तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
25 जनवरी 2011
क्या फिर में कोटा में पैदा हो गया ...
जन्म देने वाले
एक बच्चे ने
लेबर रूम में
पैदा होते ही
नर्स से पूंछा
नाश्ते में क्या हे ?
नर्स ने कहा
कचोरी और पकोड़ी .....
बच्चा उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़् .......
इस जनम में
फिर से कोटा में पैदा होगया यार ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
भ्रष्टाचार मामले में जागो पार्टी का प्रस्तावित बिल
|
उत्सव शर्मा की मानसिकता
दोस्तों गणतन्त्र पर हम देश के विधान और विधान के तहत बनाई गयी विधियों पर गर्व करते हें लेकिन सब जानते हें के विधि कानून और नियम किताबों का सजावटी सामन बन गये हें इनकी क्रियान्विति आम जनता के हित में नहीं बलके मुनाफाखोरों, जमाखोरों, सफेदपोश अपराधियों , बाहुबलियों ,भ्र्स्ताचारियों को बचाने में किया जा रहा हे मुर्दा लोगों और पीड़ित गरीबों के लियें कानून एक सपना बन गया हे बस इस विचार ने ही उत्सव शर्मा को एक विशेष मानसिक रोग से ग्रस्त कर दिया हे और जिसे कानून सजा से बचाता हे उसे यह खुद सजा देना चाहता हे इसीलियें इस उत्सव शर्मा ने पहले दी जी पी राठोड जो एक बालिका के यों शोषण और फिर उसकी हत्या के कारण का दोषी था जब अदालत ने उसे कम सजा दी तो इस नोजवान ने भरी अदालत में इस पुलिस अधिकारी के गाल पर भरी सुरक्षा में अदालत के बीचों बीच गाल पर चाकू से ऐसा यादगार घाव बना दिया जिसे वोह अपने जीवन में कभी भुला नहीं सकेंगे इसी तर्ज़ पर कल दिल्ली की अदालत में इस नोजवान ने बहुचर्चित आरुशी के पिता डोक्टर राजेश तलवार को दोषी मानकर बरी होने पर अपना निशाना बनाया और उसी अंदाज़ में उन के गाल पर चाकू से हमला कर दिया कहने को तो यह एक छोटी घटना हे लेकिन हमारे देश के नोजवानों को कानून की यह अपालना कानून का यह मजाक किस दिशा में ले जा रहा हे सोचने की बात हे अगर इसपर हमने चिन्तन मंथन नहीं किया तो देश में एक दिन सदियों पुराना कल वापस आ जाएगा के नोजवान खुद कानून अपने हाथ में लेकर दोषी लोगों को दंडित करने लगेंगे इससे बचने के लियें कानून को जेसा लिखा हे क्रियान्वित करने की मुहीम में छोटे बढ़े का भेद भाव भुला कर मेरे साथ जुड़ कर इस मुहीम को तेज़ करें । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
या रब ...
तू दुनिया में
तरक्की इस देश की
आम कर दे
मुसीबतों से झुझते
मेरे इस देश को
समस्याओं से छुटकारा देकर
विश्व में इसे
एक बार फिर
महान कर दे
या रब
कुछ ऐसा कर
या रब कुछ ऐसा दिखा जलवा
के विश्व भर में
मेरे इस देश के गणतन्त्र
नाम कर दे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
मुबारक हो मुबारक हो यह गणतन्त्र सभी को
ब्लोगर भाईयों
ऐ मेरे देश वासियों
ऐ मेरे देश के विदेश में बसे
मेरे बहनों भाइयों
ऐ मेरे देश की दशा ,दिशा ,दुर्दशा पर
सोच और फ़िक्र करने वाले देश प्रेमियों
ऐ मेरे देश के बारे में सोच कर यहाँ
अमन सुकून ,सुक्ख सम्रद्धि ,खुशहाली की
दुआ करने वाले देश के जागरूक नागरिकों
सभी को
गणतन्त्र दिवस जी हाँ यह गणतन्त्र दिवस मुबारक हो मुबारक हो। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
मेरे देश का गणतन्त्र .....
यह जो सडक पर
भूखा नंगा सिसक रहा हे
यह मेरे देश का गणतन्त्र हे ।
दोस्तों सोचो समझो नहीं
यह जो अरबों के घोटाले हें
मंत्रियों अधिकारीयों की
हठधर्मिता हे
यह कुछ और नहीं '
मेरे देश का गणतन्त्र हे
दोस्तों यह जो संसद में
हिस्ट्री शीटर बदमाश हें
यह जो विधानसभाओं में
असामाजिक तत्व के हंगामे हें
यह कोई और नहीं
मेरे इस देश का गणतन्त्र हे
दोस्तों इधर देखो
यह जो जनता को नेता गालियाँ दे रहा हे
जिस नेता की सुरक्षा पर
करोड़ों खर्च हो रहे हें
यह कुछ और नहीं
मेरे देश का गणतन्त्र हे
दोस्तों यह अदालतें,यह सेना
यह अधिकारी,यह मंत्री
जो जनता का खून चूस रहे हें
यह कोई और नहीं
मेरे देश का गणतन्त्र हे
दोस्तों यह मन्दिर मस्जिद के झगड़े
यह तिरंगे का अपमाना यह चोरी और सीना जोरी यह सियासत
कुछ और नहीं
मेरे इस देश का गणतन्त्र हे
दोस्तों यह अख़बार यह मिडिया
जिसमे खबरें कुछ नहीं
विज्ञापन और चमचागिरी चापलूसी हे
यह मेरे देश का गणतन्त्र हे
दोस्तों जहां कहलाता था
मेरा देश
वीर नोजवानों का अलबेलों का
आज वहां ठुमके हें
शीला की जवानी और मुन्नी के बदनामी के
यह कोई और जगह नहीं
मेरे देश का गणतन्त्र हे
दोस्तों यह घरों में
यह दफ्तरों में
बेजान शरीर से लोग
जो सबकुछ सह कर भी खामोश
सब कुछ सहे जा रहे हें
और लोकतंत्र में
भेड़ बकरियों की तरह से
थोड़े से लालच में
वोट डाले जा रहे हें
यह कोई और नहीं
मेरे देश का लोकतंत्र हे
उठो दोस्तों उठो दोस्तों
अब जाग जाओ
कुछ ऐसा कर दिखाओं
के मेरा सर ना झुके शर्म से
में कहूँ गर्व से
के यह कुछ और नहीं
मेरे इस देश का गणतन्त्र हे
उठो दोस्तों उठो कुछ ऐसा करो
कुछ ऐसों को चुनों
जो कुछ ऐसा कर दिखाएँ
इस देश इस देश के लोगों के लियें
के आप और में सब मिलकर कहें
यह मेरे इस महान भारत का गणतन्त्र हे
क्या मेरा यह सपना हे
क्या मेरा यह सपना
कभी पूरा हो सकेगा
अगर हाँ तो आओ आज से ही
हम और आप मिलकर
इस देश के गणतन्त्र को
भीड़ तन्त्र से बचा कर
अफवाह तन्त्र और तबाही तन्त्र साम्प्रदायिक तन्त्र से बचा कर
जीवित गणतन्त्र बनाने के प्रयासों में जुट जाएँ देश में देश का कानून
देश का संविधान लागू हो
देश के संविधान के कर्तव्यों और अधिकारों का सामंजस्य बिठाये
भूखों को रोटी ,नंगे को कपड़ा ,पीड़ित को न्याय और बेरोजगार को रोज़गार दें
जो अनपढ़ हे उसे मुफ्त शिक्षा दें
बस यही मेरे इस गणतन्त्र पर मेरा
यह एक मात्र संकल्प हे ।
इस संकल्प को पूरा करने के बाद ही
में आप से सच्चे दिल से
जय गणतन्त्र जय भारत कहूंगा
वरना रस्मन तो कह देता हूँ
गणतन्त्र दिवस मुबारक हो ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान