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13 मार्च 2011

२४ मार्च को देश के वकीलों की हड़ताल

२४ मार्च को देश के वकीलों की हड़ताल  रहेगी कल जयपुर में देश के वकील एकत्रित हुए और उन्होंने इंडियन लीगल प्रेक्टिशनर एक्ट के खिलाफ नाराजगी जताते हुए यह निर्णय लिया .
राजस्थान बार कोंसिल की मेजबानी में कल देश भर के वकीलों के नेता जयपुर में बेठे थे और इन्डियन लीगल प्रेक्टिशनर एक्ट को कला कानून बताते हुए इसे रोकने की मांग पर जोर दिया गया वर्तमान में वकीलों की एक स्वायत संस्था बार कोंसिल हे जो कानूनी रूप से परिर हे इसके चुनाव लोकतान्त्रिक तरीके से होते हे इसका अपना बजट होता हे और वकीलों के चंदे से ही यह बार कोंसिल अपना कार्य कर रही हे फिर भी सरकार वकीलों को नियंत्रित कर अपना मनमाना निर्णय थोपने के लियें इन्डियन लीगल प्रेक्टिशनर एक्ट के माध्यम से अपने सरकारी प्रतिनिधियों को इस बार कोंसिल की व्यवस्था पर अंकुश लगाना चाहती हे जो वकीलों को किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं होगा चोर दरवाज़े से वकीलों के ऊपर सरकार के प्रतिनिधि बिठाकर सरकार देश के लोकतंत्र का गला घोटना चाहती हे जो वकीलों को किसी भी हाल में बर्दाश्त नही हे और इसीलियें २४ मार्च को देश भर के वकील हडताल कर अपना विरोध जताएंगे . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

एक जुलाई से चवन्नी बंद

कहते हें कोई भी प्रभावशाली आदमी के कहने से अगर काम होते हें तो उसके लियें मुहावरा बोला जाता हे के इसकी तो चवन्नी चलती हे लेकिन अब यह मुहावरा भी हवा हो जाएगा कोइंस एक्ट के प्रावधानों के तहत रिजर्व बेंक ने ३० जून २०११ से चवन्नी बंद  कर देने का एलान किया हे और ऐसे में अब १ जुलाई २०११ से चवन्नी बंद हे .
सरकार ने आदेश दिए हें के ३० जून के पहले अगर किसी के पास चवन्नियां पढ़ी हें तो वोह किसी भी बेंक से जहां उसका खाता हो चवन्नियां बदलवा क्र उसे रूपये प्राप्त कर सकता हे और अगर ऐसा नहीं किया तो १ जुलाई से उसकी चवन्नियां बेकार हो जाएँगी क्योंकि अब सिक्कों को पिघलाना भी अपराध बना दिया गया हे .
चवन्नी बंद होना कहने को तो सामान्य बात हे लेकिन देश में जहां चवन्नी चलने के मुहावरे को गर्व से काम में लिया जाता था वहां अगर चवन्नी बंद होती हे अगर सवाया का नाम खत्म होता हे तो इससे स्पष्ट हे के यहाँ की अर्थव्यवस्था में कितना बदलाव आ गया हे देश में महंगाई का स्तर किस हद तक बिगड़ गया हे जहां चवन्नी यानि चार आने की अब गोली बिस्किट चोकलेट भी नहीं मिलेगी मुद्रास्फीति और महंगाई का यह संगम इस चवन्नी ने स्पष्ट कर दिया हे सरकार चाहे चवन्नी बंद करके खुद को संतुष्ट कर ले लेकिन अगर सरकार ने अपने तोर तरीकों र आर्थिक व्यवस्था में कोई  भी सुधार नहीं किया तो देश के हालात सम्भालना मुश्किल हो जायेंगे और गरीबी की स्थिति विकट हो जायेगी . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

यह रौशनी का दर्द

यह रौशनी का दर्द 
अब हम केसे भूलेंगे 
रौशनी की यह सिहरन यह तडपन
तू ही बता 
अब हम तेरी चाहत लिए 
फांसी के फंदे पर 
केसे झूलेंगे 
यह रौशनी जिसने 
हजारों घर जला कर राख किये 
अगर रौशनी होती हे ऐसी 
तो बस 
रौशनी से यूँ ही डरा करो हर कोई .. 
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

सहारा हे ना कोई

 देख 
इन बेजान हाथों में 
अब तो 
ताकत भी 
नहीं बची हे 
जो उठी हें 
तलवारें उनके वार से 
बचने की जरा भी 
हिम्मत ना बची हे 
देख ले बस अब तो 
तू खुद 
आकर देख ले 
तेरे बाद 
जिंदगी में 
चाहत जीने की 
बची ना कोई 
बस तेरा सहारा था 
जो छीन गया 
और देख ले 
अब हम 
बेजान शरीर हो गये हें .... 
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

यह मूरत बोलेगी

यह मूरत बोलेगी 
एक दिन जरुर 
तुम्हारी इबादत 
इसबेजान 
पत्थर को 
पत्थर बना देगी 
देखना 
एक दिन जरुर 
यह मूरत 
बोलेगी 
एक दिन जरुर . 
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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