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20 फ़रवरी 2011

कोमन वेल्थ गेम में भ्रष्टाचारी कलमाड़ी की मांग

दोस्तों कोमन वेल्थ गेम में अतर्राष्ट्रीय स्तर पर भ्रस्ताचार और अव्यवस्था मामले में समूचे राष्ट्र का सर शर्म से झुकाने वाले जनाब सुरेश कलमाड़ी जी को अब जेल में जाने का खतरा लग रहा हे और इसीलियें उन्होंने पासा पलटते हुए इस मामले की जांच जे पी सी से कराने की कर डाली हे ।
एक तरफ कोंग्रेस जो घोटाले में ऐ राजा सहित दूसरों को बचाने के लियें जे पी सी से बचती रही और कई महीनों तक संसद सत्र को खराब कर दिया दूसरी तरफ भ्रष्टाचार में सने जनाब सुरेश कलमाड़ी जिनकी गिरफ्तारी निकट भविष्य में सम्भव हे अब वोह जे पी सी की मांग कर बेठे हें वोह जानते हें अगर जे पीसी बनी तो वोह मेनेज कर लेंगे इधर सी पी आई की कार्यवाही ढीली पढ़ जाने से वोह इस सी बी आई के शिकंजे से बच जायेंगे तो बताओ दोस्तों क्या सुरेश कलमाड़ी जी माफ़ी के हकदार हे क्या उन्हें गिरफ्तार नहीं होना चाहिए क्या कलमाड़ी जी ने अतर्राष्ट्रीय खेलों में देश का सर शर्म से निचा नहीं किया क्या देश की जनता का अरबों रूपये उन्होंने भ्रस्ताचार में नही लगाया और इसकी छुट किस प्रधानमन्त्री ने दी केवल खेल मंत्री का विभाग बदल देने से क्या सिस्टम सुधर गया नहीं न तो फिर दोषियों की सजा के लियें कुछ कर डालो यार । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

राजस्थान में लडकियाँ पढाई में अभी भी पीछे

राजस्थान में सर्व शिक्षा अभियान,साक्षरता अभियान,बच्चों को शिक्षा गारंटी अधिक्र देने के बाद भी यहाँ इस बार करीब सात लाख लडकियाँ स्कूलों में जाने से वंचित हें और कई ६ से १४ साल की बच्चियां महंत मजदूरी कर रही हें चाइल्ड ट्रेफिकिंग के इस आंकड़े ने राजस्थान सरकार के महिला शिक्षा के मामले में पोल खोल कर रख दी हे ।
राजस्थान सरकार का बजट सभी के लियें शिक्षा के रूप में समर्पित था और इस लियें महिलाओं के लियें शिक्षा क्षेत्र में अनेक घोषणाएं की गयी थी पोषाहार के अलावा युनिफोर्म , किताबें,और शुल्क में छुट सभी सुविधाओं के अलावा एक अभियान के रूप में घर घर जाकर शिक्षा जाग्रति के लियें घर बेठी बच्चियों को स्कुल में प्रवेश देना था इसी दोरान राजस्थान में शिक्षा गारंटी कानून को अंगीकार किया गया लेकिन इन सब के बाद भी जो नतीजे सामने आये हें वोह शर्मनाक हे ।
राजस्थान में आंगन बड़ी पाठशालाएं,राजीवगांधी पाठशालाएँ,मदरसा शिक्षा , प्राथमिक शिक्षा ,सर्वशिक्षा अभियान साक्षरता ,निजी शिक्षा सभी प्रयासों के बाद भी लडकियों के पढ़ी में पिछड़ने से सरकार के सभी दावों की पोल खुल गयी हे अब देखते हें सरकार इस मामले में क्या नये कदम उठाती हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

यारों मैं बेफिक्र हुआ, मुझे 'सिरफिरा' सम्पादक मिल गया

दोस्तों! आज मैं बहुत खुश हूँ. मुझे एक सम्पादक मिल गया है. अब तक मैं टूटी-फूटी हिंदी में गलत-सलत उच्चारण से बहुत कुछ गलत लिखा करता था. लेकिन उसकी मरम्मत(संपादन) के लिए मुझे कोई मेरा भाई नहीं मिल पा रहा था. खुदा का शुक्र है कि-मेरी दुआ पूरी हुई, मेरी खोज पूरी हुई.  मुझे मेरे भाई रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" जी सम्पादक के रूप में मिल गये. अब कहिये जनाब! आपको मेरी इस खोज और मेरे इस चयन पर ख़ुशी हुई या नहीं हुई कि-मैंने एक व्यवसायिक प्रकाशक, सम्पादक को इस मामले में अपने साथ जोड़कर संपादन की ज़िम्मेदारी सोंपी है. रमेश कुमार जैन मेरे भाई है.  
        न्होंने अपने ब्लॉग पर एक पोस्ट लिखी थी. आलोचना करो और 200 रूपये इनाम पाओ! मैं ठहरा एक लालची. इसलिए इनाम के चक्कर में पड़ गया. दूसरा मैं अपनी आदत से मजबूर होकर फंस गया. शर्त थी गलती निकालो और इनाम पाओ! मेरी आदत थी कि-मैं किसी की भी गलती नहीं निकालता. काफी वक्त मेरे अंदर अन्तर्द्वन्द्ध रहा. बाद में मैंने वैसे ही इनाम पाने के लिए एक संदेश मेरे भाई रमेश जी को दिया. बस उनके पहले जवाब ने मुझे प्रफुल्लित कर दिया और मुझे लगा कि-मैंने 20 साल तक पत्रकारिता और सम्पादन काल में कुछ नहीं खोजा. जो जनाब रमेश जी ने मिलकर मेरी भूख शांत कर दी. 
              मैंने भी नकल की और भाई रमेश जी की तर्ज़ पर एक प्रतियोगिता इनाम पाने की घोषणा कर डाली. एक भी अच्छी और सुधरी हुई चीज़ मेरे ब्लॉग में ढुंढ़ों और 500 रूपये का इनाम पाओ. यकीन मानो. शुक्र मनाओ एक भी संदेश नहीं आया, क्योंकि मेरे ब्लॉग में कुछ ऐसा ठीक है ही नहीं. जो कोई इसके सुधरे हुए हिस्से को बता सके. खैर मैं तो अभी लोगों को पुरस्कार देने से बचा हुआ हूँ. लेकिन मैं रमेश जी से प्रभावित हुआ हूँ. इसलिए मैं यह पोस्ट लिख रहा हूँ. 
            मैंने उनसे प्रार्थना की. रमेश भाई तुम मेरी पोस्टों का सम्पादन करो और उन्होंने स्वीकार किया. इस मामले में उनका मैं शुक्रगुजार हूँ. उन्होंने मुझे सहयोग भी किया है. दोस्तों! रमेश कुमार जैन नाम के ही "सिरफिरे" है. लेकिन इनका "सिर" फिरा हुआ नहीं है, क्योंकि "सिर" किसी का भी "फिर" ही नहीं सकता यह तो स्थिर रहता है. हाँ, सम्पादन की भाषा में बोलें तो दिमाग जरुर "फिर" जाता है. जो एक पत्रकार का दिमाग है वो इसलिए सहज सम्पादित रहता है. तब "फिरने" का सवाल ही नहीं उठता. 
          रमेश जी एक स्वतंत्र पत्रकार,प्रकाशक और मुद्रक है. यह दिल्ली के उत्तमनगर क्षेत्र में निर्दलीय नेतागिरी भी कर चुके हैं और "कैमरा" चुनाव चिन्ह पर दो बार चुनाव लड़कर अच्छे वोट प्राप्त किये थें. इनका जीवन का मुख्य लक्ष्य भारत को एक लोकतांत्रिक भ्रष्टाचार मुक्त राष्ट्र बनाना है और इसी प्रयासों में यह जुटे हैं. इनका "शकुन्तला प्रेस ऑफ़ इंडिया प्रकाशन" परिवार के नाम से प्रकाशन है. जोकि उत्तम नगर, दिल्ली में कार्यरत है. "जीवन का लक्ष्य" व "शकुन्तला सर्वधर्म सजोग" सहित साप्ताहिक, मासिक,पाक्षिक, तैमासिक प्रकाशन इनके चल रहे हैं. रमेश जी को टी.वी.सीरियलों में भी वही सीरियल पसंद हैं. जिनमें हंसी-हंसी में कुछ शिक्षा भी शामिल हो, फ़िल्में वो पसंद हैं. जो राष्ट्रभक्ति को बढ़ावा देती हो और "दिल" शायद थोड़ा टूटा हुआ-सा है. इसीलिए इन जनाब को दर्द भरी गजलें और दर्द भरे गीत पसंद है.
           मेश भाई के अनेक ब्लॉग पांचवे स्तम्भ की दुनिया में है. पहला "सिरफिरा-आज़ाद पंछी" दूसरा "रमेश कुमार सिरफिरा" तीसरा "सच्चा दोस्त" चौथा "आपकी शायरी" पांचवां "आपको मुबारक हो" और छठा "मुबारकबाद",  शकुन्तला प्रेस ऑफ इंडिया प्रकाशन,    सच का सामना(आत्मकथा), तीर्थंकर महावीर स्वामी जी,   शकुन्तला प्रेस का पुस्तकालय  और (जिनपर कार्य चल रहा है>>शकुन्तला महिला कल्याण कोष, मानव सेवा एकता मंच,  एवं चुनाव चिन्ह पर आधरित कैमरा-तीसरी आँख ब्लॉग हैं. 
     कैमरा-तीसरी आँख वाला ब्लॉग पर अपने लड़े दोनों चुनाव की प्रक्रिया और अनुभव डालने का प्रयास कर रहे हैं. जिससे 2012 में दिल्ली नगर निगम के चुनाव होने है और उनकी दिली इच्छा है कि इस बार पहले ज्यादा निर्दलीय लोगों को चुनाव में खड़ा करने के लिए प्रेरित कर सकूँ. पिछली बार उन्होंने 11 लोगों की मदद की थी. उनका कहना है कि-जबतक आम-आदमी और अच्छे लोग राजनीति में नहीं आयेंगे. तब तक देश के बारें में अच्छा सोचना बेकार है. मेरे ब्लॉग से अगर लोगों को चुनाव प्रक्रिया की जानकारी मिल गई. तब शायद कुछ अन्य भी हौंसला दिखा सकें. मेरे अनुभव और संपत्ति की जानकारी देने से लोगों में एक नया संदेश भी जाएगा. 
            नके "मुबारकबाद" ब्लॉग के काम में यह विनोद जैन को अपना सहयोगी मानते हैं और अपने वैवाहिक जीवन के कटु अनुभवों को सच का सामना(आत्मकथा) के माध्यम से उपन्यास के रूप में समेटने की कोशिश में भी लगे हुए हैं. ऐसे जनाब हैं मेरी पोस्टों के सम्पादक जनाब रमेश कुमार जैन. आप सभी को अच्छा लगा ना इनसे मिलकर. अब मिलते रहेंगे। आपको इनके बारें में ओर ज्यादा जाने की इच्छा है तो आप इनके ब्लॉग पर किल्क करें. 
-आपका अपना:-अख्तर खान अकेला, कोटा (राजस्थान)

पाबला जी पाबला जी पाबला जी

दोस्तों! आज मेरी 2200 वीं पोस्ट में लिख रहा हूँ. सोचा कि-क्या लिखूं! फिर सोचा कि-ब्लोगिंग की दुनिया को नई जिंदगी, नई पहचान, भाईचारा सद्भावना का पैगाम देने वाले किसी बंदे को चुना जाए. तब जनाब यकीन मानिये-मेरे जहन में सिर्फ और सिर्फ एक ही नाम जनाब बी.एस.बावला जी का आया.मैंने उनके बारे में खोजबीन शुरू की. तब लगा कि-उनके लियें कुछ भी लिखने की कोशिश बहुत कम है, क्योंकि आप(बी.एस.बावला)किसी लेखन, किसी परिचय के मोहताज नहीं है बल्कि उनसे जुडकर लोग दूसरों से परिचित होते हैं. आप ब्लोगिंग की दुनिया के नींव का पत्थर है. आपने अपनी ब्लॉग कला से कई लोगों को बौना बना दिया है।
कोटा में पिछले दिनों ब्लोगर भाई ललित शर्मा जी आये थे. उनकी जुबान पर मुलाक़ात के दोरान कई दर्जन बार जब आपका नाम आया तो मुझे लगा कि-आप कुछ नहीं, बहुत कुछ हटकर है और सच मानिए भाई दिनेशराय द्विवेदी जी ब्लोगर ने जब मुझे आपके बारे में बताना शुरू किया.तब वक्त कब निकल गया पता ही नहीं चला. मगर तब लगा कि-पावला जी ही ब्लोगिंग दुनिया की आन-बान और शान है। आप ही है जो ब्लॉग की दुनिया में लोगों के जन्मदिन, लोगों की वैवाहिक वर्षगाँठ की याद दिलाते हैं और फिर बधाइयों के सिलसिले से एक दुसरे से मुलाक़ात कराते हैं. एक-दुसरे से भाईचारा, सद्भावना और प्यार के साथ ही विश्वास बढ़ाने का काम करते हैं और इससे बेहतर काम क्या हो सकता है. जो किसी दुसरे के लिए प्यार बांटता है, उसे खुदा नवाजता है. इसीलिए आप आज देश में ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉग मंच पर भी छा रहे है. ब्लॉग लेखन और ब्लॉग तकनीक साज-सज्जा में अव्वल रहने वाले जब खुद लिखते हैं तब प्रिंट मीडिया इनके आलेखों को अपने अख़बारों में छापने के लिये मजबूर हो जाती है.रोज़मर्रा इनके कई लेख विभिन्न समाचार पत्रों मैंने छपे हुए देखे हैं. यह ब्लोगिंग दुनिया के लिए गौरव की बात है कि-प्रिंट मीडिया अब ब्लोगिंग दुनिया का मोहताज रहने लगी है ।
आप जिंदगी के मेले, ब्लॉग बुखार, कल की दुनिया से लेकर दर्जनों ब्लॉग के मालिक है और सेकड़ों, हजारों ब्लोगों की अपने घर बैठे ही ठोक-बजाकर मरम्मत करके उसे नई रंगत देने के लिए मशहूर है. अब बताओं पाबला जी की शान में यह चंद अल्फाज़ सूरज को "दिया" दिखाने के समान ऊंट के मुंह में जीरा नहीं तो क्या है. लेकिन यकीन मानिये जब भी पाबला जी से मुलाक़ात होगी तो बस जी भर कर उनके बारे में जानूंगा और लिखने का प्रयास करूंगा. अभी तो बस इतना ही जान पाया हूँ कि-आप भिलाई इस्पात संयत्र में कार्यरत है और यहीं हाई स्कुल में पढ़े. फिर रायपुर से लुधियाना में जमे है, अब आप ब्लॉग की दुनिया में सभी छोटे-बड़े ब्लोगर के दिलों के शहंशाह और हर दिल अज़ीज़ बने हुए है। ऐसा लगता है शायद किसी शायर ने आपके लिए ही इन पक्तियों को कहा है कि- ...खुदा नहीं न सही, आदमी का ख्वाब सही. कोई हसीन नजारा तो है नजर के लिए.
दर्शनाभिलाषी-अख्तर खान अकेला,कोटा (राजस्थान)

आज में सूरज को दिया दिखा रहा हूँ जो चमकता हे ब्लॉग को उसके लियें लिखने की गुस्ताखी कर रहा हूँ

दोस्तों आज मेरी २२०० वीं पोस्ट में लिख रहा हूँ सोचा के क्या लिखूं फिर सोचा के ब्लोगिंग की दुनिया को नई जिंदगी नई पहचान भाईचारा सद्भावना का पैगाम देने वाले किसी बंदे को चुना जाए तो जनाब यकीन मानिये मेरे जहन में सिर्फ और सिर्फ एक ही नाम जनाब बी एस बावला जी का आया और मेने उनके बारे में खोजबीन शुरू की तो लगा के उनके लियें कुछ भी लिखने की कोशिश बहुत कम हे क्योंकि वोह किसी लेखन किसी परिचय के मोहताज नहीं हे बलके उनसे जुडकर लोग दूसरों से परिचित होते हें पाबला जी ब्लोगिंग की दुनिया के नींव का पत्थर हे और इन्होने अपनी ब्लॉग कला से कई लोगों को कंगुरा बना दिया हे ।
हमारे कोटा में पिछले दिनों ब्लोगर भाई ललित शर्मा जी आये थे उनकी जुबान पर मुलाक़ात के दोरान कई दर्जन बार जब पाबला जी का नाम आया तो मुझे लगा के यह जनाब कुछ नहीं बहुत कुछ हट कर हे और सच मानिए भाई दिनेश राय जी दिविवेदी ब्लोगर ने जब मुझे उनके बारे में बताना शुरू किया तो वक्त की निकल गया पता ही नहीं चला लेकिन लगा के पावला जी ब्लोगिंग दुनिया की आन बान और शान हें । पावला जी ही हें जो ब्लॉग की दुनिया मने लोगों के जन्म दिन , लोगों की वैवाहिक वर्ष्गांठ की याद दिलाते हें और फिर बधाइयों के सिलसिले से एक दुसरे से मुलाक़ात कराते हें एक दुसरे से भाईचारा सद्भावना और प्यार विश्वास बढ़ाने का इससे बहतर काम क्या हो सकता हे जो किसी दुसरे के लियें पार बांटता हे उसे खुदा नवाजता हे और इसीलियें पाबला जी आज देश में ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉग मंच पर भी छा रहे हें ब्लॉग लेखन और ब्लॉग तकनीक साज सज्जा में अव्वल रहने वाले यह जनाब जब खुद लिखते हें तो फिर प्रिंट मीडिया इनके आलेखों को अपने अख़बारों में छपने के लियें मजबूर हो जाता हे और रोज़ मर्रा इनके कई लेख विभिन्न समाचार पत्रों मने छपे हुए देखे जा सकते हें यह ब्लोगिंग दुनिया के लियें गोरव की बात हे के प्रीत मिडिया अब ब्लोगिंग दुनिया का मोहताज रहने लगा हे ।
पाबला जी जिंदगी के मेले ,ब्लॉग बुखार कल की दुनिया से लेकर दर्जनों ब्लॉग के मालिक हे और सेकड़ों ,हजारों ब्लॉग की अपने घर बेठे थोक बजा कर मरम्मत कर उसे नई रंगत देने के लियें मशहूर हें अब बताओं पाबला जी की शान में यह चंद अल्फाज़ सूरज को दिया दिखाने के समान ऊंट के मुंह में जीरा नहीं तो क्या हे लेकिन यकीन मानिये जब भी पाबला जी से मुलाक़ात होगी तो बस जी भर कर उनके बारे में जानूंगा और लिखने का प्रयास करूंगा अभी तो बस इतना ही जान पाया हूँ के पाबला जी भिलाई इस्पात संयत्र में कार्यरत हें और दल्ली राजहरा के होने के कारण यहीं हाई स्कुल में पढ़े और बाद में रायपुर लुधियाना में जमे हें , और ब्लॉग की दुनिया में सभी छोटे बढ़े ब्लोगर के दिलों के शहंशाह और हर दिल अज़ीज़ बने हें ।
किसी शायर ने कहा हे ...खुदा नहीं न सही आदमी का ख्वाब सही
कोई हसीन नजारा तो हे नजर के लियें ......... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

यह हें एम बी ऐ अली सोहराब जिनका मकसद हे समाज बदलना

जी हाँ दोस्तों यह जो खुबसुरत तस्वीर आप देख रहे हें यह ब्लोगिंग की दुनिया मने बहुत जल्द बुलंदियों पर पहुंचने वाले ब्लोगर अली सोहराब हें २८ मार्च को जन्मे अली सोहराब ने जिस अंदाज़ में अपने ब्लॉग को आगे बढ़ाया कुछ कडवे कुछ मीठे अनुभव लेकर अच्छी बुरी बातें आलेखित की वोह अली सोहराब एम बी ऐ हें और होटल व्यवसाय से जुड़े हें । अपने व्यस्तम वक्त में से वोह ब्लॉग सेवा में अपना वक्त निकल कर कुछ खट्टे मीठे अनुभवों से हम और आपको एक दुसरे से परिचित भी करा रहे हें ।
अली सोहराब के ब्लॉग का मुख्य कोटेशन बुखारी शरीफ की हदीस की एक खुसूसी हिदायत हे उनके बोलग का मुखड़ा कहता हे के खुदा उसके लियें दयावान नहीं जो मानव जीवन के लियें दया भाव नहीं रख सकता बात सही हे खुदा ने यही संदेश दिया हे और इसीलियें प्यार दो प्यार लो के भाव से जीवन गुजर बसर करने वाला हर आदमी इंसान हो जाता हे और इससे अलग अगर कोई नफरत बाँटने निकलता हे अपने धर्म को दूसरों के धर्म से बहतर साबित करने की होड़ में अगर दुसरे धर्मों की तोहीन करता हें तो वोह इंसान नहीं जानवर और शेतान बन जाता हे बस यही संदेश अली सोहराब देना चाहते हें हाँ कई बार वोह क्रोध में थोड़ा ज्यादा ही गुस्सा कर बैठते हें सब जानते हें के जानवर को मारने के लियें जानवर बनना पढ़ता हे लेकिन नेकी की तलवार अखलाक का एटम बम सभी बुराइयों को खत्म कर देता हे और इसी शिक्षा पर अली सोहराब को भी चलना हे जो चल रहे हें अली सोहराब एक दुसरे ब्लॉग को एक दुसरे ब्लॉग से जोड़ने का काम भी कर रहे हें और सुचना के अधिकार अधिनियम के कार्यक्रमों के प्रति लोगों को जागरूक करने में तो अली सोहराब ने कोई कमी नहीं छोड़ी हे बस अली सोहराब थोड़ा गुस्सा कम कर दें तो यह जनाब ब्लॉग दुनिया के टॉप ब्लोगर बनने में ज्यादा वक्त नहीं लगायेंगे और हम चाहते हें के अली सोहराब जेसी शख्सियत की लेखनी इनके दिमाग इनके प्रबन्धन का लाभ पुरे हिन्दुस्तान और हिंदुस्तान के हर धर्म हर मजहब हर समुदाय सम्प्रदाय के लोगों तक पहुंचे और इंशा अल्लाह यह बहुत जल्द अली सोहराब अपनी कड़ी महंत और लगन से कर दिखाएँगे ।
मुझे कवि दुष्यंत की कुछ पंक्तियाँ याद आती हें ॥ यहाँ तो सिर्फ गूंगे और बहरे लोग बसते हें
कहा जाने यहाँ पर किस तरह जलसा हुआ होगा ...
बस अली सोहराब न गूंगे हें ना बहरे हें वोह लिख रहे हें देश के हालात बदलने के लियें देश की सुख शांति को खत्म करने वाले राक्षस जो सो कोल्ड राष्ट्रप्रेमी हें इनका गुस्सा उनके खिलाफ हे लेकिन वक्त एक दिन सबको सजा देता हे रावण का वध निश्चित हे कंस का वध निश्चित हे कोरवों का वध निश्चित हे फिरओन ,यज़ीद का अंत निश्चित हे इसी तरह से इन लोगों के कुछ वंशज भी हे जो अभी समाज में फितने फेला रहे हें इसलियें निश्चिन्त रहे समाज में देश में किसी भी समाज किसी भी धर्म से जुड़े लोग जो देश में रावण,कंस,कोराव,फिरओन ,यज़ीद की ओलादें उत्पात मचा कर अराजकता फेला रही हें निश्चित तोर पर उनका अंत होगा और अली सोहराब शायद यही चाहते हें हम उनके साथ हें । इस नदी की धार में ठंडी हवा आती तो हे
नाव जर्जर ही सही लहरों से टकराती तो हे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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