आपका-अख्तर खान

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08 फ़रवरी 2011

सरकार सोती रही अतिक्रमण बिकते रहे अब गोलियां चल रही हें

कोटा में और खासकर राजस्थान में अजब तमाशा हे यहाँ सरकार के अधिकारी कलेक्टर राजस्व कर्मचारी और निगम न्यास के अधिकारी पहले तो सरकारी ज़मीनों को चुप्पी की सांठ गाँठ कर बिकवाते हें फिर जब वर्षों तक लोग इन अतिक्रमण की जमीनों पर लाखों के आशियाने खड़े कर इसमें आकर बस जाते हें तब करोड़ों के इस तरह के निर्माणों को सरकार के निर्देशों पर आधिर रात को चोरों की तरह से तोड़ने की कार्यवाही होती हे कोटा में कई दिनों से कुछ ऐसा ही चल रहा हे राजथान में नियम हे के जिस अधिकारी या कर्मचारी के कार्य क्षेत्र में अवेध निर्माण या अतिक्रमण होगा तो उसके खिलाफ तुरंत कार्यवाही होगी यानी नये निर्माण और अतिक्रमण की सरकार को तुरंत जानकारी होना चाहिए और होती भी हे क्योंकि इलाके में थाना पुलिस बीट,पटवारी नगर निगम न्यास के पार्षद,प्रतिनिधि और पंच सरपंच ग्रामसेवक होते हें जिन्हें इलाके की हर घटना की खबर होती हे लेकिन वर्षों तक निर्माण हो जाने के बाद किसी का गाड़ी कमाई का लाखों का आशियाना अगर टूटेगा तो वोह तो मरने मारने पर आमादा होगा ही ।
कोटा में कल रावतभाटा रोड स्थित आंवली रोजड़ी गाँव में लगभग ३०० सर्वे शुदा मकानों पर सुबह सवेरे जब सरकार के बुलडोजर गये तो लोग अचानक इस हमले से सकते में आ गये और अपना लाखों का नुकसान होते देख भडक गये लोगों ने विरोध किया तो गृह मंत्री के इलाके की पुलिस थी खामोश कहां रहने वाली थी जाब्ता बुय्लाया लाठियां,आंसू गेस और रबर की गोलियों से लोगों को डोडा डोडा कर मरा खून से लथपथ लहू लुहाना लोग भागते रहे पिटते रहे लेकिन पुलिस को रहम नहीं आया हद तो यह रही के कोंग्रेस सत्ता पक्ष के पार्षद पवन मीना और महिला पार्षद राखी गोतम के पति विद्या शंकर गोतम भी पुलिस पिटाई में गम्भीर घायल हे उन्हें भी पुलिस ने पार्षद होना जानकर भी खूब पीटा ।
पुलिस का कहर यहीं खत्म नहीं हुआ पुलिस ने घायों को इलाज कराने के स्थान पर गिरफ्तार कर लिया कुल मिला कर कोटा में अतिक्रमण करवाने और फिर कुछ सालों बाद उसे तोड़ने के नामा पर राजनीती का यह नंगा खेल चल रहा हे यहाँ जो अधिकारी जी हें अगर उन्हें देखें तो इस अतिक्रमण की लापरवाहियों के लियें अब तक किसी भी कर्मचारी या अधिकारी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई हे और कोटा में इन दिनों हालात सन्न हे पुलिस भू माफियाओं को पकडती नहीं अतिक्रमण कारियों को रोकती नहीं और जब लाखों की लागत के मकान बनते हे तो उन्हें बनने के पहले रोकती नहीं कोटा में अब तक दस करोड़ रूपये से भी अधिक राशि का मकानों को त्योड़ने से नुकसान हो सका हे यह राष्ट्र का ही नुकसान हे कई लोग तो इस नुकसान से आत्महत्या के कगार पर बेठे हें ।
कोटा में प्रशासन की इस बदसुलूकी और मनमानी को देख कर भाजपा मैदान में उतर आई हे और भाजपा के विधायक ओम कृष्ण बिरला ,भवानी सिंह राजावत भाजपा अध्यक्ष श्याम शर्मा ने मोर्चा खोल दिया हे इस मामले में ओम बिरला ने सरकार के इस रवय्ये के खिलाफ सडकों पर निपटने की धमकी दी हे सवाल सही हे के सरकार सालों क्यूँ सोती रहती हे क्यूँ सरकार लाखों की लागत के आलिशान मकान बने देती हे और जब बन जाते हें ओत फिर कई सालों बाद उन मकानों को रात के अंधेरों में तोडना कोई इंसाफ की बात नहीं हे मकान तोड़ों मत राजसात करों उन मकानों में सरकारी दफ्तर खोलो ,उन मकान को बनते हुए देख कर चुप्पी साधने वाले अधिअकरी कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उन्हें जेल भेजो , जिन लोगों ने यह मकान या प्लाट धोखे से बेचे हें उन लोगों को गिरफ्तार करो लेकिन सरकार की बेवकूफी भरी कार्यवाही जनता ओर राष्ट्र को दोनों को नुकसान पहुंचा रही हे और इसका दंड तो सरकार को भुगतना ही होगा ..... । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

जो कुछ दुनिया ने दिया हे मुझे वोह लोटा रहा हूँ में : इसी विधा से भाई ललित शर्मा जी बन गये हें नम्बर वन ब्लोगर


आज सुबह सवेरे से बसंत पंचमी के एहसास के बाद भी दिन भर पारिवारिक प्रोब्लम के चलते उदासी में गुजरा अदालत में काम बेहिसाब था रुक कर आराम की भी फुर्सत नहीं मिली थे शाम को घर आये तो दफ्तर में जयपुर से आई एक पार्टी बेठी थी उसे विधिक मामले में सलाह लेकर तुरंत जयपुर जाना था सो में घर इ कपड़े बदलते ही उलटे पाँव दफ्तर चला गया वहां गया तो बस गया ही सही काम में लगना पढ़ा और फिर कल की कुछ पत्रावलियां देख कर वापस थका हारा घर लोटा सर में थोडा दर्द मन में उदासी लियें में थोडा सुस्ता रहा था घड़ी की तरफ देखा साढे दस बजने वाले थे के अचानक मोबाईल की घंटी बजी फिर बंद हो गयी फिर घंटी बजी मोबाइल चार्ज पर था मेरी बिटिया ने मोबाइल बेड पर ही लाकर दिया मोबाइल की स्क्रीन पर जेसे ही भाई ललित शर्मा का नम्बर देखा तो यकीन मानिए मन की उदासी शरीर की सारी थकान दूर कम्बल हटाया और बेठ गया बस फिर बढ़े भाई से गुर सिखने लगे ।
बातों ही बातों में भाई ललित जी ने मुझे बहुत कुछ सिखा दिया , भाई ललित जी से मेने कहा के अब सर्दी कम हुई हे तो उन्होंने कहा हाँ बसंत आ गया हे फिर उन्होंने दोहराया के सुबह साढ़े तीन बजे भाई अरुण राय जी ने मुझे बसंत की बधाई दी मेने कहा के बसंत केसा यह क्या होता हे कहां रहता हे ललित जी के इस बयान में मेरे मुंह से हंसी फुट पढ़ी फिर उन्होंने आगे कहा के अरुण राय जी ने कहा के आप बसंत पर कविता लिखो तब उन्होंने कहा के मुझे तो कविता लिखे बरस हो गये फिर जब उनसे कहा गया तो उन्होंने जवाब दिया के भाई कविता,रचना को तो अब में भूल गया हूँ बस अब तो गरिमा का ही ध्यान रखे हूँ ललित जी ने चाहे यह बात हंसी मजाक में कही थी लेकिन बात ठीक थी आप सहित मेने भी ललित जी का स्वभाव देखा हे उनकी लेखनी की तेज़ धार समस्याओं पर पकड़ और वर्तमान परिस्थितियों पर विचार देखे हें इसलियें ब्लोगर्स में बढ़े छोटे अपने पराये का भेद भुला कर सभी ब्लोगर भाईयों को एक सूत्र में पिरोने के लियें अगर कोई रचनात्मक कम कर रहे हें तो वोह भाई ललित जी ही हे ।
में ब्लोगिंग की दुनिया में नो सिखिया हूँ बहुत कुछ नहीं जानता इधर उधर से थोडा बहुत सीख साख कर कुछ करने की कोशिश कर रहा हूँ लेकिन मुझे पता चला हे के भाई ललित शर्मा जी ने ब्लोगिंग की इस दुनिया में करीब ५०० ब्लोगर्स से भी अधिक ब्लोगर्स की मदद की हे और उनकी इसी मदद के कारण आज कई ब्लोगर अपना नाम कमा रहे हे दोस्तों मेने भाई ललित जी के गरिमा मई रचनात्मक ब्लॉग को लगभग ध्यान से पढ़ा हे यकीन मानिए एक बार भाई ललित जी की पोस्ट और अंदाज़े बयान देखने के बाद इनके ब्लॉग पर बार बार टिप्पणी करने का दिल करता हे लेकिन मेने देखा के जिन ५०० से भी अधिक ब्लोगर्स के भाई ललित जी गुरु रहे हें वोह तो अपना फर्ज़ निभा ही नहीं रहे हें में सोचता हूँ के अगर उनके अपने शागिर्द ब्लोगर या जिनके ब्लॉग खुद ललित जी ने तय्यार कर के दिए हें अगर वोह खुद भी एक एक टिप्पणी दें तो टिप्पणियाँ ५०० प्रति दिन होती हे लेकिन लालती जी हमारे भाई हें जो कुछ उन्होंने दुनिया से सीखा हे उसे वोह मुफ्त बांटने के प्रयासों में लगे हें , नेकी कर दरिया में डाल की तर्ज़ पर वोह अपना काम कर रहे हें ।
ललित जी शर्मा के लियें यूँ तो लिखते लिखते शाम से सुबह हो जायेगी लेकिन इन दिनों उनकी कुर्सी बसंत का गीत वृद्धों में जवानी फूंकने वाली कविता ने उन्हें ब्लॉग जगत में दिन दुनी रात चोगुनी तरक्की दी हे और कुछ दिन पूर्व जब ललित जी जब कोटा आये थे तो उनके ब्लॉग की चिटठा जगत की रेंक १३००० थी लेकिन देखिये आज पहली रेंक के पहले पायदान पर चल रहे हें और चिटठा जगत ने भी उन्हें लगातार पहली रेंक पर रख कर उनका उत्साह बढाया हे । भाई लाली जी के लिएँ तो अब बस दुष्यं का यही कथन हे के
हाथों में अंगारों को लिए सोच रहा था
कोई मुझे अंगारों की तासीर बताये ।
भाई ललित जी रोज़ हजारों लोगों के सम्पर्क में रहते हें लेकिन लोग क्या हे केसे हे इस मामले में वोह खुद बेखबर से अपना काम सिर्फ काम ही नहीं अपना अभियान प्यार दो प्यार लो आगे बढाये जा रहे हें खुदा करे उनका यह अभियान उनके ब्लॉग लेखन की लोकप्रियता और गुणवत्ता की तरह दिन दुनी रात चोगुनी कामयाबी के साथ तरक्की करे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

यह मच्छर ...

यह मच्छर
जो अभी
मुझे
काट रहा हे
काट क्या रहा हे
मेरा खून चूस रहा हे
मुझे फिर भी
प्यारा हे
सिर्फ इसलियें
यही मच्छर तो हे
जो अभी
उनके लबों पर
बेठ कर आया हे
यही मच्छर तो हे
जिसने अभी उन्हें
सताया हे
एक मच्छर
इन्सान को
क्या क्या बना सकता हे
बस
इस मच्छर ने
उन्हें भी
यही बनाया हे
इसीलियें
इस मच्छर से
मुझे प्यार हे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

यह सुबह ..

यह सुबह
जो
अंधेरों से भी
बदतर हे
में चाहता हूँ
मेरी जिंदगी में
फिर ना आये
कभी
यह अँधेरे
जिनसे
में घबराता रहा हूँ
अब तो बस
यही मेरे संगी
यही मेरे साथी हे
एक उजालेदार सुबह
जो सिर्फ एक धोखा हे
उससे तो कहीं
ज्यादा बहतर
यही अँधेरे हें
जो सिर्फ और सिर्फ
लोगों की हर बुराइयों को
छुपा लेते हें
एक सच यह भी हे
जो सुबह के
उजालों में
देते हें धोखा
वही लोग
इस रात के अँधेरे में
प्यार ही प्यार
का नाटक कर
यूँ ही
अंधेरों को
बदनाम करते हें ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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