने की घोषणा की थी एक अन्य मांग कोटा में हाई कोर्ट की बेंच खोलने के मामले में केन्द्रीय मंत्री ने एक कमेटी बनाने और फिर निर्णय का आश्वासन दिया था लेकिन दस माह गुजरने के बाद भी राजथान सरकार ने पूर्व में स्वीक्रत तीन मांगों के मामले में कोई पहल नहीं की हे इस बीच कोटा अभिभाषक परिषद के अध्यक्ष रामस्वरूप शर्मा , महा सचिव मनोज पूरी ने लगातार फेक्स के जरिये , कलेक्टर के जरिये, डाक के जरिये तीस से भी अधिक मांगपत्र वायदा यद् दिलाने के लियें भेजे
और अब जब वकीलों की स्वीक्रत मांगों की लगातार उपेक्षा होती रही हे उससे वकील काफी नाराज़ हें और वोह फिर से आन्दोलन हड़ताल की राह पकड़ रहे हें वकीलों ने आज इसी क्रम में हड़ताल का आह्वान क्या और न्यायालय परिसर से कलेक्ट्रेट तक रेली के रूप में गये फिर विधि न्याय मंत्री शांति कुमार धारीवाल के निवास पर जाकर आज उनके जन्म दीन होने के बावजूद भी मुर्दाबाद के नारे लगाये और प्रदर्शन किया , इसके बाद वकीलों ने कलेक्टर के माध्यम से राज्य सरकार को ज्ञापन भेज कर स्वीक्रत मांगों की क्रियान्विति नहीं करने पर करो या मरो की तर्ज़ पर आन्दोलन करने की चेतावनी दी । अब देखते हें के सरकार के कान में जूं रेंगती हे या नहीं क्योंकि
हमारी राजस्थान सरकार का रवय्या कुछ अजीब हे उसे पहले कलेक्टर चेताता हे फिर पुलिस अधीक्षक और आई जी चेताते हें , जन प्रतिनिधि चेताते हें लेकिन सरकार नहीं चेतती और जो मांगे बिना आन्दोलन के सरकार मान कर अशांति से जनता को बचा सकती हे उन मांगों पर आन्दोलन और अशांति का माहोल बनने के बाद सरकार मांगे मानती हे इससे सरकार का नाम नहीं बदनामी हो रही हे पिछले दिनों राजस्थान में डॉक्टरों ने सरकार से मांग की मांगपत्र दिया लेकिन डेड लाइन गुजरने के बाद भी उनकी मांगे नहीं मानी गयीं नतीजन डोक्टर हडताल पर गये और बस राजस्थान में सेकड़ों लोग बेमोत मारे गये जब इलाज के आभाव में लोग मरने लगे तब सरकार ने डॉक्टरों की सभी मांगें मान लीं अगर सरकार डॉक्टरों की मांगे पहले ही मान लेती तो सेकड़ों निर्दोष मरीजों को बे म़ोत मरने से बचाया जा सकता था अभी भी कोटा बारूद के ढेर पर हे और आन्दोलन करी वकील अपनी मांगों के समर्थन में अब सडक पर उतर गये हें संवेदन शील सरकार अगर आन्दोलन के पहले ही जो भी वाजिब मांगें समझती हे उन मांगों को मान ले और जो गेर वाजिब मांगें समझती हे उन्हें नहीं माने का कारण बता दे तो सरकार इस कोटा को एक बहुत बड़े आन्दोलन से बचा सकती हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

चांदनी को क्यूँ सजा देती हो

खता मेरी निगाहों की हे
तो फिर आप
चांदनी को
क्यूँ सजा देती हो
जरा रुख से
नकाब तो हटा लो
अपने सुंदर चेहरे
से चांदनी को
छु भर लेने से
यु क्यूँ बचाती हो
अब तो दिखा दो
यह चाँद सा चेहरा
इससे निकलने वाली
चांदनी की खुशनुमा किरणों से
तुम हमें क्यूँ बचाती हो ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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