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28 जनवरी 2011

हज,कुम्भ, सीख श्रद्धा पर खर्च संवेधानिक

देश के सुप्रीम कोर्ट ने सरकार द्वारा कुम्भ के मेले, पकिस्तान जाने वाले सिक्ख श्रधालुओं पर किया जाने वाला खर्च और हज यात्रियों की सब्सिडी पर उठाया गया सवाल ख़ारिज कर दिया हे ।
सुप्रीम कोर्ट में एक कट्टर पंथी सर फिरे ने देश के हज यात्रियों को सरकारी सब्सिडी दिए जाने पर आपत्ति जताते हुए इसे खत्म करने और हज कमेटी को भंग करने की मांग की थी इस मामले की सुनवाई के दोरान धार्मिक आस्था के नाम पर देश में कुम्भ के मेले , सिक्ख श्रद्धा सहित दुसरे खर्चों का भी हवाला दिया गया सरकार ने कहा के टेक्स वसूली का कुछ हिस्सा सभी धर्मों के लियें खर्च किया जाता हे और यह वाजिब खर्च हे इस सुनवाई के बाद कल सुप्रीम कोर्ट ने सभी धर्मों पर टेक्स की राशी में से किया जाने वाला खर्च विधिक करार दिया हे और इस मामले में आपत्ति दर्ज कराने वाले सिरफिरे की याचिका खारिज करते हुए कहा हे के इससे संविधान और देश के किसी भी कानून का उल्न्ग्घं नहीं हो रहा हे बलके यह तो सरकार की ज़िम्मेदारी हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

सरकारी सहायता से चल रहा होस्टल गायब तलाश जारी हे

जी हाँ दोस्तों कल राजस्थान के कोटा में समाज कल्याण मंत्री सरकारी सहायता से चल रहे बच्चों के रिहायशी होस्टल का हिसाब कर रहे थे के कोटा जिले के सांगोद में संचालित एक होस्टल का नाम आते ही समीक्षा बैठक में बेठे पालिका अध्यक्ष ब्रिज राज शर्मा ठिठक गये उन्होंने कहा के कोनसा होस्टल मंत्री जी ने बताया के सांगोद के अमुक मोहल्ले में अमुक व्यक्ति और संस्था द्वारा यह होस्टल चलाया जा रहा हे इस पर ब्रिजराज पालिका अध्यक्ष ने दावा किया के में वहां की गलियों से वाकिफ हूँ वहां ऐसा कोई होस्त्क संचालित नहीं हे बस फिर कागजों में चल रहे इस होस्टल की तलाश जारी कर दी गयी ।
समाज कल्याण मंत्री जी ने समाज कल्याण अधिकारी जी को तुरंत नोटिस दिया और कागजों में सरकारी मदद लेकर संचालित इस होस्टल की तलाश शुरू की गयी दिन रात एक क्या गया खबर मिली के सरकारी मदद से होस्टल संचालक और संस्था मजे कर रहे हें वहां एक किराये के मकान में होस्टल संचालन की रस्म निभाई जा रही हे अब इस मामले में होस्टल की खोज और दुर्दशा की कहानी के बाद एक रिपोर्ट अधिकारीयों को भेजी गयी हे जिस पर जाँच बैठेगी जांच होगी फिर सिफारिशें होंगी और सरकार बदल जाने पर फिर जांच ठंडे बसते में चली जाएगी , मंत्री जी कोटा में कई मामलों की समीक्षा करना चाहते थे यहाँ भाजपा विधायकों ने आंकड़े गिना आकर सरकार के मदद के आंकड़ों को बेनकाब करने का प्रयास किया हे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

महफिल में ...

इस
नादान महफिल में
यूँ तो
सब चेहरे
नये से लगते हें
भीड़ हे , धूम धडाका हे
लेकिन
सभी शख्स यहाँ
गुमसुम
तन्हा तन्हा से लगते हें
इस तन्हाई में
एक तू ही तो हे
जिसकी याद ने
मेरा हर पल
साथ दिया हे
इसलियें कहता हूँ
के इस तन्हाई में भी
तेरे दिए हुए
हर जख्म
मुझे अच्छे लगते हें .... ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

जाम ना पियेंगे .......

कसम हे तेरी
आज से
जाम
ना पियेंगे
तुने देखा
मुझे
जिस हालत में
और आंसू तेरे निकल गये
आंसुओं में
सराबोर
आँखें तेरी
खुद जाम हो गयीं
बस तेरे आंसुओं की कसम
अब तेरी
ऐसी हालत
फिर कभी ना हो
इसलियें
अब कभी हम
जाम
नहीं पियेंगे ।
तेरे साथ
तेरी ज़ुल्फ़
तेरे इस जान के साथ
ही बस
अब हम
जियेंगे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

सुबह बहतरीन क्यूँ हे .........

यह सुबह आज
इतनी रंगीन सी
क्यूँ हे ,
दिल में
सोच तुम्हारे
आज इतनी
संगीन सी
क्यूँ हे
यह सुबह आज
इतनी रंगीन सी
क्यूँ हे
दिल में जो तूफ़ान हे
तुम्हारे
उससे आज फिर
चेहरा तुम्हारा
इतना गमगीन सा
क्यूँ हे
कत्ल खुद ने क्या हे
अपने जज्बातों का
फिर भी
माहोल
इस घर का
इतना बहतरीन
क्यूँ हे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मुझे गम अच्छा लगता हे ....

मुझ से
गम के बारे में
पूंछने वालों
तुम क्या जानो
गम क्या होता हे
मुझे मिला हे गम
इस लियें
मुझे यह गम
मेरी कायनात
लगता हे
मुझे यही गम
अब तो बस
अच्छा लगता हे
ख़ुशी की
जिंदगी तो
सभी जिया करते हें
जरा गम
उठाकर भी देखो
इस जमाने में
अगर कुछ अच्छा लगता हे
तो बस
गम ही
अच्छा लगता हे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

क्यूँ रिसा हे फिर जख्म मेरा ........

क्यूँ
किसके लियें
फिर से
रिसा हे
यह जख्म
मेरा ,
अभी कल की ही
तो बात हे
वोह सीकर
गये थे
जख्मों को मेरे ।
शायद वही हें
जो फिर से
मजा देखना चाहते हें
तडपन का मेरी
इसी लियें
फिर से
खिंचाव से उनके
फिर से
रिस गया हे
जख्म मेरा ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

दिल केसा केसा .....

यह दिल
तुम्हारा हे
दिल में रहो हमारे
दिल में रखो किसी को
यह आजिजी यह अपनापन
हम तुम्हें दिखाते हें
तुम हो के
हमारी इस तडपन को
दिल्लगी बनाते हो
और
मुंह फेर कर
इसे दिलबरी कहकर
मुस्कुराते हो ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

एक गाँधी को मारा तो क्या राष्ट्र तो अमर हो गया .........

त्याग ,तपस्या,बलिदान और लाठी लंगोटी के बल पर खुद को उपवास के नाम पर भूखा कह कर जिस गांधी ने देश को जिस गांधी ने देश को अंग्रेजों की गुलामी से आज़ाद करा कर उंच नीच का भेदभाव खत्म कर देश को एक किया था आज उस गाँधी के हत्यारे केवल गिनती के हें और बेनकाब इस देश में हीरों बनने की सोच रहे हें लेकिन देश ने उन्हें और उनके नारे को नकार दिया हे , ऐसे लोगों का नारा जो भारत को बचाने का नारा देते हों और उसके लियें गांधी की हत्या का पाप करते हों इनकी हकीकत को अब देश का बच्चा बच्चा जान गया हे नतीजा सामने हे आज यह लोग खुद को बचा नहीं पा रहे हें ।
दोस्तों गांधी देश का आदर्श विश्व का स्थापित नेता एक अमर विचारधारा एक मार्गदर्शन एक ऐसी खुशनुमा याद जिसे आज कहीं ख़्वाबों ख्यालों में भी देखना मुश्किल ही नहीं ना मुमकिन हें ऐसे नेता को आज़ाद भारत में देश के पहले खतरनाक आतंकवाद ने क्रूरतम तरीके से मार डाला देश आखिर एक विशेष वर्ग एक विशेष विचारधारा के लोगों से सवाल क्यूँ नहीं करता के गांधी के हत्यारों की वोह लोग खुल कर आलोचना क्यूँ नहीं करते अगर वोह राष्ट्रभक्त हें तो तिरंगे के जनक गांधी का जन्म दिवस गांधी की पुन्य तिथि शहीद दिवस को क्यूँ तरजीह नहीं देते क्यूँ गाँधी के हत्यारे की विचारधारा को आगे बढाना चाहते हें इसका जवाब अगर उनके पास हे तो फिर वोह आयें और राष्ट्रभक्ति का लाइसेंस ले जाएँ वरना गाँधी के हत्यारों को गाँधी की हत्या करने वाले समर्थकों की इस देश में कोई जगह नहीं हे ।
गाँधी जी का ३० अक्तूबर को शहीद दिवस हे इस दिन क्रूर शेतान लोगों ने हमारे गांधी हमारे महात्मा हमारे देश के आदर्श कर्म चंद गाँधी को हमसे छीन लिया था और देश को एक पहली राष्ट्र विरोधी आतंकवादी घटना को जन्म दिया था ऐसे आतंकवादी और उनके समर्थक चाहे किसी भी धर्म जाती समुदाय से सम्बन्धित हो उन्हें तो चुन चुन कर बेनकाब करना ही चाहिए ताके देश भी बच जाए और असली गद्दार सो कोल्ड राष्ट्रीय लोग भी जेल में चले जाएँ यह लेख एक सच्चाई से परिपूर्ण हे इतिहास इस घटना का साक्षी हे और देश आज भी गांधी की याद में सिसक रहा हे जरा कल्पना करो आगर गांधी कुछ साल और रहते तो देश आज कहां से कहां पहुंच गया होता आज कहां हें लाठी कहां हे लंगोटी कहां हे वोह दीवानगी भरा समर्पण कहां हे वोह खुद को तकलीफ देकर उपवास रखने का जज्बा कहीं किसी के पास नहीं अगर नेता अगर सत्ता पक्ष के लोग अगर कोंग्रेस अगर भाजपा या कोई भी राजनेतिक पार्टी गांधी के उसूलों पर चलने से बचना चाहती हे उनकी विचारधारा से गुरेज़ करती हे तो फिर यह दो ओक्टूबर और ३० ओक्टूबर का ढकोसला बंद कर देना चाहिए महात्मा गांधी का नाम ठीक से नहीं जानने वाले लोग भी विधायक संसद बन बेठे हें दफ्तरों में गाँधी जी की तस्वीर एक आदर्श यादगार के रूप में लगाने का प्रावधान हे जरा बताएं आज किस नेता,किस मंत्री ,किस कलेक्टर ,किस जज के कक्र्याली में गांधी जी की तस्वीर हे खुद सर्वे करा लो गिनती के ही कुछ विभाग हें झा ढूंढे से यह तस्वीर मिल जायेगी वरना तो बस अब यह नाम एक विचारधरा बना कर फिल्मों और विज्ञापनों में समेत दी हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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