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07 जनवरी 2011

नरेगा कार्यक्रम में भ्रस्ताचार

राजस्थान में बारां जिले के अन्ता कस्बे में नरेगा कार्यक्रम में भ्रस्ताचार की शिकायतों के बाद जब जाँच की गयी तो ३४ लाख रूपये का घोटाला सामने आया हे , अधिकारीयों ने अधीनस्थ अधिकारीयों को इसका दोषी मानकर उनसे ३४ लाख रूपये की रिकवरी के आदेश दिए हें , नरेगा कार्यक्रम में सरकार की लापरवाही के कारण यह सब घोटाले हो रहे हें क्योंकि केंद्र और राजस्थान सरकार ने नरेगा काम काज की समीक्षा के लियें विधिक प्रावधान के तहत समितियां अभी तक गठित नहीं की हे मजेदार बात तो यह हे के केंद्र के पंचायत मंत्री सी पी जोशी ने आज तक भी इस दिशा में कोई पहल नहीं की हे ताकि जनहित में नरेगा भ्रस्ताचार रुक सके ।
नरेगा और महा नरेगा नियमों के तहत देश में केंद्र सरकार ने कानून बनाया हे जिसके तहत प्रत्येक जिले में इस कार्य की समीक्षा और मोनिटरिंग के लियें आवश्यक रूप से समितियों के गठन की बाध्यता हे जिसमें क्षेत्र के वकील,पत्रकार,समाजसेवक सहित कुछ अधिकारीयों को सदस्य बनाने का प्राव्धना हे लेकिन सरकार जानती हे के वकील और पत्रकार दो ऐसे समाज हें जो सरकार के अधिकारीयों की कठपुतली नहीं बनेंगे इसलियें दो वर्षों में अरबों रूपये खर्च हो गया हे लेकिन इस खर्च की वैधानिक समीक्षा के लियें विधि अनुसार समितियों का गठन कर समीक्षा नहीं की गयी हे क्योंकि आज कल नेता और अधिकारी चोर चोर मोसेरे भाई का नारा लगा रहे हें और इसीलियें जनता को समाज सेवकों को पत्रकारों को वकीलों को इस समिति से दूर रखा गया हे जबकि इससे कानून की धज्जियां उढ़ रही हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग भी विवाद में

देश में आम नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा करने के लियें बनाया गया राष्ट्रिय मानवाधिकार आयोग इन दिनों विवाद के घेरे में हे हालात यह हें के वर्ष १९९३ से आज तक पहली बार राष्ट्रिय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष विवादों के घेरे में आये हें ।
वर्तमान में सेवानिव्रत्त सुप्रीमकोर्ट के न्यायधीश के जी बल्लाक्र्ष्ण राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष हे और उन पर सुप्रीम कोर्ट का जज रहते पद के दुरूपयोग के आरोप लगाये गये हें उन पर पद पर रहते अपने रिश्तेदारों को विधि विरुद्ध नियुक्तिया दिलवाने के आरोप हे इन आरोपों के चलते के जी बालकृष्ण के भाई ने स्वास्थ कारणों से इस्तीफा दे दिया हे । देश में पहली बार इतने बढ़े पद पर बेठे लोग विवादों के घेरे में आये हे वेसे यह विवादों का ही काल हे यहाँ हाईकोर्ट सुप्रीम कोर्ट के जज से लेकर प्रधानमन्त्री केन्द्रीय मंत्री, राज्यों के मुख्यमंत्री और वरिष्ठतम अधिकारीयों सहित भ्रस्ताचार की जांच करने वाली संस्था सतर्कता आयुक्त के अधिकारी भी विवादों के घेरे में रहे हे यह सब नियुक्तियों में भ्रस्ताचार का नतीजा हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

स्कुल बंद करने की नाफरमानी महंगी पढ़ी

तेज़ गलन और सर्दी के चलते बच्चों के स्वास्थ को देखते हुए राजस्थान सरकार ने निजी और सरकारी स्कूलों की जब छुट्टी कर दी और परीक्षाएं स्थगित कर दी तब भी कोटा के एक निजी स्कुल द्वारा अर्द्ध वार्षिक परीक्षाएं लेने के मामले में सरकार ने गम्भीरता से लिया हे और जाँच शुर कर दी गयी हे ।
कोटा के मकबरा इलाके में स्थित नवभारत स्कुल में अवकाश के दोरान स्कुल अध्यापकों ने बच्चों को बुला कर परीक्षाएं ले लीं इसकी शिकायत जब कोटा जिला शिक्षा अधिकारी के पास पहुंची तो उसे पता चला के इस स्कुल में परीक्षा लेने के कारण आठवीं के पेपर आउट हो गये हे क्योंकि यही पेपर दुसरे स्कूलों में भी जाना थे और इस कार्य से शिक्षा विभाग को काफी नुकसान हुआ हे साथ ही शिक्षा विभाग को अब पराने पेपर रद्दी की टोकरी में डालकर नये पेपर छपवाने पढ़ेंगे इस लियें इस स्कुल की अब शामत आ गयी हे और दो दिन से अधिकारी विधि नियमों के तहत इस स्कुल की जांच प्ध्तल कर रहे हे तो इस तरह से इस स्कुल के संचालक को स्कुल बंद करने की नाफरमानी महंगी पढ़ गयी हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

जज एम्पायर नहीं जज होता

कोई भी जज किसी अभियुक्त के खिलाफ पर्याप्त सबूत होने के बाद भी उसे तकनीकी कारणों से अगर अपराध मुक्त करता हे तो ऐसा जज जज नहीं केवल सिटी बजाने वाला एम्पायर होता हे यह डाइलोग कोई फिल्म का डाइलोग नहीं बलके एक अपराधिक मामले में एक अधिकारी को बरी करने के खिलाफ अपील में सुनवाई के बाद दिए गये एक दिल्ली हाईकोर्ट के जज के उदगार हें ।
दिल्ली हाईकोर्ट के जज ने एक मेट्रोपोलिटन जज द्वारा एक अधिकारी के खिलाफ पर्याप्त सबूत होने पर भी जब उसे तकनीकी कारण बता कर बरी कर दिया तो इस मामले की अपील की सुनवाई के दोरान हाईकोर्ट के जज साहब न गम्भीर टिप्पणी करते हुए कहा के यह क्या हो रहा हे जज जज होता हे जज कोई रेफरी नहीं होता उसे पत्रावली में सबूत देख कर मूकदर्शक नहीं बने रहना चाहिए और सही फेसला करना चाहिए किसी भी तकनीकी कारणों से दोषी व्यक्ति को छोड़ा जाना न्यायसंगत नहीं हे अब तक सरकारी अधिकारीयों , नेताओं और प्रभावशाली लोगों को अदालतों द्वारा पर्याप्त सबूत होने के बाद भी तकनीकी कारणों से छोड़े जाने की एक लम्बी श्रंखला हे जिस पर हो सकता हे इस फेसले से रोक लगे और दोषी चाहे छोटा हो चाहे बढा हो उसे दंड मिलना शुरू हो जाए । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

राजस्थान में विधवा परित्यक्ताएँ अब मुसीबत में

राजस्थान में विधवा और परित्यक्ता महिलाओं को अब अपना परिवार पालने के लियें नोकरी करना महंगा पढ़ गया हे राजस्थान सरकार ने ऐसी उपेक्षित और पीड़ित महिलाओं को नोकरी देने के मामले में जो उदार नियम बनाये थे अब उन्हें नोकरी देने के लियें उदारता छोड़ कर सरकार ने कठोर निर्णय लिया हे और पीड़ित को सार्वजनिक आम लोगों के साथ जोड़ कर एक अलग नियम बना दिया हे । इस नये नियम के तहत अब तलाकशुदा महिलाओं और विधवाओं को भी आम अभ्यर्थी कीतरह पहले परीक्षा देना पढ़ेगी फिर कहीं उसे अलग से आरक्षित कोटे की मेरिट में आने पर नोकरी दी जायेगी जबकि इसके पहले विधवा और तलाकशुदा महिलाओं को राजस्थान सरकार तत्काल नोकरी देती रही हे इसके लियें कोई परीक्षा नहीं ली गयी हे और अध्यापक पद पर तेनात महिलाओं से तो नोकरी देकर बाद में बी एड वगेरा का प्रशिक्ष्ण करवाया जाता रहा हे लेकिन सरकार की इस योजना से राजस्थान की पीड़ित उपेक्षित और तलाकशुदा विधवाएं परेशान हो गयी हें क्योंकि अब समाज में उन्हें खुद को स्थापित करने के लियें कठिन अमानवीय दोर से गुजरना होगा वी तो इस मामले में राजस्थान की ही कोंग्रेसी नेता गिरजा व्यास जो राष्ट्रीय महिला आयोग की चेयरमेन हें उन्हें हस्तक्षेप कर सरकार को रोकना चाहिए वरना सरकार की इस बेवकूफी को फिर अदालतें तो रोकेंगी ही सही । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

प्याज खोरों की धरपकड़

दोस्तों सुनने बढ़ा अजीब लगता हे के देश में अब प्याज़ खोर पैदा हो गये हें जो प्याज़ की जमाखोरी कर प्याज के मूल्यों को आसमां पर ले गये हें इस मामले में सरकार ने जमाखोरों और प्याज्खोरों के खिलाफ जनता को दिखने के लियें कथित अभियान तो चलाया हे लेकिन नतीजा सिफर हे , प्याज खोरों को सरकार को सब पता हे कोन प्याज व्यवसाय से जुड़ा हे कोन प्याज का स्टोक रखता हे इसकी सुचना देश के सभी जिलों की क्रषि मंडियों और रसद अधिकारीयों रसद निरीक्षकों को हे लेकिन देश के नेताओं को इसकी जानकारी नहीं हे ।
एक तरफ तो देश की जनता प्याज के आंसू रो रही हे और दूसरी तरफ प्रधानमन्त्री , किर्षिमंत्री ,वित्तमंत्री सहित युद्ध में उलझे हुए हें अख़बारों से ही प्याज के दाम बढ़ रहे हें वायदा व्यापार बंद नहीं किया जा रहा हे स्टोक की जांच नहीं की जा रही हे और बस जनता को उल्लू समझ कर अखबारी बयान दिए जा रहे हे तो दोस्तों इन सब सरकारी हरकतों से तो जनता को एक और क्रान्ति के लियें तय्यार रहना होगा वरना देश और देश की जनता को तो यह प्याज्खोर जमाखोर और नेता मिल जुल कर तबाह और बर्बाद कर देंगे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

एक आतंकवादी स्वामी का कुबुलनामा

जी हाँ दोस्तों एक स्वामी जो साधू संत होने का ढोंग करता हे , जो धर्म के आधार पर समाज सेवा की बात करता हे जो सुख शांति के उपदेश देने का नाटक करता हे वही स्वामी असीमानंद अगर दरगाह पर ,ट्रेन में , सार्वजनिक स्थानों पर बम विस्फोट कर निर्दोष लोगों की जान लेने की बात कुबूल करता हे तो कुछ अजीब सा लगता हे लेकिन इस देश में हिन्दू हो या मुस्लिम सिक्ख हो या इसाई सभी धर्मों की तरबियत में कहीं ना कहीं इतनी गड़बड़ियां और व्यवसायीकरण हो गया हे के अधिकतम लोगों ने धर्म का चोला ओढ़ कर धर्म के नाम पर आतंकवाद बरपाना शुरू कर दिया हे ।
दोस्तों स्वामी असिमान्न्द जेसे कितने ही हिन्दू मुस्लिम धार्मिक नेता हें जो धर्म का मुखोटा ओढ़ते हें धर्म के लियें अपना सब कुछ त्याग करने की बात करते हें लेकिन फिर सुख सुविधाओं के मोह में राजनीति में आ जाते हें और फिर राजनीति इन्हें गंदा करती हे या यह राजनीति को गंदा करते हें यह तो सियासत से जुड़े लोग ही बता पायेंगे लेकिन यह सच हे के स्वामी जी ने कल अजमेर दरगाह बम विस्फोट मामले में खुद अपने बयान मजिस्ट्रेट के समक्ष एक अपराध कुबुल्नामे के रूप में दर्ज कराए हें और उन्होंने साफ़ तोर पर आर एस एस सहित भाजपा को इस आतंकवाद के लियें उनके कारनामों के साथ जुड़ा होना बताया हे देश के लियें धर्म के नाम पर आतंकवाद एक शर्मसार कर देने वाला मसला रहा हे जो मोलवी जो साधू धर्म को सुख शान्ति की दिशा देकर भाईचारे सद्भावना का पाठ पढ़ाने के लियें वचनबद्ध हे वही लोग अगर आग के शोले और बम लेकर निकल पढ़ेंगे तो फिर इस देश का और इस देश की जनता का क्या होगा दोस्तों यह कहने को तो एक सामान्य सी घटना हे लेकिन अब देश को देश के लोगों को इस मामले में सोचना होगा देश के मन्दिर हो चाहे मस्जिद हो गिरजा हों चाहे गुरूद्वारे हों अगर उनसे जुड़े लोगों की और उनके प्रबंधकों गुरुओं सन्यासियों मोलवियों की सरकार एक जांच रिपोर्ट तय्यार करे तो निश्चित तोर पर इस मामले में रोक तो लगेगी ही और जनता और धर्म से जुड़े लोगों को भी देश के हित में इस व्यवस्था में मदद करना चाहिये खेर अभी स्वामी असिमान्न्द के बम विस्फोत्र कुबुल्नामे ने भाजपा और आर एस एस की नींद उदा दी हे और उन्होंने इसे राजनितिक स्टंट करार दिया हे देखते हें आगे क्या होता हे लेकिन यह जो कुछ भी हो रहा हे यह सब मेरे देश की महानता को नष्ट करने की एक साज़िश हे जिसे में और आप तो कमसे कम बर्दाश्त नहीं करेंगे तो दोस्तों उठो जाग्रति पैदा करो ऐसे लोगों के खिलाफ जो देश और समाज को बाँटने के लियें धर्म की आढ़ लेते हें ऐसे लोगों को तो समाज खुद ही नंगा कर देश हित में अगर बिजली के खम्बे पर लटका दे तो मेरे देश की महानता को को छीन नहीं सकता करेंगे ना हम सब मिलकर ऐसा ............... ? अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

अब सरकारी खर्च पर वकील देने का कानून

देश में राष्ट्रिय विधिक न्यायिक प्राधिकरण का कानून बनाकर अब गरीबों को न्याय प्राप्त करने के लियें एक विशेष कानून बना कर सुप्रीम कोर्ट से लेकर ताल्लुका स्तर तक सरकारी खर्च पर वकील उपलब्ध कराए जायेंगे ।
नये संशोधित राष्ट्रीय विधिक न्यायिक प्राधिकरण अधिनियम के प्रावधानों में सुप्रीम कोर्ट , हाईकोर्ट और जिला न्यायालयों के स्तर पर वकीलों का एक पेनले बनेगा जिसमें सुप्रीम कोर्ट में बीस,हाईकोर्ट में पन्द्राह,जिला न्यायालयों में दस और ताल्लुका न्यायालयों में पांच वकील स्थायी पेनल के रूप में चयनित किये जायेंगे जो चयनित गरीबों को न्याय दिलाने के लियें हमेशा न्यायालय में उपलब्ध रहेंगे इसके लियें बनाये गये इस कानून में विशिष्ठ प्रक्रिया अपनाकर पहले तो प्रस्तुत प्रार्थना पत्र पर पीड़ित को गरीब घोषित किया जायेगा और फिर उसे आवश्यकतानुसार पेनल से वकील उपलब्ध कराया जायेगा जिसमे सुप्रीमकोर्ट में पन्द्राह हजार रूपये प्रतिमाह, हाईकोर्ट में दस हजार रूपये प्रतिमाह , जिला सेशन न्यायधीश में पांच हजार रूपये प्रतिमाह और ताल्लुका स्तर पर तीन हजार रूपये प्रतिमाह सरकार वकीलों को भत्ता देगी सरकार की शर्त हे के ऐसे चयनित वकील इमादारी से गरीबों के इयें हमेशा न्यायालय वक्त पर उपस्थित रहेंगे और गरीब पक्षकारों का मुकदमा लड़ेंगे ।
संविधान के प्रावधानों के तहत मुफ्त विधिक सहायता प्रावधनों को देखते हुए पहले प्रति मुकदमा वकीलों को शुल्क दिए जाने का प्रावधान था लेकिन अब इस नियम से वकील एक मुश्त भत्ता प्राप्त कर पक्षकार के प्रति जवाबदार भी रहेगा देखते हें इस कानून को सरकार अब किस तरह से जिला स्तर तक के न्यायालयों में लागू करती हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

केलेंडर फिर लोट आया हे

दोस्तों
यह एक सच हे
जो बहुत लोगों को पता हे
बहुत लोगों को पता नहीं
के वक्त लोट कर आता हे
और हाँ
वर्ष २००५ का वक्त एक बार फिर
लोट आया हे
नहीं समझे ना
जनाब आप मोबाइल उठाइये
वर्ष २००५ का केलेंडर निकालियें और वर्ष २०११ से मिलाईयें
कोई फर्क हो तो बताइयें
फर्क नहीं हे ना
इसलियें भाई
वक्त को अपना वफादार बनाइए इसकी कीमत समझिये
जो कम जिस बक्त पर करना हो उसी वक्त पर कर डालियें
इन्तिज़ार मत कीजिये टिप्पणी का बटन दबाइए
जो मन में हो मुझे और मेरे मित्रों को बताइए ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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