आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

16 जनवरी 2011

यह खुशिया ..........

यह खुशियाँ
यह खुशनुमा माहोल
मुझे क्यूँ
बेगाना सा लगता हे
यह अकेलापन
यह अँधेरा
मुझे क्यूँ अपना सा
लगता हे
सोचता हूँ
तो खो जाता हूँ
में
अपने उस अतीत में
जहां मेने
जो कुछ भी पाया था
आज वोह सिर्फ
इस छद्म ख़ुशी के लियें
खो चूका हूँ
और बस इसीलियें
अब डर लगता हे
इन झूंठी खुशियों से
इस झूंठे माहोल से
बस इसीलियें
मुझे अब
अकेला पन और अंधरे रास आ गये हें ।
अख्तर कहां अकेला कोटा राजस्थान

मेरी जिंदगी हो तुम .....

मुझे यूँ
तडपाना कम ना करो
मेरे रिश्ते जख्मों पर
यूँ नमक छिडकना कम ना करो
क्यूंकि
मेरी जिंदगी हो तुम
यूँ मुझ से ऐसे ही
नफरत करते रहो तुम
मुझे दुत्कार कर
अपमानित करते रहो तुम
क्योंकि कोई और नहीं
मेरी जिंदगी हो तुम
दुनिया का यही तो दस्तूर हे
जो बनता हे जिंदगी किसी की
बस वही उसकी तडपन और म़ोत का कारण बनता हे
इसलियें तुम भी वही करो
जो हटा आया हे जो होता हे
क्यूंकि मेरी जिंदगी
सिर्फ और सिर्फ तुम ही हो ..................
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

फोजदारी लेट लतीफी से सुप्रीम कोर्ट दुखी

देश में फोजदारी मामलों की वर्षो की लेटलतीफी से सुप्रीम कोर्ट दुखी हे और सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सख्त कानून बनाने के लियें जोर दिया हे ।
देश के सुप्रीम कोर्ट ने फोजदारी के एक मामले की अपील सुनवाई के दोरान जब यह देखा के निचली अदालतों में फोजदारी मामलों की सुनवाई के लियें कई बरस लग जाते हें और प्रकरण के तथ्य और गवाह भटक जाते हें ऐसी स्थिति में देश में कुछ मामलों में जेसे हत्या,बलात्कार,राजद्रो,देशद्रोह सहित दुरे गम्भीर मामलों में फोजदारी कानूनों की सुनवाई की समय सीमा तय होना चाहिए अब सुप्रीम कोर्ट को कोन बताये के देश में मुकदमा दर्ज होने और चालान पेश होने की समय सीमा तय हे और फिर मुकदमा न्यायालय में पहुंचने के बाद उसकी सुनवाई दिन प्रति दिन हो इसका कानून पहले से ही बना हे लेकिन देश में कानून की पालना और सुप्रीम कोर्टों के आदेश की पालना अगर कहीं नहीं हो पाती हे तो वोह न्यायालय हें यहाँ त्वरित सुनवाई का कानून हे लेकिन अदालतों की कमी हे स्टाफ नहीं हे पुलिस के गवाह नहीं आते हें अदालतें हें तो जज नहीं हे इस मामले में हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जज जब सेवा निव्रत्ती के पूर्व अयोगों की दोड में लग जाते हें तो वोह सरकार से मुकदमों की संख्या के मुताबिक जज नियुक्त नहीं करवा पाते सरकारी अधिकारीयों के खिलाफ गवाही में नहीं आने पर कोई कार्यवाही नहीं कर पाते वोह यह नहीं देखते के सरकारी वकील जिनकी नियुक्तियों का आधार अस्स्थायी रूप से राजनितिक विचारधारा के आधार पर होता हे वोह क्या सरकार का भला करेंगे इस राजनितिक कानूनी हस्तक्षेप को केसे यह लोग रोक सकेंगे इस बारे में कोई प्लान इन लोगों ने नहीं बनाया हे अगर सुप्रीम कोर्ट अपनी वाली पर आजाये तो देश की यह सरकारें अतिरिक्त बजट देकर न्याय्याल्यों में जजों की नियुक्ति कर दें और नई न्यायालयों की स्थापना कर दें लेकिन क्या अयोगों की दोड में लगे जज यह सब कर सकेंगे सोचने की बात हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

अनिवार्य वोटिंग का ख़्वाब

देश में लोकतंत्र के सही निर्माण के लियें देश के कानून मंत्री वीरप्पा मोइली ने मुंगेरी लाल के हसीन सपने की तरह एक ख्वाब देखा हे और देश में अनिवार्य वोटिंग का कानून बनाने का विचार बनाया हे ।
देश में इन दिनों करीब ७० करोड़ मत डाटा हें जिनमे से लगभग ३५ करोड़ मत दाता यानी ५० फीसदी लोग अपना मताधिकार का प्रयोग नहीं करते हें और हालत यह हें के कई स्थानों और अनचाहे लोग अनचाही पार्टियां जीत कर आ जाती हें इतना ही नहीं देश में किसी पार्टी के चिन्ह पर कोई चुनाव जीतता हे कोई किसी पार्टी को गली दे कर बागी बनता हे और निर्दलीय के रूप में चुनाव जीतता हे वही निर्वाचित व्यक्ति वोटर को दगा देकर किसी भी पार्टी से हाथ मिला कर सीधे दूसरी पार्टी में शामिल हो जाता हे और सोदेबाज़ी कर या तो अर्ब पति बन जाता हे या फिर सरकार में मंत्री बन कर मजे करता हे ऐसी स्थिति में देश में ऐसे लोगों को रोकने और जो लोग मताधिकार के दिन अपने घरों पर सोते हें या जान बुझ कर वोट नहीं डालते हें उन्हें जागरूक करने के लियें और इस लोकतंत्र को सुरक्षित करने के लियें एक कानून की जरूरत तो हे लेकिन चुनाव आयोग भी तो अपने दायित्वों को सही तरीके से नहीं निभाता हे लोगों के नाम वोटर लिस्ट में नहीं होते एक व्यक्ति के दो जगह नाम होते हें कई लोगों के नाम और पिता के नाम गलत प्रकाशित हो जाते हें कई लोगों के नांम मतदाता सूचि में होने के बाद भी उनकी पर्चियां घर नहीं पहुंचती हे अगर वोह वोट डालने पहुंच भी जाए तो उन्हें कोई भी सरकारी आदमी मदद करने के लियें नहीं मिलता हे अनावश्यक चुनाव को क्र्चिला बना दिया गया हे इस मामले में कानून तो बनना चाहिए लेकिन इन भ्र्स्थ सरकारों से जन कल्याण की बात सोचना भी तो एक सपना ही हे देखते हें लोकतंत्र को सुरक्षित रखने के लियें क्या नई कार्यवाही होती हे वक्त ही बताएगा । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

भारतीय आदर्श घोटाले के आदर्श लोग

जी हाँ दोस्तों यह मेरा देश हे यहाँ घोटाले के इस दोर में एक आदर्श घोटाला भी हुआ हे वोह घोटाला शहीदों के नाम पर किया गया हे देश के मुंबई महाराष्ट्र में कारगिल युद्ध के शहीदों को फ्लेट देने के लियें ६ मंजिल फ्लेट बनाने की योजना तय्यार की गयी थी लेकिन इन फ्लेटों की प्रेम लोकेशन देख कर मंत्री और अफसरों के मुंह में पानी आ गया और उन्हें आदर्श सोसाइटी के नाम पर बेन इन फ्लेटों में घोटाले शुरू कर दिए ।
देश के इस सबसे घटिया और खतरनाक घोटाले से देश का हर व्यक्ति स्तब्ध हे हालात यह हे के कोंग्रेस सरकार के अधिकारीयों और मंत्रियों में भी अब ठन गयी हे वेसे तो इस मामले में एक मुख्यमंत्री जी को इस्तीफा देना पढ़ा हे कोंग्रेस ने एक सरकार को बदल दी हे लेकिन इस घोटाले का यह सही इलाज नहीं हे कारगिल शहीदों के नाम पर यह अपमानकारी घोटाला जिसमें ६ मंजिलों की जगह बिना किसी सिविक्र्ती और रक्षा सिस्टम को ताक में रख कर ३१म्न्ज़िलेन बना कर करोड़ों के फ्लेट कोडियों के दाम पर अपने चहेते मंत्रियों नेताओं अधिकारीयों को दे देना कहां की मानवता वादी सरकार हे इस घोटाले में शिव सेना और दूसरी सेनाओं की चुप्पी शर्मनाक हे देश में दिल्ली से लेकर राजस्थान और दुसरे राज्यों में अगर वर्ष १९७० से आज तक गरीबों और शहीदों के लियें बनी योजनाओं के बारे में अगर पड़ताल की जाए तो गरीबों के नाम पर बनी गृह निर्माण सहकारी समिति में कितने अर्ब पीटीआई गरीब रह रहे हें यह देख कर लोगों का सीना फट जाएगा और देश के इस भ्रस्ताचार के आदर्श को सब को प्रणाम करना पढ़ेगा लेकिन सरकार हे के मानती ही नहीं पार्टियां हें के तू मेरी मत कह में तेरी नहीं खून वाली कहावत पर चल रहे हें और अलग अलग पारी खेल कर जनता को लूट रही हें । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...