आपका-अख्तर खान

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19 दिसंबर 2010

ठीक मेरे
सामने
लुटेरों को देखकर
घबरा गया में
मेरे पास
था जो भी माल
उसे छुपा कर
मुहाफ़िज़ों की
भीड़ में
में चला गया
दोस्तों
क्या बताऊं
लुटेरे से तो बच गया
बस मुहाफ़िज़ों ने
जो कुछ था
पास मेरे
वोह लुट लिया
मुहाफ़िज़ों की
लुट से तंग
में जब
लुटा पिता
सडक पर भागा
तो बस
वही लुटेरा
जिससे देख कर
बचने के लियें
में मुहाफ़िज़ों के पास
गया था
उसी ने
फिर मेरी आबरू
इन
मुहाफ़िज़ों से बचाकर
मुझे
अचम्भित कर दिया ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

बाहर नहीं निकलते ...

देश समाज
और कानून व्यवस्था से
जो लोग
हो गये हें वाकिफ
वोह लोग
आज
अपने घरों से
ना खुद निकलते हें
ना ही अपने
बच्चों और बीवीयों को
निकलने देते हें ।
भूले से घर से
अगर निकल भी जाएँ
तो लूटे पिटे
घरों में
वापस
खाली हाथ
चले आते हें ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

तेरे सुर से हम सुर मिलायेंगे

जी हाँ दोस्तों तेरे सुर से हम सुर मिलायेंगे जो हो पसंद तुझ को वही बात हम कहेंगे इसी तर्ज़ पर कल कोंग्रेस का महा अधिवेशन समोण हुआ अधिवेशन का मुख्य उद्देश्य सोनिया गाँधी का अध्यक्ष कार्यकाल तीन वर्ष से बढा कर पांच वर्ष करना था लेकिन इस अधिवेशन में ख़ास कर राहुल के लियें विक्लिक्स वेबसाईट के बयान के बाद उपजे विवाद को मुख्य आधार नया गया ।
कोंग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने बयान का भावार्थ बदल कर पुर जोर शब्दों में कहा के देश में अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक दोनों तरह के ही आतंकवाद घातक हें , सोनिया ने भ्रस्ताचार के मुद्दों को भी गोण कर दिया और मनमोहन सिंह के गुणगान शुरू कर दिए , खुद राहुल गांधी ने भी अधिवेशन में अपनी ही बात को दुसरे तरीके से दोहराया लेकिन कोंग्रेस की मां हो चाहे कोंग्रेस का बेटा हो दोनों की एक बात हु बहू मिलती जुलती रही जिसमें खास बात यह थी की सोनिया और राहुल गाँधी का भाषण खुद का मोलिक नहीं था दोनों ने किसी और से लिखवा कर अपना भाषण पढ़ा हे अब दिग्विजय सिंह ने तो संघ की तुलना हिटलर से कर डाली और कथित राष्ट्र्तवाद का मजाक भी उढ़ाया , कोंग्रेस महा अधिवेशन में ख़ास बात भ्रस्ताचार और महंगाई के मुद्दों पर बात होना थी लेकिन इन मुद्दों से शायद कोंग्रेस को कोई लेना देना नहीं हे इसी लियें देश में चल रही अराजकता के लियें कोंग्रेस ने प्रधानमन्त्री की पीठ थपथपाई और महंगाई और भ्रष्टाचार पर एक शब्द का भी चिन्तन मंथन नहीं किया कुल मिलाकर कोंग्रेस अधिवेशन में देश और समाज के लियें कोई विचार नहीं रखा गया हाँ हमारे देश की सरकार को रिमोट से चलाने वाली दोनों शक्तियाँ सोनिया और राहुल खुद किसी के रिमोट से चलती हुई नजर आयीं और इसीलियें जनता से जुड़े मुद्दों को कोंग्रेस हमेशां की तरह इस बार भी भूल गयी । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

ज़मीं पर गिरा दरख़्त ..

कल एक
दरख्त
जो
तन कर
ज़मीं पर
खड़ा रह कर
अकड रहा था
दुसरे फलदार
झुखे हुए
दरख्त
उसे देख कर
मुस्कुरा दिए
झुखे हुए
लचीले दरख्तों को
पता था
के गुरुर में डूबा
तन कर खड़ा
यह दरख्त
हवा का
एक झोंका
भी ना सह सकेगा
और देख लो
जो दरख्त
तन कर खड़ा था
वोह ज़मीं पर पढ़ा हे
क्योंकि
हवाओं की
ताकत का
उसे अंदाजा ना था
जो झुके थे
जो लचीले थे
आज भी देख लो
वोह दरख्त
हवाओं से
टकरा कर
भी खड़े
मुस्कुरा रहे हें ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

यह आंसू ....

यह फ़क़त
पानी के
कतरे नहीं
आंसू हें मेरे
इनमें छुपे हें
कभी ख़ुशी
कभी गम के
जज्बात मेरे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

लम्हा भर की मुस्कराहट

लम्हा भर की मुस्कुराहट

. 19.12.10
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लम्हा भर की
मुस्कुराहट
और जिंदगी
भर का रोना ,
गरीबी ही
मेरी
अब तो हे
ओड़ना और बिछोना ,
आंसुओं में
भिगोके
जिंदगी को
क्यूँ यूँ
डुबोता हे
उठ चल
आगे चल
देख ले
जिंदगी में
तेरे कोशिश करे
तो बस
सामने हे
सोना ही सोना ।
हिला हाथ
उठ ज़मीं से
उठा ले
ज़मीं पर
पढ़ा यह सोना
वरना
पढ़ा पढ़ा
कोसता रह
अपनी किस्मत को
के जिंदगी में
तेरे हे
रोना ही रोना
होसलों को
बना पंख
एक उड़ान तो भर
फिर देख ले
जो चाहेगा
वही होगा
ओढना तेरा
वही होगा बिछोना तेरा ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

जिसे ठुकराया

जिसे ठुकराया वोह भगवान बना हे

.
0 टिप्पणियाँ

इंसान
जिन्होंने
पत्थरों को
ठोकरों में
रखा था
आज वही
पत्थर
मन्दिर में
भवान
बना बेठा हे
कल
जिस पत्थर को
रखा था
ठोकरों में तुने
देख ले आज
उसी के
आगे
तू रोज़
सर झुकाता हे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

दोस्तों से होशियार रहा में

मुझे
मेरी जिंदगी में
मेरे दुश्मन
परेशान
ना कर सके
क्योंकि
मेरे कुछ दोस्तों से
हरदम
होशियार
रहा हूँ में ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

फुल मुस्कुरा रहा हे .....

यह फुल
जो तेरे
नाज़ुक
खुबसूरत से हाथों में
मुस्कुरा रहा हे
अपनी
इस खुशनुमा
किस्मत पर
इतरा रहा हे
इसे मेने
थोड़ी देर पहले
नीचे
जमीन पर
उदास
पढ़ा हुआ
आंसू बहाते भी
देखा हे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

गुर्जर फिर आन्दोलन की राह पर

राजस्थान में गहलोत सरकार के दो साल पुरे हो गये हें इस दोरान गुर्जरों के पहले आरक्षण देने का विधेयक पारित हुआ जिसे गेर कानूनी होने से हाई कोर्ट ने रोक दिया फिर गुर्जर सडकों पर आये और सरकार ने गुर्जरों कोन एक प्रतिशत नोक्रियों में आरक्षण का वायदा कर पुरे ५ प्रतिशत के लियें जल्दी ही कोई कार्यवाही का आश्वासन दिया । बस गुर्जर थे के मामू बन गये और सरकार के वायदों पर आरक्षण का इन्तिज़ार करते रहे अब फिर से किसा गुर्जर सर्दियों में खेती वगेरा से मुक्त हो गये हें और अब वोह वापस सरकार के खिलाफ आन्दोलन की रह पर हे । गुर्जर लोग आज प्रतीकात्मक रूप से दोसा के बांदीकुई के अरनिया स्टेशन पर एकत्रित हे और उनके तेवर सरकार से आर पार की लड़ाई के हें इस चक्का जाम आन्दोलन में गुर्जरों के साथ उनके भी शामिल हे अब गुर्जर फिर से अपने अधिकारों के लियें लामबंद हो गये हें और हालात यह हें के सभी गुर्जर राजस्थान सरकार और केंद्र सरकार को वादा खिलाफी के लियें ज़िम्मेदार मान रहे हें गुर्जर आन्दोलन की अभी तो चिगारी हे अगर इस चिंगारी को सरकार ने नहीं रोका तो शायद यह चिगारी शोलों का रूप ले लेगी और पहले की तरह से यह शोले राजस्थान को जला कर राख भी कर सकते हें । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

राष्ट्रीय बाल अधिकार दिवस की बानगी देखिये

आज सुबह सवेरे ट्रेन में मेने अखबार खरीदा तो अख़बार की एक हेडिंग थी के आज राष्ट्रिय बाल अधिकार दिवस हे में अख़बार आगे पढ़ता के पता चला कोटा स्टेशन आ गया मेने अख़बार फोल्ड किया और ट्रेन से अपने कोटा स्टेशन पर उतर गया । में देखता हूँ स्टेशन पर एक लावारिस सा दिखने वाला लडका जो लोगों के कुरते पकड़ कर भीख मांग रहा था , में आगे बढा तो एक ६ साल का बच्चा चाय गर्म चाय गर्म चिल्ला रहा था आगे देखा तो एक पोस्टर सरकार की उपलब्धियों का छपा था जिसमे मुख्यमंत्री की फोटू के साथ घोषणा थी के राजस्थान के हर बच्चे को सरकारी खर्च पर शिक्षा से जोड़ा जाएगा इसके लियें सरकार राज्य में शिक्षा रोज़गार गारंटी पर करोड़ों रूपये खर्च कर रही हे मेरी पोस्टर से नजर हटी के देखता हूँ के एक बच्चा खेल दिखने को आतुर हे तो दूसरा बच्चा ब्रुश और पोलिश लिए पोलिश पोलिश चिल्ला रहा हे आगे चलता हूँ तो एक बच्चा सर्दी से ठिठुरता हुआ कम्बल की तलाश में भटक रहा हे । स्टेशन के बाहर ही एक पटाखे बनाने की खतरनाक फेक्ट्री हे तो इस फेक्ट्री में कई छोटे बच्चे बारूद के ढेर पर बेठ कर काम कर रहे हें कुछ हें के लाख के चुड़े बनाने के काम में जुटे हें , में ओटो में बता और मेने अख़बार खोला तो अख़बार के पुरे पेज पर राष्ट्रीय बाल अधिकार दिवस पर सरकार की उपलब्धिया छपी थी जो विज्ञापन लाखों रूपये का था में सोचता रहा के इस दिन करोड़ों रूपये के विज्ञापन छापने की जगह अगर यह खर्च बच्चों पर होता तो शायद बच्चे कुछ अच्छी स्थिति में होते में घर पहुंचा नहाया धोया और टी वि चला कर जब बता तो फिर वही इलेक्ट्रोनिक मिडिया पर बच्चों के कल्याण के लियें सरकार की कार्यवाही का विज्ञापन था में थका हारा सोचता रहा के हमारे देश में ऐसे ही अगर दिवस बनते रहे तो जिनके लियें यह दिवस बनाये जाते हें वोह तो बेचारे ऐसे ही लावारिस पिसते रहेंगे और नेता अख़बार वाले टी वी वाले इस थर के दिवसों पर मजे करते रहेंगे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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