आपका-अख्तर खान

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08 मार्च 2011

महिला दिवस महिला दिवस चारों तरफ महिला दिवस

महिला दिवस महिला दिवस चारों तरफ महिला दिवस हे न अजीब दास्ताँ जिस देश में म्हिअओं को पूजना चाहिए वहां महिलाओं को न्याय के लियें भटकना पढ़ता हे उनको अपने परिजनों की सुरक्षा का मोहताज रहा पढ़ता हे और जो इस मर्यादा का उल्न्न्घन करती हे वोह महिलाएं समाज में तिरस्कृत हो जाती हें .
एक दिन के लियें मुझे गुजरात सुरत जाना पढ़ा में ब्लोगिंग की दुनिया से मिस्टर इंडिया हो गया और कोटा जब पहुंचा तो य्हना महिला दिवस मनाया जा रहा था अखबार महिलाओं के फोटू छाप रहे थे सरकार बीएस में मुफ्त यात्रा करा रही थी और मेरे ब्लोगर भाई महिलाओं के प्रति अपने सच्चे अच्छे कडवे मीठे अनुभव बाटने में लगे थे सब एक दुसरे को टिप्पणियाँ  दे रहे थे बढियाँ दे रहे थे चर्चा में महिला दिवस की ख़ास भूमिका थी , मेने मेरा ब्लॉग खोला तो बस तकनीकी परेशानी थी मेने डोक्टर अनवर जमाल साहब से गुजारिश की तो जनाब वोह भी महिला वर्ष को आदर्श दिवस मना रहे थे उनका जवाब था में तो पत्नी के घुटनों में दर्द हे उनकी पिंडलिया दाब रहा हूँ उनकी सेवा कर रहा हूँ , जमाल  भाई का सुझाव था के भाई यह काम मासूम भाई खूबी से अंजाम दे सकते हें अभी इन जनाब ने एक ब्लोगर बहन के ब्लॉग की मरम्मत की हे  मेने मासूम भाई को महिला दिवस पर महिलाओं के सहयोग के लियें मुबारकबाद दी और फिरे मेरे लियें मदद की दरख्वास्त की दो मिनट बाद उन्होंने जरूरी जानकारिया चाहीं महिला दिवस था इसलियें थोड़ी देर बाद मुझे भी अपनी पत्नी की सेवा करा थी सो में भी जमाल भाई की तरह नकल करने लगा और फिर नींद आ गयी सुबह उठा ब्लॉग खोला तो ब्लॉग एक आदर्श ब्लॉग बन चुका था मेरी पोस्ट मेरे डेश बोर्ड पर नहीं आ रही थी फेस बुक पर नहीं प्रकाशित हो रही थे सो मेने इस सूधार के लियें भी मासूम भाई से गुज़ारिश की थी मासूम भाई की इस महरबानी के बाद मेरा ब्लॉग तो सुधर गया लेकिन टाइपिंग का टाइटल शीर्षक ट्रांसलेट नहीं हो रहा हे में अंग्रेजी में टाइप करता हूँ जो हिंदी में ट्रांसलेट होता हे इसलियें में फ़िक्र मंद हो गया में भी भारतीय हो गया नुगरा हो गया और सोचा के अगर मासूम भाई को शुक्रिया कहा तो परम्परा बदनाम हो जायेगी यहाँ की परम्परा हो गयी हे के काम करवाओ और भूल जाओ सो मेने भी नुगरा बनने की कोशिश की हे मासूम भाई को जानबूझ कर धन्यवाद नहीं दिया और धन्यवाद क्यूँ दूँ उन्होंने अपने भाई का काम क्या हे कोई अहसान थोड़े ही किया हे बस यही में सोचता रहा अब मासूम भाई सी ब्लॉग को डेश बोर्ड पर लेन की कोशिशों में लगे हें इंशा अल्लाह इसमें भी कामयाब होंगे में मक्खन नहीं लगा रहा लेकिन मसूब भाई के सहयोग पत्नी प्रेमी जमाल भाई के सुझाव से मेरा ब्लॉग हो सकता हे कुछ दिनों में लोगों द्वारा पढ़ा जाने लगे समझा जाने लगे और इस ब्लॉग को भी लोग ब्लॉग की श्रेणी में मानने लगे लेकिन यह सब मासूम भाई के ही हाथ में हे हम तो कर चले अपना ब्लॉग मासूम भाई के हवाले साथियों .................. . 
खेर अब देश में महिलाओं के सम्मान  और महिला दिवस की बात करते हें यहाँ राष्ट्रपति, लोकसभा की सभापति , राज्यपाल , देश की मुखिया यु पी ऐ पार्टी की अध्यक्ष महिला हे फिर भी यह वर्ष जिस हिसाब से मनाया गया श्रम की बात रही हे यहाँ मेरे इस देश में महिला जननी हे पुरुष हो चाहे महिला मान की गोद में पलता हे बढ़ी बहन और छोटी बहनों से तकरार के साथ बढा होता हे कभी रूठना  कभी मनाना होता हे और फिर उसे बीवी के पल्लू में बाँध दिया जाता हे तो फिर जब महिला से शुरू होकर पुरुष की कहानी महिला तक ही खत्म हो जाती हे तो फिर काहे का महिला वर्ष यहाँ सीता जी पर ज़ुल्म करने वाले रावण की हत्या हुई लेकिन महिला केकयी और मंथरा को कोई सजा नहीं मिली, द्रोपदी का चीर हरन करने वालों को खत्म करने के लियें महाभारत रची गयी , आदम हव्वा का कहना मानने पर जन्नत से निकाले गये , इन्सान का पहला कत्ल हाबुल और काबुल का महिला के लियें हुआ शिवजी को काबू में करने के लियें पार्वती का सहारा लिया गया सत्यवान के लियें महिला सावित्री ने भगवान  को धोखा दिया होली का करिश्मा सब जानते हें जानकी ने कृष्ण को जन्म दिया मरियम हो चाहे बीवी खदीजा सभी की ताकत विस्श्व जानता हे सभी धर्मग्रंथ और इतिहास महिलाओं की ताकत के किस्से से भरे पढ़े हें घर हो चाहे देश हो सभी जगह महिला का ही तो राज हे बस महिला को थोडा बदलने की जरूरत हे वोह अगर मर्यादा में रहेगी तो फिर देश समाज और विश्व मर्यादित हो जाएगा महिला अगर विज्ञापनों में फिल्मों में कुछ रुपयों के लियें नग्न प्रदर्शन बंद कर दे तो फिर महिलाओं का सम्मान बढ़ेगा महिला अगर चंद रुपयों के खातिर जिस्मफरोशी  बंद कर दे तो पुरुष अपनी पत्नियों से अलग नहीं होंगे , महिलाएं अगर पर पुरुषों को लिफ्ट नहीं दें और शादी शुदा मर्दों से विवाह नहीं रचाएं तो महिला बदनाम नहीं होगी महिला सास महिला नन्द अगर बहू को ठीक तरह से रखेगी तो घर में झगड़े नहीं होंगे माँ अपने बच्चे को दूध पिलाएगी पोडर का दूध नहीं पिलाएगी तो बच्चों में ताकत होगी दिमाग होगा , पत्नी अगर अपने पति को बहतरीन व्यंजन बना कर खिलाएगी तो पति और सभी घरवाले उसके गुलाम  रहेंगे लेकिन जरा सोचों क्या ऐसा सम्भव हे इस लियें अब इस महिला दिवस का कोई लाभ नहीं इसे महिला दिवस से महिला शुद्धिकरण वर्ष में बदल कर महिलाओं में सूधार के लियें भी अभियान चलाना होगा में मेरी बहनों और आंटी ब्लोगर्स से निवेदन करूंगा प्लीज़ इसे अन्यथा ना लें इस पर चिन्तन करने और सोचें के क्या महिला के बगेर कोई भी समाज सुरक्षित हे महिला के बगेर किसी समाज का कोई अस्तित्व नहीं अबू हनीफा जो मुस्लिम खलीफा थे वोह एक महिला के पिता थे और अबू हनीफा को हनीफा के पिता के रूप में पहचान मिली थे सभी धर्म ग्रन्थों में महिलाओं के लिए मार्ग  निर्देशन दिए हें महिलाएं अगर उनका दो प्रतिशत भी पालन कर लेट तो शायद देश और विश्व की तस्वीर ही अलग होगी . .    अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

राजस्थान मानवाधिकार सो रहा हे

राजस्थान में हाल ही में सरकार की लापरवाही और नकली ग्लूकोस सप्लाई के कारण जोधपुर में दो दर्जन से भी अधिक प्रसुताओं की दर्दनाक मोत हो गयी , खबर अख़बारों में चाह्पी गई टी वी चेनलों में दिखाई गयी मुख्यमंत्री जी और स्वास्थ्य मंत्री जी ने दिखावा किया मामला ठंडे बसते में लेकिन सभी संस्थाएं भी इस मामले में खामोश सोचा आखिर राज़ क्या हे . 
राजस्थान में सेकड़ों समाज सेवी संस्थाएं महिला वर्ष का रोना रोने वाले लोग और महिलाओं की बेमोत मोतों पर सभी की चुप्पी हो भी केसे नहीं राजस्थान में महिला आयोग तो हे नहीं सरकार ने इसका गठन अब तक नहीं किया हे और दिल्ली में जो राष्ट्रीय  महिला आयोग हे उसकी अध्यक्ष गिरजा व्यास राजस्थान से सांसद हें तो उन्हें राजस्थान में महिलाओं की इन मोतों से क्या लेना देना , अब बात करते हें राज्य मानवाधिकार आयोग की यहाँ इस आयोग पर दस लाख से भी अधिक रूपये प्रतिमाह खर्च होते हें दीगर खर्चे अलग से हें लेकिन इन जनाब ने भी महिलाओं की मोत का हिसाब नहीं माँगा बीएस फिर क्या था राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को इस मामले में खबरों को आधार मानकर गम्भीरता दिखाना पढ़ी और फिर कल राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस मामले में सरकार और सम्बन्धित लोगो से जवाब तलब किया हे ऐसे में जब राजस्थान का अपना योग हे और राजस्थान के पीड़ितों और उनके परिजनों के लियें यह आयोग खामोश रहे तो ऐसे आयोग को बंद कर देना चाहिए या फिर कोई जवाबदारी  तय करना चाहिए ........ . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

सी बी आई को सहयोग नहीं करती राजस्थान सरकार

सी बी आई को सहयोग नहीं करती राजस्थान सरकार यह शिकायत खुद सी बी आई ने देश के सुप्रीम कोर्ट से की हे और सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में राजस्थान सरकार को सहयोग देने के नर्देश दिए हें . 
भाजपा शासन में राजस्थान सरकार के इशारे पर दारा का जयपुर में फर्जी ऍन  काउन्टर किया था जिसकी जांच के लियें कंग्रेस ने अपने चुनावी एजेंडे में खम ठोक कर कहा था के इस मामले की जांच सी बी आई से कराई जायेगी भाग्य से जोड़ तोड़ कर कोंग्रेस की सरकार बन गयी राजस्थान सरकार ने इस मामले में सी बी आई  जाँच भी शुरू करवाई लेकिन चोर चोर मोसेरे भाई होते हें इसलियें जब जाँच का शिकंजा सरकार के चहेते पुलिस अधिकारीयों तक पहुंचते देखा तो फिर राजस्थान सरकार ने अपने चहेतों के पक्ष में सहयोग देना बंद कर दिया बस सी बी आई ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से शिकायत कर दी सुर्प्रिम कोर्ट ने सभी कागज़ देखे और राजस्थान सरकार का इस मामले में उपेक्षित रुख पा कर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया और अब फिर से राजस्थान सरकार को दारा फर्जी मुठभेड़  काण्ड में दोषियों को सजा दिलवाने के लियें सहयोग के निर्देश दिए हें सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ हो इशरत जहां फर्जी मुठ भेड हो या फिर राजस्थान जयपुर की दारा सिंह फर्जी मुठभेड़  हो आखिर सभी मामलों की जांच कार्यवाही में सरकारों को सुप्रीम कोर्ट को ही क्यूँ निर्देश देना  पढ़ता हे सरकारें खुद क्यूँ  निष्पक्ष जांच नहीं करवाती यह सोचने की बात हे . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

एक मदरसा जहां जन्नत का सा नजारा हे

जी हाँ दोस्तों एक मदरसा जिसका नाम आते ही लोग नाक और भोंव सिकोड़ने लगते हें वोह सोचते हें टूटी फूटी बिल्डिंग पुराने खयालात के लोग , टूटी फूटी कुर्सियां और फटी किताबें जहां हे वही मदरसा हे , मदरसे के लियें सोचा जाता हे के यहाँ शिक्षा के नाम पर केवल लूट केवल राष्ट्र द्रोहिता और कट्टर पंथी सिखाई जाती हे लेकिन बोहरा समाज के धर्म गुरु आदरणीय सय्यदना बुरहानुद्दीन साहब के निर्देशों पर गुजरात के सुरत में एक ऐसा नायाब मदरसा हे जो शायद भारत में तो क्या एशिया में बलके पुरे विश्व में अपनी तरह का एक अनूठा मदरसा हे इस मदरसे का नाम महाद अल जाहरा रखा गया हे ।
कोटा के बोहरा समाज से जुड़े कई लोग और यहाँ के मुस्लिमों में भाईचारे का जो रिश्ता हे उसी रिश्ते के तहत इस जन्नत के नजारे को दिखाने के लियें बोहरा समाज से जुड़े आदरणीय अकबर भाई ,अब्बास भाई, मंसूर भाई , सफदर भाई ,अब्बास अली सहित समाज से जुड़े लोगों ने मुस्लिम भाइयों से पेशकश की पहले तो सभी लोगों ने सोचा कोई क्यूँ वक्त अपना बर्बाद करे न जाने कहां जायेंगे फिर सोचा के कुरान हिफ्ज़ करने का आधुनिक मदरसा हे हो सकता हे कुछ न्य मिल जाए , सो इसी मिजाज़ से कोटा से शहर काजी अनवार अहमद ,में अख्तर खान अकेला,जाकिर हुसैन रिज़वी ,शेख वकील साहब, नायब काजी जुबेर अहमद साहब ,लियाकत अली साहब , खलील इंजीनियर साहब को न्योता मिला बोहरा समाज के अनुशासन के तहत सभी के नाम वगेरा पहले हेड ऑफिस मुबई भेजे गये वहां जांच हुई और फिर सभी को जाने की विधिवत स्वीक्रति मिली ।
६ मार्च की शाम सभी लोगों को बोहरा समाज के अकबर भाई अब्बास भाई ,सफदर भाई ,मंसूर भाई और अब्बास अली साहब ने अलग अलग स्थानों से साथ लिया और फिर शुरू हुई महमान नवाजी की पराकाष्ठा ,खेर दुसरे दिन ७ मार्च को सुबह सभी लोग सुरत पहुंचे नहा धो कर सभी लोग पहले सूरत स्थित बोहरा समाज के मुख्य कार्यालय पहुंचे वहां इनके महा प्रबन्धक महोदय ने सभी का स्वागत किया ख़ुशी ज़ाहिर की और फिर गाइड की हेसियत से वहां के जानकारों को साथ रवाना कर दिया सबसे पहले हमने बोहरा समाज की सबसे बढ़ी और नायाब खुबसुरत मस्जिद जहां आदरणीय सयदना साहब की सम्भावित सोवीं सालगिरह की तय्यरियाँ चल रही थी वोह मस्जिद देखी इसी अहाते में मजारात थे मस्जिद के बारे में में अलग से विवरण लिखूंगा क्योंकि यह खुद एक मिसाल मस्जिद हे जिसमें विश्व के इस्लामिक देशों की संस्क्रती और पहचान को जिंदा कर दिया गया हे बस इसीलियें इसके लियिएँ अलग से पोस्ट लिखने का मन हे ।
हमें यहाँ से मदरसे में ले जाया गया फुल साउंड फ्रूफ, वातानुकूलित इंटीरियर डेकोरेशन में सर्व श्रेष्ठ इस मदरसे को देख कर हम सभी लोगों की आँखें चकाचोंध हो गयी सात सितारा होटल की सभी सुख सुविधाओं वाले अनुशासित इस मदरसे को देख कर हम चोंक गये ओरएक दुसरे की बगलें झाँकने लगे हमें एक कमरे में सुरक्षित तरीके से जूते उतरवाए गये फिर हम भवन में अंदर गये नीचे से उपर तक कालीन से सजा यह मदरसा जहां एक इको साउंड वाला एके बढा होल जिसमें खुबसुरत अंदाज़ में कुरान की आयतें लिखी गयी थी साथ ही वहां एक आकर्षक मंजर देने के लियें हरे भरे पेड़ गमले और वहां से नजारा देखने के लियें रोशन दान उपर महिलाओं के बेठने की पर्देदार खुबसूरत व्यवस्था और सय्यदना साहब की बैठक, छत पर कुरान की सूरतों की संख्या के अनुरूप ११४ किनारे बनाये गये थे जो एक कुरानी माहोल का एहसास करा रहे थे कुछ बच्चे कुरान हिफ्ज़ कर रहे थे इस इको साउंड में मदरसे के बहतरीन हाफ़िज़ ने खुबसुरत आयत में कुरान की तिलावत सुनाई फिर कोटा के नायब काजी जनाब जुबेर साहब से भी इस माहोले में कुरान की तिलावत सुनी गयी ,
आगे इस मदरसे की खुबसुरत बिल्डिंग में सजे संवरे छोटे छोटे कमरे जहां कुछ गिनती के छात्र ही बेठ कर कुरान सीख सकते हें ऐसा इसलियें क्या गया के कम बच्चों पर टीचर सही ध्यान दे सकेगा , कहते हें के मंजर अच्छा हो तो याद जल्दी होता हे और घंटों पढने पर भी आदमी बोर नहीं होता थकता नहीं हे बस इसी नजरिये को देखते हुए इस मदरसे में प्राक्रतिक सोंदर्य की छटा बिखेरने के लियें सूरज की रौशनी एक खुबसुरत गार्डन जिसमें घांस पोधे और पेढ़ छोटी सी नहर उसमें तेरती रंग बिरंगी मछलिया और चह चहाती चिड़ियें, माहोल को खुशनुमा बना रहे थे गाइड ने कहा के इस माहोल में बच्चों को जल्दी याद होता हे और जो चाहे वोह यहाँ बेठ कर इस खुशनुमा माहोल में अपना सबक याद कर सकता हे ।
इतना सब प्राक्रतिक सोंदर्य दिखाने के बाद हमें आधुनिकता की तरफ ले जाया गया बेसमेंट में अंदर बने भवन में कई कमरे थे जहां आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित स्टूडियो पहला स्टूडियो जहां बच्चों की आवाज़ जाँची जाती हे दुसरा स्टूडियो जहां प्राक्रतिक रूप से मटके में आवाज़ से पढना सिखाया जाता हे तीसरा स्टूडियों जहां बच्चे को आयने के सामने खड़ा कर खुद अपने अंदाज़ में सबक सीखने का हुनर सिखाया जाता हे वहीं ऐसे उपकरण जिन्हें कान में लगा कर खुद की आवाज़ फ्रीक्वेंसी और उतार चढाव खुद मास्टर बन कर बच्चा सीखता हे , आगे खुबसुरत स्टूडियो जो शायद भारत सरकार के आकाशवाणी स्टूडियो से भी आधुनिक साज सज्जा वाले बनाये गये थे ।
कुरान की तिलावत और कुरान हिफ्ज़ करने के इस अंदाज़ को जब हमने जांचा परखा तो हमने इस मदरसे में बच्चों की संख्या जानना चाहा तो हमें बताया गया के यहाँ ८५० लडके लडकियाँ हे जिनमें ३०० के लगभग लडकिया हें इतना सब खुबसुरत और आधुनिक नजारा देखने के बाद घंटों के इस सफर में हमें जरा भी थकान नहीं हुई हमारी आँखें यह मंजर देख कर खुली की खुली रह गयी और खुद बा खुद दिल से वाह निकलने लगी हमारे साथ गये बोहरा समाज के लोगों ने बताया के वोह सुरत तो कई बार आए हें लेकिन उन्हें यह सब नजदीक से देखने का पहली बार अवसर मिला हे हमारे साथ वोह भी गद गद थे हम सोचते रहे के अगर संकल्प हो अनुशासन हो विश्वास हो टीम भाव हो तो क्या कुछ नहीं किया जा सकता एक ऐसा मदरसा जहां स्वर्ग जेसा नजारा और आधुनिक उपकरण बढ़ी बढ़ी युनिवर्सिटियों को मात देने के लियें काफी था ...................... दोस्तों यह नजारा खत्म नहीं हुआ इसके बाद जन्नत के इस नजारे में पढाई , अनुशासन का जो संगम हे उसका अगली पोस्ट में में विवरण दे सकूंगा बस इस मंजर को देख कर हम तो अब्बास भाई,अकबर भाई, मंजूर भाई ,सफदर भाई ओर अब्बास अली सहित सभी बोहरा समाज के ऋणी हो गये हम सय्यादना साहब के प्रति भी आभारी हो गये । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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