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01 फ़रवरी 2011

जनता से पुलिस की गांधीगिरी अख़बारों को रास नहीं आई

दोस्तों कोटा में कल यानि गुज़रे हुए कल एक फरवरी से मोटर व्हीकल एक्ट के पुरे कानून में से केवल एक अंश यानि दुपहिये वाहन चालकों के लियें हेलमेट नियम लागू किया जाना था बस पुलिस ने कल से सख्ती की जाँच की लम्बी बढ़ी सडकें जहां वहन चालक तेज़ गति से वाहन चला सकता हे वहां हेलमेट चेकिं शुरू की कुछ को रोका कुछ को टोका कुच्छ का चालान बनाया कुछ को घर वापस हेलेम्त लेने के लियें दोड़ाया लेकिन जनता परेशान नहीं हुई पुलिस और जनता की भिडंत नहीं हुई तो फिर अख़बार वाले खासकर दो अखबार भास्कर और पत्रिका जो हेलमेट विक्रेताओं के एजेंन्ट और विज्ञापन दाता हें वोह इस शान्ति पूर्ण व्यवस्था को केसे पसंद करते उन्होंने तो खुद हेलमेट पहने हेलमेट कहां से खरीदे अगर इसकी रसीद उनसे मांगेंगे तो किसी अख़बार वाले के पास नहीं मिलेगी क्योंकि जनता जानती हे उनके पास हेलमेट कहां से केसे और किसलियें आते हें हाँ कुछ साधू पत्रकार हें जो इस खेरात के झंझट से दूर भी रहते हे ।
तो दोस्तों में बात कर रहा था मोटर व्हीकल कानून में से केवल गरीबों दुपहिये वाहन चालकों के खिलाफ लागू किये गये कानून की बस पुलिस ने गलियों में घरों के आस पास दुपहिये वाहनों पर घुमने वालों को छोड़ कर जब व्यवस्था बनाई तो फिर इन अख़बार वालों के पेट में दर्द होने लगा कहते हें पुलिस ने तो गलियों में चलन नहीं बनाये यानि यह हेलमेट के दल्ले चाहते हें के जनता को घर में भी हेलमेट पहनाया जाए घर से बाहर निकलते ही गली में भी हेलमेट पहनाया जाए और इसीलियें आज कोटा में बढ़े अखबार जी पुलिस के खिलाफ गुसे से भरे पढ़े हें लेकिन जनता का कहना हे के कुत्ते भोंकते रहते हें पहले भी कई बार भोंके आज टक तो कुछ हुआ नहीं आगे क्या होगा क्योंकि निस्वार्थ भाव से जो बात लिखी जाए वोह तो लागू होती हे और अगर स्वार्थ भाव से लिखी जाए तो शेम शेम ही होती हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

राजस्थान वक्फ बोर्ड ब्यूरोक्रेट्स के हवाले ..

संवेधानिक संस्था राजस्थान वक्फ बोर्ड जहां कई माह बाद राष्ट्रपति के दबाव से चुनाव हुए और भाजपा के बोर्ड चेयरमेन को हटा कर पूर्व पुलिस अधिकारी को चेयरमेन बनाया गया कोई बात नहीं जनप्रतिनिधियों का विरोध कम था इसलियें अफसर शाही हावी रही लेकिन अब ;लोकतंत्र प्रणाली के बाद फिर से यहाँ ब्यूरोक्रेट्स को हावी कर दिया गया हे ।
राजस्थान वक्फ बोर्ड के गठन के बाद अब तक कुछ नहीं हुआ लेकिन ३१ जनवरी को आयोजित बैठक में पहली बार आर ऐ एस अधिकारी को वक्फ बोर्ड की जिला कमेटियों के गठन के लियें इख्तियार दिया गया अब तक यह पावर निर्वाचित या मनोनीत सदस्यों के पास ही रहती थी लेकिन अधिकारीयों को यह इख्तियार देकर सरकार ने यह साबित करने का प्रयास क्या हे के वफ़ बोर्द्फ़ जनप्रतिनिधियों से ज्यादा ब्यूरोक्रेट्स के कब्जे में , राजस्थान के जिलों में कस्बों में गाँवों में भाजपा की काबिनाएं बेठी हे वोह मनमानी कार्यवाहिया कर रही हें लेकिन राजस्थान वक्फ बोर्ड की बचकाना हरकत हे के अब तक नई जिला और कस्बे स्तर की काबिनाये गठित नहीं की गये हें इस गठन के लियें कोई सिद्धांत भी तय नहीं किये हें और हालात यह हें के अरबों रूपये की वक्फ सम्पत्तियां बर्बाद हो रही हें , लोग हे के राजनितिक लोगों के तलवे इस पद को पाने के लियें चाट रहे हें वक्फ सम्पत्तियों के कब्जेदार हर जिले में इतने सक्षम हे के उन्होंने वक्फ सम्पत्तियों पर करोड़ों रूपये के जो कब्जे किये हें उसे बचाने के लियें वोह स्थानीय सियासी लोगों से मिलकर अपने चमचों को जिला कमेटियों में बनाना चाह रहे हे ताकि कब्जेदार अपने कब्जे बरकरार रख सकें अब राजस्थान का मुस्लिम इस राजनीती को समझ भी नहीं रहा हे देखते हें के जिलों में अब यह सरकार क्या गुल खिलाती हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

शराब की मटकी में ८१ लाख

जी हाँ दोस्तों कहते हें राजस्थान बीमारू राज्य हे यहाँ गरीबी हे लेकिन यहाँ तेनत अधिअक्रियों के लोक्रों में करोड़ों रूपये मिलते हें तो शराब के तस्करों की मटकियों में छुपे लाखों रूपये बरामद होते हें ।
जोधपुर में पिछले दिनों मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह जिले में शराब माफियाओं की तस्करी के चलते शराब दुखान्तिका हुई दर्जनों लोगों की म़ोत हुई और अब जांच चल रही हे पुलिस ने वहां एक तस्कर कालूराम को गिरफ्तार किया हे उसके घर से लाखो रूपये और सोना बरामद करने के बाद पुईस ने जब उसकी सुचना पर रिश्तेदार के घर में मटके में छुपा कर रखे नोटों को तलाश की किया तो मटके में ८१ लाख रूपये देख कर पुलिस चकित रह गयी कहने को तो पुलिस की यह बहुत बढ़ी उपलब्धी हे लेकिन राजस्थान में कई अधिकारीयों,व्यापारियों ,नेताओं ने अपने आने रिश्तेदारों के यहाँ गुप्त स्थानों पर आज भी करोड़ों करोड़ रूपये छुपा रखे हें अब बताओ यह राजस्थान जहां की धरती मटकी और लोकर करोड़ों लाखों रूपये उगल रहे हें तो फिर यहाँ की आर्थिक स्थिति की कमजोरी के पीछे किस की लापरवाही हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

बेरोजगारों की म़ोत का ठुमका बरेली के बाज़ार में ...

उत्तर प्रदेश के बरेली सहित दुसरे जिलों में कल बेरोजगारों की म़ोत के बाद मचाये गये उत्पात से केंद्र या राज्य सरकार ने कोई सीख नहीं ली हे हालत यह हें के इतने बढ़े हादसे के बाद भी केंद्र और उत्तर प्रदेश राज्य एक दुसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हें ।
उत्तर प्रदेश के बरेली में कल आई टी बी पी की परीक्षा होना थी पद गिनती के ४०० और बेरोजगार उम्मीदवारों की संख्या लाखों में सरकार पहले से तय्यार नहीं नतीजन बेरोजगारों को ट्रेन को छतों पर विधि विरुद्ध तरीके से सफर करना पढ़ा ट्रेने चली और फिर अलग अलग दो स्थानों पर १५ लोगों की मोतें इन मोटों के बाद केंद्र और राज्य के बीच आरोप प्रत्यारोप और फिर बेरोजगार छात्रों का हंगामा तोड़ फोड़ ट्रेन में आग जनी सब एक तमाशा बन गयी अब ऐसे में बताओ मरने वालों के परिजनों का क्या कुसूर था , इसके पहले राजस्थान में सिपाही भर्ती परीक्षा में अजमेर में बढा हादसा हो चूका था फिर भी रेलवे ने और रेलवे सुक्ष पुलिस ने कोई सुद्ध नहीं ली ।
देश में बेरोज़गारी का यह आलम के एक अनार सो बीमार वाली कहावत अब बदल गयी हे यहाँ एक अनार हे तो लाखों बीमार हें सरकार इस व्यवस्था को जानती हे लेकिन इसके पहले किसी भी तरहे की कोई पूर्व सुरक्षा व्यवस्था नहीं करती हे और इन सभी मोतों के लियें सरकार सिर्फ सरकार ही ज़िम्मेदार हे केंद्र हो चाहे राज्य सरकार जो भी हादसा हुआ हे उसमें अब घर के बिछड़े लालों को तो वापस लाना सम्भव नहीं हे हाँ कुछ मुआवज़े से उनके अनसु पोंछ भी दिए तो क्या फायदा । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

क्यूँ देखता हूँ तुम्हे .................



क्यूँ देखता हूँ रोज़
सूरज की तरह
में तुम्हें
क्यूँ देखता हूँ रोज़
चाँद की तरह
में तुम्हें
क्यूँ देखता हूँ रोज़
चमकते तारों की तरह
में तुम्हे
जब तुमसे
चाँद ,तारे और सूरज की तरह
मुलाक़ात का
कोई वायदा भी नहीं हे
क्यूँ देखता हूँ
एक टक
यूँ ही
गुमसुम सा में तुम्हें ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

जिन पत्थरों को हटाया वही मेरे घर उछले हें .....


कल
रास्ते में
रोड़ा बने
जिन पत्थरों को
लोगों को
ठोकरों से
बहाने के लियें
मेने
एक तरफ किया था
आज
उन्हीं पत्थरों को
राह चलते
लोगों ने
मेरे घर पर
उछाला हे ........................ ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

यह क्या कर डाला ..


मोहब्बत करके
तुने ऐ दिल
खुद को मुसीबत में हे डाला ,
क्यूँ कर डाली
तुने
कम बख्त मोहब्बत
तुने तो
खुद को
जीते जी मार डाला ,
कोन नहीं जानता
एक मुहब्बत ही तो हे
जो जिंदगी की
सबसे बढ़ी आज़माइश हे
इस कहावत को
मोहब्बत करने से पहले
तुने भुला क्यूँ डाला ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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