आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

14 मार्च 2011

बुरा ना मानो होली हे बुरा मानो तो मान जाओ फिर भी होली हे

बुरा ना मानो होली हे बुरा मानो तो मान जाओ फिर भी होली हे जी हाँ दोस्तों होली का रंगों का खुशिया और अपनापन बिखेरने वाला यह त्यौहार आपकी हमारी सभी की जिंदगी में खुशियों के रंग भर दे और सभी ब्लोगर भाइयों बहनों को होली मुबारक हो  , इस अवसर पर में थोड़ी गुस्ताखी कर रहा हूँ और कान भी पकड़ कर माफ़ी मांग रहा हूँ लेकिन मुझे माफ़ मत करना . 
सलीम खान ........... खतरनाक लेखन 
श्रीमती वन्दना गुप्ता ..लिखते रहो गृहणियों का नाम रोशन करो 
दिलबाग विर्क ... सबका दिल बाग़ बाग़ करते रहो 
डोक्टर निरुपमा वर्मा .. साहित्य का इलाज तो आपही को करना हे 
जीशान जेडी ...... ब्लोगर की दुनिया की शान बनना हे 
दीपा ..........दीपक की तरह रोशन होना हे 
अफसाना तनवीर ..... एक खुबसूरत सीख देने वाला अफसाना हूँ 
एस एम मासूम ...... हर दिल अज़ीज़ अमन का पैगाम मासूम बन गये हें आप 
मार्कंड दवे .......... लिख रहा हूँ कुछ जूनून में 
नील प्रदीप .............. कुछ तो लिख ही रहा हूँ 
सदा ............एक आवाज़ जो सदा बनी रहेगी 
डोक्टर श्याम गुप्ता .......ब्लोगर्स पर रिसर्च करना होगी 
डोक्टर अनवर जमाल ...प्यार दो प्यार लोचारों तरफ अनवर भाई का जमाल हे 
हरीश सिंह ...........कुछ मुझे भी तो बताओ यार 
साधना वेद ........ लेखन में वेदों की ही साधना हे 
सुरेश गुप्ता ..........में भी कुछ हूँ यार 
महफूज़ अली ..... अच्छे लेखन को महफूज़ करो यारों 
डी पी मिश्र ............. खुशबु बना हूँ में ब्लॉग की 
मनोज ........... मेरी चाहत कोन हे 
अनुराग अंत ....... मेरा राग अनंत हे 
जसवंत धरु ....... किस किस को धरना हे 
अनवारुल हसन .... मेरी पहचान मेरा लेखन 
अन्ताक्षरी ........सभी का मनोरंजन हूँ में 
प्रतिभा .......मेरी प्रतिभा का कोई मुकाबिल नहीं 
इरफ़ान ....में भी इक फुल हूँ यारों 
के एस कन्हय्या ...... ना बाबा ना में कृष्ण कन्हय्या नहीं 
इंजीनियर सत्यम शिवम ...सत्य का पुल बनाउंगा 
मिथलेश दुबे .......... ब्लोगिंग की सेवा कर रहा हूँ 
कवि सुधीर गुप्ता .......मेरी भी सुनो यारों 
डोक्टर डंडा लखनवी .......... मेरा भी डंडा चलता हे लेकिन आवाज़ नहीं होती यारों 
डोक्टर अजमल खान .... मेरा भी अपना जमाल हे 
अरविन्द्र शुक्ल ......... में भी सभी को पढ़ता हूँ 
गजेन्द्र सिंह ........हाथी और बरसात का संगम हूँ 
स्वराज करूँ ......... स्वराज ही मेरा जन्म सिद्ध अधिकार हे 
शिखा कोशिक .वकील साहिबा सभी का मुकदमा लड़ रही हें 
दिनेश द्विवेदी जी ...तीसरा खम्बा अदालत की दुनिया में अनवरत चल रहा हे 
ललित शर्मा ..........घुमक्कड़ ब्लोगर भाई साहब 
अतुल श्रीवास्तव .......... कुछ लिखता रहा हूँ प्यार में 
मुकेश सिन्हा ............. मेरी भी तो सूना यार 
रश्मि प्रभा ............... आज कल गाइड कर रही हूँ 
के पी सक्सेना ........मेरी सेंसर की छुरी बहुत तेज़ हे 
तीसरी आँख ..........मुझे सब दिख रहा हे 
मदन गोपाल गर्ग .... मेरा ब्लॉग सब का प्यारा ब्लॉग 
हरीश भट ............ सुधर जाओ यारों 
आशुतोष ............मिलजुल कर रहना हे 
अनामिकाएं सदायें ....... हमेशा याद रहेगी यह सदा 
हाकिम युनुस खान .... थोड़ा हिकमत भी चलाना हे दोस्तों 
डोक्टर अशोक पामिस्ट ..... सभी का हाथ देखना हे 
डोक्टर राजेन्द्र तेला निरंतर ........निरंतर लिखता रहा हूँ 
अली सोहराब ............ इंसाफ लेकर रहूंगा 
अफसर पठान ...........में वोह वाला पठान नहीं हूँ भाई 
हसन जावेद ........ सोचना का अधिकार दिलवा कर रहूंगा 
पूजा ...............ब्लोगिंग की पुजारन हूँ 
फिरदोस ..........विवादित लेखन 
खुश दीप ..............खुशियों के ही दीप जला रहा हूँ 
शाहनवाज़ .......... इंटीरियर ब्लॉग डेकोरेटर 
तारकेश्वर गिरी ..... सभी को जोड़ कर चलना हे यारों 
संजय सेन ............. लिखते रहो मुन्ना भाई 
हिंदुस्तान का दर्द ......... सभी का दर्द खुद समो रखा हे 
अतुल कनक ...........राजस्थान का लेखक कवि शेर हूँ 
जाकिर अली रजनीश ....आचार्य रजनीश नहीं जाकिर हूँ भाई 
डोक्टर रूपचन्द्र सशत्र मन्यंक ...... मेरे लेखन का रूप चाँद की तरह चमक रहा हे 
उपदेश सक्सेना .... में लिखता हूँ उपदेश नहीं देता हूँ 
अरविन्द सिसोदिया .....सोनिया को हटा कर रहूँगा 
हरीश ..................... में जो लिखता हूँ सभी के लियें हें  
रमेश सिरफिरा .........दिमाग फिरता हे सर नहीं पत्रकारिता से समाज बदल दूंगा
दोस्तों भाइयों बहनों होली के पूर्व सप्ताह के इस माहोल को में रंगीन बनाने की कोशिश कर रहा हूँ में नोसिखिया हूँ बहुत कुछ नहीं जानता हूँ बहुत ब्लोगर्स इसमें छुट गये हें में जानता हूँ में गलतियों का पुलंदा हूँ लेकिन थोड़ी थोड़ी धुल छांट कर अगर कोई बात कोई गलती हो तो जरुर सुधारने के निर्देश देना . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान



यह जिंदगी हसीन लगती हे

तेरे बिना 
अब तो 
मुझे यह जिंदगी 
बहुत हसीं लगती हे 
ना चाहत 
ना तदपन 
न इन्तिज़ार तेरा 
बस यह ज़िदगी हे 
जो तेरे बिना 
बहुत बहुत हसीं लगती हे 
जिंदगी में अब 
ना आंसू हें 
ना रोना हे 
एक पत्थर हे यह जिंदगी 
ना खुशबु हे 
ना जीने की चाहत 
न हे म़ोत की परवाह 
यह जिंदगी 
तेरे बिना 
बहुत हसीं लगती हे 
तू चली भी गयी 
जिंदगी से मेरी तो क्या 
देख ले जी रहा हूँ 
तेरे बिना 
बस यूँ ही 
फिर भी 
यह जिंदगी 
हसीं लगती हे तेरे बिना . 
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

तेरे बिना

दिल धड़कन 
के बिना 
जिस्म 
रूह के बिना 
इंसान 
चाहत के बिना 
हुस्न 
तारीफ के बिना 
फुल 
खुशबु के बिना 
और हम 
उदास हे 
ब्लोगरों की 
टिप्पणियों के बिना . 
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

यह सपने

उनकी यादों के 
यह मासूम 
हसीन सपने 
अबतो जिए नहीं जाते 
सोचते हें 
कम कम लगाकर 
उन्हें 
अब मेरी जिंदगी से 
कांटे की तरह 
निकल कर 
बाहर फेंक दूँ . 
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

यह हरसिन्घार

यह फुल 
हर सिंघार के 
कदम जो चुमते हें तेरे 
शुक्रिया अदा कर 
खुदा का 
आंधियां चलीं 
और सारे फुल 
तेरे क़दमों में 
आ गिरे हें 
रोंद ना इन फूलों को 
यूँ बेरहमी से 
इस तरह 
यह तो 
किस्मत के मारे हें 
जो यूँ ही 
एक 
हवा के 
झोंके में 
तेरे कदमों में 
आ गिरे हें . 
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

वोह कोन था

में अब 
सभी से 
पूंछता हूँ बताओं 
जो तडप रहा हे 
प्यार में 
मेरी जगह 
वोह 
आशिक 
उसका कोन था , 
शुक्र हे खुदा का 
कल उसी का 
आशिक 
बनने 
में भी 
निकल 
पढ़ा था . 
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...