आपका-अख्तर खान

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25 फ़रवरी 2011

कुत्ता भाई कुत्ता भाई

एक हें
मेरे भाई
उनको
कई लोग कहते हें
कुत्ता भाई कुत्ता भाई
एक दिन
जब सुना उन्होंने
पहुंची बात घर उनके
तब घर पर जाते ही
उनकी हुई पिटाई
हुए शिकवे शिकायत
लोगों ने कहा
यह सूंघते हें घर घर
भोंकते हें अनर्गल
काटते एसाहें के लगते हें
पुरे चवदा इंजक्शन
ऐसे हें कुत्ता भाई कुत्ता भाई
बस वोह कहते हें
हाँ में हूँ कुत्ता भाई
में इंसानों की तरह
बेवफा धोखे बाज़ नही
वफादार हूँ
इसलियें हाँ में हूँ कुत्ता भाई कुत्ता भाई ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कुछ अजूबे ऐसे भी ..

दोस्तों
यह मेरा
भारत महान हे
यहाँ कुछ अजूबे
इस अजायब घर में ऐसे भी हें
जिन्हें देख कर
लोग हंसते हें
जिनकी कार्यशेली और दिनचर्या को
लोगमुर्ख की कार्यशेली कहते हें
हाँ दोस्तों में सही कहता हूँ
आज जो लोग
अपना काम वक्त पर
करते हें
जो सरकारी कर्मचारी
वक्त पर दफ्तर जाते हें
वक्त पर पत्रावलियों में काम करते हें
जो लोग रिश्वत नहीं लेते
जो लोग बिना किसी सिफारिश के
सभी का काम कर देते हें
जो लोग देश के लियें जीते हें
जो लोग देश के कानून का सम्मान करते हें
जो लोग एकता अखंडता की बात करते हें
जो लोग साम्प्रदायिक सद्भाव
भाईचारे की बात करते हें
हाँ दोस्तों बस यही लोग
इन दिनों
देश के करोड़ों करोड़ लोगों को
अजूबे से
मुर्ख और पागल से लगते हें
क्या हम मुर्ख हे
या हम लोगों की तरह
ऐसे लोगों को मुर्ख कहने वालों की टीम में शामिल हे
जरा सोचें चिन्तन करें
और हो सके तो
मेरी तरह अजूबा मेरी तरह मुर्ख बनने की कोशिश करें ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

हमने सोचा था

हमने
सोचा था
हाकम से
करेंगे फरियाद
वोह भी
कमबख्त
तेरा
चाहने वाला
निकला ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

सोचते रहो ...

दोस्तों
सडक पर चलने के लियें
स्पीड की पाबंदी हे
बैंकों में
रूपये रखने की
सशर्त पाबंदी हे
परीक्षाओं में
वक्त की पाबंदी हे
मकान बनाने में
मंजिलों की पाबंदी हे
लेकिन
अच्छा सोचने
अच्छा करने
पर कोई पाबंदी नहीं हे
तो फिर दोस्तों
आओ
हम देश और समाज के लियें
अच्छा सोचें अच्छा करें । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

एक सुबह ऐसी भी हो ....

सोचता हूँ
मेरे इस
महान देश में
एक सुबह
ऐसी भी हो
आसमान में जेसी
सूरज की
सुनहरी रौशनी होती हे
वेसी ही रौशनी
मेरे इस
भारत महान में हो
सोचता हूँ
सुबह सवेरे
खुश होकर
चिड़ियें जेसे
चह चहाती हें ,
परिंदे जेसे परवाज़ करते हें
जानवर जेसे
मदमस्त होते हें
ऐसी ही मस्ती
मेरे इस भारत महान के
हर इंसान में हो
क्या ऐसा हो सकेगा
क्या ऐसा करने में
आप और में मिलकर
कुछ कर सकेंगे
शायद नहीं
इसीलियें हर सुबह
अख़बार में
एक से एक
बढा भ्रस्ताचार
जनता के साथ लूट
महिलाओँ के साथ बलात्कार
की खबरें
प्रमुख होती हे
शायद हम सोचें
तो यह सब
बदल सकते हें
तो चलो आज
इस सुबह से
अपने इस संकल्प को
पूरा करें ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कलेक्टर के निजी सचिव की कार चोरी

जी हाँ दोस्तों चोर किसी प्रभावी आदमी को देखता नहीं हे वोह तो चोरी की जाने वाली वस्त को देखता हे और इसी लियें एक कार चोर ने कल कलेक्टर के निजी सचिव अरुण लोकवाणी की एक कार को चोरी कर ली वोह तो कलेक्टर के निजी सचिव थे जो कल कार चोरी होते ही थाने में रिपोर्ट दर्ज हो गयी वरना इस रिपोर्ट के लियें काफी वक्त तक तो थाने के चक्कर ही काटना पढ़ते ।
दादाबाड़ी थाने के इलाके सी ऐ डी के पास एक शादी समारोह से जब अरुण लोकवाणी अपने परिवार के साथ निकले और कार जहां खड़ी थी वहां पहुंचे तो उनके तोते उढ गये वोह और उनके पुत्र कार को ढूंढते रहे लेकिन लाख प्रयास के बाद भी जब कार नहीं मिली तो मजबूरी मेंथाना दादाबाड़ी में अज्ञात चोर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराना पढ़ी अब देखना हे के कोटा पुलिस कलेक्टर साहब की कार केसे ढूंढ़ कर अपना दामन साफ़ साबित करती हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

ममता की रेलमपेल

रेल मंत्री ममता बनर्जी का बजट पश्चिमी बंगाल के आगामी चुनावों को पूर्णतय समर्पित हे वोह छाहती हें के रेल बजट की साख बना कर वोह इस रेल से बंगाल में रेलम पेल कर सत्ता हतिया लें इस कम में कोंग्रेस भी उनकी मददगार बनी हे ।
कीचड़ में कमल खिलता हे यह बात सही हे लेकिन दुर्गन्ध मारता अगर कीचड़ हो तो उसमे कमल भी सड जाता हे व्र्त्नाब नेब एक चुनाव चिन्ह तो सड ही गया हे लेकिन ममता कोंग्रेस की गठबंधन सरकार जो भ्रस्ताचार और लूट से सनी हे उस सरकार की हिस्सेदार हे और कानून की जुबान में कहें तो देश की जनता के लियें अपराधिक षड्यंत्र की वोह भी अभियुक्त हें ऐसे में इन आरोपों के साथ चाहे कितना ही साफ दमन लेकर ममता रेल बजट की वाहवाही के साथ बंगाल के चुनाव मैदान में जाएं तो भी उनके सामने गम्भीर चुनोतियाँ हे ममता कोंग्रेस को अपनी बैसाखी बनाना चाह रही हे लेकिन लगता हे के वोह आत्म हत्या कर रही हे अगर ममता को इन हालातो में बंगाल के चुनाव में खुद को स्थापित करना हे तो उन्हें सरकार से किनारा करना होगा तब कहीं ममता की रेल में बंगाल की सरकार की रेलम पेल होगी वरना यह जनता हे सब जानती हे ........... । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

एक दिया दे दो रौशनी के लियें ....

अँधेरी
सियाह रात में
चमकते हुए दिए
मेरे घर के
ले तो जाओ
तुम अपना घर
रोशन करने के लियें
बस
केवल एक दिया
छोड़ दो
मेरे घर की भी
रौशनी के लियें ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मोहब्बत क्या होती हे ...

ऐ लोगों का
दिल तोड़ने वाले
आ देख आ
तुझे हम बताएं
मोहब्बत क्या होती हे
मरता हे जब
मजनू तो दुनिया
सारी रोती हे
कर एक बार
मोहब्बत किसी से तू भी
यह मोहब्बत हे
कभी इंसान से इन्सान को होती हे
तो कभी जानवर को भी
मोहब्बत होने पर
यह मोहब्बत उसे
इन्सान बनाती हे
तो सुन लो
ऐ दुनिया वालों
बहुत कर ली जंग
जानवरों की तरह
एक दुसरे से
अब करो मोहब्बत
दो इंसानियत का पैगाम
वरना सुन लो
ऐ हिन्दुस्तानियों
नहीं सुधरे तो
फिर से
सभी बन जाओगे
अमेरिका के गुलाम ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

क्या मिला गया तुझ को ...................

मुझे यूँ
अश्कों में डुबो कर
क्या मिल गया
तुझ को ,
तेरे एक झूंठे वायदे ने
देख ले
दीवाना बना दिया मुझको
तेरी याद
मेरे इस चेहरे पर
तेरे धोखे की तडप
इन आँखों में
दर्द से
बहते हुए
आंसू मेरी इन आँखों के
सारे जहां में
लोग जान गये हे
तेरे धोखे से
मुझे अबतो .... ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

लोक अदालत और वोह भी मेघा लोक अदालत

राजस्थान में आज मुकदमों के आपसी समझाइश के लियें मेघा लोक अदालत का आयोजन किया गया इस वर्ष की यह दूसरी बढ़ी लोक अदालत हे यहाँ हजारों मुकदमें इस नाम पर लेट लतीफ जज और लेट लतीफ वकीलों पक्षकारों को निपटाना पढ़े हें लेकिन लोक अदालत का खर्च भी खूब हुआ हे ।
दोस्तों राजस्थान में चेक अनादरण के मुकदमे बहुत हें सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश में अगर समय निकलने के बाद समझोता होता हे तो १५ प्रतिशत स्थाई लोक अदालत में जमा कराना होता हे वेसे भी इस अदालत के नाम पर सरकार खासा बजट दे रही हे लेकिन अभी मेघा लोक अदालत के लियें कोटा सहित सभी स्थानों पर बढ़े देनिक अखबारों में रंगीन विज्ञापन दिए गये जो लाखों के थे इन विज्ञापनों से पक्षकार या वकील पर कोई फर्क नहीं पढ़ा लेकिन यह फ़िज़ूल खर्ची कोटा में की गयी हे । कोटा में थोक में मामले निपटने की कोशिशें की गयी हें लेकिन लोक अदालत और समझाइश का मिजाज़ जजों और वकीलों का अभी नहीं बन पाया हे वकील डरते हें के पक्षकार को राज़ी नामे के लियें कहेंगे तो पक्षकार भाग जाएगा और दुसरा वकील कर लेगा ताज्जुब हे के दंड प्रकिर्या संहिता में साफ़ लिखा हे के कोई भी वकील मुकदमों के निस्तारण के लियें जज के साथ नहीं बेठेगा लेकिन राजथान में न जाने किन प्रावधानों के तहत क्षेत्रीय वकीलों को जज के साथ लोक अदालत में बताया गया हे खेर कोई बात नहीं इस लोक अदालत के कार्यक्रमों में अदालतें विधिक साक्षरता और विधिक सहायता का प्रमुख काम भूल गयी हे और स्थाई लोक अदालत के कम भी ठप्प हुए हे खेर अभी इस बहाने ही अदालतों के मुकदमे कम हो रहे हें सम्मन तामिल के मामलों में पुलिस की बन आई हे और वोह परेशान हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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