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27 जनवरी 2011

न्यायिक अधिकारी वक्त पर नहीं बैठते ...वकील वक्त पर नहीं आते

राजस्थान हाईकोर्ट में कल ऐ डी जे भर्ती परीक्षा के मामले को लेकर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश के समक्ष न्यायालयों की लेट लतीफी का एक नंगा सच सामने आया और फिर न्यायालयों में मजिस्ट्रेटों के देर से बेठने व्किओं के देर से आने पर वाद विवाद हो गया ।
कल राजस्थान हाई कोर्ट की जयपुर बेंच में जब ऐ डी जे भर्ती परीक्षा की सुनवाई चल रही थी तब एक अधिकारी को देख कर कुछ लोगों ने कहा के हम तो हमारा टाइम खराब करते हें और यह लोग यहाँ बेठे रहते हें इस पर अदालत ने पूंछा के क्यों अधिकारी जी क्या छुट्टी लेते हो अधिकारी जी ने कहा हाँ छुट्टी लेकर ही आता हूँ इस पर कहा गया के आज १२ बजे तक अदालत में क्यूँ नहीं हे वकीलों ने कहा के अदालतें देर से काम शुरू करती हे इस पर अधिकारी ने कहा के वकील ही देर से आते हे इस वाद विवाद का हल चाहे आत्म हत्या की धमकी के बाद न्यायालय में खामोशी का रहा हो लेकिन यह सच हे के राजस्थान के न्यायालयों में आम तोर पर काम काज का वक्त दस बजे का मुकर्रर होने के बाद भी लगभग ११ बजे बाद का ही हे कई न्यायालयों इमं तो १२ बजे तक काम शुरू नहीं होता हे कानून में लिखा हे के न्यायिक अधिकारी साडे दस बजे तक चेम्बर में काम करेंगे और साडे दस बजे बाहर न्यायालय में आकर कामकाज शुरू करेंगे लेकिन देरी से आना और देरी से काम करने की परम्परा अब वकीलों के लियें रईसी ठाठ बन गया हे आज कोटा या कहीं की भी अदालत को लें दस बजे जाने वाले वकील लोग बेवकूफ और पागल कहे जाते हें १२ बजे जाने वाले वकीलों का अदालत इन्तिज़ार करती हे और दस बजे जाने वालों को दुसरे पक्ष के वकीलों को देर से आने के कारण इन्तिज़ार करना पढ़ता हे कानून हे के अदालत दस बजे बेठे और साडे दस बजे से पक्षकारों को आवाज़ लगवाये नहीं आने पर थोड़ी देर में मुकदमा या तो बंद कर दे या कार्यवाही ख़ारिज कर दे लेकिन अनेक बार अदालत वकील और पक्षकार का तीन चार बजे तक इन्तिज़ार कर दुसरे पक्षकार को और वकील को बेवजह सजा दे देती हे अदालत पहले खुद अपने न्यायिक अधिकारीयों को सुधारे उन्हें वक्त पर बत कर काम काज करने की हिदायत दे और फिर जो वकील या पक्षकार नहीं आये उनके मुकदमे में अनुपस्थिति दर्ज कर जो भी कार्यवाही हो आगे बढाये वकीलों को भी खुद के गिरेबान में झांकना होगा उन्हें एडवोकेट एक्ट की पालना में अपने पक्षकार के प्रति ज़िम्मेदार बनना होगा सुबह दस बजे हर हाल में अदालत पहुंचने की आदत डालना होगी और वक्त पर काम करना होगा तभी अदालतों में काम काज ठीक तरह से हो सकेगा अब अगर ऐसा नहीं होता हे तो फिर वकीलों के बने अनुशासन नियमों के तहत लेट लतीफ वकीलों के खिलाफ भी कार्यवाही भी अम्ल में लाना होगी पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट के जज काटजू ने एक वकील साहब से कहा था के बचपन के बहाने नहीं चलेंगे के साइकल पंचर हो गयी ,ट्रेफिक जाम हो गया ,बारिश आ गयी अदालतों में काम काज सही वक्त पर शुरू होना चाहिए ।
दोस्तों कल हाईकोर्ट में यह विवाद कहने को तो छोटा सा ही हे लेकिन एक सवाल ऐसा खड़ा कर गया हे जिसका जवाब हर वकील हर न्यायिक अधिकारी को वक्क्त की पाबंदी के साथ ढूँढना होगा कई वकील तो अदालत में सिर्फ और सिर्फ लंच खत्म होने के बाद ही आते हें और देरी से आना अपनी शान समझ कर वक्त पर आने वाले वकीलों का बेशर्मी से उपहास उधाते हे अधिकारी हे जो वक्क्त पर आने वाले वकीलों को घंटों दुसरे वकील के नहीं आने के कारण फ़ालतू बिठा कर लज्जित करती हें ऐसे में तो अब निर्धरित नियमों के तहत कार्यवाही कर लेट लतीफ वकीलों की सनद जब्त और लेटलतीफ न्यायिक अधिकारीयों की नोकरे से बर्खास्तगी ही एक इलाज हे ताके काम काज नियमित होने लगे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

उदास ना हो ...

उदास ना हो
नील नाकाम ही तो हुआ हे
ना उम्मीद तो नहीं
यह गम की शाम
लम्बी तो हे
लेकिन
शाम ही तो हे
कल फिर सुबह होगी
रौशनी होगी
गम को इसी डर की
हेरानी तो हे
इसलियें ना उम्मीद रख उदास ना हो ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

लहू लुहान में .

लहू लुहान में
खड़ा हूँ
सामने तेरे
आज तू खुद देख ले
ग़लती तेरी
क्या होगी इसमें
नादानी मेरी ही हे
मुझे पता ही नहीं रहा
के कांटे
होते हें
हर
नाज़ुक गुलाब में
यूँ ही
छू लिया हे
तुझे
तो
लहू लुहान तो
रहूँगा ही
प्यार के इस
इस्तेराब में ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

एक सुबह ...

एक सुबह ऐसी भी आई हे
उसके होंटों पर
निशानों के पड़े शिकवे हें
और इस खामोश
शिकवे से
देखो
आज फिर
उसने
सबके सामने
नजर अपनी झुकाई हे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

अब तो अधिकारी भी जला दिए जाते हें

यह मेरा देश हे यहाँ अव्वल तो भ्रष्टाचार मिलावट के खिलाफ कोई बोलता नहीं कोई अधिकारी कार्यवाहीं नहीं करता और अगर कोई अधिकारी कार्यवाही करने की कोशिश कर भी ले तो या तो उसे खरीद लिया जाता हे या फिर उसे मर दिया जाता हे नासिक में एक अतिरिक्त कलेक्टर को ज़िंदा जला कर मार देने की यह शर्मनाक घटना हुई हे ।
नासिक के ऐ डी एम पेट्रोल में घासलेट के तेल की मिलावट का गोरखधन्धा रोकने के लियें क्या निकले उन्हें जान से हाथ धोना पढ़ा इस मामले में व्यापारियों की हिम्मत देखिये के उन्होंने सरे राह ऐ डी एम स्तर के अधिकारी को पेट्रोल छिडक कर ज़िंदा जला डाला सरकार की हद देखो केवल मुकदमा दर्ज किया और मामला खत्म ।
कल जब इस बेगुनाह ज़िंदा जलाए गये अधिकारी की शवयात्रा निकली तो महाराष्ट्र में कर्मचारियों में मायूसी डर खोफ और गुस्से का माहोल था लेकिन सरकार निश्चिन्त सो रही थी विपक्ष कान में तेल डाल कर बेठा था और जय महाराष्ट्र का नारा देने वाले खुद अपनी ताल ठोक रहे थे अब सोच लो महाराष्ट्र में सरकार को जनता या पीड़ितों से कोई वास्ता नहीं रहा हे दुरी सभी विपक्ष की पार्टिया इस बर्बादी और अशांति में मिलाव्त्खोरी से लेकर भ्रस्ताचार तक सरकार के निकम्मेपन के साथ हे और इसीलियें म्र्तक अधिकारी के रिश्तेदारों परिजनों ने इस मामले की पूरी जान्च सी बी आई से कराने की कर डाली हे देखते हें इस मामले में सरकार अब क्या निर्णय लेती हे म्र्तक अधिकारी को और उसके परिजनों को इंसाफ मिलता हे या नहीं यह तो वक्त ही बताएगा । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

महिला के थाने में कपड़े उतारे आत्म हत्या करना पढ़ी

दोस्तों राजस्थान की एक अबला ने थाने में पुलिस कर्मियों द्वारा दुराचरण की घटना के बाद रेल से कट कर आत्महत्या कर ली और खुद को बचाया लेकिन म्रत्यु पूर्व सुसाईट नोट में इसका खुलासा कर गयी हे ।
राजस्थान के जयपुर रेंज के एक थाने के इलाके से किसी महिला के भाग जाने के मामले में पूंछ तांछ के लियें कुछ पुलिस कर्मी इस महिला को थाने उसेक पिता के साथ ले गये थे पुलिस ने इस महिला से पूंछताछ जिस अंदाज़ में की उसका खुलासा इस महिला ने एक पत्र में किया हे जो उसने मरने के पूर्व लिखा था इस घटना से खाकी दागदार हो गयी हे यहाँ महिला की बात अगर सच मे तो थाने में पुलिस कर्मियों ने पूंछ तांछ के नाप पर उसके साथ कपड़े उतार कर दुराचरण किया और इस शर्म के कारण इस महिला को आत्म हत्या करना पढ़ी ।
दोस्तों यह राजस्थान हे यहाँ इसी राज्य की महिला सांसद गीरिजा व्यास राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष हें वसुंधरा सिंधिया भाजपा की नेता हे इस खबर को इ टी वी ने प्रमुखता से भी दिखाया हे लेकिन अफ़सोस के अभी तक किसी ने भी इस महिला के साथ हुए दुराचार के बाद आत्महत्या प्रकरण को गम्भीरता से लेकर थानाधिकारी और पुलिसकर्मियों को दंडित करने के लियें कोई कदम नहीं उठाया हे जो अपने आप में ताज्जुब और लज्जा की बात हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कोटा में ऐसे बांटे गये गणतन्त्र दिवस के कार्ड


दोस्तों यह कोटा हे यहाँ आर ऐ एस को कलेक्टर लगाया गया हे एक तरफ तो देश में सभी कलेक्टरों को इस दिवस पर हमले की आशंका देख कर अलर्ट रहने के निर्देश दिए जाते हें लेकिन यहाँ कोटा में सेकड़ों की तादाद में बिना लिखे वी आई पी कार्ड प्रशासन द्वारा बिना लिखे ही बाँट दिए जाते हें और अब तो कोटा प्रशासन ने कुछ कार्डों के लिफ़ाफ़े पर गलत झंडा छपा लिफाफा भी जनता तक पहुंचा दिया ।
दोस्तों कोटा में जिला प्रशासन ने राष्ट्रिय पर्व गणतन्त्र दिवस के कार्यक्रमों का संचालन और इस अवसर पर सुरक्षात्मक प्रक्रिया को बरकरार रखते हुए अधिक से अधिक लोगों को निमंत्रित करने का ज़िम्मा अतिरिक्त जिला कलेक्टर नगर कोटा को दिया था इन जनाब ने कार्ड छप वाये और खुद देखने की जगह ज़िम्मेदारी बाबुओं के हवाले कर डाली जनाब कार्ड छप कर आये तो कुछ कार्डों पर इस तरह का मिस प्रिंट था यानी भारतीय ध्वज तिरंगा ,तिरंगा नहीं चोरंगा और दो चक्र वाला था इन कार्डों को जिला प्रशासन ने मिस प्रिंट होने के बाद भी बिना चेक किये प्रिंटिंग प्रेस से प्राप्त किया और फिर इन कार्डों पर जब वी आई पी की मोहर लगाई तब भी लिफ़ाफ़े पर छपे इस गलत विद्रूपित झंडे की तरफ इन प्रशासनिक अधिकारीयों का धुंआ नहीं गया । प्रशासन ने कोटा में आज तक इन कार्डों पर वी आई पी लोगों के नाम की सूचि प्राप्त कर उनके नाम लिखवाकर कार्ड बटवाना तो मुनासिब ही नहीं समझा नतीजन खाली सेकड़ों कार्ड कोंग्रेस कार्यालय सहित दुसरे कार्यालयों और संगठनों के पास भेज दिए गये अब कोंग्रेस कार्यालय के ध्वजारोहण कार्यक्रम में हम भी थे वहां कार्यकर्ताओं को खाली कार्ड प्रशासन के कार्यक्रम में जाने के लियें दिए जा रहे थे कुछ कार्डों में यह चोर्न्गा झंडा छपा था और बाक़ी कोर्ड ठीक थे मेने यह कार्ड प्राप्त किया और इस मामले में शिकायत राजस्थान के आदरनीय मुख्यमंत्री जी को कर दी हे देखते हें क्या नतीजा निकलता हे लेकिन इस तरह की लापरवाही प्रशासन को कभी भरी पढ़ सकती हे वेसे हर कार्ड खुद प्रशासन को ही नाम लिख कर सम्बन्धित लोगों तक पहुंचना चाहिए अन्यथा खाली कार्ड लेकर तो कोई भी खुद का नाम भर कर कार्यक्रम में पहुंच कर शेतानी हरकत करने का लाइसेंस प्राप्त कर सकता हे वेसे भी इस तरह के झंडे का अपमान चाहे जाने में चाहे अनजाने में हो इससे बचने के लियें सम्पूर्ण सावधानी बरतना चाहिए । मेने यह शिकायत किसी का अनुक्सान करने के लियें नहीं केवल चेताने के लियें की हे के भविष्य में जन सुरक्षा को ध्यान में रखने के लियें आवश्यक कदम उठाये और प्रकाशन प्रिंटिंग का खास ध्यान रखा जाए । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

पत्नी की मूर्ति कवि पत्रकार पति के आंगन में

जी हाँ दोस्तों राजस्थान के बूंदी जिले में पत्रकारिता की दुनिया में पांव जमाने वाला देनिक अंगद ने कोटा में भी अपना पाँव जमाने की कोशिश की हे जिसे खुदा कामयाब करे लेकिन अंगद के मालिक ने बूंदी या हाडोती या देश भर में बहतरीन मिसाल कायम की हे ।
अंगद के मालिक वरिष्ठ पत्रकार मदन मदिर हें जो दादा मदन मदिर के नाम से विख्यात भी हें और भ्र्स्ताचारियों में खतरनाक लेखन के लियें कुख्यात भी हे दादा मदन मदिर ने पत्रकारिता के इस पढाव में कई सरकारें देखी हें लेकिन इन्होने कोमरेड होने का अपना ठप्पा नहीं बदला वेसे तो दादा मदन मदिर एक अच्छे पत्रकार ,लेखक और कवि तो हे ही लेकिन यह एक अच्छे ही नहीं बहुत अच्छे व्यक्ति,अच्छे पति और पिता भी साबित हुए हे मन से समाजवादी ये दादा मदन मदिर आज भी पत्रकारिता के माध्यम से समाजवाद का ही झंडा बुलंद करते फिरते हें इस मामले में उन्हें कई कठिनाइयों के दोर से भी गुजरना पढ़ रहा हे लेकिन जुझारू संघर्ष शील यह व्यक्तित्व अपने पुत्रों और मित्रों के बल पर हर समस्या पर विजेता रहा हे और आज इसीलियें इनका जीवन अंगद के पाँव की तरह अनुकरणीय बनता जा रहा हे खुद सम्पादकीय लिखने वाले शायद देश के यह निरंतर पत्रकार हें जिनका सम्पादकीय पढने के लियें लोग रोज़ इनितिज़र करते हें ।
जी हाँ दोस्तों रोज़ मर्रा अपने सम्पादकीय में कविता के कुछ शब्दों से शुरू कर समस्या और समाधान का सुझाव गागर में सागर बना कर पेश करने की कला शब्दों के इस जादूगर में हें और लेकिन केवल उम्र के पढाव के लिहाज़ से बूढ़े हो चले यह दादा मदन मदिर अब पत्नी की म्रत्यु के बाद कमजोर से पढ़ गये हें उम्र के पढ़ाव के बुढ़ापे की बात में इसलियें कहता हूँ के बस इन्हें उम्र के कारण ही दादा कहा जा सकता हे लेकिन यह शख्सियत मन कर्म से चंचल और जांबाज़ हे यारों के यार और दुश्मन को छटी का दूध याद दिला कर ज़मीं चटाने वाले यह दादा अपनी पत्नी से इतना प्यार करते हें के इन्होने खुद के घर में अपनी की स्मर्तियाँ अपने साथ रखने के लियें पत्नी की मूर्ति स्थापित कर पत्नी को घर आंगन बना दिया दिल में बसी पत्नी की मूर्ति को घर में उकेर कर उसको लोकार्पित भी करवाया हे हाल ही में इन जनाब नर स्व लिखित पुस्तक शब्द यात्रा का विमोचन करवाया हे और इसके तुरंत बाद कुछ पंक्तियों के साथ " झांके कोई भी दर्पण में , तेरी ही तस्वीर दिखती हे
चाँद पुनमी लखे सरोवर ,तेरी लगती हे परछाई
जीवन के अर्थों में घुल कर ,तुम बन गयीं जिंदगी मेरी
इतने हुए एकाकार तेरे बगेर झूंठे लगते अब ब्याह सगाई ।
दोस्तों इस महान लेखक महान शख्सियत की आँखे नम थी और पत्नी की याद को अमर अजर बनाने का संकल्प इनके मन और मस्तिष्क में था इसीलियें इस शख्सियत ने अपनी नम आँखों को रुमाल से पोंछा और घर के आँगन में स्थापित की गयी स्वंम की अर्धाग्नी स्वर्गीय श्रीमिति शाति देवी की मूर्ति का अनावरण बाबा उमा केलाश पति दम्पत्ति से करवाया इस दादा मदन मदिर की खुद के दुखों और एकाकी पन से लड़ने और जूझने की इस दादागिरी भरे अंदाज़ को देख कर सब आवाक थे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

राजस्थान के गृह मंत्री की पत्रकारों से सीधी सच्ची बात

राजस्थान के गृह मंत्री और कोटा के विधायक शान्ति कुमार धारीवाल आज जर्नलिस्ट एसोसिएशं और राजस्थान के प्रदेश स्तरीय सम्मेलन में यहाँ मुख्य अतिथि थे धारीवाल जी के पास विधि न्याय ,संसदीय कार्य और स्वायत शासन का भी मंत्रालय हे उन्हें आज कई व्यस्त कार्यक्रमों में हिस्सा लेना था इसीलियें उन्होंने इस कार्यक्रम में आते ही वापस जयपुर की ट्रेन होने के कारण जल्दी जाने के लियें इजाजत चाही ।
कार्यक्रम की शुरुआत में राष्ट्रिय कार्यकारिणी सदस्य रिछपाल पारिक ने उद्बोधन किया कोटा जार इकाई के अध्यक्ष नीरज गुप्ता ने अपना मांग पत्र रखा और प्रदेश अध्यक्ष ललित शर्मा ने कानाफूसी कर मंत्री जी को पत्रकारों की समस्याएं बतायीं मंत्री जी मंच पर आये उन्होंने कुछ दर्जन पत्रकारों को सम्मानित किया और फिर माइक पकड़ कर उन्होंने कहा के भाई एक प्रभु जी चान्व्ला हें जिनकी इन दिनों इ टी वि पर सीधी बात के बाद सच्ची बात दिखाई जा रही हे और शीर्षक दिया हे प्रभु से सच्ची बात मंत्री शांति कुमार धारीवाल ने कटाक्ष करते हुए कहा के वोह कितनी सच्ची बात हे यह तो आप जानों राडिया जी जानें लेकिन में पत्रकारों से आज सच्ची बात करना चाहता हूँ उन्होंने कहा के अभी जार के मंच पर बताया गया के पूर्व मुख्यमंत्री भेरो सिंह शेखावत ने जार को जयपुर में कार्यालय के लियें दो कमरे दिए लेकिन यह नहीं कहा के कोंग्रेस सरकार ने राजस्थान भर में और कोटा में डेढ़ सो लोगों को अत्यंत रियायती दर पर महंगे प्लाट दिए शांति धारीवाल ने आयोजकों की चुटकी ली के बताओ कोंग्रेस सरकार के अलावा क्या दूसरी सरकार ने पत्रकारों को प्लाट दिए हें नहीं ना उन्होंने कहा के आज वोह प्लाट कहां हे कितने पत्रकारों ने इन प्लोटों को अपने पास रखा हे मुझे बताएं उन्होंने सीधी और सच्ची बात आगे बढ़ते हुए कहा के सरकार फिर बाक़ी रहे पत्रकारों को प्लाट देना चाहती हे और देगी भी लेकिन अगर पान की दूकान वाला ,दवा वाला ,कपड़े वाला पत्रकार बन कर फर्जीवाड़ा करके प्लाट लेने की कोशिश करेंगा तो उन्हें हरगिज़ प्लाट नहीं मिलेंगे , धारीवाल ने कहा के इस बजट में पत्रकारों के लियें बीमा सहित कल्याणकारी योजनाओं के बारे में और कोटा को पत्रकारों की समितियों में प्रतिनिधित्व देने के बाबत बात की जायेगी ।
धारीवाल ने कई सीधी और सच्ची बातें कर पत्रकारों को ला जवाब कर दिया और बहुत भहुत लुभावने बेड़े भी कर दिए , आखिर में जार इकाई के कोटा अध्यक्ष नीरज गुप्ता ने धन्यवाद भाषण दिया कार्यक्रम में कोंग्रेस प्रदेश प्रवक्ता पंकज मेहता , पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल ने भी अपने विचार रखे लेकिन हाल ही में कोटा प्रेस क्लब के चुनावों के निर्णय के बाद मुझ सहित अन्य जीते हुए लोगों ने एक कार्यक्रम में पत्रकारों के सम्मान की जो शुरुआत की थी उस परम्परा को जार ने भी अंगीकार किया हे और इसके लियें उसका शुक्रिया । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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