आपका-अख्तर खान

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09 दिसंबर 2010

अमेरिका को साडी से परेशानी

हर बार एयरपोर्ट पर भारतियों का तलाशी के नाम पर अपमान करने का आरोपी अमेरिका को अब साडी से आपत्ति हो गयी हे , हमारे देश की राजदूत मीरा शंकर को साडी पहने एयरपोर्ट के सुरक्षा कर्मियों ने किया देखा बस उन्हें अलग लेजाया गया और उनकी बदतमीजी के साथ तलाशी ली गयी पहचान बताने पर भी उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई अमेरिका में भारतियों के अपमान की यह पहली कहानी नहीं हे बलके बहन हर बार किसी ना किसी भारतीय का अपमान होता हे और भारत हाथ पर हाथ धरे चुप बेठ जाता हे अगर हमारे देश में अमेरिकियों की भी तलाशी शुरू हो जाए तो खुद बा खुद अमेरिका को उसकी ओकात का पता चल जाएगा लेकिन हमारा देश अमेरिका के आगे ना जाने क्यूँ कमज़ोर पढ़ जाता हे प्रधानमन्त्री से लेकर सभी मंत्रियों का अपमान होने के बाद भी भारत की चुप्पी शर्मनाक ही कही जा सकती हे अगर ऐसा ही चलता रहा तो देश में घुमने वाले अमेरिकियों को हमारे देश के लोग तलाशी के नाम पर मुंह तोड़ जवाब देने लगेंगे क्योंकि हमारा देश भी आतंकवाद की चपेट में हे और हमारे देश को भी सुरक्षा के नाम पर तलाशी का हक हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

हरे व्रक्ष लगाने की शर्त पर अग्रिम जमानत

दोस्तों राजस्थान हाईकोर्ट ने कोटा से जुड़े एक विशिष्ट मामले में पर्यावरण संरक्ष्ण की दिशा में एक महत्वपूर्ण फेसला देते हुए मन्दिर के एक पुजारी को व्रक्ष लगाने की शर्त पर अग्रिम जमानत देने के आदेश दिए हें कोटा के रेलवे कोलोनी थाना इलाके में स्थित एक मन्दिर के पुजारी जयकिशन पर मन्दिर परिसर विस्तार के वक्त हरे पेड़ काटने का आरोप था जिसके विरुद्ध थाना रेलवे कोलोनी में मुकदमा दर्ज किया गया था , पुलिस की गिरफ्त से बचने के लियें पुजारी ने कोटा के जिला एवं सेशन न्यायधीश के यहाँ अग्रिम जमानत का प्रार्थना पत्र पेश किया था लेकिन उनका प्रर्थना पत्र ख़ारिज कर दिया गया , इस मामले में अग्रिम जमानत की याचिका लेकर पुजारी राजस्थान हाईकोर्ट में गये जहाँ उनके प्रार्थना पत्र पर सुनवायी के बाद जस्टिस महेश चन्द्र शर्मा ने कहा के पुजारी कटे गये पढ़ के बदले अगर मन्दिर परिसर में १३० व्रक्ष लगायें तो उनको देश नहीं छोड़ने की शर्त पर अग्रिम जमानत पर आज़ाद किये जाने के आदेश दिए जाते हें । पर्यावरण संरक्ष्ण की दिशा में यह एक नया आदेश हे और इसकी सभी वर्गो में सराहना की जा रही हे साथ ही सवाल उठाये गये हें के सरकार द्वारा हर वर्ष योजनाओं के नाम पर लाखों पढ़ काटे जाते हें और उनकी भरपाई नहीं होती हे तो ऐसी सरकार और सरकार के अधिकारीयों के खिलाफ क्या कार्यवाही किया जाना चाहिए अब सरकार को भी इसी अनुपात में व्रक्ष लगाना चाहिए ताकि पर्यावरण संतुलन बना रहे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कहीं ऐसा ना हो .........

यूँ
आँखों में आँखें
डाल कर
बार बार
ना देखो
कहीं
ऐसा ना हो
के
प्यार हो जाए ,
तुम लोगों को
और लोग
तुम्हें
देखते रहें
और हम
आपको
फुल समझ कर
तितली की
तरह
आपसे लिपट जाएँ ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

विश्व मानवाधिकार दिवस की नोटंकी कल होगी

देश भर में विश्व मानवाधिकार दिवस कल दस दिसम्बर को मनाने की नोटंकी की जाएगी इस नोटंकी में देश में कथित रूप से राष्ट्रिय स्तरीय और राज्य स्तरीय कई कार्यक्रम आयोजित कर लाखों रूपये बर्बाद किये जायेंगे लेकिन देश में आज भी मानाधिकार कानून मामले में देश पंगु बना हुआ हे देश में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन वर्ष १९९३ में गठित कर सुप्रीम कोर्ट के जज रंगनाथ मिश्र को इसका अध्यक्ष बनाया गया और इसी के साथ ही राष्ट्रिय मानवाधिकार कानून देश भर में लागू कर दिया गया , रंगनाथ मिश्र ने इस कानून के माध्यम से देश भर में लोगों को न्याय दिलवाया लेकिन फिर सरकार अपने स्तर पर इस आयोग में नियुक्तियां करने लगी और आज देश भर में राष्ट्रिय और राज्य मानवाधिकार आयोग खुद एक सरकारी एजेंसी बन कर रह गये हें आयोग खुद काफी लम्बे वक्त तक खुद की सुख सुविधाओं के लियें लड़ता रहा और फिर जब राजकीय नियुक्तिया इस आयोग में हुई तो आयोग सरकार के खिलाफ कोई भी निर्देश देने से कतराने लगा , राजस्थान में भी मानवाधिकार आयोग हे लेकिन कई ऐसे मामले हें जिनमे सरकार के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हो सकी हे जब योग और कर्मचारियों तथा पदाधिकारियों की नियुक्ति सरकारी स्तर पर होती हे और वेतन भत्ते सरकार से उठाये जाते हें तो जिसका खायेंगे उसका बजायेंगे की तर्ज़ पर कम होता हे और स्थिति यह हे के देश में १९९३ में बने कानून के तहत आज तक किसी भी हिस्से में मानवाधिकार न्यायालय नहीं खोली गयी हे जबकि अधिनियम में हर जिले में एक मानवाधिकार न्यायायलय खोलने का प्रावधान हे लेकिन सरकार ने नातो ऐसा किया और ना ही पद पर बेठे आयोग के अध्यक्षों ने इस तरफ सरकार पर दबाव बनाया जरा सोचो जब आयोग खुद ही अपने कानून को देश में लागु करवा पाने में असमर्थ हे तो फिर दुसरे कल्याणकारी कानून केसे लागू होंगे ।
राजस्थान में पुलिस नियम अधिनियम २००७ में पारित हुआ इस कानून के तहत पुलिस और जनता की कार्य प्रणाली पर अंकुश के लियें समितियों और आयोग के गठन का स्पष्ट प्रावधान हे लेकिन आज तक तीन वर्ष गुजरने पर भी समितिया गठित नहीं की गयी हें जबकि थानों पर अंकुश के लियें इन समितियों का गठन विधिक प्रावधान हे इसी तरह मानवाधिकार कानून के तहत जिलेवार प्रतिनिधियों की नियुक्ति नहीं की गयी हे । देश के थानों में आज भी प्रताड़ना का दोर जारी हे हालात यह हें के हिरासत में मोतों का सिलसिला थमा नहीं हे सरकारी मशीनरी कदम कदम पर मानवाधिकारों का शोषण कर रही हे लेकिन आयोग के दायरे सीमित हें स्टाफ और सदस्य सीमित हें जिला स्तर पर कोई प्रतिनिधि नियुक्त नहीं किये गये हें और आयोग मात्र कार ड्राइवर और भत्तों का बन कर रह गया हे कुछ मामलों में आयोग कठोर रुख अपनाता हे तो उसकी पलना नहीं होती हे कोटा जेल के अंदर इन दिनों नियमित हिरासत में मोतें हो रही हें और हालात यह हें के राजस्थान और राष्ट्रिय मानवाधिकार आयोग ने कोटा जेल में मानवीय व्यवस्थाएं करने के लियें एक दर्जन से अधिक मेरी सोसाइटी ह्युमन रिलीफ सोसाइटी की शिकायत पर राज्य सरकार और कोटा के अधिकारीयों को निर्देश दिए हें मुझे गर्व हे के मानवाधिकार क्षेत्र में कार्य करने के लियें मेरी सोसाइटी ह्यूमन रिलीफ सोसिईती १९९२ में बनी और फिर १९९३ में आयोग और राष्ट्री मानवाधिकार कानून बना राजस्थान में कोटा से राष्रीय मानवाधिकार आयोग में सबसे पहली शिकायत मेरी दर्ज की गयी और इस शिकायत पर बाबू इरानी पीड़ित को न्याय दिलवाकर एक थाना अधिकारी को अपराधी बना कर मुकदमा दर्ज करवाने के निर्देश दिए गये और मुआवजा भी दिलवाया गया । कल विश्व मानवाधिकार दिवस पर अप सभी ब्लोगर बन्धु जिलेवार मानवाधिकार कोर्ट खोलने ,समितिया गठित करने पुलिस आयोग और समितिया गठित करने , न्यायालयों और थानों में कमरे लगवाने के मामले में एक एक ब्लॉग अवश्य लिख कर नुब्ग्र्हित करने ताकि देश में कम से कम इस कानून की १७ साल बाद तो क्रियानाविती हो सके । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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