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15 दिसंबर 2010

चोर इंजीनियर का स्टिंग किया और मर गया

कोटा के एक बढ़े ठेकेदार अजय गुप्ता ने नगर विकास न्यास के एक अधिशासी अभियंता जो बिजली विभाग का काम देख रहे थे उने द्वारा काम देने और भुगताने करने के मामले में रिश्वत मांगने की बातें टेप कीं और रिश्वत देते हुए और अभियंता द्वारा रिश्वत लेते हुए वीडियों बनाई खुद के लेबटोप में उसे रिकोर्ड कर सेव किया और फिर ठेकेदार जी इस सारी जानकारी को सीडी के साथ एक लिफ़ाफ़े में रख कर भ्रस्ताचार निरोधक विभाग को भेज कर दिल्ली चले गये । ठेकेदार अजय गुप्ता दिल्ली में खुद की निजी कार से गये थे उनकी लाश संदिग्ध हालत में एक नाले में पढ़ी मिली उनका सामान गायब मिला जिसे पुलिस ने बाद में दो लोगों को गिरफ्तार कर बरामद किया नाले में पही लाश को पुलिस ने पहले हत्या माना फिर अब पुलिस उसे आत्म हत्या मान रही हे एक व्यक्ति ने खुद को मार कर क्या कभी नाले में फेंका हे ऐसा कोई द्र्स्तांत देश या इश्व के किसी भी कोने में देखने को नहीं मिला हे लेकिन दिल्ली पुलिस हे के मानती ही नहीं । पुलिस का कहना हे के ठेकेदार जी कर्जे में डूबे हुए थे उनकी दस करोड़ रूपये की इंश्योरेंस पालिसी थी इसलियें घरवालों को मरने के बाद इंश्योरेंस की राशी दिलाने के लियें ठेकेदार जी ने आत्म हत्या की हे अब जब ठेकेदार जी की शिकायत भ्रस्ताचार निरोधक विभाग तक पहुंची हे तो जान्च का बिंदु वापस से हत्या की तरफ मूढ़ गया हे सब जानते हें के एक ठेकेदार जब इंजीनियर को रिश्वत देकर फिल्म बना रहा हे तो वोह आत्म हत्या क्यूँ करेगा और वोह भी खुद आत्म हत्या करके खुद की लाश नाले में केसे गिराएगा लेकिन दिल्ली पुलिस और इंश्योरेंस के इन्वेस्टिगेटर हें के कुछ भी कह देते हें कुछ भी लिख लेते हें । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मोहर्रम के बारे में अनमोल जानकारियाँ

दोस्तों यह तो सब को पता हे के मोहर्रम मुसलमानों के लियें नये साल का पहला महीना हे और इस महीने में इस्लाम की सुरक्षा के लियें दुःख तकलीफ में रहने के बाद भी तडपा तडपा कर मारने के बाद भी शहीद लोग इस्लाम की राह से डिगे नहीं थे इसलियें इस महीने की अहमियत और बढ़ गयी हे इस माह में हलीम यानि सभी अनाजों को यानि दल,चांवल,गेंहू वगेरा को मिलाकर एक विशेष डिश बनाई जाती हे और फिर भूखों को खाना प्यासों को पानी दे कर सेवा की जाती हे ।
मोहर्रम की दस तारीख को योमे अशुरा भी कहते हें मुसलमान इसी दिन को इस्लाम के इतिहास का अहम दिन मानते हें इस दिन आदम अलेहस्सलाम की तोबा कुबूल की गयी थी इसी दिन हजरत युनुस अलेहस्स्लाम को मछली के पेट से नुजात मिली थी , इसी दिन हजरत इब्राहिम अलेह्स्स्लाम पैदा हुए ,और इसी दिन हजरत मूसा अलेहस्स्लाम और उनकी कोम को फिरोन से छुटकारा मिला ,हजरत दाउद अलेहस्स्लाम की तोबा कुबूल हुई हजरत युसूफ अलेह अस्सलाम कुए से निकले गये याकूब अलेहस्स्लाम की आँखों की रौशनी लोटी इसी दिन हजरत इसाह अलेहस्स्लाम की पैदाइश हुई और इसी दिन हजरत इमाम हुसैन और उनके रुफ्का ने मैदाने कर्बला में जामे शहादत पी कर इस्लाम को जिंदा कर दिया उनके पास एक तो अधीनता का विकल्प था और दुसरा शहादत का विकल्प था लेकिन उन्होंने शहादत को ही चुना । आम मुसलमान इस दिन रोजा रखते हें और इस रोज़े का बहुत बढ़ा सवाब माना जाता हे इस दिन मरीजों की तीमारदारी,यतीमों की खिदमत,और सेवा भाव से इबादत करना चाहिए , कहते हें इसी दिन कयामत नाजिल होगी और जिस मुसलमान का रोजा होगा उसे जन्नत नसीब होगी । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

बुद्धि जीवियों के चुनाव में निरक्षरता का नमूना

कहते हें जो पढ़ लिख लेता हे वोह समझदार हो जाता हे और देश , समाज के लियें उपयोगी साबित होता हे पढ़ा लिखा व्यक्ति देश समाज के उत्थान के लियें बहतरीन निर्णय करने में सक्षम होता हे और अगर लोकतंत्र प्रणाली से उसे निर्वाचन का मोका दिया जाए तो उसमें वोह बेहतरीन लोगों का निर्वाचन कर गुणवत्ता को जिताता हे लेकिन भाईयों यह सब बातें एक सपना और एक किताबी बातें हें , देश और प्रदेश के चुनावों में भीड़ तन्त्र किस तरह के लोगों को निर्वाचित करती हे सब जानते हें कोई बाहुबली होता हे तो कोई महा भ्रष्ट लेकिन जनता उसका निर्वाचन करती हे और वही महा भ्रष्ट और बाहुबली सरकार में बेठ कर नितियें तय करता हे ऐसा ही कुछ कोटा अभिभाषक परिषद के चुनावों में देकने को मिला हे में खुद भी उम्मीदवार था इसलियें नतीजे नजदीक से देखने को मिले हें ।
दोस्तों कोटा आभिभाश्क परिषद जिसमे १३०० वकील सदस्य हें और सभी को वोट डालने का अधिकार मिला यहाँ पिछले दो सालों से हाईकोर्ट बेंच की कोटा में स्थापना और दूसरी मांगों को लेकर हडताल , धरने प्रदर्शन चल रहे हें में हर आन्दोलन में साथ रहा लेकिन जो लोग साथ नहीं थे वोह भी इस चुनाव मदन में थे डबल ग्रेजुएट यानि बी.ऐ । एल एल बी कमसे कम पढने के बाद ही लोग इसके सदस्य बने हें , साल भर यहाँ आन्दोलन चले लोगों ने कहा तुम अच्छा लिखते हो अच्छा बोलते हो , अच्छा काम करते हो , सेवा भावी हो सबकी मदद करते रहते हो और तुम्हारी बात में भी दम हे तो तुम ही क्यूँ इस बार कोटा अभिभाषक परिषद का चुनाव नहीं लढ़ लेते मेने कहा भाई में जनता हूँ यह सब क्वालिटी मेरे में हे लेकिन एक अयोग्यता हे , मेरा नाम अख्तर खान अकेला हे में शर्मा या गुप्ता नहीं हूँ , मेरे इस जवाब पर मेरे अपने भाई बहुत नाराज़ हुए और कहने लगे के भाई हमने कोंग्रेस का विधि प्रकोष्ट बना रखा हे यहाँ ३०० लोग हमारे साथ हें यूँ ही जीता लायेंगे मेने कहा भाई तुम कोंग्रेसी लोग हो हम लोगों की पीठ पर चहरा घोप देते हो हमारा ऐ पी जे अबुल कलाम अगर राष्ट्रपति पद का चुनाव लढता हे तो तुम उसे मना कर देते ह, अगर बहुमत के कोंग्रेस बोर्ड कोई कोंग्रेस टिकिट पर चुनाव लढता हे तो उसे क्रोस वोटिंग से हरा देते हो तुम मेरा भी यही हल करोगे लेकिन कोंग्रेसी नहीं माने और कहा चुनाव लढ़ लो मेने फ़ार्म भरा के पीछे से इन लोगों ने मेरे एक अज़ीज़ दोस्त के भांजे का फ़ोरम भी अध्यक्ष के लियें भरवा दिया। अभिभाषक परिषद में १३०० सदस्य इन सदस्यों में से करीब ३०० ऐसे सदस्य जिनके सुख दुःख और परेशानी में में सीधे तोर पर साथ निभाता रहा हूँ जबकि सभी लोग उन लगों को धोखा देते आये हें इन लोगों ने कहा के इस बार हमें ज़ात ,पात,पार्टी,पोलिटिक्स नहीं चाहिए इस बार तो क्वालिटी चाहिए और वोह सिर्फ तुम में हे इसलियें अभिभाषक परिषद के हित में तुम्हें मैदान में रहना होगा वरना ठीक नहीं होगा दोस्तों मेने नाम वापस नहीं लिया और चुनाव की रन भूमि में में खड़ा हो गया जो लोग अभिभाषक परिषद से निकले गये थे उनको मेने वापस सभी लोगों से नाराजगी लेकर अभिभाषक परिषद में लिवाया , चुनाव शुरू हुए सदस्यों की सूचि देखी तो ५०० लोग जो अदालत में नियमित आते हें उनके अलावा ८०० लोग ऐसे थे जो बाहरी सदस्य थे यानी वोह वार्षिक शुल्क जमा कराते हें और फिर अपनी दुकान,प्रतिष्ठान, व्यापार में जाकर लग जाते हें यानी वकालत उनका व्यवसाय नहीं बलके उनके लियें मजाक हे वोह मरते हें तो वकील शोक सभा करते हें वोह बाज़ार में पिटते हें तो वकील हडताल करते हें कुल मिला कर जो नियमित अदालत में वकालत कर रहे हें वोह तो दिन रात का जोखिम लेकर अपने हक के लियें संघर्ष करते हें और जब लाभ मिलता हे तो घर बेठे लोग इस लाभ को लेने के लियें आ जाते हें अब चुनाव में भी कोन अध्यक्ष बनेगा यही लोग तय करते हें चुनाव में जो लोग अदालत आते हें वोह तो गुणवत्ता जानते हें लेकिन जो लोग नहीं आते वोह चुनाव के दिनों में खाने पीने की पार्टियों से प्रभावित होते हे और फिर साल में केवल एक बार अदालत वोट डालने आते हें और साल भर के अध्यक्ष और दुसरे पदाधिकारियों को निर्वाचित करके चले जाते हें जबकि एडवोकेट एक्ट में लिखा हे के नियमित वकालत करने वाला व्यक्ति ही एडवोकेट कहलायेगा अगर वकालत के आलावा किसी के द्वारा कोई दुसरा रोज़गार कमाने वाला काम किया जायेगा तो फिर बस उसकी सदस्यता और उसे बार कोंसिल दवाला दिया गया वकालत का लाइसेंस छीन लिया जाएगा तो दोस्तों कोटा अभिभाषक परिषद के चुनाव में भी यही नतीजा हुआ रोज़ आने वाले वकीलों का नेता कोन बनेगा अदालत में कभी नहीं आने वाले लोगो ने आकर कर दिया और मुझे जो ३०० मेरे समर्थक चुनाव जीतने के लियें चुनाव लढने की बार कह रहे थे वोह या तो मुंह छिपाते फिरे और वही हर बार की तरह अपने पपेट यानि जो वोह कहें वही हो ऐसा रोबोट तलाशते देखे गये और ऐसा हुआ भी चुनाव में अध्यक्ष पद के लियें ७ प्र्त्याकाशी थे जो कभी आंदोलनों में साथ नहीं रहे उनमें से एक को तो अध्यक्ष चुना गया और मुझे केवल ७८ वोटों पर समेत कर पुरस्कृत किया गया अब भाई देखो बुद्धि जीवियों का चुनाव जिसे एक तो बाहर के लोग जो किसी भी सुरत में सदस्य नहीं बन सकते वोह सदस्य रहकर प्रभावित करते हें दुसरे कोन किसकी कितनी चमचागिरी कर सकता हे साल भर उसके चंगुल में रहकर काम कर सकता हे या साल को केसे अगले साल तक के लियें बिना कुछ करे घसीट सकता हे उसे ही ठेले और थडी वालों की तर्ज़ पर यहाँ वोट डाल कर बोगस सदस्य बना कर निर्वाचित किया जाता हे यह बुध्दी जीवी समाज और देश के लियें कितना घातक हे यह तो सब जानते हें । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कुरान का कुछ ख़ास सारांश

क्या आप जानते हें के कुरान में जिनगी का ज़िक्र १४५ बार आया हे और म़ोत का ज़िक्र भी १४५ बार ही आया हे फरिश्तों का ज़िक्र ८८ बार और शेतान का ज़िक्र भी ८८ बार आया हे , कुरान में दुनिया का ज़िक्र ११५ बार और आखेरत का ज़िक्र भी ११५ बार ही आया हे , इंसानों का ज़िक्र ५० बार तो रसूलों का ज़िक्र भी ५० बार ही आया हे , मुश्किल का ज़िक्र ११४ बार तो सब्र का ज़िक्र भी ११४ बार ही आया हे मर्द का ज़िक्र १२ बार तो ओरतों का ज़िक्र भी १२ बार आया हे महीनों का लफ्ज़ १२ बार तो दिनों का ज़िक्र ३६५ बार आया हे समुन्द्र का ज़िक्र ३२ बार और ज़मीं का ज़िक्र १३ बार आया हे ३२ और १३ का जोड़ ४५ होता हे और ३२ का ४५ से प्रतिशत निकालो तो ७१ प्रतिशत होता हे जबकि १३ में से ४५ प्रतिशत २९ प्रतिशत होता हे तो दोस्तों दुनिया में समुन्द्र ७१ प्रतिशत हे तो ज़मीं २९ प्रतिशत हे और यही कुरानी हकीकत हे .अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

पेट्रोल की कीमतों में लूट की तरह बढ़ोत्तरी

देश में केंद्र सरकार की गलत नीतियों के चलते एक बार फिर पेट्रोल की कीमतों ने उछाला लिया हे और हालात यह हें के आगामी २२ तारीख को डीजल की कीमतों में भी बढ़ोत्तरी की तय्यारी हे , देश में सरकार ने पेट्रोल की कीमतों को सरकार के नियन्त्रण से बहर कर दिया हे और इस नियन्त्रण को बाहर करने के लियें निश्चित तोर पर पेट्रोल कम्पनियों से सरकार ने २ जी स्पेक्ट्रम घोटाले की तरह ही कोई घोटाला किया होगा लेकिन पक्ष और विपक्ष की सांठ गाँठ होने के कारण इस मामले से पर्दा कोई उठा नहीं सका हे । बजट में किसी भी मामले की मूल्य व्रद्धी को फाइनेंस अधिनियम के खिलाफ कीमतें बढ़ाने की अनुमति देना देश और देश के संविधान से धोखा हे और देश की जनता को लुटने के लियें सरकार ने जो इजाजत दी हे उसके लियें निजी पेट्रोल कम्पनियों से तो सरकार के मंत्रियों की बल्ले हुई होगी , वर्तमान में कल पेट्रोल लगभग तीन रूपये महंगा होकर लगभग साठ रूपये लीटर का हो गया हे और अभी डीजल को भी महंगा करना हे इन सब का असर दूसरी जरूरी वस्तुओं पर भी पढ़ेगा अब देखना हे के आगे सरकार और जनता इस मामले में क्या करती हे और विपक्ष के लोग जो सरकार से जनता के लियें लढने का नाटक करते हें वोह इस महंगाई के लियें क्या क़दम उठाते हें । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मंत्री राजा की धमकी की जानकारी सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश को भी थी

पूर्व केन्द्रीय मंत्री ऐ राजा ने डोक्टर और उसके मित्र को धोखा धड़ी के एक मामले में जमानत पर छोड़ने का दबाव बना कर धमकाया था इस मामले की जानकारी सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन प्रमुख न्यायाधीश बालाकृष्णन को भी थी लेकिन इस जानकारी के बाद भी सुप्रीम कोर्ट ने मंत्री जी के खिला कोई कार्यवाही नहीं की उलटे उन्होंने खुद को ऐसी जानकारी होने से इंकार किया था अब आज सुप्रीम कोर्ट में जज एच एल गोखले जो हाईकोर्ट के पूर्व न्यायधीश थे उन्होंने इस का खुलासा किया हे , ऐ राजा के इस होसले के बाद जब सुप्रीम कोर्ट को इसकी जानकारी थी और सुप्रीमकोर्ट ने इस मामले की जानकारी से इंकार किया तब केंद्र का अदालतों पर दबाव के मामले में जांच होना चाहिए लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट के और हाई कोर्ट के जजों को रिटायरमेंट के बाद अयोगों में बिठाने , राज्यसभा में लेने और महत्वपूर्ण पदों पर बताने की परम्परा हे तो फिर रिटायरमेंट के करीब जजों की सरकार के सामने लार लटकते पदों की चाशनी चखने के लियें क्या स्थिति होती हे हम और आप समझ सकते हें के अंतिम दिनों में जजों का रुख सरकार के मंत्रियों की तरफ क्यूँ मूढ़ जाता हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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