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06 दिसंबर 2010

कोटा कोंग्रेस कार्यालय कई महीनों बाद हुआ आबाद

कोटा कोंग्रेस कार्यालय जहां कई महीनों से कोई कार्यक्रम नहीं हुआ था केवल एक वरिष्ट कोंग्रेसी नरेश जी विजयवर्गीय इस ज़िम्मेदारी को अकेले निभा रहे थे लेकिन कल अचानक कोटा नगर और कोटा देहात कोंग्रेस ने जब कोंग्रेस सरकार के दो मंत्री शिक्षा मंत्री भंवरलाल और चुन्नीलाल गरासिया को कोंग्रेस कार्यालय में सम्मान के लियें बुलाया तो फिर कोंग्रेसी कार्यकर्ताओं का भी मनोबल बढ़ गया और उन्हें अपनी पार्टी की सरकार में मंत्री से सीधे बिना किसी सुरक्षा के आमने सामने होने का अवसर मिला , कोटा में यह पहला अवसर था जब कोंग्रेस कार्यकर्ताओं को अपने मंत्री से इतनी आज़ादी से मिलने का मोका मिला और इसीलियें कोंग्रेस कार्यालय खचाखच भर गया अकर्यक्र्ताओं की ख़ुशी का ठिकाना ना था और कार्यकर्ताओं के उत्साह को देख कर मंत्री मास्टर भंवर लाल और चुनीलाल गरासिया ने घोषणा कर डाली के कार्यकर्ताओं की अगर अधिकारीयों के खिलाफ शिकायत मिली तो फिर ऐसे अधिकारीयों को बख्शा नहीं जाएगा कार्यकर्ताओं को देख कर पूर्व केन्द्रीय मंत्री भुवनेश चतुर्वेदी ने चेतावनी दे डाली की सरकार की स्थिति ठीक नहीं हे उसे हालत सम्भालना चाहियें वरना महारानी यानी वसुंधरा सिंधिया जादूगरनी हे उसका अगर जादू चल गया तो सरकार और कार्यकर्ता देखते रह जायेंगे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

राजस्थान में अब कचरा और वाहन टेक्स

राजस्थान में अब सरकार निकायों की आय बढ़ाने के लियें प्रावधान और संविधान की भावनाओं के विपरीत राजस्थान में मकानों और प्लाटों से कचरा टेक्स वसूलने की तय्यारी में हे जबकि दो पहिये और चो पहिये वाहनों से भी टेक्स वसूली का मसोदा तय्यार कर लिया गया हे । भ्रस्ताचार के आखंड में डूबे निकायों के पदाधिकारी लाखों करोड़ो के घोटाले तो आसानी से कर के बच निकल रहे हें लेकिन फिर भी सरकार उन्हें और भ्रष्ट बनाने के लियें निकायों को मनमाने विधि विरुद्ध टेक्स वसूली की छुट दे रही हे , राजस्थान में जो मसविदा तय्यार किया गया हे उसमे प्रति मकान और प्लाट सफाई का शुल्क वसूला जाएगा जबकि घर में झड़ने वाले हरिजन का खर्च अलग से हे इसके आलावा दो पहिया वाहन और चार पहिये वाहनों पर अलग टेक्स वसूली की योजना हे , राजस्थान में अजमेर में प्रवेश कर कोटा में पेट्रोल कर , रजिस्ट्री कर सहित पुरे राजस्थान के जिलों और पालिकाओं में मनमानी टेल्स वसूलिया चल रही हें लेकिन नगर निगम पलिकोँ में जितने कर्मचारी और वाहन हें उससे २५ फीसदी भी काम नहीं हो रहा हे अब इस सरकार में राम नाम की लुट मची हे लूट जनता को लूट सके तो लूट की कहावत चरितार्थ हो रही हे और राजस्थान के सरकारी स्कुल हो चाहे कोलेज हों चाहे रोडवेज़ चाहे आर टी ओ चाहे यातायात पुलिस या अस्पताल हो सभी महकमों में लूट मची हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

अवेध गेस सिलेंडर की धरपकड

कोटा में रसद अधिकारी की पूरी जाँच पड़ताल के दावे खोखले साबित हुए हें और हालात यह हें के यहाँ कल विशेष पुलिस अनुसन्धान शाखा के उप अधीक्षक सतपाल चोधरी ने अचानक स्टेशन इलाके में छापा मार कर ४३ गेस सिलेंडर जब्त किये हें , विनीत शर्मा नाम के यह जनाब पूर्व रसद अधिकारी के सुपुत्र हें और अपने र्सुकात के बल पर कम्पनियों से गेस सिलेंडर लेते रहे हें , एक तरफ तो कम्पनिया गेस वितरण में गेस सप्लाई नियमों का उलंघन करते हे और दूसरी तरफ ऐसे कालाबाजारियों को तुरंत गेस उपलब्ध हो जाती हे विशेष अनुसन्धान पुलिस ने वेसे तो इन सिलेंडर कालाबाजारियों को रंगे हाथों पकड़ लिया हे लेकिन इस मामले में कोई भी कार्यवाही करने के लियें रसद अधिकारी ही अधिक्रत हें अब देखना यह हे के पूर्व रसद अधिकारी के पुत्र के खिलाफ कोटा पुलिस और रसद अधिकारी किस तरह की कार्यवाही करते हें साथ ही जिन कम्पनियों के अवेध गेस सिलेंडर बरामद हुए हें उन कालाबाजारी कम्पनियों के खिलाफ सरकार क्या कार्यवाही करती हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मुख्यमंत्री गहलोत ने कोटा के वकीलों को अंगूठा दिखाया

पिछले कई महीनों से आंदोलनरत वकीलों की तीन स्वीक्रत मांगों के मामले में पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तय करने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ना जाने किस दबाव में कोटा के वकीलों से मिलने से इनकार कर दिया हे कोटा के वकीलों से उन्होंने कहा हे के पहले वोह अपनी हडताल खत्म करे फिर कहीं जाकर उनसे वार्ता पर विचार किया जाएगा , एक राज्य के मुख्यमंत्री जो पहले गृह मंत्री से संदेशा भिजवाकर वकीलों को वार्ता का वक्त देते हें फिर अगली तारीख देते हें और फिर अगली तारीख देते हे वकील आन्दोलन खत्म कर केवल प्रतीकात्मक हडताल का निर्णय लेते हे तो फिर आखिर ऐसी कोंसी मजबूरी आती हे के मुख्यमंत्री पूर्व निर्धारित मुलाक़ात कार्यक्रम से इंकार कर देते हें और फिर एक संदेश कोटा के वकीलों के प्रतिनिधियों के पास आता हे के हम आपकी स्वीक्रत मांग के बारे में आपसे कोई बात नहीं करेंगे अगर हडताल पूरी खत्म करो तो फिर इस पर विचार करेंगे बस इसी मामले को लेकर कोटा के वकील भडक गये हें और कोटा के वकीलों का कहना हे के मुख्मंत्री अशोक गहलोत ने कोटा के वकीलों को पहले तो वायदा दिया फिर वायदा पूरा नहीं किया फिर बातचीत के लियें वक्त देने का वायदा किया और अचानक अंगूठा दिखा दिया इससे कोटा का वकील अपमानित और ठगा सा महसूस कर रहा हे लेकिन क्या करें भाई यह राजनीति हे और अभिभाषक परिषद के चुनाव १५ दिसम्बर को हें देखते हे आब क्या होता हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

थोमस को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

हाल ही में सोनिया मनमोहन के चहेते थोमस जिन्हें भ्रस्ताचार के गम्भीर आरोपों के बाद भी केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त के पद पर नियुक्त कर दिया गया हे उन्हें अब तक नहीं हटाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी कर दिया हे ,थोमस जिन्हें पुरे देश के भ्रस्ताचार के सतर्कता का भार सोंपा गया हे वोह खुद प्राथमिक जाँच में भ्रस्ताचार के आरोपी हे और इस मामले में जब सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी गयी तो सुप्रीम कोर्ट ने पहले तो अपना माथा ठोका और फिर इस व्यवस्था पर सवाल उठाये सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को जब सरकार और थोमस ने ग्म्बिरता से नहीं लिया और वोह मर्यादित तरीके से अपने पद से नहीं हटे तो सुप्रीम कोर्ट को मजबूरी में थोमस को इस मामले में प्रकरण दर्ज कर कारण बताओ नोटिस देना पढ़ा देश के इतिहास में पहला ऐसा अवसर आया हे के देश के भ्रस्ताचार और अनियमितता की जांच करने वाले नियंत्रक खुद भ्रस्ताचार के आरोपों के घेरे में हों और पद नहीं छोड़ रहे हों जिन्हें सुप्रीम कोर्ट का नोटिस जारी हुआ हे देश में चरित्र की इतनी गिरावट शीर्ष पदों पर बेठे लोगों में आजाने से अब देश का तो भगवान ही मालिक हो गया हे मेरे इस महान देश के लियें आप भी दुआ करें के इश्वर इस देश के नेताओं और अधिकारीयों को सद्बुद्धि दे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मुझे सदमा काहे को होता ...


उनकी बेवफाई का
में यूँ
सदमा लिए
बेठा हूँ
जो हे मुझ से
बावफा
होता में
काबू में अगर उसके
तो फिर
काहे को मुझे
आज
यह सदमा होता .........
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

बस कहो के मुलाक़ात ना थी ...

क्यूँ कहते हो
के
पाँव में लगी थी
महंदी मेरे
क्यूँ कहते हो
रात बहुत थी
क्यूँ कहते हो
तेज़ बरसात थी
क्यूँ कहते हो
अंधी और तूफान था
यह तो सब बहाने हें
मुलाक़ात से बचने के
देख लिया हमने
ना महंदी थी
ना आंधी थी
नाही थी बरसात
बस कह दो
किस्मत में
नहीं थी
तुम्हारी और
मेरी मुलाक़ात ...............
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

वफा केसी ...

यह वफा
हे केसी केसी
हम करते हें
रोज़ वफा पर वफा उनसे
फिर भी
वोह क्यूँ करते
हें
बेवफाई हमसे
बताओ तो सही
यह वफा केसी
जिस पर
भारी हे बेवफाई
और बस
इसलियें
आज
होती हे रोज़
हमारी रुसवाई ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

भाई ललित जी का राम राम कोटा के लियें

श्मशान और कब्रिस्तान तक, लगे हैं जिन्दगी के मेले ---- ललित शर्मा

जहां से हम चलते हैं वहीं फ़िर पहुंच जाते हैं घूम घाम कर, धरती गोल है। ईश्वर की सारी सृष्टि ही गोल है, कहीं भी चौकोर नही हैं। चौरास्ते नहीं है, भटकने का जो खतरा होता है। भूल भूलैया से निकल कर सीधा वहीं आना पड़ता है जहां कोई आना नहीं चाहेगा। लेकिन मुझे सुकून वहीं मिलता है जहां आने से लोग डरते हैं। घर से बैठ कर ही जलती चिताओं को देखता हूँ। उसकी लपटें धीरे धीरे बढते हुए एका एक गगन चूमने लगती हैं। फ़िर मद्धम होकर शांत हो जाती हैं। फ़िर अंगारे धधकते रहते हैं कितना गर्व और गुमान भरा है इस देह में। जिसकी अकड़ भस्म होने पर ही निकलती है। शायद श्मशान ही वह जगह जहाँ मनुष्य को अपने किए की याद आती है, भले बुरे कर्मों का चिंतन करता है और वापस आकर पुन: उसी प्रक्रिया में लग जाता है। इसीलिए श्मशान बैराग कहा गया है।

वकील साहब कोर्ट से आ जाते हैं तब तक मैं एक पोस्ट लिख देता हूँ। उनका वाहन अस्पताल में जनरल चेकअप के लिए भर्ती है। तभी अख्तर खान अकेला जी याद आती है वकील साहब उन्हे फ़ोन लगा कर बुलाते हैं। तब तक हम कार लेकर आ जाते हैं। अकेला साहब के साथ चल पड़ते हैं कोटा भ्रमण को। वकील साहब बताते हैं कि कोटा की सुंदर जगहों में एक श्मशान है मुक्तिधाम किशोरपुरा में जिसे कोटा के एक बिड़ला परिवार ने सजाया संवारा है। हम श्मशान में पहुंच जाते हैं। चम्बल के तीर यह श्मशान वास्तव में इस लायक है कि यहां चिरविश्राम लिया जा सकता है।

आत्मा का परमात्मा से मिलन हो सकता है। कुछ चिताएं अभी भी सुलग रही हैं, कुछ की भस्म ठंडी हो रही है।ज्वालाएं अंधेरे को दूर भगाने का पुरजोर प्रयास कर रही हैं। देह जला कर अंधेरा दूर भगाने का प्रयास नमन योग्य है।मैं कुछ देर खड़े होकर उन्हें अंतिम नमस्कार करता हूँ और ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ उन्हे सदगति प्रदान करे। अरे मेरे संकट मोचक पास ही हैं, मेरे साथ यहाँ तक आ पहुंचे।प्रणाम है बाबा तुम्हे, यूँ ही साथ रहा करो। पास ही एक अखाड़ा है जहां गदाधारी महावीर विराज मान है, कुछ पहलवाल जोर लगाने के बाद भांग रगड़ा लगाते हैं और फ़िर मस्त हो जाते हैं ठंडाई पीकर। वकील साहब ने बताया कि यहां आधा किलो भांग रोज ही चढा ली जाती है। भांग का नाम सुनकर मैं तो सिहर उठता हूँ। बनारस के काशी विश्वनाथ जी की यात्रा का स्मरण हो जाता है।
अंधेरा हो चला है कुछ ठंड भी है वातावरण में,अकेला साहब अब अधरशिला दिखाने ले चलते हैं। यह प्रकृति का एक चमत्कार है कि एक विशाल शिला यहां एक बिंदु पर आकर टिक गयी है। अधरशिला के पास ही एक मंदिर है यहां प्यारे मिंया महबूब साहब स्थान है। इस स्थान से मंदिर के कंगुरे दिखाई देते हैं। साम्प्रदायिक सद्भाव की एक अनुठी मिशाल है। कवि यौगेन्द्र मौद्गिल की पंक्तियां याद आ जाती हैं- मस्जिद की मीनारें बोलीं, मंदिर के कंगूरों से, संभव हो तो देश बचा लो मज़हब के लंगूरों से.." हम अधरशिला देखते हैं। अधरशिला के नीचे थोड़ी सी जगह है जहां से बच्चों को पार कराया जाता है। अकेला भाई ने बताया कि किवदंती है कि हराम का जना बच्चा इसमें फ़ंस जाता है और सही बच्चा पार निकल जाता है। सोचना पड़ा कि जब बच्चा इस संकरी जगह में परीक्षा दे रहा होगा तो उसके माँ बाप के चेहरों पर किस किस तरह के भाव उमड़ रहे होगें। ये परीक्षा बच्चों की नहीं माँ बाप की होती है। समझ लो कि "हूई गति सांप छछुंदर केरी"
पास ही एक कब्रिस्तान है जहाँ बहुत सारे लोग कयामत का इंतजार कर रहे हैं कितनी लगन है इस इंतजार में। नहीं तो किसी का इंतजार करना, ना रे बाबा ना, मेरे लिए तो बहुत कठिन काम है। लेकिन यहां तो इंतजार करना ही पड़ेगा। यहां किसी की सिफ़ारिश पर्ची या टेलीफ़ोन पैरवी नहीं चलती। सभी को इंतजार करना पड़ता है। अकेला साहब ने बताया कि कोटा के प्रसिद्ध डॉ ए क्यु खान साहब ने अपनी कब्र खुदवा रखी है। इनकी पत्नी का इंतकाल लगभग 30 वर्ष पूर्व हो गया था। डॉक्टर साहब की ख्वाहिश थी कि उनकी फ़ौत के बाद वे अपनी पत्नी की कब्र के पास ही दफ़न हों। इसलिए इन्होने एडवांस बुकिंग इस्लामिक रिवाज के अनुसार करवा ली। इस्लामिक रवायत के अनुसार जो भी शख्स अपने दफ़न के लिए जगह आरक्षित करता है उसे प्रतिवर्ष उस कब्र के बराबर अनाज भरकर ईद से पहले गरीबों में बांटना पड़ता है और इस कार्य को डॉ ए क्यु खान साहब पिछ्ले 30 सालों से अंजाम दे रहे हैं।
श्मशान और कब्रिस्तान से अब हम चल पड़े बाजार की तरफ़ जहां उम्दा पान हमारा इंतजार कर रहे थे। पेशे से पत्रकार और अधिवक्ता अख्तर खान अकेला साहब उर्दु साहित्य पर भी अच्छी पकड़ रखते हैं। उन्होने “अकेला” तखल्लुस का राज भी खोला। पान की दुकान पर जाने से पहले हमने कोटा की उम्दा कुल्फ़ी का स्वाद लिया। पान के तो कहने की क्या थे। 90 नम्बर की किमाम ने जायका ही ला दिया पान में। यहीं पर हमारी मुलाकात कोटा से प्रकाशित देनिक कोटा ब्यूरो के सम्पादक जनाब कय्यूम अली एवं प्रेस क्लब के कोटा के महासचिव जनाब हरिमोहन शर्मा जी से हुई। सभी से मिलकर बहुत अच्छा लगा। कोटा जैसे एतिहासिक शहर में घुमना तो कम ही हुआ पर दिनेश जी के साथ घुमना अच्छा लगा। इसके पश्चात अकेला साहब के चेम्बर में भी गए जहाँ एडवोकेट आबिद अब्बासी और नईमुद्दीन काजी जी से भी भेंट हुई। अकेला साहब ने कुरान पाक की एक प्रति दिनेश जी को भेंट की और मुझे कोटा के इतिहास से संबंधित एक पुस्तक भी। मैं सभी का शुक्रगुजार हूँ।
मैने अधरशिला से एक चित्र लिया जिसमें अधरशिला में लगा ध्वज और मंदिर एक साथ नजर आ रहा है। एक चक्कर हमने कोटा के परकोटे का भी लगाया। लेकिन किला वगैरह नहीं देख पाए उसे बाद के लिए रख छोड़ा कोटा के विषय में एक जानकारी और दे दूँ कि यहां थर्मल, हाइड्रो, एटमिक, और गैस से बिजली का निर्माण होता है। मेवाड़ एक्सप्रेस रात डेढ बजे कोटा से चित्तौड़ जाती है। हम घर पहुंच कर जीम लिए और रवि स्वर्णकार जी से फ़ोन पर बात हुई, वे रावत भाटा में थे। कोटा होते तो मुलाकात हो जाती। कुछ देर आराम करने के बाद एक बजे उठे तो पता चला की गाड़ी कुछ देर लेट चल रही है। वकील साहब के साथ स्टेशन पहुंचे तो पता चला गाड़ी एक घंटे लेट है। प्लेटफ़ार्म पर वकील साहब से चर्चा होती रही। वकील साहब का जीवन भी संघर्ष से भरा प्रेरणादायी है। ट्रेन आ गयी, हमारा रिजर्वेशन नहीं था लेकिन आराम से सोने के लिए सीट मिल गयी। तब तक सुबह का अखबार भी आ चुका था। वकील साहब से हमने विदा ली और चल पड़े चित्तौड़ गढ की ओर इंदुपुरी, पद्मसिंग और रानी पद्मिनी से मिलने के लिए…………..।
Read More: http://lalitdotcom.blogspot.com/2010/12/blog-post_06.हटमल अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान आदरनीय ब्लोगर भाइयों मेरे बड़े भाई ने कोटा की खासियत को जिस तरह से अल्फाजों में समेत हे और कोटा का विवरण आप तक पहुंचाया हे तो में इस पोस्ट को आप तक दुबारा प्रेषित करने से नहीं रोक सका क्योंकि भाई ललित जी ने तो अपना काम कर दिया लेकिन कोटा और कोटा वासियों को तो उन्होंने अपना ऋणी कर दिया । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मां अब भी रोती हे ........

मां
पहले भी रोती थी
आज भी रोती हे
पहले
बच्चा जब खाना नहीं खाता था
तब मां बच्चे को
भूखा देख कर रोती थी
आज बच्चे जब बढ़े हुए हें
घर में बहु आई हे
मां तब भी रोती हे
फर्क इतना हे जब
बच्चे के रोती नहीं खाने पर रोती थी
आज बहु बेटे
उसे रोती नहीं देते
इसलियें मां रोती हे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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