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06 फ़रवरी 2011

राजस्थान में थानेदारों की सेटिंग हे मुख्यमंत्री जानते हें

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत यहाँ की पुलिस के सारे माजने जानते हें लेकिन एक मुख्यमंत्री अगर पुलिस के सारे कुकिर्तय जान ले और फिर कुच्छ भी न कर सके तो फिर ऐसे मुख्यमंत्री को बेबस और लाचार से ज्यादा क्या कहा जा सकता हे ।
कल मुख्यमंत्री जी ने एक बयान में साफ़ तोर पर कहां के थानेदार लोगों का चोरों के साथ सम्बन्ध हें यह लोग शुरू में तो इलाके में गश्त करते हे फिर धीरे धीरे इनकी इलाके के चोरों से सेटिंग हो जाती हे और थाने सिपाहियों के हवाले कर यह घरों पर सोते हें । गहलोत का यह तल्ख बयान पहली बार नहीं दिया गया हे गहलोत यह बयान इसके पहले भी कई बार दे चुके हे लेकिन पुलिस आचरण सुधार के लियें सुप्रीम कोर्ट के प्रकाश सिंह वाले मामले के दिशा निर्देशों की पालना नहीं की हे सरकार ने राजस्थान में पुलिस अधिनियम तो बना लिया हे लेकिन इस अधिनियम की पलना नहीं की हे अधिनियम के तहत पुलिस आयोग.पुलिस कल्याण आयोग और जिला,सम्भाग,राज्य स्तर की निगरानी समितियों के गठन का आवश्यक प्रावधान हे जिसमें जनता के वोह लोग शामिल होंगे जिनका राजनीती से कोई सीधा सम्बन्ध नहीं होगा बस इसी लियें सरकार पीछे हे के अगर वोह पार्टी के पार्षद कार्यकर्ताओं को इसमें जगह नहीं दे सकती हे तो फिर वोह केसे किसी नियुक्ति करे अब जब पुलिस अधिनियम की पालना नहीं होगी पुलिस पर नकेल नहीं कसी जायेगी पुलिस के खिलाफ शिकायतों का निस्तारण नहीं होगा तो फिर पुलिस तो पुलिस हे मजे लेगी हे और फिर उन्हें गहलोत की क्या प्रवाह केवल जुबान से ही तो कहते हें ऐसे लोगों के खिलाफ कोई कार्यवाही तो नहीं की गयी इसलियें पुलिस निश्चिन्त हें के यह बयान शायद राजनितिक बयान हो और यही कारण हें के खाकी जी नीचे इ उपर टक मजे कर रहे हें राजनीति का एय्ह हल हे के किसी अधिकारी को दो वर्ष से पूर्व नहीं हटाया जा सकता लेकिन गहलोत ने तो आई जी तक के अधिकारीयों को दो वर्ष पहले ही इधर उधर कर दिया हे तो फिर जब खुद दूध के धुले नहीं हें तो पुलिस तो पुलिस हे कुछ भी कह लो ऐसे ही करेगी । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कोटा मेला भ्रस्ताचार रिपोर्ट में लिपा पोती

कोटा में वर्ष २०१० के मेला आयोजन में जब खुल कर भ्रस्ताचार और बन्दर बाँट हुई तो बस अख़बार चीखे जनता चीखी और सरकार इस मामले में जाँच के लियें मजबूर हुई सोचा अपने अधीनस्थ अधिकारीयों से जांच करवाते हें लीपा पोती हो जाएगी लेकिन सरकार का यह दाव उल्टा पढ़ गया और अब मामले में लीपापोती जारी हे ।
कोटा के मेले भ्रटाचार की जांच स्वायत शासन मुख्य सचिव जी एस संधू ने कोटा कलेक्टर टी रविकांत से करवाने के निर्देश दिए अब टी रविकान्त तो राजस्थान के बेस्ट कलेक्टर थे वोह किसी का दबाव इस जांच में केसे बर्दाश्त कर सकते थे सो उन्होंने सारे कागजात मंगवाए बयान रिकोर्ड किये और वही किया जो उन्हें पत्रावलियों में दिखा फिर शुरुर हुआ कलेक्टर टी रविकांत पर राजनितिक दबाव का खेल लेकिन जनता का रुपया ऐसे ही लुटा देने वालों को टी रविकांत माफ़ करने को तय्यार नहीं थे इसलियें सरकार ने उन्हें कोटा कलेक्टर के पद से हटा दिया लेकिन वोह तो अपनी जाँच रिपोर्ट तय्यार कर सरकार को पहले ही भेज चुके थे बस फिर किया था कोटा महापोर सहित कुछ अधिकारियों की जान पर बन आई और मामला ठंडे बसते में डाल दिया गया जो अब टक ठंडे बसते में हें ।
कल स्वायत शासन मंत्री जी से जब इस रिपोर्ट के बारे में पूंछा गया तो उन्होंने कहा रिपोर्ट गलत हे दुबारा से जांच होगी फिर बतायेंगे क्या हुआ पहले की रिपोर्ट क्यूँ गलत हे इस मामले में उनके पास कोई भी जवाब नहीं था और वोह निरुत्तर से पत्रकारों को बिना जवाब दिए चल दिए ................... । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

टाइम्स सर्वे में गांधी सबसे उपर

विश्व में शांति और अह्निसा का परचम लहरा कर भारत में भूख हडताल , लाठी और लंगोटी के बल पर छेड़े गये वैचारिक युद्ध से अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर करने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को टाइम्स मैगज़ीन ने अपने सर्वे में विश्व के महान लोगों में सरवोछ स्थान पर रखा हे । अलेक्ज़ेन्द्र दी ग्रेट भी दुसरे नम्बर पर हे जबकि अब्राहम लिंकन और अकबर दी ग्रेट का नम्बर गांधी से बहुत पीछे हे । सही बात भी हे गांधी एक त्याग की मूर्ति एक विचार एक शिक्षा का नाम हे जबकि दुसरे लोग खुद के लियें जिए हें उन्होंने जनता के लियें देश के लियें एकता के लियें कुछ खास त्याग नहीं किया हे , विश्व में गान्धीवादी विचारधारा की इस लोक्र्प्रियता को देख कर अमेरिका में गांधी की स्मिरती चीजें जो उनके पास रखी हें उन्हें नीलाम करने का मानस बनाया हे इसकी जानकारी भारत सरकार को हे गाँधी जी के प्रंशसकों को हे लेकिन आज तक इन लोगों ने गाँधी की यादों से जुडी महत्वपूर्ण वस्तुं को देश में लाने के कोई भी राजनितिक या कुटनीतिक प्रयास तेज़ नहीं किये हें तेज़ करना तो दूर की बात अभी तो इस मामले में कोई प्रयास ही नहीं किये हें ऐसे में इस देश और इस देश के गांधी जी के प्रशंसकों में गुस्सा फूटना तो वाजिब हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

अमेरिका में भारतियों पर संकट

देश की वीजा निति और कबूतर बाजों की धर पकड़ में ढिलाई बरती जाने से देश के कई लोग आज अमेरिका में बिना वीजा के रह रहे हें और वहन उन्हें परेशानी के दोर से गुजरना पढ़ रहा हे । हाल ही में फर्जी वीजा के कारण देश के नोंइहालों को अमेरिका में कोलर रेडियों बाँध कर बंधक बनाया गया था ।
देश में कबूतर बाज़ी और व्यवसाय के नाम पर विदेश भेजने वालों ने अपना व्यवसाय तेज़ी से बढ़ाया हे और आज के शिक्षा के नाम पर बहर भेजने वालों की संख्या में व्रद्धी हुई हे देश के विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय की इस पर पकड़ कमजोर होने और राजनितिक लोगों की इस मामले में सांठ गाँठ होने से हालात और बिगड़ गये हें गुजरात और पंजाब के सेकड़ों नो जवना आज अमेरिका की प्रताड़ना सिर्फ इसलियें झेल रहे हें के वहां उन्हें धोके से पढाई का या नोकरी का वीजा देकर भेजा गया हे नतीजन कई लोगों को इधर उधर छुपना पढ़ता हे और फिर अमेरिका उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज कर उनसे सख्ती करता हे जबकि अमेरिका का कोई भी आदमी भारत या पाक में किसी भी अपराध में अगर पकड़ा जाता हे तो वहां का मंत्रालय कुछ वक्त बाद ही इस मामले में हस्तक्षेप कर अपने केडी अपराधी को छुडा कर ले जाता हे यही तो फर्क हे अमेरिका और भारत में खुद के नागरिकों की सुरक्षा के प्रति सरकार के समर्पण में । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

दागियों को मंत्री बनाने पर जजों की गर्जना

देश में गम्भीर किस्म के आरोपियों के खिलाफ जांच का कोई बी नतीजा निकले बगेर उन्हें केंद्र या राज्य सरकारों द्वारा महत्वपूर्ण पदों पर बिठा देने से देश के शीर्ष कोर्ट के जज साहब नाराज़ हें और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री विलास राव देशमुख के दागी होने के बाद भी उन्हें केंद्र में पंचायत मंत्री बनाये जाने पर उन्हें सार्वजनिक तोर पर इस परम्परा का अविरोध करना पढ़ा हे ।
देश की शीर्ष कोर्ट के जज ऐ के गांगुली ,जी एस सिंघवी ने कल एक निजी समारोह में भ्र्स्ताचारियों को ऊँचे ओहदे पर बिठाने की परम्परा को आड़े हाथों लेते हुए सरकार की खुले आम खिंचाई की उन्होंने साफ़ शब्दों में विलास राव देशमुख का उदाहरण देकर ऊँगली उठाई जजों की इस साफ़ गोई से कोंग्रेस और दुसरे जो आरोपी दागी लोग हे वोह तिलमिला गये हें और शीघ्र ही जजों की हदबंदी कानून की तय्यारी तेज़ कर दी हे इस मामले में प्रधानमन्त्री जी तो खुद कहते रहे हें के जजों को अपनी हद में रहना चाहिए लेकिन अब सभी सांसद इस मामले में एक मत लग रहे हे वेसे कल जज लोगों ने जो भी कहा सच कहा इसका जनता को समर्थन करना चाहिए वरना संसद,मंत्रालय और प्रसाद पर्यन्त पदों पर भ्रष्ट लोगों की जो बाढ़ आ गयी हे उसे रोक पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो जाएगा । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

तेरी याद फिर आ गयी ..

आज
खुशबु देते
खिले फूलों के बाग़ में
घूमते वक्त
एक बार फिर
कांटा मेरे पैर में चुभा
और
इस चुभन के
साथ ही
मुझे
ना जाने क्यूँ
तेरी याद आगयी ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कोटा में बूचड़ खाने का विवाद खत्म

कोटा में महापोर रत्ना जेन हें , स्वायत शासन मंत्री ओसवाल जेन शांति कुमार धारीवाल हें ,इधर देश भर में और राजस्थान में नगर पालिका कानून में हर जिले में बूचड़ खाने बनाने के कानूनी प्रावधान हें और इन प्रावधानों की क्रियान्विति ने राजस्थान हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने सरकारों को विशेष दिशा निर्देश जारी किये हें , कोटा में निगम की प्रथम महापोर श्रीमती सुमन श्रंगघी के कार्यकाल में यहाँ बूचड़ खाना खोलने की कवायद शुरू हुई थी लेकिन अब तक इस नाम पर राजनीती के अलावा कुछ नहीं हुआ हे ।
अभी हाल ही में कोटा में नये आधुनिक बूचड़ खाने का प्रस्ताव रखा कसाई और खटीक चाहते थे के बूचड़ खाना नहीं खुले उन्होंने अपने जेन भाई मित्रों से कहा खटिक भाइयों ने अपनी पार्टी से जुड़े भाइयों से कहा और कोटा में केवल बूचड़ खाने की कागज़ी योजना पर ही जबर्दस्त विरोध शुरू हो गया विरोध भी ऐसा के राजनीतिकरण से धार्मिकी कारण हो गया और साधू संत जेन साधू महाराज विरोध करने लगे महापोर जी महाराज के पास गयीं और कहा के में जेन हूँ लेकिन कोटा की महापोर होने के कारण विधि नियमों से बंधी हूँ बात खामोश होती इसके पहले ही आज स्वायत शासन मंत्री शांति कुमार धारीवाल ने पल्टी खाली धारीवाल जी ने आनन फानन में प्रेस कोंफ्रेंस बुलाई और कोटा में कभी भी बूचड़ खाना नहीं खुलेगा इसका एलान कर दिया इतना ही नहीं प्रेस कोंफ्रेंस में उनके साथ बेठी महापोर पर सारा दोष लगते हुए कहा के महापोर ने यह गलती की हे और अगर यह प्रस्ताव सरकार के पास भिजवा भी देतीं तो भी में इसे पारित नहीं होने देता बस इस तरह से कोटा में पिछले एक माह से चल रहे इस विवाद को राजनितिक आधार पर राजनीति के जरिये ही खत्म करने का प्रयास किया गया ।
यह तो बूचड़ खाने का राजनितिक पहलु हुआ लेकिन दूसरा पहलु यह हे के जनता जगह जगह विधि विरुद्ध मांस काटे जाने पर बेचे जाने से दुखी हे इसकी गंदगी कहां जाती हे सब जानते हें कई गलियों में लोगों का रहना दुश्वार हे तो कई गलियों में से लोगों का गुजरना मुश्किल हे अब हालात यह हें के कोंग्रेस सरकार ने इस मामले में थूक कर चाट लिया हे ... । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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