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02 मार्च 2011

महंगाई कंट्रोल का मोदी फार्मूला क्या लागू हो सकेगा

देश में बढ़ रही महंगाई को रोकने के लियें गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने महंगाई कंट्रोल फार्मूला सुझाया हे लेकिन कोंग्रेस सरकार इस फार्मूले पर कब और केसे योजना तय्यार करेगी देखने की बात हे ।
ताज्जुब हे जिस मोदी को कोंग्रेस नफरत की निगाह से देखती आई हे उसी मोदी ने गुजरात को पुनर्स्थापित और विकसित , खुशहाल कर खुद को इतना बुलंद कर लिया के कोंग्रेस को खुद मोदी को महंगाई कंट्रोल समिति का अध्यक्ष बना कर सुझाव देने के लियें कहा । मोदी पीछे नही हटे और उन्होंने देश में महंगाई कम करने का सटीक फार्मूला सुझा दिया उनके फार्मूले में वायदा व्यापार को खत्म करना प्रमुख शामिल हे दुसरा जमाखोरों के खिलाफ सख्त कार्यवाही का सुझाव हे तीसरा क्रषि उपजों पर अंकुश का फार्मूला हे ,मोदी ने देश में महंगाई कम करने के तीनों फार्मूले व्यवहारिक और आवश्यक सुझाए हें लेकिन अफ़सोस यह सब कोंग्रेस के फाइनेंसर बने हें अब कोंग्रेस इनके खिलाफ केसे कार्यवाही कर सकेगी यह देखने की बात हे ।
मोदी ने अपने फार्मूले में देश की महंगाई कम करने और सटोरियों जमाखोरों को सबक देने के लियें जो सुझाव दिए हें इसके लियें उन्हें बधाई पुरे देश को मोदी फोर्मुले को जल्द अज जल्द देश में लागु करने का दबाव बनाना चाहिए ताकि मुनाफाखोरों को सबक मिल सके और देश में अमन सुकून हो सके । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

सच कहा तो बुरा मान गये ....

जयपुर के पत्रकार एक अख़बार में छपी उस खबर से नाराज़ हें जिसमे इस अख़बार ने सरकारी सुविधाएँ लेकर मजे करने वाले और सरकार के आगे दुम हिलाने वाले पत्रकारों की खिल्ली उढाई हे ।
जयपुर के एक देनिक अख़बार ने अपने मुख प्रष्ट पर प्रकाशित आलेख में पत्रकारिता के नाम पर चाटुकारिता और फिर भ्रस्ताचार के बाद भी खबरों को दबा देने और सरकार से विशिष्ठ सुविधाएँ प्राप्त करने वाले पत्रकारों का मजाक उड़ाया हे कहते हें के सच कडवा होता हे और इस लेख के प्रकाशन के बाद भी यही हुआ जयपुर के अखबार के कर्मचारी और कुछ मालिक इस सच से तिलमिला गये हें और इस मामले में सभी पत्रकारों ने जयपुर पिंक सिटी प्रेस क्लब में एक बैठक आयोजित कर इस खबर पर निंदा प्रस्ताव पारित किया हे , काश जयपुर के अखबार इस सच के छपने के बाद निंदा प्रस्ताव के स्थान पर खुद को सुधारने की शपथ लेते और खुद को सुधर कर अनुकरणीय उदाहरण पेश करते लेकिन चोरी और सीना जोरी बस इसी का नाम हे ........ । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

नाच न जाने आंगन टेड़ा........

राजस्थान की राजधानी जयपुर की महापोर जो निगम में अल्पमत में हें और इसी कारण अब तक समितियों का गठन नहीं कर पायी हे खुद इतनी अक्षम हें के पार्टी के लोग तो दूर अधिकारी और कर्मचारी भी उनकी नहीं सुनते ।
जयपुर के महापोर के रूप में श्रीमती ज्योति शर्मा का कार्यकाल एक दम असफल रहा हे जयपुर में आज तक कुछ भी विकास या कोई अन्य कार्यवाही नहीं हो सका हे निगम की हर बैठक में हंगामे के सिवा कुछ नहीं रहा हे केवल अख़बार और इलेक्ट्रोनिक मिडिया में विज्ञापन देकर खुद के फोटू और खबरें छपवाने के अलावा इन महापोर जी ने अब तक कुछ नहीं किया हे ।
आज जयपुर में एक बस्ती के पुनर्वास का कार्यक्रम था वहां महापोर जी की असफलता का ठीकरा उन्होंने कर्मचारियों और अधिकारीयों पर फोड़ दिया मुख्य मंत्री अशोक गहलोत और स्वायत शासन मंत्री शान्ति कुमार धारीवाल की उपस्थिति में उन्होंने साफ़ शब्दों में कहा के जयपुर नगर निगम के अधिकारी निरंकुश हो गये हें उन्होंने एक एक अधिकारी का नाम लेकर कहा के सभी अधिकारी उनकी नहीं सुनते हें और इनकी मिलीभगत से अतिक्रमण हो रहे हें जयपुर बदहाल हो रहा हे और अधिकारीयों की वजह से निगम को करोड़ो रूपये आमदनी का नुकसान हो रहा हे महापोर ने अपना गुस्सा मुख्यमंत्री और स्वायत शासन मंत्री के सामने सार्वजनिक रूप से निकाला हे लेकिन अब तक किसी भी अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही नहीं हुई हे नाही उनका स्थानान्तरण किया गया हे इससे साफ लगता हे के महापोर की सरकार में नहीं चलती या फिर महापोर से मुख्यमंत्री और स्वायत शासन मंत्री खुद नाराज़ हे और अधिकारी उनके कहने पर ही महापोर की चलने नहीं दे रहे हें कलेक्टर जयपुर के साथ मिलकर उन्हें अपमानित कर रहे हें देखते हें क्या होता हे लेकिन जयपुर में महापोर की इस नाकामयाबी पर तो बस एक ही पुकार हे के नाच ना जाने आंगन टेड़ा हे ............... । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मकान खरीदने के चक्कर में तांत्रिक से ठगे गये जनाब

मेरे एक खासमखास दोस्त जो बहुत जल्दी किसी पर भी भरोसा कर लेते हें जज्बाती हे प्यारे हें सभी से मोहब्बत करते हें और इसीलियें वोह कई बार लोगों के झासे में आ जाते हें हम उन्हें समझाते हें तो बस वोह अब हमसे कई बातें छुपाने लगे हें ।
मेरे यह दोस्त मेरे साथ ही पड़े लिखे हें साथ रहे हें शरारती भी हें जिद्दी भी हे नाम हे सय्यद मोहम्मद अली इनका निजी स्कुल हे और यह वकालत भी कर रहे हें निजी स्कुल का यह विस्तार करना चाहते थे इसलियें इन्हें नजदीक ही एक बिकने वाली काका जी की बिल्डिंग खरीदना थी बिल्डिंग पर बिकाऊ हे का बोर्ड लगा था इन जनाब ने जब बिल्डिंग खरीद की बात कही तो काका जी ने साफ़ शब्दों में कहा के भाई यह बिल्डिंग में किसी भी मुस्लिम को नहीं बेचूंगा लेकिन इस बिल्डिंग की स्कुल के विस्तार के लियें पडोस में होने जरूरत थी इसलियें वोह इसका मुह माँगा दाम देने को तय्यार थे लेकिन जब काका जी का फरमान सुना तो फिर मेरे इन दोस्त ने अपने हिदू भाई जांबाज़ दोस्तों को मकान खरीदने भेजा जिस मकान को वोह ५ लाख रूपये में बेच रहे थे अब वोह ६ से १२ फिर १८ फिर २१ लाख की कीमत मागी जाने लगी लेकिन पोल खुल गयी मकान की रजिस्ट्री जब मेरे मित्र की राखी बहन जीजी बाई के नाम करवाई जाना थी तब ऍन वक्त पर मकान बेचने वाले ने मकान बेचने से इंकार करते हुए साईं की रकम लोटा दी ।
अब मेरे यह जज्बाती दोस्त जिद पर अड़ गये उन्हें एक तात्रिक मिले तांत्रिक इस लियें मिले के वोह तन्त्र मन्त्र विद्या पर ज्यादा ही विश्वास करते हें और बस यह जनाब तांत्रिक के पास जा पहुंचे तांत्रिक जी का कहना था दस हजार का खर्चा हे ऐसा मन्त्र दूंगा के मकान मालिक खुद तुम्हारे घर मकान बेच कर जायेंगे तात्रिक को दस हजार रूपये दिए गये लेकिन तांत्रिक जी ने कब्रिस्तान और श्मशान की मिटटी मिलाकर मंगवाई अब कब्रिस्तान की मिटटी तो आसानी से मिल गयी लेकिन मेरे यह दोस्त अपने हिदू भाई दोस्तों के साथ श्मशान पहुंचे तो एक श्मशान में तो ताला लगा था फिर दुसरे श्मशान में पहुंचे जहां कुछ शवों को ताज़ा जलाया गया था सभी दोस्त जब श्मशान में मिटटी लेने घुसे तो लोगों ने इन्हें हड्डियां चोरने वाला समझ लिया और यह सभी लोग बढ़ी मुश्किल में श्मशान से अपनी जान बचाकर भागे फिर शहर से दूर एक श्मशान से इन जनाब ने मिटटी लाकर तत्न्रिक जी को दी तांत्रिक जी ने जाप किया और मिटटी जिस मकान को खरीदना चाहते थे उसकी छत पर डालने के निर्देश दिए गये किराये के आदमी से छत पर मिटटी डलवाई गयी लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला फिर तांत्रिक ने कहा के जनाब यह बढ़ी सख्त जान हे इसके पेरों के नीचे की मिटटी लादो बस फिर कम हो जाएगा ।
अब काका जी के पैर के नीचे की मिटटी केसे लें एक तो सडक पक्की दुसरे काका जी के जुटे केसे उतरवाएँ खेर एक चाल चली गयी काका जी को फर्जी सालगिरह का कार्यक्रम बुलाया गया कच्चा खाना रखा गया और एक कच्ची जमीन वाले पार्क पर काका जी को खाना खिलने बताया यकीन काकाजी तो मोज़े पहन कर बेठे थे खेर काका जी के मोजों पर दाल गिराई गयी और फिर काका जी ने मोज़े उतारे फिर उनके पाँव के नीचे की मिटटी तांत्रिक जी को ले जाकर दी मिटटी फिर पढ़ी गयी और काका जी के घर पर डालने का हुक्म हुआ मिटटी भी डल गयी लेकिन काका जी मकान बेचें को तय्यार नहीं हुए आखिर तांत्रिक ने काका जी से हार मान ली और मेरे मित्र से हाथ जोड़ कर कहा के मेरा पहला केस ऐसा हे जो फेल हुआ हे आप रपये वापस ले लेना आज महाशिवरात्रि का अवकाश होने से में मेरे मित्र सय्यद मोहम्मद अली के घर उनसे मिलने गया था इसी बीच तांत्रिक जी रूपये देने आ गये वोह अनजान थे के मेरे दोस्त ने मुझ से सारी बातें छुपा रखी हे बस इसलियें उन्होंने सारी बात मेरे सामने ही बताना शुरू कर दी पहले तो मेरे मित्र ने उन्हें रोकना चाहा फिर बस मेरे मित्र ने खुद ही सारी बात मुझे बताई काका जी का मुकदमा हमारे पास था इसलियें हमने काका जी से फोन पर बात की और मकान खरीदने की पेशकश की काका जी ने कहा किसे चाहिए मेने कहा मेरे खास दोस्त मोहम्मद अली का स्कुल पास में हे उन्हें खरीदना हे काका जी ने पहले तो सोचा फिर कहा के ठीक हे मकान आपका हे जब चाहो ले लो ताज्जुब हे इतने झंझट के बाद जो मकान काका जी बेचने को तय्यार नहीं थे उसे बेचने के लियें वोह एक मिनट में राज़ी हो गये में और मेरे दोस्त काका जी के घर पहुंचे काका जी ने सत्कार किया साईं वापस ली और मकान की लिखा पढ़ी हो गयी ना मेने उनसे पूंछा के पहले इस मकान को बेचें से इनकार करते हुए साईं क्यूँ लोटा दी थी ना उन्होंने इस बारे में मुझ से कोई बात की अब मकान मेरे दोस्त के पास कल से आ जाएगा और काका जी ही खुद स्कुल से जुड़ा हुआ मकान होने से अपनी देख रेख में मकान का पुनर निर्माण करवाने का वायदा क्या हे और काका जी अब मोहम्मद अली मेरे दोस्त के परम मित्र बन गये हें यह सब केसे हुआ एक संयोग था या भाग्य कुछ कह नहीं सकते लेकिन कहानी कुछ ऐसी अप्रत्याशित बनी के में आप सभी भाइयों से शेयर कर रहा हूँ .................. । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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