आपका-अख्तर खान

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19 फ़रवरी 2011

एक चश्मा जो चश्म बन गया

एक चश्मा
जो पांच फुट लम्बी लडकी
की आँखों पर लगा था
वोह नीचे गिरा
उसे पास खड़ी छ फुट लड़की ने
उठा कर ऊँचा किया
पांच फुट की लड़की ने छिना चाहा
लम्बी लड़की के हाथ से
चश्मा नीचे गिरा
फिर भी चश्मा नहीं टूटा क्योंकि
चश्मा तो प्लास्टिक था ,
हाह हां हां हाह हाह हाह हाह क्यूँ केसी रही ॥ । उल्लू बने चरखा चलाया अरे हाँ उल्लू से याद आया इन दिनों बरगद और पीपल के घने पढ़ कम हो जाने से उल्लू जो लक्ष्मी का वाहन कहलाता हे वोह दुर्लभ हो गया हे तांत्रिक एक उल्लू को लाखों करोड़ों रूपये में खरीद कर रहे हें और इसी लियें अभी हाल ही में उदयपुर के चिड़िया घर से दो उल्लू चोरी हो गये हें और इसकी जांच चल रही हे राजस्थान में दुसरे चिड़िया घरों में भी उल्लू की सुरक्षा के निर्देश प्राप्त हुए हें इस मामले में प्रिवेंशन और वाइल्ड लाइफ के संरक्षक संस्था ने आवाज़ भी उठाई हे अब देखिये जब लक्ष्मी जी का वाहन उल्लू ही नहीं रहेगा तो लक्ष्मी जी इधर से उधर किस वाहन से जायेंगी वोह तो फिर स्विस बेंक में जाकर ही अटक जायेंगी इसलियें भाइयो उल्लू बचाओ अभियान चलाओ जो तांत्रिक इस मामले में कार्यवाही करते देखें उसे पक्द्वाओं केन्द्रीय वन पर्यावरण मंत्री जी ने तो इस मामले में एक आदेश जारी कर प्रोत्साहन पुरस्कार योजना भी जारी की हे तो दोस्तों उल्लू के पट्ठे उल्लू के बच्चे किताबों की खानी बन कर न रह जाए इसलियें उल्लू बचाओं अभियान पर लग जाओ क्योंकि इन दिनों तो देश की हर शाख पर उल्लू बता हे अब देखते हें अंजामे गुलिस्तान किया होता हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

अल्फ्लाह एक समाज सेवा संस्था का नाम हे

दोस्तों कुछ लोग कुछ सन्गठन ऐसे होते हें जो अपना सब कुछ खोकर भी दूसरों को सुख देकर खुश होते हें और यह शोक घर फूंक कर तमाशा देखने का होता हे आज के युग में जिसे यह शोक हें उन्हें सिरफिरा सिर्फ सिरफिरा कहा जा सकता हे लेकिन कुछ सिरफिरे नोजवान कोटा में ऐसे हें जो अल्फ्लाह सोसाइटी के नाम से देश की दिन हीं लोगों की बीमार पीड़ितों की सेवा करने में लगे हें और आज वोह लोगों के दिल और दिमाग में छा गये हें सिर्फ काम और काम बदले में कुछ नहीं इसी का नाम समर्पण सेवा और अल्फ्लाह सोसायटी हे ।
दोस्तों यह सोसाइटी १९९८ में बनी और इसका पंजीयन क्रमांक २/१९९८...१९९९ हे अभी इस सोसाइटी के अध्यक्ष रफीक बेलियम कृष्ट उपाध्यक्ष असलम अंसारी और सेक्रेटरी जनाब इस्लाम खान हे यह संस्था केवल और केवल खिदमत करती हे और खिदमत किसी ज़ात किसी धर्म किसी वर्ग की नहीं खिदमत ऐ खल्क यानी पूरी दुनिया की हर वर्ग हर समाज की खिदमत करते हें ।
अल्फ्लाह वेलफेयर सोसाइटी इन दिनों चिकित्सा सेवा में जुटी हे अभी हाला ही में इस सोसाइटी के माध्यम से दन्त चिकित्सा केम्प लगाया गया फिर हड्डी चिकित्सा केम्प लगाया गया अभी ईद मिलादुन्नबी के दिन ब्लड डोनेट केम्प लगाया और कल कोटा सूरजपोल स्कुल में आँखों की जाँच का केम्प लगाया जा रहा हे , अनपढ़ को साक्षर करने का इस संस्था का अपना अभियान हे इसीलियें इस संस्था को समर्पण सेवा भाव से कम करने के लियें जिला प्रशासन और राजस्थान सरकार ने सम्मानित किया हे दोस्तों इस संस्था में कुछ ऐसे लोग हे जो सिर्फ लोगों की सेवा ही करके खुश होते हें और इस सेवा कार्य में कोई चंदा कोई सहयोग नहीं बलके साथियों अपने सदस्यों से ही मिलजुल कर इन खर्चों को वहन करते हें वर्ष १९९२से आज तक का इस संस्था का सफर ऐसा रहा हे के आज कोटा की जनता की जुबान पर इस संस्था का नाम हे वजह साफ़ हे कोटा में कोई भी छोटा या बढा कार्यक्रम हो यह संस्था उसमें अपनी उपस्थिति दर्शा कर सेवा और समर्पण भाव से मदद करती हे बस इसीलियें यह एक छोटा पोधा आज बहुत बढा पढ़ बनता जा रहा हे और इस पढ़ के छाँव तले कई लोग आज भी बेठ कर आनन्द ले रहे हें तो दोस्तों ऐसी संस्था को एक बार फिर सलाम खुदा करे यह संस्था दिन दुनी रात चोगुनी तरक्की करे आमीन । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

यह क्या माजरा हे .

यह क्या माजरा हे
झगड़ा उनसे हे मेरा
नाम उनका जब आया
तो गर्दन मेरी
शर्म से
क्यूँ झुक गयी हे
यह क्या माजरा हे
गुस्सा उन पर मुझे बहुत हे
फिर यह क्या हे
चारों तरफ खुशबू
उनके प्यार की महक रही हे
यह क्या माजरा हे
बरसों जो नहीं मिलते मुझे
फिर क्यूँ यूँ रोज़
ख़्वाबों में आ रहे हें
यह क्या माजरा हे
रिश्ता जिनसे ना प्यार का ना दुश्मनी का रहा हे
फिर आखिर ख्याल किया हे
जो मुझे फूट फूट कर रुला रहा हे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

उड़ीसा कलेक्टर को केसे छुड़ा पायेंगे ....

उड़ीसा के भुवनेश्वर में कलेक्टर और एक इंजीनियर को अगवा कर नक्सली और माओवादी अब सरकार से सोदेबाज़ी कर रहे हें सरकार हे के कोशिश कोशिश ही कर रही हे लेकिन सभी कोशिशें बे नतीजा हें ।
माओ वादियों ने वेसे तो थोड़ा बहुत वक्त बढ़ा दिया हे लेकिन अब जब वक्त बढ़ गया हे तो फिर दूसरी सर्च और सुरक्षात्मक कार्यवाहियां भी नहीं की हें नतीजन वहन दिन ब दिन जनता में आक्रोश बढ़ता जा रहा हे एक कलेक्टर जिसके जिम्मे पूरी दुनिया की सुरक्षा रहती हे अगर वोह इस तरह से अगवा आकर लिया जाये तो तय हे के कहीं न कहीं भेदिये सरकार में मुंह छुपाये बेठे हें और एक प्लानिंग विशवास के साथ की हे वरना जिस कलेक्टर से बिना पर्ची के कोई मिल नहीं सकता उसे एक ग्रुप खासकर माओवादी ग्रुप अपहरण कर ले जाए अब अगर ऐसा हुआ हे तो सरकार के लियें और सिस्टम के लियें तो शर्मनाक बात हे ही इसके लियें एक सरकार नहीं सभी सरकारों को चिन्तन मंथन शुरू करने की जरूरत हे और आंतरिक अपहरण और सोदेबाज़ी की घटनाओं से निपटने के लियें भी सुरक्षा एजेंसियों को कोई ना कोई प्लान तो तय्यार करना ही होगा हमारे कमांडो को भी तयार करना होगा तब कहीं ऐसे देश की अमन चेन के दुश्मनों से निपटा जा सकेगा वरना आतंकवाद और नक्सलवाद पर राजनीती अगर हुई तो देश तबाह और बर्बाद हो जाएगा इसलियें सुधरो यार ....... । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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