आपका-अख्तर खान

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12 मार्च 2011

यह नफरत यह झगड़े यह फसादात आखिर कब तक चलेगे

यह नफरत यह झगड़े यह फसादात आखिर कब तक चलेगे इसका जवाब ना आपके पास हे ना मेरे पास , इसके पीछे क्या कारण हे और झगड़े फसादात नफरत क्यूँ फेल रही हे ना आप जानते हें ना में जानता हूँ लेकिन सक यही हे चाहे आप हो चाहे में हूँ कमोबेश कहीं ना कहीं इन सब के लियें ज़िम्मेदार हें और इस पर हमें आपको चिन्तन करना होगा गलती स्वीकार करना होगी नहीं तो बस यह सिलसिला यहं ही चलता रहेगा और मेरे भारत महान को महान बनाने का सपना यूँ ही चकनाचूर होता रहेगा . 
दोस्तों एक सप्ताह पूर्ण एक घटना मेरे सामने एक ऐसा सच बन कर सामने आया जिसकी चिंगारी से देश जल रहा हे ऐसा मेरा अनुमान हे चाहे आप हो चाहे में हूँ सभी इस चिंगारी के शिकार हें और इस चिंगारी से बनी आग में हाथ तापने के सपने लगाये बेठे हें भाइयों में एक सप्ताह से असमंजस में था के इस सच का आपके सामने खोलूं या नहीं क्योंकि सच तो सच होता हे और सच जब भी बोला जाता हे लिखा जाता हे एक बढ़ा तबका उसके खिलाफ हो जाता हे लोग बुरा मान जाते हें नाराज़ हो जाते हें और में जानता हूँ मेरे इस सच बोलने को  को कई लोग साहसिक कदम नहीं मानेगे इसे बेवकूफी या फिर साम्प्र्तदयिकता करार देंगे लेकिन मेरे दिल ने कहा के इस सच को दबाया तो थोड़ा एहसास भी लोगों को नहीं हो पायेगा और अगर में थोड़ा असास करवाने में भी लोगों को कामयाब हुआ नफरत के इस माहोल से एक परिवार को भी में बचा सका तो में समझूंगा के मेरा भारतीय होने का फर्ज़ मेने पूरा कर दिया हे . 
दोस्तों इस लफ्फाजी के बाद अब में आपको इस सच से अवगत कराने जा रहा हूँ में पहले भी कह चुका हूँ भोर समाज के लोगों के साथ हम पिछले दिनों गुजरात के सुरत गये थे वहां एक नजारा ऐसा देखा जिसने मेरी सोच ही बदल दी  सभी साथियों को  पता था के शहर काजी अनवर अहमद भी जा रहे हें और यह जानकारी एक मोलाना अलाउद्दीन साहब को भी थी वोह भी हमारे साथ जाने वाले थे पिछले दिनों कुछ  लोगों ने खुद को सो कोल्ड काजी घोषित किया फिर जनता ने जब उन लोगों को सबक सिखाया तो फिर चंदे बाज़ी ,तन्त्र मन्त्र विद्या , कुरान की आयतों की सोदेबाज़ी  मजहब को रोज़गार बनाने का सिलसिला कुछ लोगों ने बना लिया यहाँ तक के कुछ मोलाना अपनी मोलाना गिरी छोड़ कर सरकारी मदद और पद लोलुपता में सरकार और सरकार के मंत्रियों के तलवे चाटने लगे कोटा के शहर काजी एक मात्र दुनिवावी शिक्षा के साथ साथ इस्लाम के ज्ञाता हे उनका कोटा में ही नहीं राजस्थान में ही नही पुरे देश में एक  अपना मुकाम हे बस इसीलियें कुछ मोलानाओं ने सुन्नी जमती और ना जाने क्या क्या के सो कोल्ड जमातें बना ली और काजी साहब के खिलाफ साजिशें शुरू की जो लगातार नाकाम हो रही हे तो जनाब इन काजी साहब के साथ कथित खिलाफ गुट के मोलाना अलाउद्दीन जाने के लियें घर से स्टेशन प्लेटफोर्म तक आ गये ट्रेन के आने का वक्त था के किसी ने इन जनाब मोलाना अलाउद्दीन साहब को फोन किया डांट पिलाई और शहर काजी के साथ जाने से इंकार किया बस फिर क्या था मोलाना अलाउद्दीन साहब रेलवे प्लेटफोर्म से बेग उठा कर सरपट भागे और ओटो में बेठ कर रवाना हो गये उनका आने जाने का टिकिट बेकार गया तो जान एक नफरत एक ही समाज एक ही धर्म के लोगों को कितना जुदा कितना अलग कर देती हे और यह हर जाती हर समाज हर धर्म में लगातार हो रहा हे उंच नीच का पाठ हो, धर्म का विवाद हो  य्हना तक तो ठीक हे लेकिन पीडियों में इस जहर को घोलने के लियें हम सब बराबर के हिस्सेदार हे आपके माता पिता हों चाहे  मेरे माता पिता हो बुज़ुर्ग हों सभी ने कभी हिन्दू मुसलमानों को साथ रहने का पाठ अपने बच्चों को नहीं पढाया सामने दिखावे के तोर पर यह चाहे कितने ही धर्म निरपेक्ष बनते हो लेकिन अन्दर कहीं ना कहीं अपने बच्चों को अपने धर्म की सिख के साथ साथ दुसरे के धर्म के खिलाफ नेगेटिव सिख देते रहे हें और यही नफरत का कारण रहा हे इतिहास के किस्सों को तोड़ मरोड़ कर सुनाना भविष्य में बदला लेने का अभाव एक दुसरे के दिल में पैदा करना इस बढती हुई पीडी के दिमाग में भरा जाता हे वोह तो शुक्र हे आज के माहोल की जो बहुत कुछ इस शिक्षा का असर समाज पर नहीं पढ़ रहा हे . 
अभी हम सुरत यात्रा पर गये बोहरे समाज का प्यार स्वागत के तोर तरीके देख कर मुझे बचपन के हमारे बुजुर्गों द्वारा सुनाया गया एक किस्सा याद आ गया जिसे मेने तो कमसेकम अपने बच्चों को नहीं सुनाया और कुछ ने सुनाने का प्रयास भी किया तो मेने टोक दिया हमें बचपन में बोहरा समाज के लियें कहा गया के इनके घर की तरफ भूले से भी मत जाता इनकी किसी भी मीठी बैटन में ना आना हम से कहा गया के यह लोग बच्चों को उठा कर ले जाते हें चांवल बनाते हें और फिर उन चावलों पर बच्चे को लटका क्र चाकुओं से गोद गोद कर खून के फव्वारे निकालते हें और जब चांवल खून से लाल हो जाते हें और बच्चे की मोट हो जाती हे तो उसका मॉस यह बोहरे लोग खा जाते हें यह किस्से बुजुर्गों ने सुनाये थे लेकिन सब जानते हें इसमें कोई सच्चाई नहीं थी बस पीडी ने सुनाया इस लियें इस पीडी को भी सूना दिया और इसके खिलाफ व्यवहारिक तोर पर जब हमने बोरे समाज के अखलाक जीवनशेली तोर तरीकों को देखा तो हमें उस झूंठ और हंसी आ गयी जिससे हमें अनावश्यक ही बोहरो से दूर रखा गया . 
ऐसा ही सच यह भी हे के दुसरे समाजों के खिलाफ भी बुज़ुर्ग लोग काल्पनिक कहानिया सुनते हें और फिर उनका खाली दिमाग उसे ही सच समझने लगता हे और नफरत की इस बुनियाद पर जिसका आधार झूंठ और सिर्फ झूंठ हम भारत को महान बनाना चाहते हें कई किस्से हे जहां एक भाई से भी ज़्यादा हिन्दू की मदद मुसलमान ने और एक मुसलमान की मदद हिन्दू भाई ने की हे बुजुर्गों द्वारा बहकाया जाता रहा हे के इस धर्म के लोग खतरनाक हे उस धर्म के लोग खतरनाक हे इतना तक चल रहा था लेकिन अब इस आग को राजनेतिक संगठनों ने हवा दी हे इस आग को कथित सो कोल्ड धार्मिक संगठनों ने हवा दी हे देश के अपनेपन को देश के प्यार को देश के अमन चेन को इस विचारधारा ने नफरत ,दर और खोफ में बदल दिया एक दुसरे के प्रति शंकाएं पैदा कर दी हें इतिहास चाहे कुछ भी रहा हो लेकिन आज सच यही हे के मजहब की विचारधारा की दीवारें गिरा कर लोगों को अपने अपने घरों से एक दुसरे से गले मिलने बाहर निकलाना होगा और सभी भाइयों को देश का राष्ट्र का भारत का नवनिर्माण करना होगा आज चोर ,लुटेरे , बेईमान . हत्यारे सब ने अपना अलग धर्म बना लिया हे वोह अपना व्यापार या अपराध करते वक्त कभी यह  नहीं सोचते के यह हमारे धर्म का आदमी हे और हिन्दू हिन्दू को लुटता हे मरता हे और मुसलमान मुसलमान को लुटता हे मारता हे लेकिन फिर भी देश नहीं सुधरता हे तो दोस्तों इस सोच बदलने के लियें मेरा यह निवेदन हे के कमसे कम अब अपनी पीडी को तो वोह नफरत की पुरानी कहानिया सुनना बंद करें और नई कहानिया जो प्यार की हे भाईचारे की हें सद्भावना की हे अपनेपन की हे मदद की हे एक भारतीय की हे वोह सूना सुना कर बच्चों को बढ़ा किया जाए धर्म जिया जाता हे और इसके अपने नियम हे सभी धर्मों में एक बात कोमन हे इमादार रहो , मदद करो , भाईचारा भाव , भ्रस्ताचार मत फेलाओं ,गरीबों की मदद करो , समाज सेवा करों शांति स्थापित करों लेकिन यह सब क्या हम कर रहे हें अगर नहीं तो फिर हम कोनसे धर्म को मानने वाले हे खुद ही समझ लेना चाहिए तो आओ दोस्तों हम भी अपना काम करें जिसे मेरे इन सुझावों को दरकिनार करना हे इनसे नफरत कर देश को बांटने और देश में अराजकता फेलाने के लियें धर्म के नाम पर नफरत फेलाना हे वोह वेसा ही करे और जो लोग प्यार बाटना चाहते हें दिलों में प्यार और हिन्दुस्तान रखते हें वोह तो कमसेकम अपनी इस गलती को सुधारे और दुरे परिवारों में जहां अपनी चलती हो वहां भी इसकी हिदायत करें क्योंकि बच्चे मन के सच्चे होते हे और वोह उनसे कहा जाता हे उसे ही दिल दिमाग में सच मानकर जीते हें तो जनाब पक्का हे ना ,वायदा करो के आज से ही नहीं अभी से नफरत की,अफवाहों की ,झूंठ  फरेब की बेईमानी औरभ्रष्टाचार को छोड़ कर अपनेपन का पाठ शुरू करेंगे ताकि मेरे इस देश का मेरे इस भारत का नव निर्माण हो सके और मेरा भारत महान हो सके ............................................ अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

आधुनिक पाठशाला जहां इंसान तय्यार होते हें

गुजरात में सुरत एक व्यापारिक शहर जहां पुराने सूरत  में बोहरा समाज के आदरणीय गुरु डोक्टर सय्यदना बुरहानुद्दीन साहब ने एक ऐसा मदरसा महाद अल ज़ाहरा तय्यार करवाया हे जहां बच्चों को आधुनिक शिक्षा के साथ साथ मानवता का पाठ अनुशासीत तरीके से पढाया जाता हे . 
सूरत में पिछले एपिसोड में मेने लिखा था के कोटा के बोहरा समाज के प्रमुख जनाब अब्बास भाई, सफदर भाई , मंसूर भाई, अकबर भाई अब्बास अली के साथ में अख्तर खान अकेला , लियाकत अली ,शहर काजी अनवार अहमद , नायब काजी जुबेर भाई , खलील इंजिनीयर , शेख वकील मोहम्मद और समाज सेवक प्रमुख रक्त दाता जनाब जाकिर अहमद रिज़वी गुजरात में सूरत स्थित एक आधुनिक मदरसे के तोर तरीकों का अध्ययन करने गये और इस दोरान हम बस  इसी मदरसे के होकर रह गये , पहेल एपिसोड में मेने कुरान हिफ्ज़ की आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित पाठशाला का विवरण दिया था हम इस जन्नत के नजारे से बाहर निकल कर दुनियावी शिक्षा केंद्र में गये जहां घुसते ही आधुनिक साज सज्जा और सुख सुविधाओं युक्त इस मदरसे को देख कर खुद बा खुद मुंह से निकल पढ़ा के अगर मदरसा ऐसा होता हे तो फिर विश्व यूनिवर्सिटी केसी होगी , हमें सबसे पहले दुनियावी शिक्षा के इस मकतब के गेस्ट रूम में बताया गया इस गेस्ट रूम की सजावट रख रखाव देखते बनता था फिर वहां मदरसे के प्रभारी प्रोफ़ेसर ने सभी आगंतुकों का शुक्रिया अदा किया थोड़ा सुस्ताने के बाद हम सभी को जन सम्पर्क अधिकारी के साथ मदरसे की इस आधुनिकता का नजारा देखने के लियें भेजा गया बढ़ी बढ़ी आलिशान किलासें , बच्चों को पढाने के लियें आधुनिक हाईटेक तकनीक कम्प्यूटर ,लेबटोब, कमरे , बढ़े स्क्रीन , सुविधायुक्त प्रयोगशालाएं , बच्चों के कार्यों की नुमाइश के लियें प्रदर्शन केंद्र , चार मंजिला लाइब्रेरी किताबों पर सेंसर क्गाये गये हें ताके कम्प्यूटर पर लगते ही किताब का नाम चढ़ जाएगा खुबसुरत लाइब्रेरी होल में इंग्लिश और अरबी की सभी महत्वपूर्ण पुस्तकें आर्ट,कोमर्स .विज्ञानं सहित सभी विषयों का यहाँ प्रमुख अध्ययन केंद्र बनाया गया हे तकनीकी शिक्षा सहित नेतिक और फिजिकल शिक्षा भी यहाँ देने का प्रावधान रखा गया मदरसे में मस्जिद हे जहां सभी एक साथ नमाज़ अदा करते हें जबकि पास में ही डाइनिंग होल हे जहां एक वक्त पर सभी छात्र बैठकर एक साथ बढ़े ख्वान लगा कर मनचाहा बहतरीन खाना खाते हें खाने की रसोई में सभी आधुनिक उपकरण लगे हें खाना सर्व करने के लियें ट्रोलियाँ और दूसरी व्यवस्थाएं हें , मदरसे में एक परीक्षा होल हे जहां परीक्षार्थी की परीक्षा कभी खुद सय्यादना साहब लेते हें उन्हें हिम्मत दिलाते हें इस होल में खाना इ काबा का गिलाफ का एक चोकोर टुकडा फ्रेम कर अदब से लगाया गया हे जो सय्यादना साहब को भेंट में दिया गया था पास ही एक खुबसुरत पत्थर सजाकर क्ल्गाया गया हे यह पत्थर हुसेन अलेह अस्सलाम के मजार का पाक पत्थर बताया गया हे जिसका लोग बोसा लेकर इज्जत बख्शते हें इसी होल में फोटो प्रदर्शनी हे और बहुमंजिली इस इमारत में ८५० बच्चों में ३५० के लगभग छात्राए और बाक़ी छात्र हें जिनमे १५० से भी अधिक विदेशी हे मदरसे में पढने वालों को १२ वर्ष के इस सफर में केसे पढ़ें पढाई का उपयोग केसे करें क्या अच्छा हे क्या बुरा हे बढ़े छोटे का अदब किया होता हे खेल कूद , खाना प्रबन्धन ,जनरल नोलेज क्या होती हे कुल मिलाकर एक अच्छे इंसान की सभी खुबिया इन बाराह साल में हर बच्चे में कूट कूट कर भर दी जाती हे इन १२ साल में  हर बच्चे को दुनिया की हकीकत समझ में आ जाती हे और वोह नोकरी नहीं करने के संकल्प के साथ या तो समाज के इदारों में लग जाता हे या फिर व्यवसाय में लग जाता हे . इस मदरसे में छात्राओं के लियें बेठने पढने रहने की अलग व्यवस्था हें यहाँ उन्हें पर्देदारी और शर्मसारी के सारे आदाब सिखाये जाते हें इन छात्राओं को होम साइंस के नाम पर खाने के सभी व्यंजन बनाना सिखाये जाते हें , इंसानियत की इस पाठशाला में सभी काम बच्चों से करवाया जाता हे उन्हें होस्टल में रहने के लियें नाम नहीं नम्बर दिया आजाता हे और इसी नम्बर से उन्हें पुकारा जाता हे यहाँ स्वीमिंग पुल, कसरत के लियें जिम, खेलकूद के लियें इनडोर आउट डोर खेल के मैदान हें बच्चों को फ़िज़ूल खर्ची से रोकने के लियें एक माह में २०० रूपये से अतिरिक्त खर्च करने की अनुमति नहीं हे इन बच्चों को मदरसे में एक वर्ष पलंग पर एक वर्ष फर्श पर सुलाया जाता हे प्रेस खुद को करना सिखाते हें नाश्ता लडके खुद बनाते हें ताके वोह थोडा बहुत ओपचारिक नाश्ता बनाना सिख लें होस्टल में लाइब्रेरी , स्टडी रूम , डिस्पेंसरी बनी हे जहां अपने सुविधानुसार बच्चे अपना काम करते हें . 
मदरसे में हमें जब इस आलिशान बहुमंजिली इमारत में घुमाया जा रहा था तो हमारे दिमाग में इस सात सितारा व्यवस्था के आगे सब फीके नजर आ रहे थे हमें वहीं बोहरा समाज के अंदाज़ में विभिन्न व्यंजन खिलाये गये मस्जिद में सबने अपनी अपनी नमाज़ अदा की , मदरसे में एक ऑडिटोरियम जो अति आधुनिक स्टाइल में बना हे इस ऑडिटोरियम में पार्टिशन लगे हें जो इसे क्लासों में तब्दील कर देते हें और जब आवश्यकता होती हे तो रिमोट और चकरी चाबी से पार्टीशन पल भर में गायब  कर इस क्लास रूम को एक विशाल ऑडिटोरियम का रूप दे दिया जाता हे , इस मदरसे में ८५० बच्चों को पढ़ने और रख रखाव के लियें १७० लोगों का स्टाफ हे और एक वर्ष में यहाँ ८ से १० करोड़ का बजट स्वीक्रत किया जाता हे .
बीएस जनाब इस मदरसे इस मकतब इस आधुनिक पाठशाला को देख कर यही कहा जा सकता हे के आओ एक ऐसा मदरसा बनाये हें जहां कमाई की मशीन नहीं केवल और केवल इंसान बनाये इस मदरसे को देख कर हमारी स्थिति यह थी के सबक ऐसा पढ़ा दिया तुने जिसे पढकर सब कुछ भुला दिया तूने,  अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

आधुनिक पाठशाला जहां इंसान तय्यार होते हें

गुजरात में सुरत एक व्यापारिक शहर जहां पुराने सूरत  में बोहरा समाज के आदरणीय गुरु डोक्टर सय्यदना बुरहानुद्दीन साहब ने एक ऐसा मदरसा महाद अल ज़ाहरा तय्यार करवाया हे जहां बच्चों को आधुनिक शिक्षा के साथ साथ मानवता का पाठ अनुशासीत तरीके से पढाया जाता हे . 
सूरत में पिछले एपिसोड में मेने लिखा था के कोटा के बोहरा समाज के प्रमुख जनाब अब्बास भाई, सफदर भाई , मंसूर भाई, अकबर भाई अब्बास अली के साथ में अख्तर खान अकेला , लियाकत अली ,शहर काजी अनवार अहमद , नायब काजी जुबेर भाई , खलील इंजिनीयर , शेख वकील मोहम्मद और समाज सेवक प्रमुख रक्त दाता जनाब जाकिर अहमद रिज़वी गुजरात में सूरत स्थित एक आधुनिक मदरसे के तोर तरीकों का अध्ययन करने गये और इस दोरान हम बस  इसी मदरसे के होकर रह गये , पहेल एपिसोड में मेने कुरान हिफ्ज़ की आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित पाठशाला का विवरण दिया था हम इस जन्नत के नजारे से बाहर निकल कर दुनियावी शिक्षा केंद्र में गये जहां घुसते ही आधुनिक साज सज्जा और सुख सुविधाओं युक्त इस मदरसे को देख कर खुद बा खुद मुंह से निकल पढ़ा के अगर मदरसा ऐसा होता हे तो फिर विश्व यूनिवर्सिटी केसी होगी , हमें सबसे पहले दुनियावी शिक्षा के इस मकतब के गेस्ट रूम में बताया गया इस गेस्ट रूम की सजावट रख रखाव देखते बनता था फिर वहां मदरसे के प्रभारी प्रोफ़ेसर ने सभी आगंतुकों का शुक्रिया अदा किया थोड़ा सुस्ताने के बाद हम सभी को जन सम्पर्क अधिकारी के साथ मदरसे की इस आधुनिकता का नजारा देखने के लियें भेजा गया बढ़ी बढ़ी आलिशान किलासें , बच्चों को पढाने के लियें आधुनिक हाईटेक तकनीक कम्प्यूटर ,लेबटोब, कमरे , बढ़े स्क्रीन , सुविधायुक्त प्रयोगशालाएं , बच्चों के कार्यों की नुमाइश के लियें प्रदर्शन केंद्र , चार मंजिला लाइब्रेरी किताबों पर सेंसर क्गाये गये हें ताके कम्प्यूटर पर लगते ही किताब का नाम चढ़ जाएगा खुबसुरत लाइब्रेरी होल में इंग्लिश और अरबी की सभी महत्वपूर्ण पुस्तकें आर्ट,कोमर्स .विज्ञानं सहित सभी विषयों का यहाँ प्रमुख अध्ययन केंद्र बनाया गया हे तकनीकी शिक्षा सहित नेतिक और फिजिकल शिक्षा भी यहाँ देने का प्रावधान रखा गया मदरसे में मस्जिद हे जहां सभी एक साथ नमाज़ अदा करते हें जबकि पास में ही डाइनिंग होल हे जहां एक वक्त पर सभी छात्र बैठकर एक साथ बढ़े ख्वान लगा कर मनचाहा बहतरीन खाना खाते हें खाने की रसोई में सभी आधुनिक उपकरण लगे हें खाना सर्व करने के लियें ट्रोलियाँ और दूसरी व्यवस्थाएं हें , मदरसे में एक परीक्षा होल हे जहां परीक्षार्थी की परीक्षा कभी खुद सय्यादना साहब लेते हें उन्हें हिम्मत दिलाते हें इस होल में खाना इ काबा का गिलाफ का एक चोकोर टुकडा फ्रेम कर अदब से लगाया गया हे जो सय्यादना साहब को भेंट में दिया गया था पास ही एक खुबसुरत पत्थर सजाकर क्ल्गाया गया हे यह पत्थर हुसेन अलेह अस्सलाम के मजार का पाक पत्थर बताया गया हे जिसका लोग बोसा लेकर इज्जत बख्शते हें इसी होल में फोटो प्रदर्शनी हे और बहुमंजिली इस इमारत में ८५० बच्चों में ३५० के लगभग छात्राए और बाक़ी छात्र हें जिनमे १५० से भी अधिक विदेशी हे मदरसे में पढने वालों को १२ वर्ष के इस सफर में केसे पढ़ें पढाई का उपयोग केसे करें क्या अच्छा हे क्या बुरा हे बढ़े छोटे का अदब किया होता हे खेल कूद , खाना प्रबन्धन ,जनरल नोलेज क्या होती हे कुल मिलाकर एक अच्छे इंसान की सभी खुबिया इन बाराह साल में हर बच्चे में कूट कूट कर भर दी जाती हे इन १२ साल में  हर बच्चे को दुनिया की हकीकत समझ में आ जाती हे और वोह नोकरी नहीं करने के संकल्प के साथ या तो समाज के इदारों में लग जाता हे या फिर व्यवसाय में लग जाता हे . इस मदरसे में छात्राओं के लियें बेठने पढने रहने की अलग व्यवस्था हें यहाँ उन्हें पर्देदारी और शर्मसारी के सारे आदाब सिखाये जाते हें इन छात्राओं को होम साइंस के नाम पर खाने के सभी व्यंजन बनाना सिखाये जाते हें , इंसानियत की इस पाठशाला में सभी काम बच्चों से करवाया जाता हे उन्हें होस्टल में रहने के लियें नाम नहीं नम्बर दिया आजाता हे और इसी नम्बर से उन्हें पुकारा जाता हे यहाँ स्वीमिंग पुल, कसरत के लियें जिम, खेलकूद के लियें इनडोर आउट डोर खेल के मैदान हें बच्चों को फ़िज़ूल खर्ची से रोकने के लियें एक माह में २०० रूपये से अतिरिक्त खर्च करने की अनुमति नहीं हे इन बच्चों को मदरसे में एक वर्ष पलंग पर एक वर्ष फर्श पर सुलाया जाता हे प्रेस खुद को करना सिखाते हें नाश्ता लडके खुद बनाते हें ताके वोह थोडा बहुत ओपचारिक नाश्ता बनाना सिख लें होस्टल में लाइब्रेरी , स्टडी रूम , डिस्पेंसरी बनी हे जहां अपने सुविधानुसार बच्चे अपना काम करते हें . 
मदरसे में हमें जब इस आलिशान बहुमंजिली इमारत में घुमाया जा रहा था तो हमारे दिमाग में इस सात सितारा व्यवस्था के आगे सब फीके नजर आ रहे थे हमें वहीं बोहरा समाज के अंदाज़ में विभिन्न व्यंजन खिलाये गये मस्जिद में सबने अपनी अपनी नमाज़ अदा की , मदरसे में एक ऑडिटोरियम जो अति आधुनिक स्टाइल में बना हे इस ऑडिटोरियम में पार्टिशन लगे हें जो इसे क्लासों में तब्दील कर देते हें और जब आवश्यकता होती हे तो रिमोट और चकरी चाबी से पार्टीशन पल भर में गायब  कर इस क्लास रूम को एक विशाल ऑडिटोरियम का रूप दे दिया जाता हे , इस मदरसे में ८५० बच्चों को पढ़ने और रख रखाव के लियें १७० लोगों का स्टाफ हे और एक वर्ष में यहाँ ८ से १० करोड़ का बजट स्वीक्रत किया जाता हे .
बीएस जनाब इस मदरसे इस मकतब इस आधुनिक पाठशाला को देख कर यही कहा जा सकता हे के आओ एक ऐसा मदरसा बनाये हें जहां कमाई की मशीन नहीं केवल और केवल इंसान बनाये इस मदरसे को देख कर हमारी स्थिति यह थी के सबक ऐसा पढ़ा दिया तुने जिसे पढकर सब कुछ भुला दिया तूने,  अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

ब्लॉग सजावट की प्रतिभा हे शाहनवाज़

जो अहम छोड़ कर  मधुरता के सुवचन बोलता हे वाही विश्व विजेता होता हे और यही विचारधारा लिए भाई शाहनवाज़ सिद्दीकी अपना जीवन जी रहे हे इसी अपनेपन   की विचारधारा लियें वोह इस ब्लोगिंग की दुनिया मने आये और आज सभी के खास बन गये .

शाहनवाज़ सिद्दीकी देहली में पले बढ़े हरिद्वार की हवा खाई और फिर दिल्ली में पत्रकारिता की दुनिया में तहलका मचाने के बाद सजावट की कला ने इन्हें आज विज्ञापन की दुनिया में बहतरीन सजावटी विज्ञापन तय्यार कर जनता के सामने परोसने वाला प्रमुख कलाकार बना दिया , शाहनवाज़ सिद्दीकी के मन में पत्रकार जिंदा हे वोह एक कलाकार के साथ साथ जिंदगी और जिंदगी की घटनाओं को अपने हिसाब से देखते हे सोचते हें समझते हें और इन अनुभवों को कलम के माद्यम से अपनों के साथ बांटना चाहते हें और इसीलियें  वर्ष २०१० में वोह ब्लोगिंग की दुनिया में आये उन्होंने अपने नाना से यह प्रेरणा ली और वोह आज दिल्ली की विज्ञापन दनिया में डिजायनर के रूप में अपने झंडे गाड़े हुए हें शाहनवाज़ के अभी  तक ६९ प्रशंसक बन गये हें और इनकी कला और लगन के कारण ही शाहनवाज़ आज हमारीवानी  के पेनल में हें वोह बात और हे की  कुछ मामलों में वोह अपने परायों का दर्द नहीं समझ पाए हे और इससे कुछ लोगों की भावनाएं आहत हुई हे लेकिन उनका मकसद शायद हमारीवानी की गाइड लाइन के बन्धनों में बंध कर काम करना रहा हो .

शाहनवाज़ सिद्दीकी कहते हें के अहम छोड़े और मधुरता के सुवचन बोलेन खुद बा खुद दुशम भी दोस्त हो जायेंगे और वोह काफी हद तक कामयाब ही हुए हे उनकी  सोच हे के इंसान जो कोशिश करे तो जिंदगी में बहार हे , जीत में भी हार हे सही कहा अगर इंसानियत से हट कर जीत भी जाओ तो ऐसी जीत किसी काम की नही रहती हे और हार से भी बदतर हो जाती हे शाहनवाज़ भाई ने अपनी इसी विचारधारा को जन जन तक पहुँचने के लियें अपना ब्लॉग छोटी बात,प्रेमरस,मधुर सन्देश , प्रेमरस शुरू किये और एक ब्लॉग शाह की कलम भी बनाया लेकिन वोह बिना पोस्ट के अभी सहज कर रखा हे इसलियें उसमें फोलोवार्स में सिर्फ मेने अपना नाम इस उम्मीद में पहले नम्बर पर दर्ज कराया हे के उसकी पहली पोस्ट मुझे ही पढने को मिले तो ऐसे हें हमारे शाहनवाज़ भाई जो प्यार बाटना चाहते हें प्यार से रहना चाहते हें उनका मानना हे इंसान जो कोशिश करे तो जिंदगी में बहार हे और इसी आशावाद के साथ ब्लोगिंग की इस दुनिया को शाहनवाज़ भाई से सभी को उम्मीदें हें और वोह कुच्छ कड़े फ़सलों पर पुनर्विचार करें ऐसी उम्मीद भी उनसे हे . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान सहयोग और मार्ग दर्शन जनाब एस एस मासूम साहब

गाँधी जी की दांडी यात्रा

कोटा में गांधी विचारधारा से जुड़े कोंग्रेस जनों ने कल १२ मार्च को गांधी जी की दांडी यात्रा स्मरति में दांडी मार्च निकलाने का मन बनाया कोंग्रेस के नरेश विजयवर्गीय ने करीब दो सो से भी अधिक फोन किये अख़बार में प्रकाशन किया गया लेकिन गिनती के लोग इस यात्रा में पहुंचे . 
कोटा कोंग्रेस कार्यालय पर गाँधी दर्शन और दांडी यात्रा पर एक गोष्ठी भी रखी गयी इस गोष्ठी में केवल दो दर्जन लोग जिनमे कोंग्रेस के पदाधिकारी और अग्रिम सन्गठन के लोग भी नहीं शामिल हुए अगर यह लोग आधे भी शामिल हो जाते तो कोंग्रेस कार्यालय में पाँव रखने की जगह भी नहीं होती खेर कोंग्रेस के प्रवक्ता और गाँधी विचारधारा के प्रचारक पंकज मेहता ने इस मामले में गांधी की विचारधारा पर व्याख्यान दिया बाद में अहिंसा परमो धर्म के इस विचारक की गोष्ठी से उठते ही कुछ कोंग्रेसी आपस में ही लड़ने लगे तब मेने सोचा क्या यही गाँधी का प्रभाव हे जिस गांधी ने लाठी और लंगोटी के बल पर स्नव्य्म त्याग का भाव पैदा क्र खुद को महात्मा बना लिया और केवल बोली के बल पर ही बिना किसी गोली के देश को अंग्रेजों के चंगुल से मुक्त करा दिया जो गाँधी भारत देश का गर्व हे गोरव हे जिसने देश को तिरंगा दिया अह्निंसा का पाठ और एकता का सूत्र दिया जिस गाँधी की वजह से आज देश का विश्व में गोरव हे उसी गाँधी को आज देश भुलाता जा रहा हे केवल मुन्ना भाई एम बी बी एस  और एक अन्य फिल्म की कामयाबी के बाद देश ने गांधी की विचारधारा के बारे सोचा हे और देश ने कई युनिवर्सिटियों और विभागों में अरबों रूपये का बजट पारित किया हे लेकिन सभी बजट आज खत्म पैसा हजम खेल खत्म की तर्ज़ पर गांधी की विचारधारा हे गाँधी को केवल मजबूरी का नाम महात्मा गाँधी के रूप में प्रदर्शित किया जाता हे उन्होंने सभी धर्मों को जिया था अंगीकार किया था और मानवता के सबसे बढ़े कार्यकर्ता बन गये थे , देश में दांडी यात्रा के पीछे उनका उद्देश्य अंग्रेजों की अवज्ञा तो करना ही थी लेकिन वोह खुद अपना नमक बना कर खाना चाहते थे ताके अंग्रेजों के नमक के नाम पर वोह नमक हराम नहीं कहलायें और खुद का नमक खाकर नमक हलाल कहलाये वोह इस नमक की मिलावट से तंग थे जो भारतियों के स्वस्थ को नुकसान पहुंचा रहे थे बस इसीलियें उन्होंने दांडी यात्रा निकाल नमक पर जीत हांसिल की थी .... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

तेरा नाम लिखा हे

मेने 
हर जगह 
सिर्फ 
तेरा नाम 
लिखा हे 
फिर ऐसा क्या हुआ 
जो तुझे 
मेरे साथ 
तेरा नाम नहीं 
दिखा हे , 
तुझे बता दूँ 
एक बार तो 
मेने तेरा नाम 
रेत पर लिखा था 
जिसे आँधियों ने 
उढ़ा दिया ,
तेरा नाम 
फिर हवा पर लिखा 
जो तुझे 
ना जाने क्यूँ नहीं दिखा 
अब फिर मेने 
तेरा नाम 
पानी पर लिख दिया हे 
यह नाम भी 
तूने लहरों में 
बहा दिया हे 
अब बता 
तेरा नाम 
कहाँ लिखूं 
एक दिल हे 
यहाँ तो बस 
खुदा का नाम लिखा हे ........  . . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

थोमस फिर सरकार को मुसीबत में डालेंगे

कोंग्रेस सरकार द्वारा बहुत बढ़ी गलती कर देश को भ्रष्टाचार की आग में डाल देने के बाद जब सुप्रीम कोर्ट ने इस गलती को सुधार तो कोंग्रेस ने सदन में माफ़ी मांगी लेकिन थोमस जिसके लियें कंग्रेस नेअपना सब कुछ दाव पर लगाया अब वोह कोंग्रेस की इज्जत दाव पर लगाने के इरादे रख रहे हें .
थोमस केन्द्रीय सतर्कता  आयुक्त के पद पर किस तरह से नियुक्त हुए इसका   भांडा फुट चुका हे  और थोमस के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मर्यादाओं को ध्यान में रखते हुए काफी खरी खोटी सुनाई हे लेकिन इन सब के बावजूद भी थोमस अपनी जिद पर अड़े हें वोह इस फेसले के खिलाफ अब संवेधानिक पीठ में अपील करना चाहते हें और उनका सरकार पर दबाव हे के यह अपील सरकार पेश करे वरना फिर वोह खुद ही इस अपील को पेश करेंगे अब देखिये ना फजीहत पर फजीहत पर अड़े हें थोमस जी लेकिन उन्हें कोन समझाये . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

हसन अली की भारत में बल्ले बल्ले

भारत में अगर नेताओं के साथ मिलकर घोटाले करो और फिर उन नेताओं के खिलाफ सबूत रखो तो गारंटी हे के  देश के साथ बहुत कुछ लुट्ट्स मचाने के बाद भी आप का कुछ नहीं बिगड़ेगा . 
हसन अली विश्व का सबसे बड़ा घोडा व्यापारी या यूँ कहिये घोड़े की रेस वाला सटोरिया या यूँ कहिये देश के नेताओं और अधिकारीयों के काले धन का संरक्षक हे और आज देश का उस पर अरबों रूपये का टेक्स बाक़ी हे भारत सरकार प्रवर्तन निदेशालय और सरकार के सभी विभाग यह जानते हें के हसन अली देश का सबसे बढ़ा चोर हे सुप्रीम कोर्ट ने हसन अली के खिलाफ कार्यवाही का हुक्म दिया उसकी ताकत और नेताओं अधिकारीयों की उसपर महरबानी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता हे के हसन अली को रस्मन गिरफ्तार तो क्या गया लेकिन पत्रावली में उसके खिलाफ सबूत अख्त्ते नहीं किये गये हसन अली ने डंके की चोट पर चेतावनी दी के दम हे तो उसके खिलाफ सबूत पेश करने अदालत सबूतों का इन्तिज़ार करती रही अवसर दिए लेकिन हसन अली मास्टर माइंड के खिलाफ कोई सबूत कोई साक्ष्य पेश नहीं की गयी और नतीजन उसकी जमानत का धक्का आज देश को सहना पढ़ा हे अगर सरकार अरबों रूपये के टेक्स चोरों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं करती हे तो सोच लो के सरकार गरीबों की कितनी हितेषी और कालाबाजारियों की कितनी दुश्मन हे . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

पति और जेठ ने अबला को मार डाला

राजस्थान के झालावाड जिले के भवानीमंडी के गाँव भागपुरा में एक पति ने उसके भाई के साथ मिलकर पत्नी की निर्मम हत्या कर दी और उसके दोनों पाँव काट कर चांदी के पायजेब ले गये .
राजस्थान में झालावाड जिला पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की विपक्ष की नेता वसुंधरा सिंधिया का इलाका हे लेकिन कोंग्रेस के इस शासन काल में महिलाओं के प्रति जो अपराध बढ़े हें उनका थमने का नाम ही नहीं हे , महिला गुड्डी भाई ने विवाहित पुरुष राजाराम से विवाह किया यानि नाते बेठी और कुछ दिनों से इसकी अपने पति से अनबन चल रही थी गुड्डी बाई कल अपनी मान के साथ गाँव में जा रही थी के अचानक गुड्डी बाई के पति और उसके जेठ ने कुछ लोगों के साथ मिलकर उन्हें घेर लिया और कुल्हाड़ी से हमला बोल दिया गुड्डी बाई तो भाग गयी लेकिन पति और जेठ ने गुड्डी बाई को घेर कर कुल्हाड़ी से ताबड़तोड़ वार किये जिससे उसकी घटना स्थल पर ही मोत हो गयी निर्दयता की हद यह रही के इन दोनों भाइयों ने गुड्डी बाई के पाँव में पहनी गयी चांदी की पाय्ज़ेबों को उतारने के लियें कोशिश की और असफल रहने पर कुल्हाड़ी से दोनों पाँव ट्क्नों तक काटे और पायजेब लेकर फरार हो गये , राजस्थान की यह लोमहर्षक घटना देख कर चश्मदीद अब तक सहमे हुए तो हें लेकिन गवाह देने को कोई तय्यार नहीं हे ऐसी हे महिलाओं के शासन में महिला दिवस के कुच्छ दिनों बाद महिलाओं की सुरक्षा का हाल . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

पति और जेठ ने अबला को मार डाला

राजस्थान

कादम्बिनी ने तारकेश्वरी को ब्लोगर बना दिया

जी हाँ दोस्तों एक बहतरीन ब्लोगर तारकेश्वरी गिरी को बादाम की गिरी की तरह मजबूत और ताकतवर ब्लोगर केवल एक पत्रिका कादम्बिनी की प्रेरणा ने बनाया हे और जल वायु प्रदूषण क्षेत्र में बचाव कार्यों के लियें आप आन्दोलन की तरह जूनून के साथ लगे हें .
आजम गढ़ के एक छोटे से गाँव में जन्मे तारकेश्वरी गिरी ने ग्रामीण परिप्रेक्ष से बाहर निकल कर शिबली नेशनल कोलेज से बी ऐ किया और फिर रोज़गार के लियें दिल्ली आ गये वोह इन दिनों बेंकिंग इन्वेस्टमेंट के काम में लगे हें कहते हें जिसका मन बचपन से कवि हो जिसके विचार किसी से बंधे ना हो जिसका मन सागर हो और जहां सेकड़ों नदियाँ एक साथ आकर मिलती हें इस समुन्द्र में कई विचार विचरण करते हें जो उबल की तरह से बाहर आने के लियें आतुर रहते हें . हमारे तारकेश्वर गिरी ने ११ अक्तूबर को एक पत्रिका कादम्बिनी पत्रिका उठाई और तब जल और वायु प्रदूषण मामले में लोगों को इस प्रदूषण से बचाने के लियें तारकेश्वर जी ने एक लेखन आदोलन की ठानी और पहली पोस्ट ११ अक्तूबर को अंग्रेजी में लिखी जिस पोस्ट में उन्होंने जल एवं वायु प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में सभी को आमंत्रित किया हे और कादम्बिनी पत्रिका को इस प्रेरणा के लियें धन्यवाद दिया हे . 
तारकेश्वर जी का नारा हे बहुत कुछ सोचा बहुत कुछ समझा अब करने का समय आ ही गया हे लेट ही सही वोह कहना चाहते हें के अब सोचना नहीं समझना नहीं सिर्फ करके दिखाना हे और अपनी रोज़गार की व्यस्तता और दिल्ली की दुनिया की भागमभाग के बाद भी तारकेश्वर जी ने अब तक १९२ ब्लॉग लिख डाले हें अपने १९२ ब्लॉग पर तारकेश्वर जी ने जापान के सुनामी से हुई तबाही पर अपनी संवेदनाएं जारी की हे ब्लोगर की दुनिया में तारकेश्वर जी सभी से लगभग जुड़े हें और इस दुनिया में प्यार अपनापन बाँट रहे हें . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान



आधुनिक पाठशाला जहां इंसान तय्यार होते हें

गुजरात में सुरत एक व्यापारिक शहर जहां पुराने सूरत  में बोहरा समाज के आदरणीय गुरु डोक्टर सय्यदना बुरहानुद्दीन साहब ने एक ऐसा मदरसा महाद अल ज़ाहरा तय्यार करवाया हे जहां बच्चों को आधुनिक शिक्षा के साथ साथ मानवता का पाठ अनुशासीत तरीके से पढाया जाता हे . 
सूरत में पिछले एपिसोड में मेने लिखा था के कोटा के बोहरा समाज के प्रमुख जनाब अब्बास भाई, सफदर भाई , मंसूर भाई, अकबर भाई अब्बास अली के साथ में अख्तर खान अकेला , लियाकत अली ,शहर काजी अनवार अहमद , नायब काजी जुबेर भाई , खलील इंजिनीयर , शेख वकील मोहम्मद और समाज सेवक प्रमुख रक्त दाता जनाब जाकिर अहमद रिज़वी गुजरात में सूरत स्थित एक आधुनिक मदरसे के तोर तरीकों का अध्ययन करने गये और इस दोरान हम बस  इसी मदरसे के होकर रह गये , पहेल एपिसोड में मेने कुरान हिफ्ज़ की आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित पाठशाला का विवरण दिया था हम इस जन्नत के नजारे से बाहर निकल कर दुनियावी शिक्षा केंद्र में गये जहां घुसते ही आधुनिक साज सज्जा और सुख सुविधाओं युक्त इस मदरसे को देख कर खुद बा खुद मुंह से निकल पढ़ा के अगर मदरसा ऐसा होता हे तो फिर विश्व यूनिवर्सिटी केसी होगी , हमें सबसे पहले दुनियावी शिक्षा के इस मकतब के गेस्ट रूम में बताया गया इस गेस्ट रूम की सजावट रख रखाव देखते बनता था फिर वहां मदरसे के प्रभारी प्रोफ़ेसर ने सभी आगंतुकों का शुक्रिया अदा किया थोड़ा सुस्ताने के बाद हम सभी को जन सम्पर्क अधिकारी के साथ मदरसे की इस आधुनिकता का नजारा देखने के लियें भेजा गया बढ़ी बढ़ी आलिशान किलासें , बच्चों को पढाने के लियें आधुनिक हाईटेक तकनीक कम्प्यूटर ,लेबटोब, कमरे , बढ़े स्क्रीन , सुविधायुक्त प्रयोगशालाएं , बच्चों के कार्यों की नुमाइश के लियें प्रदर्शन केंद्र , चार मंजिला लाइब्रेरी किताबों पर सेंसर क्गाये गये हें ताके कम्प्यूटर पर लगते ही किताब का नाम चढ़ जाएगा खुबसुरत लाइब्रेरी होल में इंग्लिश और अरबी की सभी महत्वपूर्ण पुस्तकें आर्ट,कोमर्स .विज्ञानं सहित सभी विषयों का यहाँ प्रमुख अध्ययन केंद्र बनाया गया हे तकनीकी शिक्षा सहित नेतिक और फिजिकल शिक्षा भी यहाँ देने का प्रावधान रखा गया मदरसे में मस्जिद हे जहां सभी एक साथ नमाज़ अदा करते हें जबकि पास में ही डाइनिंग होल हे जहां एक वक्त पर सभी छात्र बैठकर एक साथ बढ़े ख्वान लगा कर मनचाहा बहतरीन खाना खाते हें खाने की रसोई में सभी आधुनिक उपकरण लगे हें खाना सर्व करने के लियें ट्रोलियाँ और दूसरी व्यवस्थाएं हें , मदरसे में एक परीक्षा होल हे जहां परीक्षार्थी की परीक्षा कभी खुद सय्यादना साहब लेते हें उन्हें हिम्मत दिलाते हें इस होल में खाना इ काबा का गिलाफ का एक चोकोर टुकडा फ्रेम कर अदब से लगाया गया हे जो सय्यादना साहब को भेंट में दिया गया था पास ही एक खुबसुरत पत्थर सजाकर क्ल्गाया गया हे यह पत्थर हुसेन अलेह अस्सलाम के मजार का पाक पत्थर बताया गया हे जिसका लोग बोसा लेकर इज्जत बख्शते हें इसी होल में फोटो प्रदर्शनी हे और बहुमंजिली इस इमारत में ८५० बच्चों में ३५० के लगभग छात्राए और बाक़ी छात्र हें जिनमे १५० से भी अधिक विदेशी हे मदरसे में पढने वालों को १२ वर्ष के इस सफर में केसे पढ़ें पढाई का उपयोग केसे करें क्या अच्छा हे क्या बुरा हे बढ़े छोटे का अदब किया होता हे खेल कूद , खाना प्रबन्धन ,जनरल नोलेज क्या होती हे कुल मिलाकर एक अच्छे इंसान की सभी खुबिया इन बाराह साल में हर बच्चे में कूट कूट कर भर दी जाती हे इन १२ साल में  हर बच्चे को दुनिया की हकीकत समझ में आ जाती हे और वोह नोकरी नहीं करने के संकल्प के साथ या तो समाज के इदारों में लग जाता हे या फिर व्यवसाय में लग जाता हे . इस मदरसे में छात्राओं के लियें बेठने पढने रहने की अलग व्यवस्था हें यहाँ उन्हें पर्देदारी और शर्मसारी के सारे आदाब सिखाये जाते हें इन छात्राओं को होम साइंस के नाम पर खाने के सभी व्यंजन बनाना सिखाये जाते हें , इंसानियत की इस पाठशाला में सभी काम बच्चों से करवाया जाता हे उन्हें होस्टल में रहने के लियें नाम नहीं नम्बर दिया आजाता हे और इसी नम्बर से उन्हें पुकारा जाता हे यहाँ स्वीमिंग पुल, कसरत के लियें जिम, खेलकूद के लियें इनडोर आउट डोर खेल के मैदान हें बच्चों को फ़िज़ूल खर्ची से रोकने के लियें एक माह में २०० रूपये से अतिरिक्त खर्च करने की अनुमति नहीं हे इन बच्चों को मदरसे में एक वर्ष पलंग पर एक वर्ष फर्श पर सुलाया जाता हे प्रेस खुद को करना सिखाते हें नाश्ता लडके खुद बनाते हें ताके वोह थोडा बहुत ओपचारिक नाश्ता बनाना सिख लें होस्टल में लाइब्रेरी , स्टडी रूम , डिस्पेंसरी बनी हे जहां अपने सुविधानुसार बच्चे अपना काम करते हें . 
मदरसे में हमें जब इस आलिशान बहुमंजिली इमारत में घुमाया जा रहा था तो हमारे दिमाग में इस सात सितारा व्यवस्था के आगे सब फीके नजर आ रहे थे हमें वहीं बोहरा समाज के अंदाज़ में विभिन्न व्यंजन खिलाये गये मस्जिद में सबने अपनी अपनी नमाज़ अदा की , मदरसे में एक ऑडिटोरियम जो अति आधुनिक स्टाइल में बना हे इस ऑडिटोरियम में पार्टिशन लगे हें जो इसे क्लासों में तब्दील कर देते हें और जब आवश्यकता होती हे तो रिमोट और चकरी चाबी से पार्टीशन पल भर में गायब  कर इस क्लास रूम को एक विशाल ऑडिटोरियम का रूप दे दिया जाता हे , इस मदरसे में ८५० बच्चों को पढ़ने और रख रखाव के लियें १७० लोगों का स्टाफ हे और एक वर्ष में यहाँ ८ से १० करोड़ का बजट स्वीक्रत किया जाता हे .
बीएस जनाब इस मदरसे इस मकतब इस आधुनिक पाठशाला को देख कर यही कहा जा सकता हे के आओ एक ऐसा मदरसा बनाये हें जहां कमाई की मशीन नहीं केवल और केवल इंसान बनाये इस मदरसे को देख कर हमारी स्थिति यह थी के सबक ऐसा पढ़ा दिया तुने जिसे पढकर सब कुछ भुला दिया तूने,  अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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