आपका-अख्तर खान

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18 दिसंबर 2010

ऐ खुदा तू ही बता ........

ऐ खुदा
तू ही बता
तू जो चाहता हे
वही
सब कुछ
होता हे
फिर कुछ भी
होने पर
इंसान को
यूँ बेवजह
क्यूँ बदनाम करता हे
इंसान को देख
वोह तुझे
कभी मन्दिर तो कभी मस्जिद
तो कभी गिरजा कभी
गुरुर्द्वारे में
ढूंढता हे
लेकिन तू हे के
कहीं नहीं मिलता हे
देख ले तू
इंसान क्या हे
तेरी इस तलाश में
कभी हिन्दू
मुसलमान से
तो कभी मुसलमान
हिन्दू से
लढता हे
और तेरी तलाश में
दंगे भडका कर
खुद ही मरता हे
ऐ खुदा
तू ही बता
तू ऐसा क्यूँ
और किसलियें
करता हे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

राहुल के बयान पर बवाल

एक विदेशी साजिश करता राहुल के किसी बयान का कथित रूप से खुलासा करता हे और हमारे देश वासी अपने देश के लोगों के अलावा इस विदेशी की बात पर यकीन कर बयान की तस्दीक किये बगेर देश में अराजकता का माहोल करने का प्रयास करता हे इसे क्या अक्ल मंदी कहेंगे । जी हाँ दोसोतों यह कार्यवाही बिना किसी दुर्भावना के हो तो अकाल मंदी कही जा सकती हे लेकिन यही कम पूर्व नियोजित षड्यंत्र के तहत हो तो फिर इसे महा अक़ल्म्न्दी की संज्ञा दी जा सकती हे , हमारे देश में भी यही सब कुछ हो रहा हे देश में घोटाले पर घोटाले कोंग्रेस और भाजपा घोटालों की सरताज बनी हे संचार घोटाला मामले को लें वर्ष २००१ से जांच के निर्णय के बाद भाजपा भी जांच के दायरे में आ गयी हे भाजपा को बयान देना पढ़ रहा हे के मय्या मोरी में नहीं माखन खायो अब जब देश में इस तरह का माहोल हो तो हर बार की तरह देश के मुख्य मुद्दों को छुपाने की जो साज़िश यहाँ धार्मिक भावनाएं भड़का कर रची जाती हे वही फिर रचने का प्रयास हो रहा हे देश की जनता का ध्यान भ्रष्टाचार के मुद्दों से दूर हटे और वोह भावनाओं जज्बातों में बह कर साम्प्रदायिकता ,धर्मान्धता के नाम पर पुराने मुद्दों को भुलाने का प्रयास करे बस यही यहाँ हो रहा हे राहुल देश के लियें समाज के लियें कोई इम्पोर्टेंट फिगर नहीं हे राहुल राजिव गांधी और सोनिया गाँधी के पुत्र हे यह क्वालिटी अगर उनसे मायनस कर दी जाए तो फिर इन की क्वालिटी जीरों हो जाती हे वोह ना बोल सकते हें न लिख सकते हें उन्हें अपने निर्णयों में दूसरों के सहारों की जरूरत होती हे तो ऐसे किसी भी व्यक्ति के किसी भी बयान पर बवाल मचाना बेवकूफी नहीं तो और क्या हे , दोस्तों कोंग्रेस और भाजपा हमारे देश की जनता को खूब जानती हे और इसीलियें देश को गलत दिशा देने के लियें भाजपा के लोग अब यही सब कर रहे हें लेकिन कहते हें के अपराध सर चढ़ कर बोलता हे और अब जो भ्रष्टाचार भाजपा और कोंग्रेस ने किया हे उसे जनता किसी भी बहाने से माफ़ करने वाली नहीं हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

ऐ खुदा यह क्या हे ...

ऐ खुदा
जरा यह
तो बता
यह सब क्या हे
जो चाहता हे
वोह तू करता हे
ना कोई जीता हे
ना कोई मरता हे
ना कोई पत्ता हिलता हे
तेरे
हुक्म के बगेर
फिर
क्यूँ
इलज़ाम हे
हम बेबसों पर
के हम
तेरी नाफरमानी
कर रहे हें
हूरों से भी खुबसुरत
इन हसीनाओं से
यहाँ प्यार कर रहे हें
ऐ खुदा
अब तू भी तो समझ ले
जो हो रहा हे
वोह सब तेरी मर्जी तेरे इख़्तियार में हे
बस इसी लियें कहते हें
जो चाहते हम
हमें दे दे
मेरा खुदा
आसमान पर भी हे
तो ज़मीं पर भी हे
बस अब तो
इसका पुख्ता सबूत
तू हम सभी को दे दे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

हांथ में जिसके खंजर हे ....

हाथ में
जिसके
खंजर हे
मेरे कत्ल के
इरादे के
साथ
आज
मुझे भी जिद हे
जान
चली जाए
चाहे मेरी
लेकिन चूम लूंगा
में
आज उनके
खंजर थामे
यह
हाथ ।
यकीन नहीं आता
तो जरा
खुद देख लो
मेरे इरादे ने
बदल डाला हे
इरादा
उनका
देखो
केसे लरज़ रहे हें
केसे काँप रहे हें
अब खंजर थामें
उनका यह हाथ
बस अब मिली हें
नजरें हमारी
और कसम ली हे हमने
निभाने का
जन्म जन्म साथ ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कोटा में बहुत गलत हो रहा हे ... मंत्री भरत सिंह

राजस्थान की शिक्षा और ओद्द्योगिक नगरी कोटा में बहुत कुछ गलत हो रहा हे और इसे वक्त रहते रोकना बहुत जरूरी हो गया हे , यह कथन किसी आम आदमी या पीड़ित के नहीं हे कोटा की प्रशासनिक अक्षमता पर यह टिप्पणी राजस्थान सरकार में मंत्री भरत सिंह जो कोटा जिले के सांगोद से विधायक हे उनके यह उदगार हे जो उन्होंने पेंशनर्स के सामने कहे ।
कोटा के विधायक शान्ति कुमार धारीवाल जो भी करते हें वोह पिछले कुछ दिनों से पंचायत मंत्री भरत सिंह को बुरा लगने लगा हे पिछले दिनों उन्होंने अधिकारीयों की बैठक में निगम व्यवस्था पर ऊँगली उठाई थी और फिर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जब एक अविधिक निर्माण में आने से इंकार कर दिया तो यह शांति धारीवाल की शिकायत उनसे करने पहुंच गये इसके बाद शांति धारीवाल ने जो भी किया वोह इन्हें बुरा लगने लगा हे , कल कोटा में पेंशनर्स समाज ने इन्हें मुख्य अतिथि कर रूप में बुलाया था इस कार्यक्रम में मंत्री भरत सिंह कोटा के व्यवस्थाओं पर बहुत भडके उन्होंने पेंशनर्स से कहा की कोटा अमन हर जगह हर कदम पर बहुत गलत हो रहा हे और ब्यूरोक्रेट्स मंत्रियों की नहीं सुनते हें क्योंकि वोह सोचते हें के यह तो पांच साल के लियें हे फिर चले जायेंगे उन्होंने कोटा की गंदगी से लेकर सारी समस्याएं गिनाते हुए कहा के इस व्यवस्था को तुम ही सुधार सकते हो क्योंकि नेता तो इस मामले में वोटों की राजनीती के कारण बोल नहीं सकते और कर्मचारी अगर बोलते हें तो उन्हें ट्रांसफर का खतरा रहता हे इसलियें पेंशनर्स को किसी से कोई खतरा नहीं हे कोई भी सरकार कोई भी नेता उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता उन्हें किसी ब्यूरोक्रेट से भी खतरा नहीं हे इसलियें पेंशनर्स अपनी ताकत अपनी ज़िम्मेदारी समझें और कोटा की समस्याओं पर खुल कर आवाज़ उठायें ताकि कोटा की व्यवस्थाओं में सुधार हो सके । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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