आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

04 दिसंबर 2010

ललित भाई ब्लोगर्स की अलख जगा रहे हें

बलोगर की दुनिया के अनोखे बेस्ट बलोगर या दी बेस्ट बलोगर आदरणीय ललित शर्मा अब बलोगर की दुनिया को देश भर में मुख्यधारा से जोड़ने के लियें देश के चारों कोने के दोरे से वापस लोट गये हें भाई ललित जी के दोरे की शुरुआत कोटा से हुई और बस यह यात्रा ऐसी शुरू हुई के उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम सभी दिशाओं के छोटे बड़े ब्लोगरों से मिल कर इन्होने इन ब्लोगर्स को एक जुट किया एक दुसरे को ब्लोगिन दुनिया को जनता से जोड़ने के लियें टिप्स दिए लिए और अब ललित जी शर्मा वापस ताय्पुर छत्तीसगढ़ पहुंच गये हें । हमें पक्का भरोसा हे के अब भाई ललित जी देश और विदेश को ब्लोगिंग कीदुनिया को नई दिशा देने के लियें नये नये ब्लॉग आविष्कार और नये नये ब्लॉग लिखेंगे लेकिन उनकी आब तक की यात्रा के संस्मरण जो दुसरे बलोगर भाइयों से जाने को मिले उनके ब्लॉग पर फोटो देखने को मिले ब्लॉग पर मीटिंग के किस्से पढ़ें को मिले बस यह समझों के देश पूरा देखने को मिल गया ललित जी और दुसरे बलोगर भाइयों का मकसद इन ब्लोगर्स मीटिंगों का बलोगर की दुनिया को चोथी स्तम्भ की दुनिया में एक नया मुकाम देने की कोशिश हे और इस कोशिश में यह कामयाब भी हो रहे हें जनाब ललित जी ऐसे पहले बलोगर हें जो सरकारों के बुलावे पर अब राजकीय अतिथि बनकर सरकार की उपलब्धियों के बारे में ब्लॉग की दुनिया के माध्यम से देश और विदेश में सरकार के बारे में परिचय देते हें तो दोस्तों आज देश में एक नया युग भ्रस्ताचार का युगशुरू हो गया हे और इस भ्रस्ताचार युग का शेतान जब देश में नम्बर वन पर हे तो ईस वायरस को मारने के लियें भी लोगों के दिलों में एक भावना जज्बा पैदा हो गया हे और आअज सभी बलोगर साथियों को कम से कम देश के लियें एक खास जरूरत भ्रस्ताचार के खिलाफ तो मुहीम छेड़ना ही चाहिए भाइयों ,बहनों साथियों क्या हम सब मिलकर ऐसा कर सकेंगे मेरी इश्वर से दुआ हे के सभी बलोगर ईस मुहीम के मिल के कामयाब पत्थर साबित होंगे। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कोई पत्थर से ना मारो मेरे दीवाने को ........

एक कहावत हे
बना जब में वकील तो
शेतान ने यह कहा
ऐ खुदा
देख आज में भी
साहिबे ओलाद हो गया ।
दूसरी हकीकत हे
हज पर जब
पढ़ते हें शेतन के पत्थर
दशहरे में पढ़ते हें
रावण केव जब पत्थर
तो बस सच यही हे
दिल में
सभी भ्र्स्ताचारी ,अनाचारी
कहते हें
कोई पत्थर से ना मारो
मेरे दीवाने को ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

यह कातिल अदाएं तेरी .....

यह कातिल
अदाएं तेरी
कभी हाँ कभी ना
जान ही ले लेगी मेरी
बस यूँ खिल खिलाकर
बात उनसे जब तुम करती हो
क्यूँ जलन मुझे होती हे
तू न मेरी थी , ना मेरी हे
फिर भी क्यूँ मेरी ऑंखें रोती हें ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

ऐसे बेठे हें .........

वोह आये महफिल में
शायद मेरे लियें
लेकिन डर से लोगों के
बेठे हें ऐसे चुप सामने मेरे
जेसे देखा ना हो मुझे
अब बताओं
इस डर खोफ के खामोश
प्यार के सहारे
जियेंगे केसे उसके लियें
बस सोचते हें
काश
वोह मिल जाएँ मुझे
ना मिलें अगर तो
बस म़ोत आ जाए उनके लियें
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

नहीं सुधरे तो जनता दोड़ा दोड़ा कर मारेगी

देश में लगातार हो रहे भ्रस्ताचार कारण और निवारण के मामले में अब जब जनता,नेताओं और अधिकारीयों ने उम्मीद छोड़ दी हे तो बस सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने इसे देश से खत्म करने के लिए संकल्प लिया हे , सुप्रीम कोर्ट हो चाहे हाई कोर्ट हो अब तो भ्रस्ताचार के कारण और निवारण मामले में हथियार डाल बेठी हे और चीख चीख कर सार्वजनिक तोर पर यह कहने को मजबूर होना पढ़ा हे के अगर देश से भ्रस्ताचार दूर नहीं हुआ तो जनता भ्र्स्ताचारियों को दोड़ा दोड़ा कर मारेगी बस लगातार हाईकोर्ट सुप्रीम कोर्ट मिलकर चारो घोटाले से लेकर गेहूं घोटाले से लेकर संचार घोटाले में पत्रावलियों की गंदगी और भ्रस्ताचार में सरकार के सहयोग को देख कर अब ऐसी ही टिप्पणी करने को मजबूर हो रही हे इधर अदालतों के मामले में बी जब सुप्रीम कोर्ट ने दबी छुपी टिप्पणी की तो ब्सिलाह्बाद हाईकोर्ट नाराज़ हो गयीउ और एक सच जो सुप्रीम कोर्ट ने देखा और जनता से कहा उसे हटाने के लियें इलाहाबाद हाईकोर्ट खुद सुप्रीम कोर्ट पहुंच गयी भ्रष्टाचार होना कोई नई बात नहीं हे लेकिन इसके उजागर होने पर अगर सुधार की जगह इस तरह चोरी और सीना जोरी होने ल्गेतो सही हे के जनता भ्र्स्ताचारियों को सडकों पर दोड़ा दोड़ा कर मारेगी । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

धुप के नाम पर

वोह बड़ी मुश्किलों में
आये पास मेरे
बेठे देखा
बतियाने लगे धीरे धीरे s
उन्होंने घबरा कर
इधर देखा उधर देखा
जब चारों तरफ लोगों को देखा
वोह शरमाये , इतराए , ल्द्ख्दाये
उठे होले से
बोले इधर सर्दी हे
उधर धुप हे
इसलियें सामने जाकर बेठ गये
बोले इधर गर्मी हे उधर सर्दी हे
मेने देखा तो जहाँ बेठे थे
वहां ना धुप थी ना गर्मी थी
बस वोह दूर थे मुझ से
समझ गया में
में ठंडा हूँ अब उनके लियें
में ठंडा हूँ अब उनके लियें
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

तबस्सुम ने दिया फिर धोखा

एक तबस्सुम
जो सदा थी
लब पे मेरे
चुप रजाई ओडे
बेठे थे हम
लब लिए तबस्सुम
होले होले
वोह आयीं
दिखाए सब्ज़ बाग़ हमें
हम उठे और चल दिए पीछे उनके
बस ना वोह थे ना उनकी झलक
और जो तबस्सुम ख़्वाबों ख्यालों में थी साथ हमारे
वोह भी क्म्बस्ख्त
दूर हो गयी थी हमसे
होले होले ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

धोखा मेरे महबूब का

जी हाँ दोस्तों
क्या बताऊं दासता मेरी
रोज़ वादा करना
रोज़ धोका देना
फितरत हे तेरी
तुने जो कहा मुझ से
लो उठो चलो बाज़ार
में तय्यार हूँ
तेरे लियें
बस उठा जब में
तय्यार होकर तेरे लियें
हर बार की तरह से
दिया फिर धोखा तुने
मुझे
उसके लियें उसके लियें ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

आज जयपुर फिर ठंडा हे

काफ़ी दिनों बाद आज में जयपुर आया हूँ लेकिन यहाँ की ठंडक से एहसास हुआ के राजधानी और राजधानी की सरकार मोसम से भी ज्यादा ठंडी हो गयी हे देश की जो गर्माहट हे बस उसके मुकाबले में तो राजस्धानी जयपुर न्यूनतम तापमान से कई डिग्री सेल्सियस नीचे तापमान हे और यहाँ की राजनीती बर्फ से भी ज्यादा मजबूती से जम गयी हे राजनीति में रसुकात रखने वाले और इन दिनों राजनितिक में सरकारी पदों के इच्छुक लोगों की लम्बी कतार कुत्तों की तरह मुख्यमंत्री निवास और कोंग्रेस कार्यालय में लगी हे जी हाँ दोस्तों इन लोगों के लियें कुत्ता इसलियें कहा गया हे क्योंकि इनमें एक तो टांग ऊँची रखने की बिमारी हे दुसरे यह लोग अपने नेता के वफादार हें अब राजनितिक पदों की बाट करें तो कोंग्रेस के दो साल और कोई उल्लेखनीय उपलब्धी नहीं लेकिन अब तक सभी सरकारी पद खाली रहने से एक बाट तो हे के जिस आदमी को पद मिलने की उम्मीद हेवोह इस उम्मीद में चुप बेठा हे तो जो शख्स पद नहीं मिलेगा ऐसा सोचता हे तो वोह अपने अपने आकाओं के साथ मिल लेकिन अफ़सोस हे के लेकिन lekin अफ़सोस की बाट हे के इन को अभी रोटी के टुकड़े तो क्या चुसी हुई हड्डिया भी नहीं मिल रही हे और फिर अगर यह हड्डियां फेंकी गयीं तो इन राजनितिक कुत्तों और पिल्लों में किस तरह की चिल पों होगी वक्त ही बतायेगा। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...