आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

17 मार्च 2011

हेलमेट के नाम पर पुलिस दादागिरी

कोटा जो गृहमंत्री राजस्थान सरकार का इलाका हे यहाँ की जनता अगर अपनी माँ के इलाज के लियें दवा ले जाते वक्त हेलमेट भूल जाता हे और चालन भी बनवा लेता हे तब भी उसे यहाँ के पुलिस अधिकारीयों द्वारा बेईज्जत होना  पढ़ता हे और हो सकता हे के दुर्घटना में उनकी मोत भी हो जाए . 
कोटा में अभी पिछले दिनों पुलिस धर पकड़ के मामले में एक व्यक्ति कोठरी इलाके में गिरकर गम्भीर घायल था जबकि डी सी एम रोड पर दो बच्चे पुलिस की पकड़ से बचने के लियें ही ट्रक के नीचे आ गये और उनकी  मोत हो गयी हे .कल कोटा में  महावीर नगर इलाके में एक मोटर साइकल सवार ने हेलमेट नहीं पहना था क्योंकि वोह उसकी माँ जो अस्पताल में भर्ती थी उसकी दवा लेकर देने जा रहा था खेर उसने जुरमाना जमा रका दिया फिर भी महावीर नगर के थाना धिकारी भंवर सिंह ने उसका कालर पकड़ा और चलती हुई मोटर साइकल पर उसे झिंझोड़ दिया वोह तो नसीब अच्छा था के वोह गिरने से बच गया अब देख लो चोथ वसूली के यह अमानवीय तोर तरीके जबकि कोटा में करीब १५०० जीपें और ट्रक ट्रोले अवेध चलते हें जिनसे करीब ५०० रूपये प्रति गाडी रोज़ लिया जाता हे उनके लियें कानून नहीं हे केवल दो पहिया वाले गरीबों  पर ही कानून का डंडा चल रहा हे ऐसे में अब कानून का क्या करें . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

हसन साहब यहाँ कानून ज़िंदा हे

हमारे देश के अरबों खरबों रूपये घोड़े के व्यापार और सट्टे के नाम पर विदेश में जमा करने वाले हसन को शायद यह ता नहीं था के यहाँ कानून नाम की कोई चीज़ हे जिसकी लाठी जब चलती हे तो फिर उसके अपने नेता देश के गद्दार लोग भी उसे बचा नहीं पाते .
हसन अली घोड़े के व्यापारी देश के सभी राजनितिक दलों के नेताओं,व्यापारियों ,उद्द्योग्प्तियों और अधिकारीयों के हम राज़ हे आप देखिये महाराष्ट्र में हसन अली पकड़े जाए उन पर खरबों रूपये टेक्स चोरी का मामला हो और सो कोल्ड राष्ट्रीयता की बात करने वाली शिवसेना , मनसे, भाजपा, आर एस एस इस मामले में खामोश रहे सरकार बढ़े अखबार खामोश रहे अधिकारियों को इसके खिलाफ सबूत नहीं मिले हसन अली कहे के लाओ सबूत और अदालत सबूतों के अभाव में हसन अली को जमानत पर छोड़ दे तो फिर जनाब सोच लो इन हसन अली के इस हुस्न के देश में कितने दीवाने हें राष्ट्रीयता की बात करने वाले यह लोग कहाँ हे लेकिन कल सुप्रीम कोर्ट ने जब हसन अली को फिर से गिरफ्तार करवाकर उसकी जमानत ख़ारिज की और पूंछ तांछ के लियें अधिकारीयों को दिया तो लगा के देश में अभी कानून जिंदा हे सारे देश के सो कोल्ड राष्ट्र भक्तों की चुप्पी हसन अली की रिहाई और फिर गिरफ्तारी इस पुरे मामले में यह सच हे के देश का कानून ही इन सब लोगों पर भरी पढ़ा हे . 
इस मामले का नियंतरण अब अगर सुप्रीम कोर्ट अपने पास रखे तो देश की जनता का धन लुट कर हसन अली को सहारा बना कर विदेशों में धन एकत्रित करने वाले सफेद कोलर वाले चोरों का तो भंडा फोड़ निश्चित हे लेकिन हाँ यहाँ तो मनमोहन सिंह प्रधानमन्त्री हे जो कमजोर लाचार असहाय और मजबूर हे लेकिन उनकी यह कमजोरी भ्रस्ताचार नियंतरण और जनहित के कार्यों की क्रियान्विति के लियें हे अगर सुप्रीम कोर्ट उनसे खे के भ्र्स्ताचारियों और काले धन वालों की सूचि सार्वजनिक करो तो यकीन मानिये जनाब यह कमजोर असहाय से दिखने वाले प्रधानमंत्री इतने ताकतवर हो जाते हें के सुप्रीम कोर्ट के बारम्बार कहने और जनता की लगातार मांग के बाद  भी यह सुप्रीम कोर्ट  के आदेशों को रद्दी की टोकरी में डाल देते हें और एक दम एंग्री  यंग  बन जाते हें  लेकिन हसन अली के पकड़े जाने के बाद इन लोगों के चेहरों पर ही हवाइयां उढने लगती हे इसलियें कहते हे हसन साहब और उनके समर्थकों यहाँ मेरे इस देश में कानून अभी ज़िंदा हे . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

विक्लिंक्स या एक जासूसी की शुरुआत

विक्लिंक्स या एक जासूसी की शुरुआत हे इस मामले में देश की सरकार और जनता को गम्भीरता से सोचने की जरूरत हे जो बात हमारे देश की जनता को पता नहीं अगर वही बात हमें विदेशी लोगों से पता चले तो या तो हमारे अपने मिडिया कर्मी बिके हुए हें या फिर कमज़ोर हें . 
जी हाँ दोस्तों कभी भी अगर कोई बात मेरे इस देश में हुई हे तो हमें बाहर के ही लोगों ने सूचित किया हे इन दिनों विश्व में विक्लिंक्स वेबसाईट का खुलासा हे और यह खुलासा सीधे साइड मेरे इस देश की जासूसी की पोल खोल रहा हे जो मेरे देश की सरकार इसके लियें खुली छुट देकर देश और देश वासियों की सुरक्षा के लियें खतरा पैदा कर रहे हें . 
हमारे देश में देश का कोई व्यक्ति अगर कुछ खबरे लेना चाहता हे सुचना के अधिकार के तहत सूचनाएं मग्नता हे तो सीधा जवाब होता हे के इस जवाब से देश की सुरक्षा को खतरा हे इसलियें यह सुचना दिया जाना सम्भव नहीं हे हमारी रक्षा प्रणाली , सुरक्षा प्रणाली. वैज्ञानिक प्रणाली सब कुछ विदेशों को पता हे लेकिन हमारे देश की इस जनता को जानने का हक नहीं अगर देश के लोग कोई सच नहीं जान सकते तो विदेश के लोगों को यह सच केसे पता चल जाता हे और अगर पता चलता हे तो फिर इन सुचना दाताओं की नादानी पर उनके खिलाफ कार्यवाही क्यूँ नहीं होती यह एक वाल हे हाल ही में विक्लिंक्स ने देश की सुरक्षा और आंतरिक मामलों को लेकर कई खुलासे किये हें हम हमारे देश के लोगों पर तो भरोसा नहीं करते लेकिन एक विदेशी जासूस की बात पर बिना अजांचे परखे विशवास कर बैठते हैं और बस संसद हो चाहे सडक हो आपस में लड़ बैठते हें दोस्तों दिखने में तो यह एक मामूली बात हे लेकिन जरा सोचो विचार करो हमारे देश की जानकारी अगर विदेशियों के पास हे और वोह ऐसी जानकारी हे के हमें सुचना के अधिकार के तहत नहीं दी जा सकती तो फिर बताओ इस देश का गुप्त सच कोन बाहर पहुंचा रहा हे कोन अधिकारी हे जो इस सच को पचा नहीं पा रहा हे यह एक ऐसा सवाल हे जिस पर विचार करना होगा और विक्लिंक्स के सभी सच के खुलासे के बाद किसके खिलाफ क्या कार्यवाही हो वोह बाद की बात हे लेकिन पहली कार्यवाही उन लोगों की खोज होना चाहिए जिनकी लापरवाही से विदेशी जासूसों को इस देश में सुचना एकत्रित करने का मोका मिल रहा हे और मेरे इस देश को विदेशी जासूसी से बचाने के लियें अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही करना चाहिए. अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

होली के रंग हजार

होली के रंग हजार  नहीं लाख नहीं करोड़ों करोड़ होते हें आप भाइयों और बहनों की जिंदगी होली के इन खुबसुरत रंगों से सजी और संवरी हे और खुदा करे जिन लोगों की जिंदगी के रंग में जरा भी भंग पढ़ा हे उनकी जिंदगी फिर से खुशियों के रंग से भर जाए लेकिन इस त्यौहार को भी मिलावट की नजर लग गयी हे रंगों की इस दुनिया को मिलावट की दुनिया बनाने वाले एक व्यापारी का कोटा में वाट लगाई गयी हे . 
दोस्तों कोटा में एक व्यापारी उद्ध्योग के नाम पर कोटा स्टोन का चुरा मिला कर गुलाल बना रहा था जो लोगों की खाल चेहरे बिगाड़ने के लियें काफी हे यहाँ रसद अधिकारी ने जब एक सुचना पर छापा मारा तो वहां करीब सो क्विंटल कच्चा पाउडर और रंग बरामद किया गया पच्चीस पेसे प्रति किलो बनने वाले इस गुलाल को यह जनाब सरे राजस्थान में दस रूपये किलों में बेच चुके थे इनके रजिस्टर से पता चला के कुछ दिनों में ही दस लाख रूपये का जहर यह जनता में बेच चुके हें अब पुलिस और रसद अधिकारी जी इस पशोपेश में हें के इन जनाब के खिलाफ मुकदमा कोंसे कानून और धरा में किया जाए क्योंकि जो कानून कहता हे वोह तो यह करते नही राजनितिक पहुंच होने के कर्ण रस्मन कार्यवाही केसे हो अखबारों में खबर केसे बने और नतीजा ढ़ाक के तीन पात निकल कर मामला की रफा दफा किया जाए . 
तो दोस्तों यह तो एक सच्चाई हे हमारे देश में इन दिनों नकली सामानों की बिक्री नकली चेहरों की सजावट नकली अभिनय नकली रिश्तों की भरमार हे और इसी लियें सब कुछ बिगड़ता जा रहा हे जबकि होली के रंग खुबसुरत रंग लोगों के दिलों में नई उमंग नया प्यार अपनापन पैदा करते हें और इस होली को भी हम ऐसे ही नये दोर के साथ आदर्श आधुनिक होली बना कर मिसाल कायम करे सभी ब्लोगर भाई बहनों में अगर किसी तरह के कोई गिले शिकवे हों तो एक बार हाँ एक बार इस अवसर पर भुला कर गले लगे एक दुसरे को प्यार करे अपनापन दें बस देखो होली का यह रंग कितना खुबसूरत हो जाएगा तो दोस्तों पहल मेरी तरफ से हे निश्चित तोर पर इंसान गलतियों का पुतला होता हे और ब्लोगर की दुनिया में शायद सबसे गलत कोई हे तो वोह में नम्बर वन हूँ इसलियें भाइयों बहनों में सभी से हाथ जोड़ कर अपनी गलतियों के लियें माफ़ी मांगना चाहता हूँ और चाहता हूँ के आप भाई बहने मुझे मेरी सभी गलतियों के लियें मुझे माफ़ करें तो एक बार फिर रंगों की खूबसूरती बिखेर कर अपनेपन का अहसास दिलाने वाली होली और बुराइयों को जला देने वाली इस होली पर अपनी बुराइयों को जलाकर राख कर दें बुराई के रावण को ख़ाक कर दें और अच्छाई के प्रति  एक विश्वास एक सद्विश्वास को सभी के बीच बिखेर कर खुशियाँ और प्यार की खुशबु बिखेर दें में जानता हूँ यह मेरे लियें छोटा मुंह बढ़ी बात हे लेकिन क्या करें में ऐसा ही हूँ ........................ . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

एक वायरस इंसान तो क्या ....... जी हाँ मशीन को भी ........बना देता हे

एक वायरस इंसान तो क्या ....... जी हाँ मशीन को भी ........बना देता हे यह बात फिल्म स्टार नाना पाटेकर के उस फिल्म डायलोग से सीधा समझा जा सकता हे जिसमें उन्होंने एक मच्छर आदमी को क्या बना सकता हे वोह बताया हे . 

जी हाँ दोस्तों इंसान तो क्या एक बेजान सी मशीन एक विचार भी अब वायरस से सुरक्षित नहीं हे हमारे कम्प्यूटर को ही लो एक वायरस घुस गया बेचारे कम्प्यूटर के जानकारों ने तिन दिनों तक वायरस की तलाश की लेकिन वायरस था के मिलने का नाम ही नही ले रहा था सोफ्टवेयर से हार्डवेयर में प्रवेश कर गया था इधर वायरस के कम्प्यूटर में आजान से हम बेबस और परेशान थे अपने भाइयों से अपने मार्गदर्शकों से बेबाकी से मिल नहीं पा रहे थे जेसे लोग अख़बार मांग के पढ़ते हें वेसी स्थिति हमारी थी और हम गुपचुप तो कभी किसी के लेब्तोप या कम्प्यूटर से अपना दिल भला रहे थे लेकिन अपना अपना होता हे इसलियें बस अपने कम्प्यूटर के वायरस के खत्म होने तक कसमसा रहे थे और आज दोस्तों आप सभी की दुआ से मेरा यह कम्प्यूटर एक बार फिर वायरस मुक्त हो गया हे . 

मेरा कम्प्यूटर तो वायरस मुक्त हो गया हे लेकिन कितने दिन ऐसा रहेगा कह नहीं सकता क्योंकि आजकल तो वायरस जी का जमाना हे मेने सोचा एक बेजान चीज़ को भी वायरस ............ बना देता हे तो फिर इंसान और इंसान की फितरत तो क्या चीज़ हे और आज ब्लोगिंग की दुनिया में जो भी लिखा जा रहा हे जो भी पढ़ा जा रहा हे शायद वोह वायरस से मुक्त तो नहीं हे सब अपनी अपनी ढपली अपना अपना राग लिए चल रहे हें एक ब्लोगर दुसरे ब्लोगर से नान्राज़ हे तो एक ब्लोगर दुसरे ब्लोगर की खिल्ली उढ़ा रहा हे कुछ गिनती के ऐसे चमकते हीरे हें जो शायद गुड नाईट लगाकर साथ चलते हें इसलियें वायरस उन तक नहीं पहुंच पा रहा हे और आज ब्लोगिंग की दुनिया की कुछ हस्तिया ऐसी भी  हें जो पूरी तरह से वायरस मुक्त हैं और ब्लोगिंग की दुनिया में वोह हर दिल अज़ीज़ बने हें हमारे यहाँ ब्लोगिंग की दुनिया में अच्छा लिखें वालों की कमी नहीं हे लेकिन अच्छा पढने वाले अच्छा देखने वालों की शायद कमी होती जा रही हे और अब इस वायरस को ढूंढ़ कर हमे सबको  मरना होगा और भाईचारे सद्भावना के वायरस से इस ब्लोगिंग की दुनिया को महकाना होगा चमकाना होगा और रंगों की इस होली के त्यौहार को खुबसुरत रंगीन बनाने के लियें खतरनाक वायरसों से खुद को बचाने के लियें अब खुद के दिमाग में एंटी वायरस डलवाना होगा क्या हम ऐसा कर सकेंगे अगर हां तो भैया मेने तो एंटी वायरस डलवा लिया हे मेरे ब्लॉग गुरुओं के तो पहले से ही एंटी वायरस डाला  हे और जो साथी हें जो टिप्पणीकार जो फोलोव्र्स हें ज़ाहिर हे उनके भी एंटीवायरस दला ही होगा इसलियें भाइयों एंटी वायरस जिंदाबाद

  करने की शुरुआत हो गयी हे . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

 

 

 

.

माधोपुर में थानेदार फुल मोहम्मद को ज़िंदा जलाया

राजस्थान सरकार और यहाँ की कानून व्यवस्था जिंदाबाद हे यहाँ हत्या के आरोपी पकड़े नहीं जाते हें और भीड़ द्वारा एक थानाधिकारी को जीप सहित ज़िंदा जला कर राख क्र दिया जाता हे लेकिन अधिकारी हैं के अपनी ज़िम्मेदारी ही नहीं लेते . 
राजस्थान में सवाईमाधोपुर में पिछले दिनों फरवरी में एक महिला दाखा बाई की निर्मम हत्या कर दी गयी थी इस हत्या का मुकदमा  मान टाउन थाने में दर्ज किया गया स्थानीय लोग अपराधियों की गिरफ्तारी की मांग करते रहे लेकिन सरकार के अधिकारी इस तरफ से बेखबर रहे दिखावटी कोशिशों में पुलिस नाकाम थी और आज सवाईमाधोपुर में इस मामले में भीड़ एकत्रित हुई एक युवक ने हत्या के आरोपियों को पुलिस द्वारा नहीं पकड़े जाने पर पहले आत्मदाह की चेतावनी दी और फिर उसने आत्मदाह कर डाली बस थोड़ी देर में इस युवक की मोंत से मामला और भडक गया यहाँ भीड़ उत्तेजित हो गयी पुलिस जवान बिना किसी तय्यारी के सीधे भीड़ को नियंत्रित करने जा पहुंचे बस भीड़ ने आव देखा ना ताव और पुलिस कर्मियों की जीप में बेठे मान टाउन थानाधिकारी फुल मोहम्मद को जीप सहित ज़िंदा जला दिया इन थानाधिकारी की हिफाजत के लियें साथ लाये गये सभी पुलिस कर्मियों ने दोड़ लगाई और पथराव से घायल होने के बाद अपनी जान बचाई लेकिन पुलिस कर्मियों ने इस तरह से खुद की मोजुदगी में खुद के थानाधिकारी को जिंदा जलता देख कर सरकार और पुलिस की इज्जत गवाई . राजस्थान का सवाईमाधोपुर इन दिनों राज्य का द्बसे संवेदन शील और चर्चित जिला हो गया हे यहाँ के केंद्र में मंत्री हे , सरकार में मंत्री हें और हालत यह हें के कई आई पीएस और कई आई ऐ एस अधिकारी बने बेठे हें अब राजस्थान सरकार इस मामले से केसे निपटे उसकी समझ में नहीं आ रहा हे . 
राजस्थान में इस हत्याकांड के बाद पुलिस हत्याकांड के किस्से ने राजनीति गरमा दी हे य्हना भाजपा ने राज्य में कानून व्यवस्था को मखोल बन देने का आरोप लगते हुए मुख्यमंत्री और गृहमंत्री से इस्तीफे की मांग की गयी हे जबकि मुस्लिम संगठनों ने एक मुस्लिम थानाधिकारी को धार्मिक परम्पराओं के खिलाफ जिंदा जला देने की घटना को  गंभीरता से लेते हुए इस पर अफ़सोस जताया हे अब कल तक तो यह घटा राजनीती का एक बढ़ा रूप ले लेगी इसीलियें बिना किसी लाग लपेट के यह घटना आपके सामने पेश हें . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

यह जो जमीन पर पढ़े हें

यह जो दरख्त 
जमीन पर यूँ 
नीचे पढ़े हें 
कल तक 
यूँ सीना ताने खड़े थे 
शायद उन्हें आँधियों का 
जरा भी अंदाजा ना था , 
यह जो पत्ते 
आज इस पढ़ से 
सुख कर  जो गिरे हें 
शायद उनकी हरियाली जवानी में 
वोह इस तरह से गिरेंगे नीचे 
उन्हें अंदाजा ना था 
इसके पहले 
इस हकीकत को हम जान लें 
उठें जमीन से थोडा थोड़ा झुक कर 
लोगों को अपना कर लें . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

यह खुशबु उनकी

यह 
इस राह में 
आखिर 
जानी पहचानी 
किसकी खुशबु हे 
यह इस राह में 
आखिर जाने पहचाने 
किस के पद्छाप हे 
ऐसा लगता हे 
मेरे वोह 
जिन्हें तलाशता हूँ में इधर उधर 
शायद वोह 
इधर से ही निकले हें अभी अभी ...... . 
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

हम खुद ही तो गिरे हें

 किस्से कहें 
हम जमीन पर गिरे हें 
क्या कहें 
हम खुद ही तो गिरे हें 
हम ही तो हें 
जो चढ़ गये थे 
खुले आम भ्रस्ताचार के पढ़ पर 
हम ही तो हे 
जो चल गये थे 
राष्ट्रविरोधी रास्तों पर 
हम ही तो हें 
जो खुद फेला रहे हें 
नफरत , कत्ले आम 
फिर क्यूँ 
यूँ फर्श पर गिरे पढ़े 
हम तड़पते हें 
बस हम ही तो हें 
जो खुद हाँ खुद 
अपनी मर्जी से यूँ निचे गिरे हें , 
तो आओ जरा सोच लो दोस्तों 
अब कुछ ऐसा करें के उठें 
और फिर एक नई राह नई डगर बनाये 
और उस पर चल पढ़ें . 
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...