आपका-अख्तर खान

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03 फ़रवरी 2011

मजाक मजाक में दुल्हा दुल्हन रूठ गये रिश्ते टूट गये .....

शादी ब्याह के रस्मों रिवाज में मजाक का रिश्ता कोटा सम्भाग के झालावाड जिले के मनोहरथाना कस्बे में ग्राम तलवाडा में इतना महंगा पढ़ा के वहां बारात बिना दुल्हन के वापस गयी और एक मधुर रिश्ता बनने के पहले ही टूट गया ।
शादी ब्याह में रस्मों रिवाज के तहत एक दुसरे से हंसी मजाक की अलग अलग समाजों ,जातियों और स्थानों पर अनेक रस्में हे इसी रस्म के तहत तलावडा गाँव में जब एक बारात आई तो किसी ने शादी ब्याह का बंधन होने के बाद विदाइगी के पहले एक रस्म में दुल्हे से मजाक करते हुए उसके खुजली की फली याने कोंच की फली लगा दी बस फिर क्या था दुल्हा के खुजली चली और दुल्हा ने खुजली के मारे कत्थक शुरू कर दिया यह मजाक दुल्हा और दूल्हा के रिश्तेदारों को केसे पसंद आ सकता था लिहाजा शिकवे शिकायत से बात तू तडाक और फिर धक्का मुक्की मार पिटाई तक पहुंच गयी हालत जो खुशियों के थे वोह नफरत और गुस्से में बदल गये और दुल्हा ने दुल्हन को ले जाने से और दुल्हन ने दूल्हा के साथ जाने से इनकार कर दिया काफी समझायश हुई लेकिन सब बेकार अब बारात इस मजाक के खातिर बिना दुल्हन के वापस गयी हे और एक मधुर रिश्ता रस्मों के बंधन में बनने के बाद भी किनारे पर आकर टूट गया हे , इसलियें कहते हें के रिश्ते बहुत मजबूत भी होते हें तो रिश्ते बहुत नाज़ुक भी होते हें इन रिश्तो को बचाए रखें के लियें इनकी मर्यादा रखना बहुत जरूरी हे और शादी ब्याहों में मर्यादित आचरण ही ठीक रहता हे तब कहीं रिश्ते कडवाहट से बचाए जा सकते हें अन्यथा नतीजा सामने हे ... । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

महंगाई मुद्रा स्फीति में भारत का विश्व रिकोर्ड ......

अल्प समय में देश भर में कई गुना अधिक महंगाई और वोह भी रोज़ मर्रा खाने पीने के काम आने वाली वस्तुओं के दामों में भरी व्रद्धी के मामले में हमारा देश विश्व भर में पहले स्थान पर आ गया हे और इस मामले में अतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक मंच भारत के प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह को सम्मानित करने का न्योता भी दे चूका हे जबकि एक अन्य सन्गठन इस महंगाई को खामोशी से बर्दाश्त करने के लिए भारत की जनता को शांत गांय का खिताब दे चूका हे ।
दोस्तों सुनने में अजीब लगता हे लेकिन देश की महंगाई के आंकड़े कुछ दिनों मह ही जब १७ प्रतिशत यानी खाने पीने की व्स्तुप्न के मूल्य कई गुना ज्यादा बढाये जाते हें और जनता खामोश सहती हे सरकार बेबस होने का नारा देती हे तो भारत और भारत का गणित चाहे कुछ भी कहे लेकिन अंतर्राष्ट्रीय गणित तो इस साज़िश को समझ कर अपनी टिप्पणी करता ही हे विश्व में इससे भी कम मुद्रास्फीति की बढ़ोतरी सोवियत संघ में हुई थी वहां मिखाइल गोर्बाच्योव जी थे उसके बाद सोवियत संघ तबाह और बर्बाद हो गया महंगाई ने ही सोवियत संघ में ऐसी क्रान्ति पैदा की के आज सोवियत संघ इतिहास बन कर रह गया हे अब हमारा भारत देश जो बेचारा यह सब महंगाई ख़ामोशी से सह रहा हे तो फिर तो हमारा देश इन दिनों विश्व का सबसे महान देश और यहाँ की जनता महा महान ही कहलाएगी लेकिन इस महंगाई के जनक सूत्रधार अर्थ शास्त्री आदरणीय डोक्टर मनमोहन सिंह जी तो इस काम के लिए महा महा महा महान बन गये हें और विश्व के सबसे कमजोर सबसे तेज़ी से महंगाई बढाने वाले प्रधानमन्त्री की सूचि में सबसे पहले ऐतिहासिक प्रधानमन्त्री जी बन गये हें ........... । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कोटा महापोर को गुस्सा क्यूँ आता हे ........ .

कोटा में इन दिनों कोंग्रेस या भाजपा के पार्षदों और आम जनता में एक कहावत अल्बर्ट मिनटों को गुस्सा क्यूँ आता हे बदल दी गयी हे और कहावत बनाई गयी हे के ; कोटा की महापोर रत्ना जेन को गुस्सा क्यूँ आता हे ; इस कहावत पर कुछ लोगों का कहना हे के कहावत ग़लत हे क्योंकि महापोर जी को तो हमेशा ही गुस्सा रहता हे इसलियें उन्हें गुस्सा आने का सवाल ही नहीं रहता उनकी नाक पर गुस्सा और जुबां पर तल्खी ,व्यवहार में कडवाहट तो हेमेशा ही रहती हे ऐसे में कभी कभी गुस्सा आने वाली बात गलत हे ।
महापोर रत्ना जेन जी अभी कुछ दिनों से बाहर थी और उनके पीछे से उनके ही नजदीकी समाज से जुड़े लोगों ने बूचड़ खाने को लेकर एक आन्दोलन छेड़ दिया कहा गया के रत्ना जेन और मंत्री शांति कुमार धारीवाल समाज के विपरीत विचार धारा वाले हें इसलियें इन लोगों के सडकों पर लगता र पुतले जलाए जा रहे हें कल जब महापोर साहिबा आयीं तो उन्होंने निगम के अधिकारीयों और इस से सम्बन्धित समितियों से जुड़े लोगों को फटकर लगाई के में अगर बहर थी तो तुम तो यहाँ कोटा में थे कोटा में मंत्री जी का लगातार विरोध होता रहा और कोई इस स्थिति से निपटने आगे नहीं आया महापोर जी ने कई लोगों को खरी खोटी भी सुनाई और स्पष्टीकरण दिया के इस मामले को समिति में तय किया जाएगा , देश में बूचड़ खाने बनाने का काम किसी समिति का नहीं हे किसी धर्म जाती का नहीं हे यह देश के हर जिले की जरूरत और कानूनी मजबूरी हे क्योंकि इस मामले में संविधान भी हुक्म देता हे और पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने सभी सरकारों और निकायों को बूचड़ खाने बनाने के आवश्यक निर्देश जारी किये हें । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कोटा में हेलमेट सभी का मिशन बना ......

दोस्तों कोटा में इनदिनों हेलमेट पत्रकारों,पुलिसकर्मियों, हेलमेट विक्रेताओं और जनता के लियें एक मिशन बन गया हे यहाँ चारों तरफ माहोल हेल्मेटी बन गया हे ।
कोटा के लियें एक खुश खबरी हे के देश भर में मोटरवाहन कानून कार,बस,ट्रक,जीप,ट्रेक्टर,जुगाड़ ,ओवरलोड कानून सहित हेलमेट कानूनों में से केवल एक हेलमेट कानून लागु करने वाला पहला शहर बन गया हे देश के दुसरे सभी जिलों और राज्यों में मोटर वाहन कानून केवल हेलमेट के लियें ही नहीं बलके समानता के अधिकार के तहत सभी वाहनों के लियें अभियान बना हुआ हे लेकिन यहाँ मोटर वाहन कानून के सभी धाराओं को तो पुलिस और प्रशासन ने ताक में रख दिया हे और केवल एक मात्र धारा हेलमेट चालान पर अपना ध्यान केन्द्रिक्र्त कर दिया हे कोटा के दो बढ़े अख़बार वालों के कई संवाददाता सुबह सवेरे सम्पादक मीटिंग में सम्पादक की नहीं प्रबन्धक की डांट खाते हें जी हाँ कोटा के कुछ पत्रकार ऐसे हें जो सम्पादक के निर्देश से नहीं प्रबन्धक यानी विज्ञापन प्रबन्धक के निर्देशों से चलते हें और अगर वोह पत्रकारिता की अक्ल दिखाएँ तो बेचारों को घर का रास्ता दिखाया जाता हे इसलियें इन पत्रकारों को पत्रकार से अलग हट कर व्यापारिक तोर पर निर्देश मिलते हें और यह प्रेस फोटो ग्राफर और पत्रकार सुबह सवेरे से बिना कुछ खाए पिए ट्रेफिक चालान केन्द्रों पर आ धमकते हें और दिन भी तस्वीरें खेंचना और हेलमेट खरीद प्रमोट का काम करते हें फिर खबर तय्यार करते हें अगर इन बेचारे पत्रकारों के जमीर जाग जाने से कोई खबर इमादारी की होती हे तो वोह एडिट होती हे और जेसी व्यापारिक खबर प्रकाशित करना होती हे वेसी ही खबर प्रकाशित की जाती हे , कोटा में दुरी पुलिस हे जो अपने सारे काम छोड़ कर पत्रकारों के साथ मिल कर पत्रकार यानी लिखने वाले पत्रकार नहीं व्यापारिक समूह से जुड़े सो कोल्ड पत्रकारों के साथ शहर में ट्रेफिक पॉइंट बनाते हे अवरोधक ट्रकों में भरवाते हें दुसरे ट्रकों में हेलमेट भरवाते हें और फिर जहां यह ट्रेफिक अवरोधक लगा कर जांच की जाती हे वहां हेलमेट के ट्रक खली होते हें हेलमेट बेचे जाते हें हेलमेट जो कहने भर के हेलमेट हे टोपे हें कोई आई एस आई नहीं हे हेड गियर की परिभाषा में नहीं आते हें २५ रूपये का टोपा दिल्ली से लाकर १५० से ३०० रूपये तक बेचे जा रहे हें और बस कोटा के सडकों पर हेलमेट का खुला तमाशा हे ।
सब जानते हें के कोटा की कहावत हे के कोटा में कचोरी कभी खत्म नहीं हो सकती , २४ घंटे नल आना बंद नहीं हो सकते और यहाँ कभी अव्यवहारिक ट्रेफिक होने से हेलमेट लागू नहीं हो सकते और इस बात का इतिहास गवाह हे कोटा के दो बढ़े अखबार इस मामले में जब से कोटा से छपने लगे हें २० वर्षों से भी अधिक वक्त से अपना सब कुछ छोड़ कर इस अभियान में लगे हुए हें लेकिन हर बार उन्हें मुंह की खाना पढ़ी हे और खांए भी क्यूँ नहीं क्योंकि जो काम इमादारी और निष्पक्षता से होता हे वोह कामयाबी से होता हे लेकिन जिस काम में बेईमानी, व्यापार शामिल हो और निजी स्वार्थ हो निष्पक्षता नहीं हो अमीरों के लियें कानून नहीं और गरीबों के लियें कानून हो तो फिर कानून कानून नहीं मजाक बन कर रह जाता हे और ऐसी रिपोर्टिंग ऐसी पत्रकारिता शर्मनाक इतिहास बन कर रह जाता हे जिस मामले में सोचने में भी शर्म आती हे .... । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मोबाइल टॉवर सहत के लियें खतरनाक ....

देश में मोबाइल और उसके टॉवर से निकलने वाली किरणे लोगों के जीवन के लियें खतरनाक हें और इसी खतरे को देखते हुए जन हित में इस मामले में नया कानून बनाने की जरूरत पढ़ गयी हे जबकि देश में मोबाइल विकिरण से बचाने के लियें अब बचाव उपकरण भी बेचे जा रहे हें ।
मोबाइल टॉवर आज कल लोगों द्वारा थोड़े रुपयों के लालच में घर घर लगाये जा रहे हें जबकि हर एक शख्स के पास दो और दो से अधिक मोबाईल हें जिसका उपयोग सभी लोगों द्वारा किया जा रहा हे ऐसे में वैज्ञानिक शोध से लोगों की सहत को काफी नुकसान हो रहा हे एक अध्ययन के बाद देश के स्वास्थ मंत्रालय , पर्यावरण मंत्रालय और विधि मंत्रालय ने संयुक्त बैठक रखने का प्रस्ताव तो किया था लेकिन जन हित में आज तक एक भी बैठक आयोजित नहीं की गयी हे हालत यह हें के इन दिनों देश भर में मोबाइल के प्रभाव से लोगों में चिढ चिढापन ,भूख नहीं लगना , चक्कर आना , ब्लड प्रेशर सहित सेकड़ों असाध्य बीमारियाँ हो रही हें अब देखते हें जनता के स्वास्थ्य के लियें सरकार क्या नये नियम बनती हे और जो पुराने नियम हें उनकी पालना करवाती हे या नहीं वेसे देश को मोबाइल और उसके टॉवर से निकलने वाली विकिरणों के दुश प्रभाव के खतरों और उनसे बचने के तरीकों के मामले में साक्षरता की जरूरत आन पढ़ी हे लेकिन सरकार को क्या उसे तो घोटाले और कमी से मतलब हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

तम्बाकू प्लास्टिक पेक से सुप्रीम कोर्ट नाराज़

देश में तम्बाकू पेक प्लास्टिक के पाउच आवश्यक निर्देश जारी करने के बाद भी केंद्र सरकार द्वारा बंद नहीं करवाए जाने से सुप्रीमकोर्ट सख्त नाराज़ हे और सुप्रीम कोर्ट ने अब इन पाउचों को बंद करने के लियें तुरंत सख्ती से अल्टीमेटम दे दिया हे ।
सब जानते हें के पर्यावरण की द्रष्टि से और लोगों के स्वास्थ्य की द्रष्टि से प्लास्टिक पोलीथिन के पाउच खतरनाक हे और इसीलियें एक सुनवाई में विशेषग्य और कानून विदों की राय जानने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने तम्बाकू उत्पादकों को तुरंत प्रभाव से प्लास्टिक के पाउच बंद करने के निर्देश देते हुए डेड लाइन जारी की थी लेकिन नेताओं की जेबें भरने वाले जहर बात रहे इन उद्द्योग्प्तियों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को ताक में रख कर मनमानी जारी रखी और निर्धारित समयावधि तय करने के बाद भी पाउच बंद नहीं किये नतीजन कल सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में उत्पादकों और सरकार से कड़ी नाराजगी ज़ाहिर की हे और कहा हे के अगर एक हफ्ते में यह बंद नहीं हुए तो फिर इसका परिणाम भुगतना होगा अब देखते हें के सरकार इस जहर में भरे तम्बाकू जगर को केसे रुक्वाती हे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

तम्बाकू प्लास्टिक पेकिंग पर सुप्रीम कोर्ट नाराज़

देश में प्लास्टिक से जनता दुखी हे यहाँ पर्यावरण कानून में अब प्लास्टिक का कानून
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