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06 जनवरी 2011

कडाके की ठंड लेकिन मजदूर सडकों पर रेनबसेरे नहीं

दोस्तों यह राजस्थान हे यहाँ चाहे केंद्र का कल्याणकारी आदेश हो चाहे हाईकोर्ट का कल्याणकारी आदेश हो बस सरकार ने जनता को न्याय नहीं देने का मानस बना लिया हे और इसीलियें ठिठुरती सर्दी में राजस्थान के गरीब लोग सडकों पर रात गुज़ारने को मजबूर हे । राजस्थान की हाईकोर्ट ने १५ वर्ष पूर्व इस मामले में एक आदेश जारी करते हुए सरकार को निर्देश दिए थे की वोह सडको पर रात गुज़ारने वाले गरीबों के लियें स्थायी रूप से रेनबसेरों की व्यवस्था करे जिसमे सर्दी में रजाई गदेले टीवी वगेरा की स्थायी पक्का भवन बना कर सुविधा दी जाये और गर्मी में कूलर वगेरा लगाकर इस सुविधा को स्थायी रूप से चालु रखा जाए , कोटा में ह्यूमन रिलीफ सोसाइटी की तरफ से कोटा न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर कर कोटा की सडकों पर रातों को भटक रहे गरीबों को रेनबसेरा देने के लियें आबिद अब्बासी एडवोकेट,पंकज लोढा और मुजीब आज़ाद की तरफ से मुकदमा पेश किया गया अदालत ने एक आदेश जारी कर कोटा कलेक्टर ,निगम मुख्य कार्यकारी अधिकारी को पाबन्द किया एके एक वर्ष में वोह स्थायी रेनबसेरों की व्यवस्था लागू करें लेकिन कोटा के अधिकारीयों ने अदालत के आदेशों को रद्दी की टोकरी में डाला और जनता को सडकों पर सर्दी और गर्मी में मरने के लियें छोड़ दिया पहले मिडिया थोडा चिल्लाया फिर मिडिया के भोंकते हीं उसके मुंह में विज्ञापन नुमा हड्डी के टुकड़े डाले और मीडिया यानि टी वी और अख़बार खामोश हो गये जनता की फरियाद लेकर अदालत पहुंचे आबिद अब्बासी एडवोकेट पंकज लोढ़ा की तरफ से मेने कलेक्टर और मुख्य कार्यकारी अधिकारी को जेल भेजने का प्रार्थना पत्र पेश किया क्योंकि उन्होंने न्यायालय के आदेश की पालना नहीं की थी अधिकारीयों को क्यूँ जेल नहीं भेजा जाये इस मामले का नोटिस मिलते ही अधिकारी घबराए और उन्होंने मामले की अपील की अपील में मामला यथावत रहा लेकिन न्यायालय में उपस्थिति के लियें तहसीलदार और आयुक्त को निर्देश दिए गये इन सब के बावजूद भी कोटा नगर निगम ने आज तक भी कोटा में रेंब्सेरे स्थायी रूप से चालू नहीं किये हें और कोटा के अख़बार टी वी चेनल हें के उन्हें तो सडक पर ठंड की ठिठुरन से मरते लोगों का दर्द देखने को ही नहीं मिलता हे ना मजेदार बात राजस्थान में मुख्यमंत्री करोड़ों के विज्ञापन जयपुर के रेनबसेरों के लियें दे रहे हे लेकिन कोटा में कई सरकारें आयीं और कई चली गयीं लेकिन गरीबों के लियें आसरा स्थायी रेनब्सेरों की व्यवस्था नहीं की गयी हे इस मामले में विपक्ष भाजपा भी हाथ पर हाथ धर कर बेठा हे ।एक भाजपा के विधायक ओम क्रष्ण जी बिरला हें जो खुद बेचारे सडकों पर रातों को घूमते हें और ठंड से ठिठुरते लोगों को कपड़े जर्सी और कम्बल देते हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कोटा दिल्ली की ट्रेने पटरी पर

दोस्तों राजस्थान में अराजकता का माहोल खत्म हो गया हे जनता को सरकार ने गुर्जर आन्दोलन के नाम पर जो खुली जेल में डाला था अब इस जेल से गुर्जर समझोते के बाद जनता आज़ाद हे , कोटा से दिल्ल्ली रेल मार्ग १८ दिनों बाद फिर आम जनता की आवाजाही के लियें खुल गया हे । राजस्थान की करोड़ों जनता को तो परेशानी हुई ही सही साथ ही देश के लेल विभाग को लगभग एक अर्ब रूपये का इस आन्दोलन से नुकसान हुआ हे , यय्तायत की आवाजाही बंद होने से राजस्थान में रोडवेज़ से लेकर जनता को काफी नुकसान पहुंचा हे लेकिन अब किस्मत अच्छी हे के राजस्थान की जिंदगी फिर से पत्री पर हे लेकिन सर्दी हे के इस बार राजस्थान को चेन नहीं लेने दे रही हे बीकानेर से लेकर कोटा तक ठिठुरन से पारा नीचे गिर गया हे और राजस्थान एक बार फिर सियासत के दोर पर आ खड़ा हुआ हे क्योंकि गुर्जर आन्दोलन खत्म होने के बाद आब राजस्थान को एक तो प्रदेश कोंग्रेस अध्यक्ष की जरूरत हे दुसरे यहाँ जितने भी बोर्ड और आयोग खाली पढ़े हें उन में भी नियुक्तिया होनी हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कोटा के इंजीनियर छात्रों की बल्ले बल्ले

कोटा में आई आई टी के नाम पर चाहे राजस्थान सरकार और केंद्र सरकार ने कोटा के साथ धोखा किया हो , चाहे कोटा के साथ कोटा का दोहन कर कोचिंग गुरु बने कोचिंग संचालक कोटा छोड़ भाग कर कोटा के साथ धोखा कर रहे हों लेकिन कुदरत हे के कुदरत कोटा को प्लेसमेंट के नाम पर कोटा को फिर नम्बर वन पर ला कर खड़ा कर देना चाह्हती हे ।
कोटा में राजस्थान तकनीकी विश्वविध्याल;य से इंजीनियरिंग कर रहे छात्रों के लियें एक बहुत बहुत अच्छी खबर हे और वोह खबर यह हे के कोटा में एयर कनेक्टिविटी नहीं होने पर भी यहाँ के इंजीनियरिंग ब्रेन को अपने संस्थानों में नोकरी देने के लियें संस्थाएं आतुर हें और इसीलियें टाटा सहित दूसरी कम्पनिया कोटा में डेरा डाले बेठी हें और कोटा के इंजीनियरिंग कर रहे छात्रों को लाखों का पैकेज देकर तोल मोल कर रही हें कोटा के लियें यह अच्छी खबर हे और इस खबर से कोटा की एक बार फिर बल्ले बल्ले हे कहते हें ना खुदा एक हाथ से छीनता आहे तो दुसरे हाथ से छप्पर फाड़ कर देता हे वही कहावत यहाँ चरितार्थ हो रही हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

यह महंगाई डायन हे के कम ही नहीं होती हे

दोस्तों हमारे देश के प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह की खासमखास महंगाई इनकी निकटतम रिश्तेदार हे इसलियें यह महंगाई बेरी देश की जनता के लियें डायन बन गयी हे , भये देह के नेताओं को तो सर्किट हाउस सुविधा हे और सर्किट हाउस में सभी नेताओं को मुफ्त में या टोकन मनी में खाना और ठहरना मिलता हे इसलियें उन्हें रसोई और आवश्यक वस्तुओं के भाव का पता नहीं पता अतो जब चलता हे जब चंदा देने आये व्यापारी उनसे कहते हे के सरकार इस बार तो बहुत फायदा हुआ हे खेर यह तो लूट पात राजनीती किस सिफत हे लेकिन देश में महंगाई इन दिनों चरम सीमा पर हे और हालात यह हें के महंगाई को अगर विश्व स्तर पर देखा जाए तो तेज़ी से बढ़ी इस महंगाई की चाल को गिनीज़ रिकोर्ड और लिम्का बुक में दर्ज किया जा सकता हे हमारे देश में आवश्यक कहां पान वस्तुओं पर महंगाई ३.८८ थी जो अल्प समय में ही बढ़ कर १८.३२ हो गयी हे इस पर तुर्रा यह हे के केंद्र सरकार ने महंगाई नियन्त्रण के लियें महत्वपूर्ण उपाय किये हें पहले मनमोहन,फिर शरद पंवार अब प्रणव दा देश और देश की जनता का सत्यानास करने में जुटे हें देखते हें जनता आगे आगे और महंगाई पीछे पीछे हे अब देश का क्या होता हे ..... । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

गधे सरकार चलाते हें

एक
अंतर्राष्ट्रीय सेमीनार में
एक अमेरिकन ने कहा
हमारे कुत्ते फ़ुटबाल खेलते हें
जापानी चुप क्यूँ रहता
जापानी बोला बस इतनी सी बात
हमारी तो मछलियाँ डांस करती हें
चीन बीच में बोला
भाई हमारे हाथी तो
साइकल चलाते हें
बस फिर मेरा भारत महान
कहने वाला हिन्दुस्तानी चुप क्यूँ रहता
बोल पढ़ा
आपके यहाँ तो जो कुछ करता हो करता हो
हमारे हिन्दुस्तान में तो
गधे हें जो सरकार चलाते हें ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

एक प्यारी सी हकीकत

एक प्यारी सी हकीकत
जो इंसान
ह्मेशाना सब को
खुश रखने की
कोशिश करता हे
बोह इन्सान
जो हर वक्त
अपने परायों की
देखभाल करता हे
वोह इंसान
सोर्फ़ और सिर्फ
मेरी तरह
अकेला और अकेला
रह जाता हे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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